​​शीना: “मैं तुम्हें पूरे ऑफिस के सामने एक्सपोसे कर दूँगी। तुमने मेरा इस्तेमाल किया है। बस देखते रहो। अब बदला लेने का समय है, अश्विन म्हात्रे!”​

​​अश्विन अपने बार कैबिनेट के पास बैठे हुए, शराब के नशे में डूबा हुआ था। शीना की धमकी के असर से उसे अभी सिर्फ़ शराब ही बचा सकती थी। शीना की धमकी से अश्विन काफ़ी हिल गया था। बार-बार उसे शीना की आवाज़ अपने दिमाग़ में गूँजती हुई सुनाई देने लगी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए।​

​​वह इस सोच में पड़ गया कि क्या उसे शीना को इस पूरे हालात के बारे में प्यार से समझाना चाहिए। मगर उसे यह भी डर था कि कहीं शीना उसकी बात मान गई, तो उसे फिर से शीना को अपनाना होगा, जो अब उससे नहीं होने वाला था। या फिर, उसे शीना का सामना करके यह कहना चाहिए कि वह बेवजह प्रोफेशनल और प्राइवेट लाइफ को मिला रही है, और उसे फँसाने की झूठी साज़िश रच रही है।​

​​अश्विन को इस बात का भी डर था कि एक शीना एचआर है। अगर शीना ने उस पर गलत-सलत आरोप लगा दिए, तो फिर उसे अपनी नौकरी, करियर और नाम से हाथ धोना पड़ सकता है। अभी तो उसके सितारे बुलंदी पर छाए हुए हैं, लेकिन अगर कुछ ऊँच-नीच हुई, तो उसका पूरा करिअर बर्बाद हो जाएगा।​

​​उसे आँखों के सामने साँप-सीढ़ी का बोर्ड दिखने लगा, जहाँ शीना नागिन बनकर उसे डसने को तैयार है और शायद वह उसे डस भी ले। ​

​​अगर शीना ने उसके बारे में कुछ ऐसा-वैसा कहा, तो कंपनी पॉलिसी के हिसाब से उस पर पॉश का केस लग जाएगा। साथ ही, शीना उस पर मानहानि, ट्रॉमा, मेंटल टॉर्चर, जैसे  केस भी ठोक सकती है। ​

​​अश्विन: “ओह भाईसाब! ये मामला तो और भी खतरनाक बनता जा रहा है!”​

​​अश्विन ने अब अपने बाल नोच लिए।   

​​अश्विन: “अगर उस पागल शीना ने अपना मुँह खोला, तो मेरी नैकरी तो गयी। इतना तो तय है। क्या करूँ इस बेकार की भसड़ से निकलने के लिये, समझ ही नहीं आ रहा।” एक काम करते हैं, सोने की कोशिश करते हैं। कल सुबह उठकर देखेंगे क्या करना है। वह मेरा क्या ही बिगाड़ लेगी? जो होगा… देखा जाएगा।”​  

​​यह कहते ही, अश्विन हॉल से उठकर अपने कमरे में गया और बिस्तर पर लेटा ही था कि अचानक दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई। अश्विन वहीं दर्द से कराहते हुए लोट-पोट होकर बिस्तर से नीचे गिर पड़ा। उस समय, उसके मुँह से दर्द भरी चीख तो नहीं निकली, लेकिन निकले कई सारे भारी-भरकम मोटे-मोटे अपशब्द। मुंबई के अश्विन पर अब दिल्ली का रंग जो चढ़ने लगा था। जैसे-तैसे उसने खुद को सँभाला और ज़मीन से उठते ही यह देखने की कोशिश की कि आख़िर उसके बिस्तर पर ऐसा क्या रखा था, जिसकी वजह से उसकी पीठ पर इतनी ज़ोर की चोट लगी।​

​​तभी उसकी नज़र, उस ब्रेसलेट पर पड़ी। उसे ध्यान आया कि शीना जब जा रही थी, तो उसने अपना सामान लेने के वक़्त अलमारी को खोला था, और उसने उस ब्रेसलेट के बक्से को तभी निकालकर बिस्तर के एक तरफ़ गुस्से में फेंका था। शायद इसी वजह से उसका बक्सा खुल गया हो, और ब्रेसलेट बाहर निकल गया हो। उसने उसे उठाया और सोने की कोशिश की, लेकिन, उसे नींद नहीं आ रही थी। अश्विन को झपकी तो आ रही थी, मगर जैसे ही उसकी आँखें बंद होतीं, तो उसे ऐसा लगने लगता कि शीना अब भी उसके आस-पास खड़ी होकर उसके सोने का इंतज़ार कर रही है, ताकि जैसे ही वह सोये, शीना उसके साथ कुछ गलत करदे। अश्विन ने खीजते हुए नींद भरी आवाज़ में कहा,   

​​अश्विन: “अबे यार! नींद क्यों नहीं आ रही मुझे? उबासी मार-मार के थक गया हूँ। ऊपर से शीना को लेकर जो टेंशन चल रही है वो अलग।”​  

​​अश्विन कभी दायीं ओर करवट लेकर सोने की कोशिश करता, तो कभी बायीं, तो कभी पेट के बल सोने की कोशिश करता, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी। तभी, वह अपने बिस्तर  पर बैठ गया, और अपने मोबाईल पर कुछ मेडिटेशन वीडियोज़ देखने लगा, ताकि उसे नींद आ जाये, मगर उसका भी कोई फाएदा नहीं हुआ, क्योंकि वीडियोज़ देखते-देखते दो घंटे गुज़र चुके थे।  ​

​​अश्विन ने फटाफट गुनगुने पानी से शावर लिया, और अपने आधे गीले, आधे सूखे बदन के साथ, बिना कपड़ों के ही बिस्तर पर लेट गया, जब इससे भी बात नहीं बनी, तो वह अपने कमरे के ज़मीन पर योगा मैट बिछाकर लेट गया, मगर उसका भी उसपर कोई असर नहीं हुआ। उसने हर मुमकिन कोशिश कर ली पर कोई रिजल्ट नहीं मिला।   ​

​​इतने में सुबह हो गयी, और जैसे ही उसे इसका अंदाज़ा हुआ कि सूरज निकल चुका है, तो उसकी धड़कनें तेज़ होने लगीं, क्योंकि उसे ऑफिस जो जाना था, और लाज़मी है कि वहाँ  उसकी मुलाक़ात शीना से तो होती ही। अश्विन के दिमाग़ में शीना की धमकी घूमने लगी, और वह बड़बड़ाते हुए कहने लगा,  ​

​​अश्विन: “शीना मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर देगी!!!\ मैं ऐसा होने नहीं दूँगा।”​  

​​इतने में उसे किसी के फुसफुसाने की आवाज़ आयी, और वह हक्का-बक्का रह गया। ध्यान से सुनने पर, उसे फिरसे लगने लगा कि कोई धीरे-धीरे उसका नाम लेकर, उसे अपने पास बुला रहा था। उसने कमरे के चारों ओर नज़रें दौड़ायीं, तो देखा कि पलंग से सटे बॉक्स पर पर ब्रेसलेट की रौशनी अजीब-ओ-ग़रीब तरीके से चमक रही थी। जिससे वह उस उसकी तरफ़ आकर्षित होने लगा। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, वह उसकी ओर बढ़ चुका था, और जैसे ही उसने अपने हाँथों में वह ब्रेसलेट थामा, तो बोलने लगा,  ​

​​अश्विन: “आय विश कि शीना मेरे बारे में पूरी तरह से भूल जाए! उसे हमारे इस रीलैशन्शिप के बारे में कुछ भी याद न हो!!” ​

​​अश्विन जैसे ही ऑफिस पहुँचा, तो लिफ्ट में उसे शीना दिखी, जिसने उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया था। अश्विन ने लिफ्ट में क़दम रखा, तो उसके मन में 2 खयाल आए। एक तरफ़, उसे यह बात काफ़ी अजीब भी लगी कि शीना ने उसे ऐसे इग्नोर किया, जैसे कि वह उसे जानती ही नहीं थी, मगर, दूसरी तरफ़, उसे इस बात से काफ़ी राहत भी मिली। 

​​अचानक ही उसके ज़हन में यह ख़याल आया कि शायद शीना उससे नाराज़ है, और उसके पास उससे नाराज़ होने की बड़ी वजह भी थी। मगर, फिर उसे ऐसा भी लगने लगा कि शायद ब्रेसलेट ने अपना कमाल दिखा दिया हो। उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा था, और मन ही मन वह अपने आपको हवा में उड़ते हुए महसूस करने लगा।  

​​ऑफिस से घर लौटकर, पहली बार वहाँ शीना को न पाकर, अश्विन को बड़ी राहत मिलती है! उसने गहरी साँस ली और मन ही मन सोचा,   

​​अश्विन: “अच्छा हुआ कि मुझे उस पागल से छुटकारा तो मिला।​”  

​​अगली सुबह, अश्विन जैसे ही उठा, तो उसने नोटिस किया कि जबसे शीना उसके घर से गयी है, तब से उसने उसे एक भी मैसेज नहीं किया है, और ना ही कोई कॉल। इससे अश्विन को और ज़्यादा बढ़िया महसूस होने लगा। उसे काफ़ी दिनों बाद, इतना अच्छा लग रहा था। वह अपने आपको आज़ाद महसूस कर रहा था।  ​

​​अश्विन और शीना को अलग हुए दो दिन गुज़र चुके थे, इन दो दिनों में उसे बहुत मज़ा भी आया था और वह अपनी ज़िंदगी चैन-ओ-सुकून से गुज़ार रहा था।  हालाँकि, ऑफिस में आये दिन वह शीना को देखता तो ज़रूर था, मगर शीना कभी भी उसे नहीं देखा करती थी। वह तो ऐसे बिहैव करती थी जैसे कि अश्विन उसके लिये एगजिस्ट ही नहीं करता था। वह कभी भी शीना की ज़िंदगी का हिस्सा था ही नहीं। और अश्विन का भी शीना के प्रति रवैया कुछ वैसा ही था। थोड़ा अटपटा तो जरूर लगता था अश्विन को, मगर उसके लिए उससे छुटकारा मिलना ज्यादा बड़ी बात थी। ​

​​अगली सुबह, अश्विन जैसे ही ऑफिस पहुँचा तो उसे ध्यान आया कि आज उसे अपने बिल्स सबमिट करने हैं। पहले तो उसे ऐसी छोटी-मोटी चीज़ों को याद रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी क्योंकि शीना ही उसे इन सब चीज़ों के बारे में याद दिला दिया करती थी, या फिर, अश्विन के घर पर रहकर ही उसके सारे बिल चेक कर, मेल को अगले दिन के लिए शेड्यूल कर देती। ​

​​अश्विन बैठे-बैठे अपने क्लेम्स को चेक करने के बाद जब सबमिट करने पहुँचा, तो दरवाज़े पर ही उसके क़दम रुक गये, क्योंकि वहाँ शीना के अलावा उसे कोई और नज़र ​​नहीं​​ आया, जिस वजह से उसने सोचा कि वह वहाँ बाद में जाएगा। 

​​दोपहर के समय, अश्विन की टीम, और उसकी किसी बड़े ही ख़ास क्लाइंट के साथ मीटिंग थी। उसी कैफै में, जहाँ शीना और वह पहली बार डेट पर गये थे। वहाँ बैठे-बैठे, उसके दिमाग़ में उस डेट का नज़ारा घूमने लगा, मगर, उसने उन ख़यालों को अपने मन में ही दबा लिया, और पूरी शिद्दत के साथ, उसने अपना सारा ध्यान अपने काम में ही लगाये हुए रखा था। उस मीटिंग में, उसके आइडियास ने क्लाइंट को काफ़ी इम्प्रेस कर दिया था। उन्होंने अश्विन के साथ वह डील लॉक करदी, जिसके बाद अश्विन अपने टीम के लोगों के साथ उसी कैफै में लंच करने लगा।  

​​थोड़ी देर के बाद, अश्विन जैसे ही फिरसे अपने कैबिन पहुँचा, तो उसने कैफै का बिल भी अपनी फाइल में ऐड कर दिय , और फिर से सबमिट करने के लिए चल पड़ा। ​

​​इस बार वहाँ शीना अकेले नहीं थी, उसकी कुर्सी के आस-पास कुछ लोग भी थे, जो उससे पूछ रहे थे, की वह ठीक तो है ना? क्या उसे पानी चाहिए? या उसे कोई दवाई चाहिए।  ​

​​वहीं, दूर से ही, अश्विन ने देखा कि शीना ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने की कोशिश कर रही थी। वह पसीने से तर-बतर थी और उसकी हालत अजीब सी हो गयी थी। तभी उसने किसी को कहते सुना कि शीना को पैनिक अटैक आया था। मगर, इन सब बातों से अश्विन के दिल-ओ-दिमाग़ पर, कोई असर नहीं हुआ, वह बस कुछ पल के लिये वहाँ खड़ा रहकर शीना की बिगड़ी हालत को देखकर, वहाँ से चला गया।  

​​क्या हुआ है शीना को? क्या वह वाकई सब भूल गई है? जानने के लिए पढ़ते रहिए। ​

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