जहाँ एक तरफ़ काका आहलूवलिया  सोनू को नूर की कहानी सुनाने में बिज़ी थे, वहीं दूसरी तरफ, प्रियंका के कमरे में सन्नाटा फैला हुआ था। गहरे अंधेरे में दीवार की ओर पीठ किए बैठी प्रियंका की परछाई डरावनी लग रही थी। कमरे में गजरे की मीठी ख़ुशबू फैली हुई थी। 

तभी दरवाज़े की धीमी चिरचिराहट के साथ उसके मम्मी-पापा कमरे में दाखिल हुए। उसकी मम्मी के हाथ में खाने की थाली थी, जिसमें भिंडी की सब्जी और रोटी रखी थी। 

  

पापा 

बेटा, कब तक भूखी रहोगी? खाना खा लो अब। 

  

प्रियंका धीरे-धीरे दीवार से मुड़ी। उसकी आंखें, जो पहले मासूम थीं, अब गहरी काली और बेजान दिख रही थीं। चेहरा पीला, जैसे खून सूख गया हो। उसने मम्मी-पापा को इस तरह घूरा, जैसे वह उन्हें पहचान नहीं पा रही हो। 

  

प्रियंका 

मुझे नहीं खाना। 

  

मम्मी  

क्या हो गया है बेटा? ये तुम क्या कह रही हो? 

  

प्रियंका 

तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ? 

 

प्रियंका की आवाज़ कमरे में गूंज गई। ऐसा लगा जैसे उसके शब्दों के साथ कमरे की हवा भी रुक गई हो। 

  

पापा 

बेटा, हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं। बताओ न, क्या हुआ? अपने पापा को बताओ क्या बात है? 

  

प्रियंका के चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान उभर आई। वह धीरे-धीरे खड़ी हो गई। उसकी चाल लड़खड़ाई, . उसकी आंखें उसके इरादों बता रही थीं। उसने थाली पकड़े अपनी मम्मी की ओर इशारा किया। 

  

प्रियंका 

मेरी मदद कोई नहीं कर सकता। तुम दोनों यहाँ से चले जाओ... वरना... 

   

मम्मी-पापा एक पल के लिए सहम गए। अचानक, प्रियंका ने अपनी गर्दन को एक अजीब से एंगल पर घुमा लिया और चीखने लगी 

 

चीख इतनी खतरनाक थी कि खिड़की के शीशे भी कांप उठे। मम्मी के हाथ से थाली गिर गई और सब्जी ज़मीन पर गिर गई। प्रियंका ने अचानक अपनी माँ की तरफ़ झपट्टा मारा। वह बीच में ही रुक गई। उसके चेहरे पर अब हंसी थी—एक ऐसी हंसी, जो किसी और ही दुनिया की लग रही थी। 

  

प्रियंका 

मैं नूर हूँ! और अब ये शरीर मेरा है! 

  

मम्मी-पापा डर के मारे पीछे हटने लगे। कमरे की दीवारों पर गहरे खरोंच के निशान उभरने लगे, जैसे कोई अनजानी ताकत दीवार को नोंच रही हो। प्रियंका की हंसी और रोने की अजीब आवाजें निकाल रही थी, जैसे उसके अंदर दो अलग-अलग आत्माएँ लड़ रही हों। 

  

पापा 

प्रियंका... ये क्या कह रही हो? तुम कौन हो? 

  

प्रियंका  

ये शरीर अब तुम्हारी बेटी का नहीं है! तुम दोनों चले जाओ, वरना तुम भी मारे जाओगे! 

  

मम्मी ने कांपते हाथों से अपने पति का हाथ पकड़ा और रोते हुए कमरे से बाहर खींच ले गई। प्रियंका के कमरे से अब भी ठहाकों और चीखों की आवाजें आ रही थीं। 

 

कमरे का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया और भारी सन्नाटा छा गया। गजरे की ख़ुशबू अब पूरे घर में फैल चुकी थी। उसके मम्मी पापा ये देखकर डर गए। उनको समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर उनकी बेटी को क्या हो गया था। 

  

प्रियंका चुपचाप जाकर दुबारा उसी जगह पर बैठ गई और दीवार को देखने लगी। 

  

प्रियंका 

काका आहलूवलिया , तुझे मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी। 

  

जहाँ एक तरफ़ प्रियंका के अंदर नूर का भूत, काका आहलूवलिया  से बदल लेना चाहता था, वही काका तहखाने में सोनू के सामने बैठकर, अपने अतीत में की गई हरकतों को याद कर रहा था। काका ने घबराहट में अपनी आँखें झपकाईं और गहरी सांस ली। 

  

काका आहलूवलिया 

पुत्तर करीब सौ साल पहले, मेरे बुढ़ापे के दिनो में, एक बहुत खूबसूरत औरत थी, जो कोठे पर काम करती थी। जिसका नाम था नूर। वह एक नाचने वाली थी, वह गजरे पहनती थी और उसकी गजरे की महक पूरे शिमला में मशहूर थी। 

  

सोनू 

तो, आपका कहना है कि ये वही औरत नूर है? 

  

काका आहलूवलिया 

हाँ पुत्तर, मैं उस औरत को जानता था। उसके और मेरे बीच अच्छा रिश्ता था। फिर? 

  

सोनू 

फिर... क्या हुआ? 

  

काका आहलूवलिया 

तो पुत्तर हुआ यूं था कि... 

  

काका आहलूवलिया  सोनू को अपनी कहानी सुनाने लगे। बात 1930 के आसपास की थी, जब साधपुल गाँव में काका आहलूवलिया  की हवेली के चर्चे पूरे शिमला में थे। 

  

काका आहलूवलिया 

नूर ने बहुत कोशिश की मुझे सुधारने की, बार-बार हवेली में मिलने आने लगी, पर मुझे क्या पता था वह मुलाकात आखिरी मुलाकात होगी 

  

सोनू 

मतलब? 

  

काका आहलूवलिया 

उस रात उसकी मौत हो गई. 

 

काका आहलूवलिया  ने सोनू को नूर की मौत की सारी कहानी बताई की कैसे नूर की मौत का दुख उसे आज तक है। काका और नूर की मोहब्बत की कहानी एक बड़ी ट्रैजडी की तरह ख़त्म हुई। इस प्यार और नफ़रत की कहानी ने काका के दिल में एक गहरा दर्द छोड़ दिया था, जो आज भी अतीत के अंधेरों में छुपा हुआ है। सोनू ने काका की बातें सुनीं और उसे गहरा शॉक लगा। 

  

सोनू 

अगर ये सच है तो, नूर की आत्मा इस गाँव में वापस आ गई है और हमें इसे सुलझाना होगा। 

  

जहाँ एक तरफ़ सोनू और काका नूर के अतीत के बारे में बात कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर, अन्नू तालाब की ओर लौट आया था। अन्नू ने प्रियंका के अजीब बर्ताव को ध्यान में रखते हुए, एक बार फिर से तालाब की जाँच करने का फ़ैसला किया। 

  

अन्नू 

प्रियंका ने तावीज़ को लेकर बहुत घबराहट दिखाई थी। इसका मतलब है कि इस तावीज़ का पक्का रवि की मौत से कुछ तो कनेक्शन है। 

  

अन्नू ने तालाब के आसपास गहराई से जाँच की और देखा कि तालाब के किनारे पर एक पेड़ के नीच कुछ अजीब निशान थे, जैसे किसी ने नाखून से खरोचा हो। ऐसे निशान उसे लाइन से एक साथ बहुत सारे पेड़ो पर दिखे, जिसे देखकर अन्नू ख़ुद से बोला 

 

अन्नू ने पेड़ो पर दिख रहे इन निशानों का पीछा किया और देखा कि वे निशान जंगल में एक छोटी-सी खाली झोपड़ी की ओर जा रहे थे। 

अन्नू ने उस झोपड़ी का दरवाज़ा खोला और अंदर दाखिल हुआ। झोपड़ी के अंदर अँधेरा था। उसने ध्यान से चारों ओर देखा और अचानक से उसे एक पुराना बक्सा दिखा, अन्नू उसके पास गया 

अन्नू ने बक्सा खोला और देखा कि उसमें कई पुराने ज़माने के कपड़े और एक तावीज़ रखा हुआ था, जिस पर नूर का नाम लिखा हुआ था। 

  

अन्नू 

ये तो बिल्कुल हुबहू वैसा ही तावीज़ है, जैसा मुझे तालाब के पास मिला था। 

 

अन्नू ने तावीज़ को ध्यान से देखा और महसूस किया कि इसका कनेक्शन रवि की मौत से हो सकता था। . उसे इसके लिए सबसे पहले सोनू के पास जाना था और उसे ये सब बताना था। जहाँ एक तरफ़ सोनू को काका आहलूवलिया  के रहस्यों का पता चल चुका था, वहीं दूसरी तरफ़ अन्नू को नूर की हक़ीक़त का सामना करना पड़ रहा था। दोनों एक जगह पर मिले और दोनों ने ये सारी बाते एक दूसरे को बताई। इसके बाद सोनू और अन्नू दोनों को महसूस हुआ कि पक्का अब प्रियंका और नूर के बीच कोई रिश्ता है। इसलिए दोनों प्रियंका से मिलने उसके घर चले गए। प्रियंका के घर पहुँचकर अन्नू और सोनू ने देखा कि प्रियंका अभी भी चिंतित लग रही थी और उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी। 

  

अन्नू 

प्रियंका, मुझे बिलकुल तुम्हारे जैसा एक तावीज़ मिला है। तुम्हें इसके बारे में कुछ कहना है? क्योंकि मुझे लगता है कि तुम्हारे और नूर के बीच कोई कनेक्शन है और रवि की मौत के पीछे भी तुम्हारा हाथ है। 

  

प्रियंका 

मैने कुछ नहीं किया, सब काका आहलूवलिया  की गलती है। सब उसने किया है, सब गांववाले भी यही मानते है॥ 

  

सोनू 

गाँव वाले तुम्हारा राज़ नहीं जानते... 

  

प्रियंका 

मेरा राज़, मेरा कोई राज़ नहीं है। अच्छा होगा की तुम दोनों यहाँ से चले जाओ और फिर कभी दुबारा यहाँ मत आना। 

  

प्रियंका ने तावीज़ को अपने हाथ में कसकर पकड़ लिया और उसके चेहरे पर एक ख़ौफ़नाक मुस्कान थी, सोनू और अन्नू वहाँ से चले गए। 

  

  

सोनू 

प्रियंका का बिहेवियर बहुत मौनजूलिक वाला लग् रहा है। अन्नू, हमें अब एक साथ काम करना होगा। प्रियंका और नूर के रहस्यों को एक साथ सुलझाना होगा। 

  

 

अन्नू और सोनू ने मिलकर एक योजना बनाई और तय किया कि वह अगले दिन प्रियंका के घर में एक खोजबीन करेंगे। अगले दिन, जब अँधेरा छा गया था, सोनू और अन्नू प्रियंका के घर के पास छिपे हुए थे। प्रियंका के मम्मी पापा किसी हकीम की तलाश में बाहर गए थे। प्रियंका घर में अकेली थी 

प्रियंका ने देखा कि उसके घर के दरवाजे के पास कुछ आवाज़ आ रही थी। उसने सोचा कि कुछ गड़बड़ हो रही है। दूसरी तरफ़ अन्नू और सोनू ने प्रियंका के घर के दरवाजे को धीरे-धीरे खोला और अंदर दाखिल हुए। प्रियंका अपने कमरे में जाकर वह पुराना बक्सा छुपा रही थी, तभी सोनू और अन्नू अंदर घुस गए। 

  

सोनू 

प्रियंका, तुम क्या छुपा रही हो? 

  

प्रियंका 

तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो? मैं चिल्ला दूंगी, यहाँ से चले जाओ! 

  

 

अन्नू और सोनू ने देखा कि प्रियंका के हाथ में एक पुराना बक्सा था 

  

अन्नू 

ये तो वही बक्सा है, जिसे मैंने तालाब के पीछे जंगल में एक सुनसान झोपड़ी में देखा था। इसमें नूर के कपड़े और कुछ तावीज़ थे। 

  

  

सोनू 

प्रियंका ये सब क्या है? क्या तुम नूर की पुरानी साथी हो? 

  

प्रियंका 

हाँ और नूर की आत्मा मेरे अंदर है। उसने अपनी मौत का बदला लेने के लिए मुझे चुना है। 

  

तभी प्रियंका की आँखों में एक ख़ौफ़नाक चमक आ गई थी, उसने उस बक्से को खोला, जिसमें नूर के सारे कपड़े थे, जिनमे से गजरे की महक रही थी और वोह तावीज़ था। 

बक्से के पास से एक अजीब-सी रोशनी उभरी 

  

प्रियंका 

सच बहुत कड़वा होता है और तुम सब गाँव वाले उसे निगल नहीं पाओगे। 

  

प्रियंका ने एक जादुई मंत्र पढ़ना शुरू किया और अचानक, घर में सब कुछ हिलने लगा॥ सोनू और अन्नू ने देखा कि प्रियंका की आँखों में एक भयानक चमक थी। दोनों को अपनी मौत साफ़ नज़र या रही थी । 

क्या प्रियंका सच में नूर की आत्मा को कंट्रोल कर रही थी? आख़िर सच क्या था? अब इस खेल का आख़िर अंत क्या होगा? ये जानने के लिए पढ़िए  अगला एपिसोड। 

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