एपिसोड 4

 चिट्ठी न कोई संदेश  

“क्या उसी की हँसी की बात कर रहे थे तुम मेल्विन?” पीटर ने पूछा।

“हाँ!” मेल्विन ने जवाब दिया।

“चेहरा देखा उसका?”

“नहीं, मुझे उसकी सिर्फ पीठ ही दिखी।” मेल्विन की ये बातें उन मवाली लड़कों से में एक ने सुन ली।

मेल्विन उन लड़कों की नजरों में चढ़ चुका था। जिस तरह से पीटर ने उन्हें मुक्का जड़ा था वो उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ।

“जग्गू, हम उन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते। बहुत शयाने बन रहे थे वे लोग।“ उनमें से एक लड़के ने कहा।

“हमको मालूम है वह किसको देखकर इतने शयाने बन रहे थे। जिन लड़कियों के सामने हम हीरोपंती कर रहे थे, उन्होंने उनके सामने हमें बेइज्जत किया है। जो मुक्का तुम्हें पड़ा है, उसे मैं भी भूल नहीं सकता सतपाल।“

“मैं तो कहता हूँ, कल ट्रेन में घुसकर एक-एक को कूटते हैं।“

“नहीं सतपाल, ट्रेन के अंदर हम हंगामा नहीं कर सकते। न हमें उन सब से बदला लेना है। हमें सिर्फ उन दो लोगों से बदला लेना है जिनकी वजह से इतना तमाशा हुआ। वह झोले वाला आदमी और जिसने तुम्हें मुक्का मारा, उनकी तो खैर नहीं है।“

इघर अपने खिलाफ हो रही साजिशों से अनजान मेल्विन जब ऑफिस पहुँचा तो वहाँ उसे एक अजनबी शख्स मिला। रिसेप्शन के सामने लगे सोफे से उठकर वह जल्दी से मेल्विन के पास आया।

“हेलो, क्या आप ही मेल्विन फर्नांडीस हैं?” उस नौजवान ने मेल्विन से पूछा।

“जी! माफ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं।” मेल्विन ने उस नौजवान को न पहचानते हुए पूछा।

“जी, मेरा नाम घनश्याम है। मेरे पिता की यह आखिरी ख्वाहिश थी कि मैं आपसे मिलकर यह चिट्ठी आपको दूँ।“

“आखिरी ख्वाहिश!” मेल्विन ने हैरान होते हुए पूछा, “कौन थे आपके पिता और उन्होंने यह आखिरी ख्वाहिश क्यों जाहिर की?”

इससे पहले कि वो शख्स मेल्विन को कोई जवाब देता, मेल्विन के बॉस वहीं आ गए।

"अरे मेल्विन, आ गए तुम!”

“गुड मॉर्निंग सर!” मेल्विन ने बॉस को देखते ही गुड मॉर्निंग कहा।

“मेल्विन, याद है, कुछ दिन पहले मैंने तुम्हें बताया था कि एक शख्स पालघर का नाम लेते हुए किसी को ढूँढ़ रहा था। वह शख्स इसके पिता थे। बेचारे कल गुजर गए।“

मेल्विन को अब भी वहाँ हो रही बातचीत समझ में नहीं आ रही थी। उसने पूछा, “लेकिन सर, आप तो कह रहे थे कि वह पालघर का नाम लेकर किसी को ढूँढ़ रहे थे, लेकिन यह लड़का तो कह रहा है कि वो किसी मेल्विन फर्नांडीज को ही ढूँढ़ रहे थे।“

“नहीं मेल्विन साहब, मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। दरअसल मेरे पिता यहाँ एक बार नहीं, बल्कि कई बार आ चुके हैं। यह बात अलग है कि उनकी आपके बॉस से बस एक ही बार मुलाकात हो पाई। मेरे पिता को इस बात का यकीन हो गया था कि जिसे वे बरसों से तलाश कर रहे हैं वह आप ही हैं। मैं नहीं जानता कि उनके यकीन का आधार क्या था, लेकिन उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए मैं यहाँ आ गया।“

“मेल्विन, इतने परेशान क्यों हो रहे हो? ये लेटर इससे ले लो और इसे जाने दो। लेटर पढ़ने पर शायद तुम्हें खुद-ब-खुद मालूम हो जाए कि माजरा क्या है।“

मेल्विन के बॉस ने यह बात इतनी आसानी से कह तो दी थी लेकिन मेल्विन का दिल अब भी नहीं मान रहा था। न चाहते हुए भी उसने घनश्याम के हाथ से वो लेटर ले लिया।

“मुझे तुम्हारे पिता की मौत पर बेहद अफसोस है घनश्याम! जब से मैंने उनके बारे में सुना है, मैं यह सोच-सोचकर परेशान हूँ कि भला इतने बुजुर्ग शख्स का मुझसे क्या काम हो सकता था। मैं उनसे मिल नहीं पाया, इसका मुझे दुख है।“

मेल्विन को आगे और कुछ कहने को नहीं सूझा। घनश्याम हाथ जोड़ते हुए वहाँ से चला गया।

“मेल्विन, क्या स्केचेस तैयार है? हमें यह सैंपल हर हाल में अप्रूव करना है।“ घनश्याम के जाते ही बॉस ने पूछा। 

“हाँ सर, जैसा आपने कहा था बिल्कुल वैसा ही मैंने कुछ बनाया है।“ मेल्विन ने कहा।

“ठीक है मेल्विन, तुम 10 मिनट में मुझे केबिन में मिलो।“

मेल्विन जल्दी से अपने डेस्क के पास पहुँचा और बैग उठाकर उसने वह सारे स्केच एक बार फिर देखें।

“ओ माय गॉड!” मेल्विन के होश उड़ चुके थे, “यह मुझसे क्या गड़बड़ हो गई।“

उसके बाद 10 मिनट गुजारने में जैसे सिर्फ 60 सेकंड लगे थे। मेल्विन को कुछ समझ में नहीं आया तो वो वही स्केच लेकर बॉस के केबिन में पहुँच गया।

“मे आई कम इन सर!” मेल्विन ने धीमी आवाज में पूछा।

“यस यस, कम इन मेल्विन।“ बॉस ने उत्साहित होते हुए कहा, “शो मी द सकेचस.“

मेल्विन ने धीरे से अपने बनाए स्केच बॉस को थमाए।

स्केच पर नजर पड़ते ही बॉस की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

“मेल्विन, आर यू सीरीयस? क्या है यह? क्या हमने ऐसा कुछ बनाने का डिस्कस किया था?”

“सर,यह मेरे इनीसियल आइडियास हैं। मैं चाहता हूँ कि क्लाइंट इन स्केच को एक बार देखे।“

“मेल्विन, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है? हमें कोरोना काल में परेशान लोगों का एक स्केच तैयार करना था और तुमने इस स्केच में एक ऐसी लड़की को बनाया है जो ट्रेन में बैठी किसी ख्यालों में खोई हुई है। भला इस स्केच का कोरोना काल के पीड़ितों से क्या लेना-देना?

“लेना-देना है सर! शायद आप ट्रेन की उस भीड़ में खोई लड़की को ध्यान से नहीं देख रहे हैं। आपको तो पता ही है, ट्रेन में सफर कर रहे लोग किस तरह की मुसीबतों का सामना उस वक्त कर रहे थे। लॉकडाउन के दौरान जो लोग सफर कर रहे थे उनकी समस्याओं को मैं अपने इस स्केच के माध्यम से दिखाना चाहता हूँ।“

"मेल्विन, तुमने टॉपिक बहुत अच्छा चुना है लेकिन क्या वाकई तुमने यह स्केच लॉकडाउन के दौरान सफर कर रहे हैं लोगों की परेशानियों को दिखाने के लिए बनाया है? मुझे यकीन नहीं होता। मेल्विन, क्या तुम्हें कोई परेशानी है? तुमने छुट्टी ली है और मैंने उस छुट्टी को अपनी मंजूरी भी दे दी है। लेकिन अगर तुम यह काम समय पर करके नहीं दोगे तो मैं तुम्हें घर जाने की परमिशन नहीं दूँगा।“

“सर, हो सकता है कि मैं इस स्केच में वो न दिखा पाया हूँ जो मैं दिखाना चाहता था। लेकिन कल मैं आपको जरूर अपनी फाइनल कॉपी से इंप्रेस करूँगा।“

“हमारे पास इतना टाइम नहीं है मेल्विन। मुझे आज के आज तुमसे एक ऐसा स्केच चाहिए जिसे मैं अप्रूव कराने के लिए आगे भेज सकूँ। ये प्रोजेक्ट बहुत बड़ा है मेल्विन। मैंने तुम्हारे जैसे एक जिम्मेदार और हुनरमंद कार्टूनिस्ट के हाथों में यह जिम्मेदारी बहुत सोच-समझकर दी है।“ 

बॉस मेल्विन से काफी नाराज हुआ। मेल्विन अपनी स्केच उठाकर केबिन से बाहर आ गया। इन सब चक्करों में वह घनश्याम का दिया हुआ खत भी पढ़ना भूल चुका था। इस समय उसके दिमाग में बस इतना ही चल रहा था कि वो किसी तरह आज ही अपने बॉस के हाथ में वो स्केच दे सके जिसे उसे रात में ही बना लेना चाहिए था।“

शाम को जब मेल्विन घर वापस लौटने के लिए लोकल ट्रेन में चढ़ा तो इसी बात की चर्चा हो रही थी।

“क्या तुम सच कह रहे हो मेल्विन? मुझे यकीन नहीं हो रहा है।“ पीटर ने कहा, “तुमने इतना बचकाना बहाना बनाया, यह सोचकर मुझे हँसी आ रही है।“

“मुझे उसे समय कुछ भी नहीं सूझ रहा था पीटर।“ मेल्विन ने बताया।

मेल्विन के ट्रेन वालों साथियों में पीटर ही एकमात्र वो शख्स था जो मेल्विन का सुबह के साथ-साथ शाम की वापसी वाली ट्रेन में भी साथ होता था। 

“जरा वो स्केच मुझे भी तो दिखाओ।“ पीटर ने मेल्विन से कहा, “जरा मैं भी तो देखूँ, तुमने अपने बॉस को कौन सा स्केच दिखाया था।“

मेल्विन ने जैसे ही पीटर की बात सुनी, वो घबरा गया। उसके कानों में उस अजनबी लड़की की हँसी एक बार फिर गूँजने लगी थी।

“मेल्विन, मैं तुमसे कुछ माँग रहा हूँ।“ पीटर ने मेल्विन से दोबारा कहा तो इस बार मेल्विन उसकी बात को नजरअंदाज न कर सका।

मेल्विन ने बैग में से वो स्केच निकालकर पीटर को दिखाया।

“मेल्विन, ये तो हमारा ही कंपार्टमेंट है न? मैं तो इसे अच्छी तरह पहचानता हूँ। लेकिन यह लड़की कौन है? मैं इसे नहीं पहचान पा रहा हूँ? शायद मैंने इसे अपनी ट्रेन में कभी देखा भी नहीं है। मेल्विन, क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?”

“अरे नहीं, ये कैसी बातें कर रहे हो तुम। हाँ, यह कंपार्टमेंट मेरा ही है। दरअसल मैं कई दिनों से तुमसे एक बात कहना चाहता था। लेकिन कह नहीं पा रहा था। असल में मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं इस बात की चर्चा तुमसे कैसे करूँ।“

“अरे मेल्विन, ऐसी क्या बात है जो तुम मुझसे कहना चाहते हो लेकिन कह नहीं पा रहे हो।“ पीटर को हैरानी हुई।

“आज सुबह वाली लड़की तो याद  है न तुम्हें?”

“लाल सूट वाली? हाँ, उसका क्या?” पीटर ने पूछा।

“कुछ दिन पहले इस कंपार्टमेंट में एक लड़की चढ़ी थी और हमारी उससे थोड़ी बहस हो गई थी।“ मेल्विन ने पुरानी बातें याद करते हुए कहा, “उस दिन उस लड़की की हादसे में मौत हो गई थी। तब से उसका चेहरा, उसकी आँखें बार-बार मेरे दिमाग में घूमती रहती है। इस लड़की का चेहरा तो मुझे नहीं दिखाई दिया पीटर, लेकिन इस लड़की की हँसी में मैं वह चेहरा तलाशता हूँ।“

मेल्विन की इस बात पर पीटर ने बस धीरे से अपना सिर हिला दिया।

“लेकिन वह हँसी तुम्हें क्यों परेशान कर रही है, यह बात समझ में नहीं आई मेल्विन। आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है मेल्विन?”

“मैं नहीं जानता पीटर। मैं सचमुच नहीं जानता कि मेरे दिमाग में क्या चल रहा है और मैं क्या चाहता हूँ। बस वह हँसी और वो चेहरा एक साथ मैं नहीं सोच पा रहा हूँ। जब भी सोचने की कोशिश करता हूँ, मुझे वो मरी हुई लड़की दिखाई देती है। मेरा पूरा समय बस यही सोचने में जा रहा है। आज तो हद ही हो गई।“

“हाँ, आज पहली बार तुमने अपने बॉस के सामने बहाना बनाया है। वह भी ऐसा बहाना कि हँस-हँसकर मेरा पेट दर्द करने लगा।“ पीटर ने फिर हँसते हुए कहा, तो मेल्विन ने उसे आँखें दिखाकर शांत किया।

“अच्छा यह तो बताओ, शाम तक तुमने अपने बॉस को वो स्केच दिया कि नहीं जिसकी उन्हें जरूरत थी?”

“वह स्केच बॉस को हाथ में देकर आया तब जाकर छुट्टी मिली है मुझे।“ 

पीटर ने जब यह सुन तो वह फिर हँस पड़ा। कल मैं ये कहानी अपने सभी साथियों को सुनाऊँगा। उन्हें भी ये किस्सा सुनने का पूरा हक है। मेल्विन, तुम में भी एक छोटा बच्चा है ये बात मुझे आज पता चली। लेकिन तुम फ़िक्र मत करो मेल्विन। जिस हँसी को तुम तलाश रहे हो, उसे ढूँढ़ने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा। सिर्फ मैं ही क्यों। मैं तो कहता हूँ कि हम सब तुम्हारी मदद करेंगे। अगर तुम्हारे जैसा कलाकार किसी के बारे में सोच-सोचकर इतना परेशान हो रहा है तो उसे एक बार मिलना तो बनता है।“

“तुम मेरी मदद करोगे पीटर?” मेल्विन ने कहा और फिर धीरे से मुस्कुराने लगा, “आज तुमने जो पंगा ले लिया है, उसके बाद फिलहाल तुम्हें मदद की जरूरत है। वह देखो, पीछे वही चार लड़के खड़े हैं जो सुबह मिले थे। मुझे नहीं लगता कि ये सुबह का मामला भूल चुके हैं।“

“अगर नहीं भूले हैं मेल्विन, तो मैं उनकी भी मदद करूँगा भूलने में। शायद एक मुक्के से बात नहीं बनी इसलिए यह फिर यहाँ आ गए हैं।“

"शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी पीटर। सुबह से शाम तक उनमें काफी बदलाव आ चुका है।“

तभी अचानक मेल्विन को कुछ याद आया। उसने फटाफट अपनी जेब टटोली।

“यह क्या है मेल्विन?” पीटर ने उसके हाथ में कागज का टुकड़ा देखते हुए पूछा।

“आज ऑफिस में एक लड़का आया था। वो इस लेटर को अपने पिता की आखिरी इच्छा कहकर मुझे दे गया है। मुझे समझ में नहीं आता कि इस लेटर को खोलूँ या नहीं। न जाने इसके अंदर से क्या हंगामाखेज चीज निकल आए। मुझे तो अब हर एक चीज से डर लगने लगा है। मेरे आस-पास एक ऐसी दुनिया बनने लगी है जिससे मैं बहुत कम वाकिफ हूँ। ये भी एक नई चीज है जिसके बारे में मुझे जानना चाहिए या नहीं, ये मैं नहीं समझ पा रहा हूँ।“ 

पीटर गंभीर होकर बोला, “अगर इस तरह सोचोगे, तो ज़िन्दगी की गाड़ी में एक ही स्टेशन पर अटके रह जाओगे। जो भी है सामना करो, ये बस एक कागज़ का टुकड़ा ही तो है… कोई ज़हर थोड़े ही है जो देखने के बाद मर जाओगे?”

अभी पीटर ने इतना कहा ही था कि उन्हीं चारों में से एक लड़के ने आगे जाकर मेल्विन के हाथ से वो खत छीन लिया।

“क्या रे शयाने, किसका लव लेटर पढ़ रहा है? उस लाल सूट वाली लड़की का?”

उस लड़के ने लेटर को अपनी मुठ्ठी में दबा लिया था।

क्या मेल्विन वो लेटर वापस ले सकेगा? आखिर उस लेटर में क्या लिखा था? कौन था वो शख्स जिसके पिता ने मेल्विन को वो लेटर भेजा था?                            

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.