मारिया के मुंह से ऐसा कड़वा और दिल को छलनी कर देने वाला सच सुनकर मीरा गहरे सदमें में थी...सामने बैठी वह लड़की मारिया…उतनी ही सामान्‍य। अभी कुछ देर पहले ही उसके पति की हत्‍या हो गई है और वह रोने, चीखने, शोर मचाने के बजाय शराब और सिगरेट पी रही है, उसके लिए तो जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। शायद यह उदासी भरी पियानो की धुन इसलिए बजा रही थी।

‘’तुम….तुम....ऐसा कैसे.….मेरा मतलब है कि यह तो बहुत ही बुरा हुआ....’’ मीरा को शब्‍द ही नहीं मिल रहे थे जिससे वह मारिया को सांत्‍वना दे सके, ऐसा कुछ नहीं कर सकती थी जिससे मारिया का दुख कम हो जाए, पर मारिया कहीं से भी दुखी नहीं लग रही थी। 

मारिया ने ठंडे स्‍वर में कहा, ‘’यह तो जॉन को बहुत पहले से पता था....उसका पूरा परिवार चीफ की नकली ट्रीटमेंट से खत्‍म हो गया था........जॉन उस समय फॉरेन में था, संयोग से वह भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। पुलिस ने पैसे लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया, इसे केवल एक एक्‍सीडेंट का नाम दे दिया था....पुलिस के मुताबिक हास्‍पिटल के किसी ट्रेनी डाक्‍टर ने जॉन की फैमिली को मेडिसिन दी थी।‘’ 

‘’पूरी फैमिली एक साथ हास्‍पिटल में कैसे एडमिट हो गई...?’’  मीरा ने पूछा। 

‘’डेंगू.....जॉन की पूरी फैमिली को डेंगू हो गया था, तो एक के बाद एक सभी एडमिट हो गए और चीफ की दवाईयों का एक्‍सपेरिमेंट भी ऐसे चोरी छिपे किया जाता है, नकली दवाईयों पर असली दवाईयों का लेबल लगाकर बेचते हैं। बस चीफ की नकली दवाईयों ने अपना असर दिखाया और जॉन की फैमिली….’’ कहते-कहते मजबूत कलेजे वाली मारिया की आंखों में आंसू आ गए।’’ 

‘’मैं मैं सब समझ गई....फिर जॉन चीफ के फार्महाउस कैसे पहुंचा?‘’ 

‘’चीफ......अपने एक्‍सपेरिमेंट के लिए पर्सनल डॉक्‍टर, नर्स का सेलेक्‍शन करता है, लैब के किसी अनजान बंदे ने जॉन को चीफ के स्‍टाफ में शामिल होने के लिए कहा और जॉन को अपने फैमिली की मौत का बदला लेना था, तो उसने वही किया जो उससे कहा गया.....लैब में जाने के बाद उसने मुझसे कहा था कि किसी भी दिन उसकी मौत की खबर आ सकती है, पर यह लड़ाई जारी रखना जब तक चीफ का सच, उस पॉलिटिशियन का सच दुनिया के सामने न आ जाए।‘’ 

‘’कौन पॉलिटिशियन, क्‍या चीफ के अलावा भी कोई और भी इस बिजनेस में है?‘’ 

‘’बिजनेस नहीं धंधा कहो, गंदा धंधा, केवल पॉलिटिशियन ही नहीं.....कुछ नामी साधु संत…धर्मगुरू जिन्‍हें पूरा देश भगवान से कम नहीं समझता, वे सब इसमें शामिल हैं….पैसा है ही ऐसी चीज।‘’ 

 

‘’तो क्‍या तुम अपने हसबैंड की अंतिम संस्‍कार में नहीं जाओगी?‘

‘’अंतिम संस्‍कार…चीफ के गद्दारों का अंतिम संस्‍कार नहीं होता है, उनकी डेडबॉडी फार्महाउस के गटर में या तो सड़ती है, या जानवर चील कौए खा जाते हैं। जॉन की डेडबॉडी के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा।‘’ कहकर अब मारिया रोने लगी। 

अब मीरा को पूछने के लिए कुछ नहीं रह गया था। मारिया ने अपने आंसू पोछते हुए मोबाइल पर टाइम देखा, ‘’दो घंटे बाद तुम्‍हारी फ्लाइट है, चलो मैं तुम्‍हें एयरपोर्ट छोड़ देती हूं।‘’ 

मीरा, मारिया की ऐसी प्रतिक्रिया देखकर अचम्‍भे में आ गई...क्‍या है यह लड़की...? एक पल में किसी लेडी डॉन जैसी हरकतें करती है, फिर किसी नाजुक लड़की की तरह रो देती है और फिर अचानक ही दूसरे एक्‍शन में आ जाती है। यह कितनी मजबूर है कि अपना दुख भी ठीक से मना नहीं पा रही...ठीक से रो नहीं पा रही है......चीख नहीं रही.....चिल्‍ला नहीं रही है।

‘’नहीं.....नहीं मैं आपको ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती’’ मीरा ने कोमल और सहानुभूति भरे भाव से कहा। 

मारिया ने मीरा का सूटकेस उठाकर मीरा का हाथ पकड़कर डोर की ओर ले जाते हुए कहा, ‘’मैं एकदम ठीक हूं, और पहले से ज्‍यादा मजबूत। अब मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है.....उस चीफ को खून के आंसू रूलाना ही मेरी जिंदगी का मकसद है…और मेरा दिल कह रहा है कि तुम भी मेरे साथ हो।‘’ 

न जाने क्‍यों मीरा ने हां में सिर हिला दिया...वह पहले भी इस काम के लिए राजी हुई थी, पर वह यह सब कैसे करेगी…? कुछ समझ में नहीं आ रहा था, पर उसे अपने पापा के लिए करना था...उस मास्‍टरमाइंड नैना की हकीकत जानने के लिए करना था…मीरा के सामने जब भी नैना का जिक्र होता वह एक नए और चौंकाने वाले रूप में नजर आती थी। 

कभी राघव की पत्‍नी के रूप में....कभी अपनी पिता की गर्लफ्रेंड के रूप में....ऐसा तो मीरा सोच रही थी, पर जिस तरह से अमरीश और नैना एक दूसरे के साथ थे…बाप बेटी, दोस्‍त या सहयोगी जैसा रिश्‍ता तो नहीं था।

 

मारिया ने कहा, ‘चलो जल्‍दी करो.....वैसे तो तुम्‍हें दो घंटे पहले पहुंचना चाहिए, पर एयरपोर्ट यहां से दस मिनट की दूरी पर है, फटाफट चेकिंग हो जाएगी।‘’

मारिया, मीरा को लगभग खींचते हुए घर से बाहर ले आई...बाहर एक काले रंग की कार खड़ी थी। मारिया ने मीरा का सामान कार की डिग्‍गी में डाल दिया, दिसम्‍बर की बर्फीली ठंडी हवा से मीरा सिहर उठी, मारिया ने मीरा को जैकेट पहनने के लिए दिया और खुद कार की ड्राइविंग सीट पर बैठकर मीरा को कार में आने के लिए इशारा किया। 

मीरा ने झट से खुद को जैकेट, मफलर में कवर कर लिया और कार में बैठ गई। एकाएक मीरा को नीता का ध्‍यान आ गया, उस समय क्‍या हुआ होगा जब मम्‍मी ने मुझे बिस्‍तर से गायब पाया होगा....क्‍या उन्‍होंने शोर मचाया होगा और पापा को बता दिया होगा?’’

मारिया ने कार स्‍टार्ट कर दी.…आधी रात का समय था तो सड़क पर सन्‍नाटा पसरा था.....मीरा के लिए यह एक डरावना सन्‍नाटा था। वह पांच साल से मुंबई में रह रही थी, अगर कभी बाई चांस आधी रात को कहीं जाना पड़ा तो भी मुंबई की सड़के उतनी ही गुलजार रहती थी जितनी दिन में रहती है....मुंबई के बारे में लोग कहते भी हैं कि यह शहर कभी नहीं सोता। 

‘’क्‍या मेरी मां को पता है कि मैं कहां हूं?‘’ मीरा ने पूछा। 

‘’उन्‍हें एक लेटर मिल गया होगा, जो हमने छोड़ा था, वे घर में सो रही होंगी, बाकी बातें बाद में।‘’

खाली सड़क होने के कारण मारिया पचास की स्‍पीड से कार दौड़ाने लगी.…दस मिनट भी नहीं हुए होंगे कि वे दोनों एयरपोर्ट के सामने खड़ी थी।

 

मारिया ने मीरा का सारा सामान उतारकर ट्राली पर रखते हुए कहा, ‘’अब तुम जल्‍दी से अंदर जाओ.…आगे क्‍या करना है मैं तुम्‍हें बताती रहूंगी, तुम्‍हारा फोन नंबर मेरे पास है....पर मैं बहुत ज्‍यादा समय तक तुम्‍हें मैसेज नहीं कर पाऊंगी, क्‍योंकि हो सकता है जब तुम चीफ को पसंद आ जाओ तो वह तुम्‍हारे बारे में सबकुछ पता करे....तुम्‍हारे फोन को हैक कर ले...इसलिए आगे तुम्‍हें समझदारी से काम करना है। मैं जानती हूं कि तुम बहुत ही इमोशनल किस्‍म की लड़की हो, कभी कोई ऐसा मोमेंट न आ जाए जब तुम भावनाओं में बहकर चीफ के सामने सच कह दो। वह लड़कियों को इमोशनल ब्‍लैकमेल करने में माहिर है....कई बार अपने काम को मजबूरी का नाम भी दे सकता है पर तुम उसके घड़ियाली आंसू पर विश्‍वास मत करना...........कुछ ऐसा भी हो सकता है कि वह तुम्‍हें एकदम बेकसूर दिखे, पर तुम फिर भी मत पिघलना...बस उन सब चीजों को याद रखना जिनके लिए तुम चीफ के पास पहुंची हो।’’

जितनी आसानी से मारिया यह बातें कह रही थी रियल में भी इतना ही सरल होता तो इस दुनिया से गलत काम करने वालों का नामोंनिशान मिट जाता। 

क्‍या वह चीफ इतना बेवकूफ होगा कि मैं उसके सामने जाऊंगी और वह मुझ पर लट्टु हो जाएगा...मुझे दीवानों की तरह प्‍यार करने लगेगा.…अगर मैं उसे पसंद आ भी गई तो क्‍या वह एक प्‍यार करने वाले प्रेमी की तरह मुझे इम्‍प्रेस करने लगेगा....मुझसे प्‍यार से बातें करेगा...मुझसे इज्‍जत से पेश आएगा......कभी नहीं…एक ऐसा इंसान जो इंसानियत के नाम पर कलंक है, कभी भी, किसी की भी जान लेना उसके लिए खेल से बढ़कर कुछ नहीं है। जिसके अंदर इमोशन और दया नाम की चीज नहीं है…जिसे जेल में होना चाहिए और फांसी से नीचे तो कुछ मिलना ही नहीं चाहिए....वह कितनी शानोशौकत से राजाओं वाली जिंदगी जी रहा है...धिक्‍कार है ऐसे देश की कानून पर जहां आम इंसान की जिंदगी का कोई मोल ही नहीं है.।’’ 

‘’क्‍या सोच रही हो तुम....अंदर जाओ‘’ मारिया ने गहरी सोच में डूबी मीरा से कहा। 

‘’मुझे बहुत डर लग रहा है, पता नहीं मुझसे यह सब हो पाएगा या नहीं?‘’

‘’बिल्‍कुल हो जाएगा...इसके अलावा तुम्‍हारे पास कोई चारा नहीं है।‘’

उसी समय मीरा और मारिया को ऐसा महसूस हुआ की एयरपोर्ट के पास शोरगुल अचानक से बढ़ गया…कई लोगों के मिलेजुले स्‍वर उन दोनों के कान में पड़ रहे थे....लोग कह रहे थे…

‘’अरे देखो यह मिल गई….पर वो लफंगा कहां है...जो मेरी बेटी को भगाकर ले गया था…अरे होगा यहीं कहीं.…कहीं अंदर तो नहीं घुस गया, अंदर घुस भी गया होगा तो मेरी पकड़ से बाहर नहीं जा पाएगा....आज तो उसे काट डालूंगा।

यह शब्‍द मीरा के कान में बहुत करीब से पड़े, ऐसा लगा जैसे उसी को यह कहा जा रहा था..…मीरा ट्राली लेकर सिक्‍योरिटी की ओर जाने लगी कि तभी किसी का मजबूत हाथ उसके नाजुक कंधे पर तेजी से पड़ा। 

मीरा जैसे लड़खड़ा गई....’’रूक, हमारे मुंह पर कालिख पोतकर कहां जा रही है।‘’ 

हक्‍की-बक्‍की मीरा उस आदमी की ओर मुड़ी जिसने उसके कंधे पर अपना हाथ लगभग मारा था। गुस्‍से से लाल हो रहे उस आदमी का चेहरा मीरा को देखते ही एकदम सामान्‍य हो गया…चेहरे पर हैरानी और माफी वाले भाव आ गए।

मीरा के सामने सांवले रंग का लम्‍बा तगड़ा और मजबूत, अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा था, उसने सिर पर लाल रंग की पगड़ी बांध रखी थी, उसके हाथ में एक रायफल थी, उस आदमी के पीछे भी करीब एक दर्जन हट्टे-कटटे लोग खड़े थे, सभी शक्‍ल से खुंखार गुंडे लग रहे थे। इन सभी के हाथ में मोटे-मोटे डंटे, बड़ी बड़ी धारदार चाकू, तलवार और बंदूके थी। इतनी भीषण ठंड में भी मीरा के माथे पर पसीना आ गया, डर के मारे रोम-रोम कांपने लगा....मन में यही ख्‍याल आया कि हो ना हो उस चीफ को मेरे बारे में पता चल गया होगा और उसने मुझे मारने के लिए अपने गुंडो को यहां भेजा होगा...मारिया का प्‍लान तो फेल हो गया..।’’ 

तभी मीरा के सामने खड़े लाल पगड़ी वाले उस आदमी ने मीरा से माफी मांगी...’’अरे अरे यह क्‍या हो गया….यह मेरी बेटी नहीं है.....यह तो कोई और है।‘’

लाल पगड़ी वाले के पीछे खड़े एक आदमी जिसके हाथ में धारदार चमचमाती तलवार थी....वह मीरा को देखकर बोला, हमसे तो बहुत बड़ा मिस्‍टेक हो गया…यह लड़की तो पीछे से एकदम हमारी भतीजी ही लग रही थी, वैसी ही लम्‍बाई....बाल.…दुबली पतली…चाल जैसी हमारी भतीजी की है…चलो भाई चलो कहीं और ढूंढते हैं।‘

एक लड़के ने जिसके हाथ में मोटी लठ्ठ थी, उसने मीरा से कहा...माफ करना बहन जी, दरअसल मेरी एक बहन है जो आज सुबह एक लड़के के साथ भाग गई….तब से ढूंढ रहे हैं, रेलवे स्‍टेशन…बस अड्डा...टैक्‍सी स्‍टैंड..…कहीं नहीं मिली….एयरपोर्ट पर ढूंढने निकले तो अभी आपको पीछे से देखा तो लगा मेरी बहन ही है, आप पीछे से एकदम मेरी बहन की कदकाठी की हैं।‘’ 

मारिया के दिल में एक हलचल सी उठी....उसने लाठी वाले लड़के से पूछा, ‘’आपकी बहन.....क...क....क्‍या..... क्‍या नाम है उसका?‘’ 

‘’अनिका‘’ उस युवा ने अपने हाथ में पकड़ी लाठी को थोड़ा सा ऊपर उठाकर हल्‍के से नीचे पटकते हुए कहा। 

अनिका नाम सुनते ही ऐसा लगा मारिया के पैरों तले जमीन खिसक गई, मीरा के शरीर से मानों सारा खून ही सूख गया......अनिका.….इसी नाम की लड़की की चर्चा तो अभी मारिया अपने घर पर कर रही थी। वह तो मर चुकी है, मीरा के पापा ने ही तो अनिका को मारा था, उसके बॉयफ्रेंड को भी….नैना तुम कितना नीचे गिर चुकी हो। 

‘’आपका टाइम बरबाद करने के लिए माफी चाहता हूं‘’ उस लाठी वाले लड़के ने मीरा से कहा। 

 

तब तक एयरपोर्ट के कुछ सिक्‍योरिटी गार्ड और पुलिसवाले भी वहां पहुंच चुके थे.....एयरपोर्ट के बाहर ऐसे बंदूक, लाठी और तलवार लेकर आना कोई आम बात नहीं थी।

मारिया ने पहले तो खुद को संभाला और फिर अपनी आंखों से मीरा को अंदर जाने का इशारा किया, मीरा ने गरदन हिलाई और अनिका के परिवार को सहानुभूति भरी नजरों से देखते हुए सिक्‍योरिटी की ओर बढ़ गई, इस समय मीरा बहुत ही बेबस, मजबूर और कमजोर महसूस कर रही थी। 

काश किसी तरह अनिका के परिवार को पता तो चल जाता कि उनकी लाड़ली बेटी और बहन अब इस दुनिया में नहीं रही..…वह और उसका प्‍यारा, निर्दोष लवर बेमौत मारे गए। 

 

 मीरा के अंदर जाने के बाद मारिया ने चैन की सांस ली, फिर अनिका के परिवार और पुलिस वालों को देखा, वे आपस में उलझे हुए थे, अनिका का परिवार पुलिसवालों से माफी मांग रहा था और पुलिसवाले उन्‍हें कानून समझा रहे थे। 

अब मारिया के वहां रूकने का कोई मतलब ही नहीं था, सबसे नजरें बचाते हुए मारिया अपनी कार में आकर बैठ गई। 

कार में बैठकर मारिया ने फोन लगाया, उधर से हैलो करने की आवाज आई.…इधर से मारिया ने कहा….’’हैलो…नीता आंटी.…जी काम हो गया है.…जैसा आपने कहा था, मैंने मीरा को वह सबकुछ बता दिया। उसे आप पर बिल्‍कुल भी शक नहीं हुआ....वह आपको एक भोली भाली और बाबाओं की बातों में फंस जाने वाली औरत ही समझती है…आगे भी वही होगा जो आप चाहेंगी.…अब मैं घर के लिए निकलती हूं।’’

 

क्‍या नीता, अमरीश की सच्‍चाई जानती है…तो फिर उन्‍होंने मीरा की बात का विश्‍वास क्‍यों नहीं किया?

नीता की ऐसी क्‍या मजबूरी है कि उन्‍हें अपने पति का साथ देना पड़ रहा है? 

मीरा का अगला कदम क्‍या होगा?

नैना के अभी और कितने रूप देखने को मिलेंगे?

जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहरूपिया मोहब्‍बत!’

 

 

 

 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.