अगली सुबह, गाँव में तालाब के पास, खाली शराब की बोतलों का ढेर पड़ा हुआ था।  ये देखकर लोग हैरान थे, सुनील का कहीं भी अता पता नहीं था॥ अब सबको लगने लगा था कि गाँव में असली भूत का साया आ गया है। उस भूत से बचने के लिए अब कोई न कोई उपाय करना ही पड़ेगा। गाँव के सब लोगों ने मिलकर डिसाइड किया कि वह जाकर सबसे पहले शराब की उस दुकान को बंद करवायेंगे ताकि अब से किसी को कोई शराब न मिले। 

पूरे गाँव को शराब मुक्त बनाने का अभियान शुरू हो गया। साधुपुल, शिमला से थोड़ी दूर बसा एक खूबसूरत गाँव था, जहाँ हर गली में मंदिर था। इस गाँव के लोगों का मानना था कि चाहे गाँव में घर कम हो लेकिन मंदिर ज़्यादा होने चाहिए। एक समय पर कहा जाता था कि इस गाँव में कई साधु रहते थे जो सतलुज नदी को पार करने के लिए एक पुल का इस्तेमाल करते थे। वह पुल दूसरी तरफ़ बने शिव मंदिर की ओर जाता था और इसी वज़ह से इस गाँव का नाम साधुपुल पड़ गया। 

गाँव में ज्यादातर पंजाबी ही रहते थे। पंजाबियों के रहने का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब देश आज़ाद हुआ तो उसका जश्न मनाने के लिए सबसे पहले एक शराब की दुकान यहाँ खोली गई। पूरे हिमाचल प्रदेश में साधुपुल अपने शराब के ठेकों की वज़ह से जाना जाता था, लेकिन आज भूत के डर के चक्कर में लोगों ने उसको भी हमेशा के लिए बंद करवा दिया। जहाँ एक तरफ़ भूत के आतंक ने पूरे गाँव वालो को दहशत में डाल दिया था वहीं दूसरी तरफ़ अब सोनू को वोह हवेली मिल गई थी जिसको वह अपने मर्जी-मुताबिक रेस्टोरेंट में बदलने वाला था। सबसे पहले उसने कुछ लोगों को काम के लिए हायर किया और उनके साथ मिलकर, अन्नू और सोनू दोनों ने पूरे खंडहर का मेक ओवर करने की ठान ली। सोनू और अन्नू सुबह-सुबह ही उस खंडहर पर पहुँचे और उन्हें वहाँ पर बड़े-बड़े पेड़ दिखे, जिनपर काफ़ी सारे तावीज़ बंधे हुए थे। 

  

अन्नू 

भाई अब तो मान जा की इस जगह पर कुछ है। 

  

सोनू 

अबे चुप रह! वैसे ही पूरे गाँव में लोग हर तरफ़ भूत-भूत कर रहे है। मुश्किल से ये वर्कर भी दूर से बुलाए है, प्लीज मेरे भाई, अभी मुंह से हगना बंद कर। 

  

 

इसपर अन्नू ने कुछ नहीं कहा। सोनू ख़ुद पेड़ पर चढ़ा और उसने सारे तावीज़ निकालकर फेंक दिए। जैसे ही उसने वह सारे तावीज़ फेंके, एकदम से ज़ोर-ज़ोर से हवा चलने लगी और बिजली कड़क गई। ये देखकर अन्नू डरकर पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। 

  

सोनू 

अबे डरपोक, बिजली कड़की है बस, बारिश का मौसम है। 

  

अन्नू पेड़ के पीछे से निकल आया और बात बदलते हुए बोला, 

  

अन्नू 

नहीं नहीं, मैं डरा नहीं था, बस यूं ही पेड़ के पीछे देख रहा था कि वहाँ से अपना रेस्टोरेंट दिखेगा या नही। मुझे तो लगता है, हमें इन पेड़ों को भी थोड़ा कटवाना पड़ेगा॥ 

  

सोनू 

वाह, मेरे भाई, पहली बार तूने कुछ काम की बात की, अब जाकर चला तेरा दिमाग! मैं भी यही सोच रहा हूँ कि पेड़ को थोड़ा-सा कटवा देते है। नहीं तो हाईवे से इन पेड़ों की वज़ह से हमारा रेस्टोरेंट नहीं दिखेगा। 

  

  

अन्नू 

हम्म, तू अब पिंकी के उस हलवाई बाप के पास कब जा रहा है? 

  

सोनू   

अब तो सीधा परसो मिठाई का डब्बा लेकर ही जाऊंगा और साथ में पिंकी का हाथ भी मांग लूंगा। एक तीर से 2 निशाने। 

अन्नू- 

शाबाश मेरे चीते शाबाश 

  

  

सोनू 

अन्नु एक और काम करेंगे, अपने रेस्टोरेंट में हम दारू भी पिलाएंगे॥ 

  

  

अन्नू   

तू पागल हो गया है क्या? पता है न कि क्या हल्ला मचा हुआ है अपने गाँव में? 

तू रेस्टोरेंट के ओपनिंग डे को ही इसका क्लोजिंग डे बनाना चाहता है क्या? 

  

सोनू 

अरे भाई थोड़ा दिमाग़ लगा-इकलौता शराब का ठेका बंद हो जाएगा, तो फिर आसपास के सारे शराबी कहाँ शराब पीने जाएंगे? इसलिए हम एक काम करेंगे की उस शराब के ठेके से सारी शराब की बोतलें सस्ते में खरीद लेंगे और फिर उसको अपने रेस्टोरेंट में बेचेंगे॥। वैसे भी मैं तेरी भलाई के लिए ही बोल रहा हूँ, अगर हमें अपना रेस्टोरेंट उस सरदार के रेस्टोरेंट से अच्छा चलाना है तो हमें ये करना ही पड़ेगा और हमने जो तेरे बाप के नाम पर लोन किया है, उसको भी तो चुकाना है न? सोच अन्नू सोच! 

 

एकदम से अन्नू की आंखो के सामने उसके बाप का चेहरा आ गया और वह डरते हुए बोला, 

  

अन्नू 

नहीं नहीं, हम शराब रख लेते है, हमें लोन भी तो चुकाना है। 

  

सोनू 

ये हुई न बात। अब देख तू, पूरे शिमला में इस रेस्टोरेंट को वर्ल्ड फेमस कर दूंगा। सारे बाहर के टूरिस्ट यही पर आकर खाना खाएंगे और हमारा ही नाम याद रखेंगे। सोनू और अन्नू का रेस्टोरेंट "हवेली खज़ाना ढाबा" 

  

  

अन्नू 

अबे ये कैसा नाम है? 

  

सोनू- 

भाई नाम ऐसा होना चाहिए जो लोगों की ज़ुबान पर ही रहे 

  

अन्नू 

हम्म, जैसे गुटखा 

  

  

सोनू 

अबे माँ के लौते बेटे, दिमाग़ घर छोड़ कर आया है क्या? अब ध्यान से सुन, 

हवेली खज़ाना ढाबा! हवेली इसलिए क्योंकि ये जगह पहले एक हवेली थी। खज़ाना इसलिए क्योंकि संजीव कपूर के सीरियल का नाम था खाना खज़ाना और ढाबा इसलिए क्योंकि उससे अपना थोड़ा देसीपन भी झलकेगा। 

  

  

अन्नू 

अब तूने सोचा है तो कुछ सोच समझ कर ही सोचा होगा ... 

  

 

जहाँ एक तरफ़ सोनू और अन्नू अपने रेस्टोरेंट के बारे में सोच रहे थे, वही दूसरी तरफ़ सोनू इस बात को लेकर खुश था कि अब जल्द ही वह और पिंकी शादी कर पाएंगे और दोनों एक दूसरे के हो जाएंगे। वही दूसरी तरफ़ पिंकी अपने सपनों को पूरा करने के ख़्वाब देख रही थी। सोनू जाकर पिंकी को उसी तालाब के पास मिला। 

  

सोनू 

पिंकी, मैं कुछ दिनों में कमाने लग जाऊंगा। अब अपने पैरों पर खड़ा हो गया हूँ, क्या तुम मेरे साथ अपनी ज़िन्दगी बिताना चाहोगी? 

  

पिंकी 

यात्रीगण कृपया ध्यान दे, कृपया अपनी कुर्सी की पेटी बाँध ले... कैसा लगा? 

  

सोनू 

अच्छा है... पर मैं क्या बोल रहा हूँ, तू सुन रही है...? 

  

पिंकी 

हाँ सुन रही हूँ, लेकिन मुझे एयर होस्टेसस बनना है। 

सोनू 

ये कब हुआ? 

  

पिंकी 

क्या कब हुआ? 

  

सोनू 

तुम्हें एयर होस्टिस बनने का ख़्वाब कब से आया? 

  

पिंकी 

कल रात से? 

  

सोनू 

कल रात से? 

  

पिंकी; 

हाँ मैं कल रात ही सोच रही थी कि मेरा बचपन से ही एयरहोस्टेस बनने का सपना था। 

  

सोनू 

ये सब तू, अब बता रही है? 

  

पिंकी 

अरे! मुझे कल ही तो याद आया की मेरा सपना था एयर होस्टिस बनने का? 

  

सोनू 

पागल-वागल हो गई है क्या? या अपने बाप के साथ सुबह-सुबह चढ़ाकर आई है? वह कनाडा शादी का क्या हुआ फिर? 

  

पिंकी 

वह तो मैं झूठ बोल रही थी ताकि तुम लाइफ में सीरीयस हो जाओ!  

  

सोनू 

तो हो तो गया हूँ सीरीयस। 

  

पिंकी 

सोनू, मैं जानती हूँ कि तूने मेरे लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन मुझे अभी अपने सपने को पूरा करने का मौका चाहिए। मैं शादी से पहले एयरहोस्टेस बनना चाहती हूँ। इसके लिए मुझे पढ़ना होगा, ट्रेनिंग लेनी होगी और मैं तुम्हारे साथ शादी करके अभी ये सब नहीं कर सकती। 

  

सोनू 

यार तू क्या कह रही है! पता है कितने प्लेन क्रैश हो रहे हैं आज कल, तू ये सब... और पिंकी, हमारे सपने का क्या? हमारी शादी का क्या? 

  

 

ये सुनकर पिंकी ने अपना सिर झुका लिया और उसकी आँखों में आंसू थे। वह आंसू पोंछते हुए बोली 

  

पिंकी 

सोनू, मैं सच में तुझे प्यार करती हूँ और मैं तुझसे ही शादी करना चाहती हूँ, लेकिन मैं अपने सपने को भी अधूरा नहीं छोड़ सकती। मेरे लिए यह एक बहुत बड़ा मौका है। इस गाँव में सब लड़कियों की ज़िन्दगी बस घर में ही गुजर जाती है-पहले अपने पिता के घर में, फिर अपने पति के घर में लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती हूँ। अब तू जब अपने पैरो पर खड़ा हो गया है तो मैं चाहती हूँ की मैं भी कंधे से कंधा मिलाकर तेरा साथ दूं; इसलिए मैं एयरहोस्टेस बनना चाहती हूँ। तुझे याद है सोनू, बचपन से मुझे प्लेन देखने कितने पसंद थे? तू हमेशा मेरे लिए स्कूल में काग़ज़ का प्लेन बनाकर लाता था। 

  

 

ये बोलकर पिंकी फिर से रोने लगी। सोनू का पिंकी को रोते सुनकर दिल टूट गया 

  

सोनू 

तू रो मत, मैं समझता हूँ, पिंकी। तेरा सपना भी बहुत ज़रूरी है और मैं चाहता हूँ कि तू उसे पूरा करे। मैं तुझे सपोर्ट करूंगा लेकिन याद रखना, जब तू तैयार हो जाएगी, तो मैं यही पर तेरी राह देखूँगा। तू जा और एयरहोस्टेस बन फिर मैं तेरे प्लेन में कैटरिंग का बिजनेस खोल लूंगा। हम दोनों फिर हमेशा साथ रहेंगे। 

  

 

रात के 8 बजे थे, गाँव के बाहर हाईवे पर एक कार में 3 दोस्त राहुल, सुंदर और रमन शिमला की तरफ़ से वापस आ रहे थे। रास्ते में साधुपुल गाँव के पास से गुजरते हुए उनकी गाड़ी चलते-चलते रुक गई। राहुल शराब पीकर गाड़ी चला रहा था और सुंदर और रमन साथ बैठे बगल में पी रहे थे। तीनो गाड़ी से बाहर निकले और राहुल ने गाड़ी का बोनेट खोलकर देखा तो गाड़ी के इंजन में कुछ दिक्कत आ गई थी। सामने वह खंडहर दिख रहा था और दूसरी तरफ़ साधुपुल गांव, जो पूरा सुनसान पड़ा था। 

तभी बगल से सुनील जाता हुआ दिखा। राहुल ने आवाज़ लगाई और पूछा 

  

राहुल 

हेलो भाईसाब? 

  

सुनील रुका और उनकी तरफ़ देखने लगा। 

  

राहुल 

भाईसाब आपको आसपास मैकेनिक का पता है, एक्चुअली हमारी कार खराब हो गई और हमें सुबह तक पंजाब पहुँचना है। " 

   

सुनील, जिसके अंदर भूत समाया हुआ था, उन तीनों की तरफ़ देखता है, 

  

सुनील 

आप शराब पीकर गाड़ी चल रहे थे? 

  

सुंदर 

ठंड इतनी है, पीनी पड़ती है... 

  

सुनील 

हाँ बिल्कुल ठीक कहा। 

  

 

तभी राहुल दुबारा अपना सवाल पूछता है, 

  

राहुल 

भैया मैकेनिक पता है आपको? 

  

सुनील 

हाँ मुझे सब आता है, गाड़ी ठीक करना मेरे बाएँ हाथ का काम है। 

 

सुनील नशे में लड़खड़ा रहा था, जिसको देखकर रमन ने बोला। 

  

रमन 

भैया अपने तो ख़ुद चढ़ा रखी है, ठीक कर पाओगे? 

  

सुनील 

टेंशन न लो बिल्कुल ठीक कर दूंगा। सब कुछ ठीक कर दूंगा। 

  

 

ये बोलकर सुनील कार ठीक करने के लिए आगे बढ़कर इंजन को देखने लगा कि तभी सुंदर ने पूछा 

  

सुंदर 

भैया ये गाँव पूरा सुनसान क्यों पड़ा है, अभी तो रात भी सही से नहीं हुई। 

  

सुनील 

वह गाँव में भूत का साया घूम रहा है, इसलिए सब जल्दी सो जाते है। 

  

  

राहुल 

क्या बकवास है, ऐसे थोड़ी होता है! आज भी इंडिया के लोग पता नहीं कौन से साल में जी रहे है। भूत-वूत जैसा कुछ नहीं होता। 

  

सुनील 

भूत असली में होता है, मैने देखा है भूत॥ 

  

  

राहुल 

सच्ची? अच्छा बताना कैसा दिखता है आपका भूत, बताओ बताओ 

  

इसपर सुनील उनके पास गया, 

  

सुनील 

भूत के पास खड़े होते ही, आपको एक ठंडक महसूस होने लगती है और उसकी सांसें ऐसी लगती हैं, जैसे हर पल वह आपकी आत्मा को चीरने की कोशिश कर रहा हो। जब भूत बोलता है, तो उसकी आवाज़ में लोगों की चीखें गूंजती हैं, मानो वह हर बार आपको मौत की ओर खींचने की कोशिश कर रहा हो। उसका चेहरा आधा जला हुआ और आधा सफेद दाढ़ी से भरा होता है और उसकी सफेद आँखें आपकी आत्मा को निगलते हुए देखती है, 

  

 

ये सब सुनकर वह तीनो काफ़ी डर जाते हैं, तभी राहुल ने सुनील को टोकते हुए कहा, 

  

राहुल 

अच्छा भैया बस बस, आप गाड़ी ठीक कर दो। 

 

नील 

मेहरबानी तो आपकी है, जो आप तीनो यहाँ आए। आप तीनो की मदद से मैं उसको ढूँढ लूँगा॥ 

  

    

ये बोलते ही सुनील एकदम से गायब हो गया और चारो तरफ़ से ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ आने लगी। 

  

  

आख़िर उन तीनों लड़कों का क्या होगा, सुनील के अंदर के भूत को किसकी तलाश है? वह चाहता क्या है? ये जानने के लिए पढ़िए काके दी हवेली का अगला एपिसोड।  

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