बरसों पुराना एक रहस्‍य जिसे नीता ने अपने दिल की गहराई  में दफन कर रखा था, उसका भार अब नीता की आत्‍मा पर बढ़ता ही जा रहा था।

अब उस रहस्‍य को लेकर जीना नीता के लिए मुश्‍किल हो रहा था.….हर समय एक अजीब सा डर उन्‍हें घेरे रहता था….वह रहस्‍य भी ऐसा था कि किसी से साझा भी नहीं कर सकती थी…..किसी से भी नहीं, काश वे ऐसा कर सकती और उनके दिल का बोझ कम हो सकता। उनका भरा पूरा परिवार था फिर भी वे अधूरेपन और तकलीफ से जूझ रही थी। 

अगर वह रहस्‍य कभी मीरा के सामने खुल गया तो वे उसे हमेशा के लिए खो देंगी और पति अमरीश जिनसे उनका रिश्‍ता समझौते पर टिका है, समाज और रिश्‍तेदारों के सामने एक आदर्श पति-पत्‍नी का रिश्‍ता, वह खोखला साबित हो जाएगा।

वे मीरा को बताना चाह रही थी कि वो इतने सालों से एक राक्षस के साथ रह रही हैं, जिन्‍हें समाज उनका पति कहता है। मीरा ने जो देखा वह तो उनके पति के काले करतूतों की केवल एक झलक ही था, इतने सालों से मैं क्‍या क्‍या देख रही हूं, अगर बता दूं तो उसका कलेजा कांप जाएगा। तुम्‍हारे राघव को बचाने के लिए मैंने उस रात अमरीश और नैना से कितनी मिन्‍नते की थी....उनके हर गुनाह को सिर आंखो पर बैठा रखा है.…अमरीश को तो अपने किए की सजा एक दिन जरूर मिलेगी पर मैं भी उसमें कम भागीदार नहीं हूं। सबकुछ जानते हुए भी कुछ  विरोध न करना कितना बड़ा पाप है, पर मैं मजबूर हूं.......तुम्‍हारी खातिर......तुम्‍हारे भविष्‍य की खातिर...तुम एक अच्‍छी जिंदगी जियो..…मेरी बेटी...अब तो बस भगवान से यही प्रार्थना है कि तुम जो करने जा रही हो, उसमें पूरी तरह से सफल हो जाओ‘’ सोचकर नीता ने अपनी आंखें बंद कर ली।

 

पीछे दूसरे कमरे में  अमरीश का बड़बड़ाना जारी था...''अगर यह लड़की ऐसी हरकत न करती तो मैं इसे रानियों वाली जिंदगी देने वाला था....सोचा था मीरा के लिए लंदन में प्रापर्टी खरीदूंगा..…वही के किसी करोड़पति लड़के से शादी करवाकर मीरा को सेटल कर दूंगा। लग्‍जरी लाइफ, पर यह लड़की अपने आप को बरबाद करने पर तुली हुई है....मैंने इसे कैसे बचाया है यह मैं ही जानता हूं......दो दो कत्‍ल करने पड़े मुझे...।’’

फिर वे नीता पर चिल्‍ला उठे....''तेरे जैसी औरत के कारण मुझे अपने बच्‍चों की नजरों में गिरना पड़ा.....पहले तो चिराग ने मुझे सुचित्रा के साथ देख लिया था और अब मीरा ने नैना के साथ मुझे पकड़ा....नैना जो उसकी नजर में राघव की पत्‍नी थी….अब मीरा क्‍या सोच रही होगी?

नीता ने एक गहरी सांस ली, अमरीश के पास आई और कहा.....’’उसे पता चल चुका है कि आपकी शर्म मर चुकी है, पिता के रूप में एक दरिंदे हैं आप, वह जानती है कि नैना आपकी रखी हुई औरत है…रखी हुई औरत को क्‍या कहते हैं, आपको बताने की जरूरत नहीं है।‘’ 

अमरीश का पारा हाई हो गया...''नैना मेरे लिए क्‍या मायने रखती है.......यह तुम कभी नहीं जान पाओगी, वो नहीं होती तो मैं कब का चीफ के हाथों मारा गया होता।’’

‘’अच्‍छा होता ना, एक विधवा की जिंदगी शांति और सूकुन से भरी होती।‘’ 

अमरीश ने नीता को घूरकर देखा…इतनी आसानी से तुम्‍हें सूकुन नहीं मिलने वाला मिसेज नीता मल्‍होत्रा.….अपनी औकात मत भूलना, रही मीरा की बात तो उसे बहुत ही जल्‍दी मैं लाइन पर ले आऊंगा....क्‍योंकि नैना मेरे साथ है, कहकर अमरीश कमरे से निकल गए। 

 

अपने मां बाप के कड़वाहट भरे रिश्‍ते से अंजान मीरा ने मुंबई की धरती पर कदम रखा…..नोएडा से एकदम अलग मुंबई का मौसम सुहाना और मनभावन था। 

एयरपोर्ट से बाहर निकली तो बहुत सारे फोटोग्राफरों को देखकर चौंक गई…फिर ध्‍यान आया कि इस एयरपोर्ट पर तो हमेशा फिल्‍मी सितारे अंदर बाहर आते जाते दिखते हैं…उन्‍हीं की एक फोटो के लिए न्‍यूज रिपोर्टर और फोटोग्राफर एयरपोर्ट के बाहर खड़े रहते हैं। 

ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बहुत बड़ी फिल्‍मी हस्‍ती की फ्लाइट या तो आने वाली थी, या तो एयरपोर्ट के अंदर जाने वाले थी, खैर मुझे इससे क्‍या...अब सबकुछ भूलकर मुझे अपने काम पर ध्‍यान देना है। 

पिछला एक हफ्ता कितना हलचल और हंगामें से भरा रहा.....अब एक दो दिन रेस्‍ट कर के फिर से काम पर लगना है। वैसे भी बिना बताए मैं चली भी तो गई थी, शांतनु नाराज नहीं होंगे और निहारिका मैडम तो अपने हनीमून पर होंगी...अभी तो वे अपनी शादी की खुमारी में ही डूबी होंगी, अपनी लाइफ का सबसे खूबसुरत पल इन्‍जॉय कर रही होंगी, कल राशि और निधि से बात करूंगी।

मीरा कार में बैठकर आगे की योजना के बारे में सोचने लगी....मन में फिर से वही सवाल…क्‍या मुझे चीफ के करीब जाना चाहिए? क्‍या मारिया और उसके हसबैंड ने जो कुछ चीफ के बारे में मुझे बताया था वह काफी है...? क्‍या चीफ का कोई और भी रूप है..? चीफ को कुछ ही लोगों ने देखा है....जिनमें से मेरे पापा ने नहीं देखा, नैना ने नहीं देखा......अगर मैं किसी ऐसे इंसान से प्‍यार का नाटक करती भी हूं तो पापा यही सोचेंगे कि मैंने अपने लिए लड़का पसंद किया है। कैसे करूंगी मैं यह सब...? मुझसे नहीं हो पाएगा....अगर कहीं से भी चीफ को पत चल गया तो....अंजाम कितना बुरा होगा.....एक झटके में ही मेरा पूरा परिवार खत्‍म जैसे मारिया के हसबैंड के पूरे परिवार को चीफ ने खत्‍म कर दिया था। उन्‍हें तो चीफ ने तड़पा कर मारा था, मुझे और मेरे परिवार को तो शायद तड़पने का मौका ही न मिल पाए....जैसे वह निर्दोष अनिका अपने होने वाले पति के साथ मारी गई, गलती क्‍या थी उसकी केवल यही कि वह मेरी बॉडी डबल थी, या फिर मैं उसकी बाडी डबल हूं?‘’

घर पहुंचकर मीरा क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं करना चाहिए इस उधेड़बुन में पूरे दिन फंसी रही...उसने किसी को फोन भी नहीं किया।

 

मारिया का भी कोई मैसेज नहीं आया कि आगे कब और क्‍या करना है, मां को फोन करने की हिम्‍मत नहीं हो रही थी, पता नहीं मारिया ने उन्‍हें लेटर में क्‍या लिखकर दिया था...? खैर कोई बात नहीं, उन्‍हें पापा पर पूरा भरोसा तो है, ईश्‍वर करे उनका यह भ्रम और भरोसा कभी न टूटे। वे अपनी लाइफ में कभी कुछ ऐसा न देख ले जो मैंने देखा था....मैं ही जानती हूं कि मैं अब पापा की इज्‍जत पहले जैसा नहीं कर पाऊंगी…..वे मेरी नजरों में हमेशा के लिए गिर चुके हैं। 

 

सुबह से शाम हो गई....मीरा घर पर अकेली ही पड़ी रही। दिनभर उल्‍टा सीधा सोचती रही, शाम होते होते खुद को ही कोसने लगी कि इससे अच्‍छा तो आफिस चली जाती, कुछ तो दिमाग डाइवर्ड होता या शायद उस चीफ का ख्‍याल ही दिल से निकल जाता। 

मीरा उठी, हाथ मुंह धोकर तैयार हो गई, हल्‍का सा मेकअप किया और मरीन ड्राइव की ओर घूमने चल पड़ी। यह पहली बार था जब वह अकेली ही मरीन ड्राइव घूमने आई थी...

 

पहली बार जब वह मरीन ड्राइव बीच आई थी तो कितनी दुखी थी, दिल बुरी तरह से टूटा हुआ था, सपने बिखरे थे, राघव से मिले धोखे से गहरी चोट खाई थी तब वह इसी मरीन ड्राइव के किनारे बैठकर घंटो समुद्र में आते जाते लहरों को निहार रही थी। धीरे-धीरे दुख कम हुआ और सुख की बौछार खुशियों की फुहारें मीरा के जीवन में आने लगी थी, ड्रेस डिजाइनर बनने के बाद छोटे मोटे सेलिब्रेशन के मौके आते ही रहते थे…कई बार तो इसी मरीन ड्राइव बीच पर उसके सारे दोस्‍त हाथ में वाइन और बीयर की बोतलें लेकर चीयर करते तो मीरा कोल्‍ड ड्रिंक की बोतल हाथ में लेकर अपनी खुशी जाहिर करती थी। 

मीरा कभी इसी मरीन ड्राइव बीच पर राघव के साथ घूमने के सपने देखा करती थी...वे बातें सगाई के बाद होती थी कि हम हनीमून के लिए कहां-कहां जाएंगे। उनमें गोवा बीच और मरीन ड्राइव बीच जाने के लिए बहस होती थी। एक सुखद मुस्‍कान मीरा के चेहरे पर तैर गई, पर दूसरे ही पल कचोटने वाली पीड़ा से आंखे नम हो गई। 

वह सपना सच हो ही नहीं पाया और अब हो भी नहीं सकता क्‍योंकि चीजें बहुत बदल गई हैं। मैं राघव को क्‍यो याद कर रही हूं? वह इस कदर दिल में बस चुका है कि मैं किसी और लड़के के बारे में सोच ही नहीं सकती।

आज की स्‍थिति कुछ अलग ही थी.…मीरा अपने परिवार से खुद को अलग-थलग महसूस कर रही थी। इस बार तो ऐसा लग रहा है कि मैं किसी भंवर में फंसने वाली हूं, जहां से निकलने का कोई रास्‍ता ही नहीं मिलेगा.…क्‍या करूं समझ में नहीं आ रहा है? 

मरीन ड्राइव पर अच्‍छी खासी चहल पहल थी, उसी समय थोड़ी सी दूरी पर मीरा को अपने सामने एक जानी पहचानी आकृति टहलती दिखाई दी...वह किसी लड़की की आकृति थी जिसकी चालढाल मीरा अच्‍छे से पहचान सकती थी, पर इस समय वह लड़खड़ा कर चल रही थी, ऐसा लग रहा था कि उसने जमकर शराब पी रखी थी। वो सामने आ रहे कुछ लोगों, चाय, भेलपूरी बेचने वालों से बार-बार टकरा रही थी। 

कौन हो सकती है? सोचकर तेजी से मीरा उस लड़की की ओर अपने कदम बढ़ाने लगती है। 

अचानक वह लड़की एक काली मर्सिडीज से टकराते-टकराते बची, कार तो रूक गई लेकिन लड़की कार से केवल एक इंच की दूरी पर गिर पड़ी। 

 

दूसरे ही क्षण सड़क पर भीड़ इकट्ठी हो जाती है....भी़ड़ लड़की को उठाकर हास्‍पिटल ले जाने के बजाय वीडियो बनाने लगी और कार में बैठे लड़के को कोसने लगे…ये हैं अमीर बाप की बिगड़ी औलादें.....शराब पीकर गाड़ियां चलाते हैं और राह चलते लोगों को कुचलकर आगे निकल जाते हैं...अरे इनके लिए आम इंसान के जान की कीमत क्‍या है...बाप करोड़ो रूपए देकर वकील खरीद लेगा, सबूत गवाह खरीद लेगा और तो और आजकल तो जज भी खरीद लिए जाते हैं। 

तब तक मीरा भी वहां पहुंच गई, तभी कार में बैठा शख्‍स भी भीड़ की बातों से गुस्‍सा होकर बाहर निकलने लगा कि उसके ड्राइवर ने रोका....नहीं सर प्‍लीज आप बाहर मत आइए...आजकल की भीड़ पागलों की तरह बिना कुछ सोचे समझे किसी की भी जान ले लेती है, आप अंदर ही रहिए मैं देखता हूं।‘’ 

 

वह शख्‍स जो एक बहुत ही नामी और सफल बिजनेसमैन था, वह कार में बैठे-बैठे ही लैपटाप पर काम कर रहा था कि अचानक से ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिए….हमेशा शांत और सौम्‍य रहने वाला वह लड़का खीज उठा, और बोला, ‘’कार क्‍यों रोक दी?‘’ 

‘’सर शायद कार के सामने एक लड़की गिर गई है।‘’ 

‘’व्‍हाट, कहकर उस लड़के ने अपना सिर पीट लिया, वह कुछ सोच ही रहा था कि भीड़ ने कार को घेर लिया। 

उस लड़के ने ड्राइवर से कहा, ‘’उस लड़की को उठाकर अंदर ले आओ.…मैं उसे हॉस्‍पिटल ले जाऊंगा और उसका सारा खर्च भी दूंगा।‘’ 

‘’जी सर, कहकर ड्राइवर कार से बाहर निकला। 

 

मीरा भीड़ को चीरते हुए उस लड़की के पास पहुंची…वह पेट के बल गिरी थी और बेहोश हो गई थी। 

मीरा ने उस लड़की की बांह पकड़कर सीधा किया और उसका चेहरा देखते ही सकते में आ गई.…यह तो निहारिका मैडम थी - मीरा की बॉस, निका ब्रांड की हेड, अभी तो इनकी शादी को एक हफ्ता भी नहीं हुआ है और ये इस हाल में यहां ऐसे अकेले घूम रही है। 

इनके पति अमित सर कहां हैं?'' मीरा ने अपनी नजर चारों ओर घुमाई….अनजान चेहरों के अलावा कुछ और नजर नहीं आया। 

मीरा बेहोश निहारिका को मैम…मैम कहकर होश में लाने की कोशिश कर रही थी। 

तब तक ड्राइवर भी वहां पहुंचा, क्‍या आप इन्‍हें जानती हैं? ड्राइवर ने मीरा से पूछा। 

‘’हां ये तो मेरी बॉस हैं, पर पता नहीं यहां इस हाल में…कैसे…?‘’

‘चलिए कोई बात नहीं, इन्‍हें हॉस्‍पिटल लेकर चलते हैं।

 

मीरा ने देखा, निहारिका के माथे पर हल्‍का सी खरोंच आई है बाकी वे एकदम ठीक थी, पर उन्‍होंने कुछ ज्‍यादा ही शराब पी ली थी, क्‍योंकि जैसे ही मीरा ने निहारिका का चेहरा अपने कंधे पर रखा, उनके मुंह से आ रही शराब की भयानक बदबू से मीरा का सिर झनझना उठा।

मीरा और ड्राइवर ने दो चार लोगों की मदद से निहारिका को कार के अंदर बैठा दिया और मीरा खुद भी बैठ गई। कार में एक हैंडसम, स्मार्ट और फेमस युवक को देखकर एक पल के लिए मीरा जड़ हो गई….हीरो जैसा दिखने वाला यह युवक मल्‍टीटैलेंटेड बिजनेस मैन था। 

अक्‍सर पेज थ्री में छाया रहता था, उस लड़के ने एक नजर बेहोश पड़ी निहारिका को देखा और फिर मीरा को शांत और गहरी आंखो से देखा।

‘’क्‍या आप इनके साथ हैं?‘’ उस लड़के ने मीरा से पूछा। 

मीरा ने कहा, ‘’जी, हां ये मेरी बॉस हैं, पर मैं इनके साथ यहां नहीं घूम रही थी, मैं अकेली और दूसरी साइड घूम रही थी। भीड़ देखकर यहां आई तो पता चला कि मेरी मैडम हैं, पता नहीं क्‍यों ये ऐसी हालत में यहां अकेली घूम रही थी, इनके हसबैंड भी आसपास कहीं नहीं दिख रहे हैं?‘’

मीरा को वो लड़का ऐसे देख रहा था मानों इन सबकी जिम्‍मेदार मीरा ही हो।

‘’इस लड़की ने कुछ ज्‍यादा ही पी रखी है‘’ लड़के को शराब की तीखी गंध लगी, जो निहारिका के मुंह से आ रही थी।

‘’जी हां‘’ मीरा ने अपनी सहमति जताई।

‘’और तुम लोगों को लगता है कि शराब पीकर गाड़ी केवल हमारे जैसे अमीरजादे चलाते हैं, लोगों को कुचल देते हैं, अभी अगर इसे कुछ हो जाता तो कौन जिम्‍मेदार होता? नशे में धुत्‍त यह लड़की…जिसे अपने शरीर का होश नहीं है, दिमाग पर कंट्रोल नहीं है या फिर ट्रैफिक नियम का पालन करते हम जैसे लोग।‘’

मीरा को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था....उसे तो अभी भी विश्‍वास नहीं हो रहा था कि निहारिका मैडम ऐसे लावारिस हालत में शराब पीकर सड़क पर क्‍यों घूम रही थी? अमित सर कहां है? मेरे पास तो उनका नंबर भी नहीं है ताकि मैं निहारिका मैडम के बारे में बता तो दूं।

 

क्‍या हुआ है निहारिका के साथ, कहाँ है उसका पति अमित? 

नीता, अमरीश का कौन सा राज जानती हैं जिसके कारण वे बहुत ही मजबूर हैं? 

क्‍या मीरा को सारी सच्‍चाईयों का पता चल पाएगा? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहरूपिया मोहब्‍बत!’

 

 

 

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