सौरभ और उसकी बहन श्रुति के बीच हुई अनबन से, उसको अपने बचपन में लौटने में देर नहीं लगी जहाँ उसे अपने और श्रुति के बीच का भाई-बहन का प्यार बहुत याद आता है।
उस एक रात ने सौरभ से उसकी अच्छाई, उसकी मासूमियत सब कुछ छीन ली थी।।
हर इंसान का बीता कल अँधेरे से भरा होता है, मगर सौरभ के बीते कल ने उसके साथ छल, फरेब सब कुछ किया था जिसका असर आज तक सौरभ की ज़िंदगी में देखने को मिल रहा है।
जो धोखा उसकी माँ ने उसके पिता को दिया था, उसी बात का बदला अब वह लड़कियों को धोखा देकर ले रहा है।
बीती रात श्रुति से बहस होने के बाद ऐसा लग रहा था कि सौरभ में कुछ तो बदलाव आएगा।
उसकी खामोशी, उसके आँसू, उसकी भारी आवाज़, उसकी गंभीरता—सब कुछ छल था।

सौरभ, अपना खोखलापन सिर्फ बाहरी लड़कियों पर ही नहीं, बल्कि अपनी सगी बहन पर भी थोपता दिख रहा था।
उसकी तुलना गिरगिट से करना ही बेहतर था, क्योंकि समय देखकर रंग बदलना सौरभ की आदत में शामिल था। अब, वह इस काम में माहिर भी हो चुका था।

संडे का दिन था। रितिका अपने घर में बैठी लव स्टोरी की नॉवेल पढ़ रही थी, अपनी फेवरेट चाय के एक कप और लो-फी म्यूजिक के साथ। ये उसका परफेक्ट सेल्फ केयर डेट प्लान होता था। उसे एक दिन अपने लिए निकालना हमेशा से बहुत पसंद रहा है।
हफ्ते के छह दिनों में इतनी भागदौड़ रहती है कि उसे अपनी साँसें महसूस करने का भी वक़्त नहीं मिलता।

फाइनेंशियल एनालिसिस करना, कहीं कुछ गड़बड़ हुई तो उसकी जड़ तक जाना, क्लाइंट्स को स्टॉक मार्केट की सर्टिफाइड जानकारी देना, इनवेस्टमेंट अपॉरच्युनिटीस को गहराई से स्टडी करना और फाइनैन्सेस में फ्रॉड डिटेक्ट करना - अपने काम में इतनी बारीकियों का ध्यान रखने वाली रितिका, अपनी रियल लाइफ में हो रहे स्कैम को भांप नहीं पाती।

रितिका ने जब अपनी नॉवेल खत्म की, तब उसे एहसास हुआ कि सौरभ इतना बड़ा अवेर्नेस कैमपेन करने वाला है और अब तक उसने खुद को सोशल मीडिया पर भी प्रमोट नहीं किया है।

आजकल, जहाँ लोग चाय पीने तक की स्टोरी अपडेट करते हैं, वहाँ सौरभ ने अपने इतने बड़े प्रोग्राम का अनाउंसमेंट तक नहीं किया था।
रितिका के दिमाग में एक और बात घर कर रही थी—6 लाख कोई बहुत बड़ी रकम नहीं, जिसके चलते काम रोका जाए।
सौरभ के पास 19 लाख रुपये तो हैं ही।

रितिका ने अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब जानना चाहा।
उसने सौरभ को फोन किया, पर उसका कॉल आउट ऑफ नेटववर्क एरिया बता रहा था।
रितिका ने तय किया कि वह उसके घर जाकर इस बारे में बात करेगी मगर अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि तीन महीने साथ रहने के बावजूद, उसको सौरभ उर्फ़ श्रवण के घर के बारे में

उन्हें साथ रहते तीन महीने हो गए हैं,
पर अब तक रितिका को सौरभ के घर के बारे में पता तक नहीं है।
रितिका को दाल में कुछ काला लगने लगा।
वह मानसी को कॉल करने ही वाली थी कि तभी सौरभ का कॉल आ गया।

इसके बाद रितिका ने मानसी को कॉल करने के बजाय सौरभ का फोन उठाना ज़रूरी समझा।

 

रितिका: कहाँ हो? आई अम मिसिंग यू।

सौरभ: मी टू। दरवाज़ा खोलो।

रितिका: तुम मेरे घर के बाहर हो? आर यू सीरियस?  

सौरभ: और नहीं तो क्या? अब जल्दी दरवाज़ा खोलो, बाहर ही खड़ा रखोगी क्या?

रितिका जैसे ही दरवाज़ा खोलती है, उसके सामने सौरभ खड़ा होता है।
एक हाथ में रोसेस का बुके और दूसरे हाथ में चॉकलेट का बॉक्स लिए।
रितिका उसे ऐसे खड़ा देख भूल जाती है कि थोड़ी ही देर पहले उसका दिमाग क्या कह रहा था।

वो एक बार फिर अपने दिल की सुनती है। जैसे ही सौरभ घर के अंदर आता है, रितिका उसे गले लगा लेती है और कहती है…

रितिका: इस सप्राइस के लिए थैंक यू। बहुत प्यारे गुलाब हैं, और इन्हें देने वाला इंसान उससे भी ज़्यादा प्यारा।

सौरभ: तुम्हारे लिए कुछ भी...  अगर इससे तुम्हें खुशी मिलती है तो ये ही सही।

रितिका: तुम्हें कितने कॉल्स किए, कहाँ थे तुम?

सौरभ: कुछ नहीं, फंड्ज के लिए ही भागदौड़ कर रहा था। मीटिंग्स पर मीटिंग्स, इट्स वेरी टफ टू  कन्विन्स पीपल।

रितिका: कुछ बात बनी?

सौरभ: मैं ईन्वेस्ट्मेंट्स का भी काम करता हूँ ना, तो कुछ जुगाड़ कर लूँगा। आई होप इस वीक तक सब सॉर्ट हो जाए…

रितिका: तुम्हें अपने पैशेनट्स से टाइम मिल जाता है, दूसरा काम करने का?

 

सौरभ पहली बार अपने ही बनाए जाल में फँसता नज़र आता है।
उसे अगले ही पल याद आता है कि इन्वेस्टर वाला प्रोफेशन तो उसने तब बताया था, जब वह किसी राइटर को डेट कर रहा था।

सौरभ ने फौरन बात संभालते हुए कहा कि उसका एक बहुत अच्छा दोस्त है, जो उसके पैसे इन्वेस्ट कराता है।
रितिका सौरभ की इस बात से कंविन्स्ड तो नहीं लग रही थी, पर उसने सौरभ का मूड देखकर बातों को आगे बढ़ाना ठीक नहीं समझा।

रितिका के डाउटफूल चेहरे को देखकर सौरभ उसे जुहू बीच चलने के लिए कहता है।
रितिका भी उसके साथ क्वालिटी टाइम चाहती थी, तो वो इसके लिए  मान जाती है और फिर दोनों जुहू बीच के लिए निकलते हैं।

 

रितिका: जानते हो, यह जगह मेरी फेवरेट जगहों में से एक बन गई है। मुझे तुम्हारे साथ यहाँ टाइम स्पेन्ड करना बहुत अच्छा लगता है।

सौरभ: क्यों, पहले नहीं थी?

रितिका: पहले रेत पर मेरी तस्वीर बनाकर मुझे किसी ने प्रपोज़ नहीं किया था ना। जिसने किया उसको अब में डेट कर रही हूँ, और उसके साथ खुश हूँ।

सौरभ: सिर्फ मैंने ही तुम्हें स्पेशल फील नहीं कराया है।
तुमने भी मुझे स्पेशल फील कराया है।

रितिका: वो कैसे?

सौरभ: रितिका, रिलेशनशिप को लेकर मेरा पास्ट अच्छा नहीं रहा है।
जो लड़कियाँ आईं, उन्होंने मेरी अच्छाई तो एक्सेप्ट कर ली, मगर मेरे बुरे वक्त में मुझे अकेला छोड़ दिया।

एक वक्त तो ऐसा था जब मुझे लड़कियों से चिढ़ होने लगी थी।
फिर तुम आई।
तुम्हारे साथ एक उम्मीद आई कि तुम मुझे मेरी किसी भी सिचुएशन में अकेला नहीं छोड़ोगी।

रितिका: तुम मुझे हमेशा अपने साथ पाओगे।

सौरभ: बस एक बार यह अवेर्नेस प्रोग्राम वाला काम हो जाए।
उसके बाद मैं हमारी शादी को लेकर बात आगे बढ़ाऊँगा।

रितिका ने जैसे हीअवेर्नेस प्रोग्राम वाली बात सुनी, उसके मन में आया कि वह सौरभ से पैसों को लेकर बात करे। उसने पूछा…

रितिका: तुम्हारे प्रोग्राम में तो सिर्फ 6 लाख कम पड़ रहे हैं, पर तुम बाकी के 19 लाख से तो काम शुरू करो।

 

सौरभ: कोशिश में लगा हूँ। सीरियसली मुझे समझ नहीं आ रहा की मुझसे गलती कहाँ हो रही है...  मैं जितनी कोशिश कर रहा हूँ लग रहा है सब अंधे कुएं में जा रही है। कभी कभी लगता है प्रोजेक्ट ही ड्रॉप कर दूँ, फिर याद आता है लोगों को इसकी जरूरत है। सोसाइटी को बेहतर बनाने के लिए मुझे ये करना ही होगा।

रितिका: तुमसे एक बात पूछूँ?

सौरभ: तुम्हें मुझसे पूछने के लिए इजाज़त लेने की जरूरत नहीं है रितिका।

रितिका: तुमने गलत तरीके से तो...?

सौरभ: मैंने अपनी ज़िंदगी में सब कुछ किया है, मगर धोखेबाज़ी नहीं। वैसे भी मुझे पता है धोखा खाने के बाद कैसा फ़ील होता है।

रितिका चाह रही थी कि वह सौरभ की बातों पर विश्वास करे, पर इसके लिए खुद को समझा नहीं पा रही थी।
उसका शक तब और भी ज़्यादा बढ़ गया, जब उसने सौरभ को साथ में फोटो क्लिक कराने के लिए इन्सिस्ट किया और सौरभ ने मना कर दिया।

रितिका के लाख कहने के बाद, सौरभ ने कुछ फोटो क्लिक कराई, लेकिन फिर रितिका को कहीं भी पोस्ट करने से मना कर दिया।
जब रितिका ने उससे वजह पूछी, तो उसने कहा कि वह अपने रिलेशन को शादी से पहले शो ऑफ नहीं करना चाहता। नज़र लग जाती है रिश्तों को और वो खराब हो जाते है।

रितिका उसकी शादी वाली बात से इम्प्रेस हो गई, फिर उसने सौरभ से उसके सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में पूछा।
इस पर सौरभ ने टिपण्णी करते हुए कहा कि, "उसके अवेर्नेस प्रोग्राम में फंड्स ज़्यादा लगेंगे और आजकल लोग डोनेशंस की आड़ में बहुत स्कैम करते हैं।"

सौरभ ने अपने झूठ को सच साबित करने के लिए यहाँ तक कहा,
"ये पैसे मेरे खून-पसीने की कमाई के हैं, और मैं अपने लाखों रुपयों के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता।"

रितिका का डगमगाता हुआ भरोसा, एक बार फिर सौरभ के लिए मज़बूत होता जाता है। होता कैसे नहीं? मँझा हुआ खिलाड़ी है वह! सिचुऐशन को कैसे हैन्डल करते है, कैसे डेमेज कंट्रोल होता है और कैसे बातों को घूमातें है वो सब जनता था। वो कहते है न “प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट” बस यही प्रैक्टिस करते करते सौरभ भी परफेक्ट हो गया था।

रितिका को गिल्ट फ़ील होता है।  वो तय करती है कि अब ऐसे खयाल वह अपने मन में कभी नहीं लाएगी।

जुहू बीच पर एक-दूसरे के साथ घंटों बिताने के बाद, सौरभ रितिका को उसके फ्लैट छोड़ता है।
रितिका आगे बढ़ ही रही होती है कि उसे याद आता है कि उसने सौरभ से उसके घर का पता तो पूछा ही नहीं।

वह जैसे ही गाड़ी के पास पहुँचती है, तो देखती है कि सौरभ के फोन पर उसका सोशल मीडिया हेंडल खुला हुआ है।
रितिका के मन में फिर शक का कीड़ा घूमने लगता है। वो सोचती है कि जब ये सोशल मीडिया पर है तो मुझे ऐड क्यों नहीं किया या इसके बारे में कुछ बताया क्यों नहीं?

रितिका, सौरभ से बिना कुछ पूछे ही अपने फ्लैट में चली जाती है।
वह सोचने लगती है कि आखिर सौरभ ने उससे इतनी छोटी-सी बात के लिए झूठ क्यों बोला?

क्या करेगी रितिका, यह जानना दिलचस्प होगा।
क्या वह सौरभ से सीधे सवाल करेगी और क्या सौरभ के जवाब पर भरोसा कर पाएगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

Continue to next

No reviews available for this chapter.