शादी की प्लैनिंग का प्रेज़न्टेशन चल रहा था। शीना ने एक-एक चीज़ के बारे में सोच रखा था। वह बहुत ही उत्सुकता से सब समझा रही थी। अश्विन को इन सब में एक पर्सेन्ट का भी इंट्रेस्ट नहीं था। न शादी में, और न ही ऐसे ढकोसले बाज़ी में।
वहीं, शीना ने महसूस किया कि अश्विन किसी अलग ही दुनिया में खोया हुआ है, जिस वजह से वह काफ़ी भड़क गई।
शीना: “कहाँ खोये हुए हो अश्विन? मैं कबसे तुमसे ये सारी चीज़ें शेयर किये जा रही हूँ, लेकिन तुम हो कि कुछ बोल ही नहीं रहे। कुछ रिएक्शन ही नहीं दे रहे”
अश्विन ने शीना की तरफ़ देखकर थकान भरी आवाज़ में कहा,
अश्विन: “मैं बहुत थका हुआ शीना, थोड़ी देर के लिये सोना चाहता हूँ। कल सुबह फिर ऑफिस जाना है।”
यह सुनकर शीना ने उसकी तरफ़ चौंकते हुए देखा और बोली,
शीना: “बेबी! कल तो संडे है, कल ऑफिस क्यों जाना है?”
अश्विन ने उससे नज़रें चुराते हुए कहा,
अश्विन: “हाँ संडे है, लेकिन मेरे लिये ये प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ा मौका है। इसी वजह से मैंने डिसाइड किया कि मैं कल ऑफिस जाकर ऐड कैम्पैन और उसके ईवेंट के लिये काम करूँगा, ताकि हमें इस क्लाइंट से बिजनस मिले।”
यह सुनते ही शीना का गुस्सा शांत हो गया, उसने अश्विन के चेहरे पर प्यार से अपना हाथ फेरा, उसके माथे को प्यार से चूमते हुए उसके बालों को सहलाने लगी।
शीना: “ठीक है बेबी। आप सो जो। गुड नाइट। आय लव यू”
गुडनाइट विश करते हुए, मन ही मन अश्विन ने कहा,
अश्विन: “चलो मुसीबत टल गयी।”
फ़िलहाल के लिये तो उसकी जान छूटी, मगर, ऐसा कब तक चलेगा? शीना कौन सा उसे बिना शादी की बात किये चैन से रहने देने वाली है?
एक तरफ़, अश्विन सोने का नाटक करते हुए शीना की तरफ़ पीठ करके लेटा रहा, वहीं, दूसरी तरफ़, शीना बिस्तर पर सीधे लेटकर, सीलिंग फैन की ओर देखकर, मंद-मंद मुस्कुराते हुए, मन ही मन में कह रही थी ,
शीना: “आज नहीं बात कर पाए तो क्या हुआ, कल बात कर लूँगी। अश्विन कितना ख़ुश होगा मेरी प्लैनिंग देखकर।”
शीना अश्विन के प्यार में इतनी अंधी हो चुकी थी कि उसे यह समझ ही नहीं आ रहा था कि अश्विन शादी के लिए तैयार नहीं है।
जहाँ तक अश्विन की बात है, तो उसके मन में कई सारी बातें चल रही थीं। शादी उसके लिए एक बड़ा फैसला था, और वह इतनी जल्दी एक ऐसे बंधन में नहीं बंधना चाहता था, जिसमें उसे घुटन महसूस हो। अश्विन का साफ मानना था कि वह शीना के साथ उस रिश्ते में नहीं बंधना चाहता, शादी तो दूर की बात है। उसके लिए ऐसी कोई भी चीज़, जो उसकी आज़ादी छीन ले, मंज़ूर नहीं थी।
ऊपर से, शीना उसकी ज़िंदगी में एक इच्छा की वजह से आई थी। उनके बीच जो रिश्ता था, वह तो सिर्फ उस ब्रेसलेट की देन था। अश्विन वरुण का रिप्लेसमेंट बनकर शीना की ज़िंदगी में नहीं रहना चाहता था।
सच्चाई तो यह थी कि अश्विन भी शीना की तरह अकेला था। वह इस रिश्ते में सिर्फ इसलिए था ताकि फिज़िकल नीड्स पूरी हो सकें। हाँ, यह बात और थी कि धीरे-धीरे उसे शीना के देखभाल करने की, उसकी परवाह की, और उसके अटेन्शन की आदत सी हो गई थी। मगर शीना ने उसके दिल में कोई खास जगह नहीं बनाई थी। अश्विन उससे प्यार-व्यार नहीं करता था।
अश्विन: “मैं इस मुसीबत से कैसे पीछा छुड़ा सकता हूँ? इस रिश्ते से बाहर निकलने के लिए, मुझे अब शायद शीना का दिल तोड़ना ही होगा, ताकि वह मेरी ज़िंदगी से हमेशा-हमेशा के लिए दूर चली जाए। मुझे बस इस बात का डर है कि हम दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं। अगर मैंने उसके साथ गुस्से में रिश्ता तोड़ दिया, या इस बारे में उससे बात नहीं की और उसे नहीं समझाया, तो शायद वह ऑफिस में मेरा जीना हराम कर सकती है। उल्टा सीधा केस भी लग सकता है। इससे बाहर निकलने के लिए कुछ तिकड़म बैठाना ही पड़ेगा।
उसको रजत का कहा भी याद आने लगा…
रजत: अरे भाई, एच.आर. पर लाइन मारना ख़तरों से खाली नहीं है। ज़्यादा फ्लर्ट किया, या कोई ऊँच-नीच हो गई, तो कहीं पॉश का केस न लग जाए। सावधान रहो।”
अश्विन: “नहीं यार, शीना मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं करेगी। अच्छी लड़की है। मैंने भी तो उसे कितना सपोर्ट किया है। मैं कोशिश करूँगा कि वह मेरी बात समझ जाए और बिना कोई तमाशा किए मेरी ज़िंदगी से अपने आप ही दूर चली जाए।
जैसे ही उसने खुद को समझाकर तसल्ली दी, उसने शीना को बड़बड़ाते हुए सुना। वह धीरे से उसकी तरफ मुड़ा, तो उसे एहसास हुआ कि शीना नींद में बातें कर रही थी। उसकी बातें सुनने के लिए वह उसके नज़दीक गया, तो उसने शीना को मुस्कुराते हुए कहते सुना:
शीना : “क्या कर रहे हो, अश्विन?”
यह सुनकर वह चौंक गया और गौर से शीना को देखने लगा। उसे एक पल के लिए लगा कि शायद शीना जागी हुई है, लेकिन ऐसा नहीं था। फिर उसने शीना को मुस्कुराते हुए कहते सुना:
शीना: “नहीं, मुझे शर्म आ रही है। बाहर तुम्हारे आई बाबा सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे? कैसी बहू लेकर आया है बेटा! छी! बेशर्म कहीं के।”
यह कहते हुए शीना हँसने लगी, और फिर शांत हो गयी। उसे फिर से सोते हुए देखकर अश्विन की जान में जान आयी ही थी कि उसने शीना को कहते सुना,
शीना: “तुम्हें क्या लगा था, मैं भूल जाऊँगी? मुझे नहीं पता क्या कि तुम्हारी फ़ेवरिट जगह कौन सी है? हम हनीमून के लिए ऑस्ट्रेलिया चलेंगे! ब्रिस्बन और सिडनी में कुछ वक्त के लिए रुकेंगे।”
अश्विन: “अबे यार….!”
उसकी बात सुनकर, अश्विन की हवाईयां उड़ रहीं थीं। फिर शीना ने बड़बड़ाते हुए कहा,
शीना: “क्या! क्या कह रहे हो? बच्चे? इतनी जल्दी? न-न, मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं तो खुद इस बारे में सोचती रहती हूँ। मुझे लगा कि तुम ही तैयार नहीं हो।”
फिर अचानक, शीना ने गुस्से में कहा,
शीना”: “कितने बच्चे? क्या मतलब है? एक ही काफ़ी है। पैदा तो मुझे ही करना है, न कि तुम्हें। ख़ुद बच्चों जैसी हरकतें करते हो और चले हो पापा बनने। अब जाओ, काम करने दो, मम्मी-पापा के लिए नाश्ता बनाना है।”
उसकी सारी बातें सुनने के बाद, अश्विन के दिमाग में जैसे बम फट गया हो! उसका गला सूखने लगा और माथे पर पसीना आने लगा। वह बस शीना को हैरान नज़रों से देखता रह गया। उसने गहरी साँस ली, और अपने आपको कंट्रोल करते हुए मन ही मन कहने लगा,
अश्विन: “कहाँ मैं इस रीलेशन्शिपप से बाहर निकलने के बारे में सोच रहा हूँ, और ये तो सात जन्मों का सीरियल बना रही है! इस लड़की ने इतनी दूर तक की प्लैनिंग कर रखी है—शादी! हनीमून! बच्चे! बेटा, जल्दी से कुछ करना पड़ेगा, वरना बहुत जल्द बाज़ार से धनिया-मिर्च लाना पड़ेगा और बच्चों का डायपर चेंज करना पड़ेगा!”
अश्विन बिस्तर से उठा और पानी की बोतल लेने के लिए कमरे से बाहर निकला। तभी, उसने महसूस किया कि हॉल में रखे सोफे पर कोई बैठा हुआ है। यह देखकर वह चौंक गया, और उसके शरीर में रौंगटे खड़े हो गए! वह दबे पाँव धीरे-धीरे सोफे की ओर बढ़ा। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं!
अश्विन : “त… तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम मेरे घर में कैसे घुस आए?”
गिरधारी: “यह ब्रेसलेट तुम्हारी इच्छाओं को पूरा कर सकता है। चाहो तो इसका इस्तेमाल करके शीना से पीछा छुड़ा सकते हो।”
यह सुनते ही अश्विन एकदम चौंक गया। तभी, कमरे के अंदर से उसे शीना की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी। वह सोई हुई सी आवाज़ में उसे पुकार रही थी:
शीना: “अश्विन, अश्विन।”
उसकी आवाज़ सुनकर अश्विन और भी ज़्यादा चौंक गया! एक सेकंड के लिए उसका ध्यान भटका और जैसे ही उसने सोफे की तरफ देखा, वहाँ कोई भी नहीं था। तभी, शीना उसे ढूँढते-ढूँढते कमरे से बाहर निकलकर हॉल में आ गई। अश्विन को सोफे के पास खड़ा देखकर, वह उसकी ओर बढ़ी और उसे पीछे से गले लगाते हुए नींद भरी आवाज़ में बोली:
शीना: “तुम्हें तो नींद आ रही थी न? फिर सोने के बजाय यहाँ क्या कर रहे हो?”
अश्विन: “वो... मुझे प्यास लगी थी। बाहर आया तो ऐसा लगा जैसे मैंने सोफे पर किसी चूहे को देखा हो।”
उसकी बात सुनते ही शीना झटके से नींद से जाग गई और विक्रम-बेताल के बेताल की तरह उस पर चढ़ गई। अश्विन भी एकदम चौंक गया लेकिन, इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, उसने शीना को डरते-डरते कहते सुना:
शीना: “छी! चूहा कहाँ से आ गया यहाँ अब? कल ही पेस्ट कंट्रोल वालों को बुलाऊँगी। मुझे बेड तक ले चलो, मैं नीचे नहीं उतरने वाली।”
अश्विन और शीना बिस्तर पर लेटे हुए थे। शीना ने उसके सीने पर सिर रखा और उसे गले लगाकर सो गई, लेकिन अश्विन की नींद उड़ चुकी थी। वह पूरी रात जागता रहा, और सुबह-सुबह, शीना के उठने से पहले ही ऑफिस के लिए निकल गया। अश्विन ऑफिस में काम में उलझा हुआ था, लेकिन उसके दिमाग में अब भी शीना की बातें घूम रही थीं। वह काफ़ी तनाव में नज़र आने लगा था।
शाम को, अश्विन घर लौटते ही बिस्तर पर लेटकर टीवी पर एक वेब सीरीज देखने लगा। तभी, शीना फिर से उसके पास आई और शादी की बात छेड़कर उससे बातें करने की कोशिश करने लगी। अश्विन अब उसकी बातें सहन नहीं कर पा रहा था।
अश्विन: “शीना, मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार नहीं हूँ। ना मैं फैमिली मैन हूँ ना मैं मेरिज मटीरीअल हूँ।
उसकी बात सुनकर शीना चुप हो गयी, मगर फिर ज़ोर-ज़ोर से ठहाके मारकर हँसते हुए बोली,
शीना: “मज़ाक कर रहे हो न!”
फिर वह गंभीर लहजे में बोली,
शीना : “जब तुम जानते हो कि मुझे ऐसा मज़ाक पसंद नहीं, तो फिर..”
वह बोलते हुए रुक गई, क्योंकि अश्विन के चेहरे से उसे समझ आ गया था कि वह मज़ाक नहीं कर रहा था। उसी वक्त, शीना बिस्तर से उठी और अलमारी से अपना सामान निकालने लगी। साथ ही, अश्विन का कुछ सामान इधर-उधर फेंकने लगी। अश्विन उसे ऐसा करते देख उसे समझाने और रोकने की कोशिश करने लगा, मगर उसने उसकी एक न सुनी। जाते-जाते, शीना गुस्से में कहने लगी:
शीना: “मैं तुम्हें पूरे ऑफिस में सबके सामने एक्सपोज़ कर दूँगी। तुमने मेरा इस्तेमाल किया है। अब देखो तुम ! मिस्टर अश्विन म्हात्रे!
इस धमकी से मानो अश्विन का ब्लड प्रेशर ठप से नीचे गिर गया! और उसके मन में बस एक ही बात आई! लो! अब ड्रामा शुरू!!!
क्या शीना वाकई ऐसा करेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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