"एक बात मुझे अभी तक समझ नहीं आयी मेल्विन!"- मिस्टर कपूर ने चाय की उस कप सामने पड़ी टेबल में नीचे रखते हुए पूछा।
"क्या सर?"- मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा। उसके हाथों में वे ही कुछ स्केचस थे, जिसके बारे में बात करने वह मिस्टर कपूर से मिलने आया था।
"तुम्हारी और पीटर की कहानियों को सुनकर ऐसा लगता है जैसे तुमलोगों ने मुझे बड़ी आसानी से ढूंढ लिया। आखिर तुमलोगों ने मुझे ढूंढा कैसे? क्या कुछ ऐसा है जो मैं अभी तक नहीं जान पाया हूँ।" - यह सवाल मेल्विन के उम्मीद से अलग थे, पर ऐसा भी न था कि जिसका जवाब मेलविन न दे सकता हो। उसने तुरंत कहा-
"मैं दावे के साथ तो नहीं कह सकता लेकिन जहाँ तक पीटर ने कहा था, उसे और लक्ष्मण को एक अनजान व्यक्ति ने कॉल करके सुराग दिए थे, मुझे यकीन है कि वह जरूर ही आपका कोई शुभचिंतक होगा।"- मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हम्म!"- मिस्टर कपूर ने गम्भीरता के साथ कहा- "और नहीं भी।"
"क्या मतलब सर?"- मेलविन ने अचानक से हैरत भरी नजरों के साथ पूछा - "मैं कुछ समझा नहीं।"
"देखो मेल्विन! मेरी नजर में मेरा ऐसा कोई शुभचिंतक नहीं है जो मुझे बचाने के लिए ऐसे अज्ञात बनकर मेरी मदद करेगा। पर अगर उसने मजबूरन ऐसा किया भी तब भी, इसका एक मतलब यह भी बनता है कि हमारे अलावा कम से कम एक शख्स और हे जो न सिर्फ मेरी गुमशुदगी से वाकिफ था, बल्कि वह यह भी जानता था कि मुझे कहाँ रखा गया है। तुम कुछ समझ रहे हो मेल्विन?'- मिस्टर कपूर ने मेल्विन की तरफ गम्भीरता से देखते हुए कहा।
यह एक ऐसा पहलू था जिसपर मेलविन का ध्यान अभी तक गया ही नहीं था। अब जब उसने अपने दिमाग में जोर डाला तो उसे एहसास हुआ कि उनलोगों ने मिस्टर कपूर को बड़ी आसानी से खोज लिया था।
"तो आप कहना चाहते हैं कि यह किसी तरह की साजिश थी।"- मेलविन ने पूछा।
"में इसकी पुष्टि नहीं करता मेल्विन, मैं बस तुम्हें इतना कहना चाहता हूँ कि तुम इस पूरे घटनाक्रम को एक नए सिरे से देखो। खैर, मैं तुम्हारे दिमाग में अब और ज्यादा जोर नहीं देना चाहता। तुमने मेरे लिए वैसे भी बहुत कुछ किया है, अभी के लिए तो तुम फिलहाल घर जाओ, तुमने आज का सारा काम खत्म कर लिया है, और मेरी तरफ से यह टिप रख लो, मैंने तुम लोगों के लिए एक खास पार्टी ऑर्गेनाइज करी है, अगर तुम तीनो वहाँ आओ तो मुझे बेहद खुशी होगी।"
"क्यों नहीं सर!"- मेल्विन ने भी मुस्कुराते हुए कहा- "मैं अभी जाकर पीटर को बताता हूँ, वह सुनकर खुशी से उछल पड़ेगा।"
इतना कहकर मेल्विन मिस्टर कपूर के केबिन से बाहर निकल गया।
"अरे उसे बोलना यहाँ नहीं उछलने।"- मिस्टर कपूर भी आज पूरे मजाक के मूड में थे।
मेल्विन के कुछ दूर चलते ही उसकी फोन फिर से रिंग होने लगी।
"हाँ, रेबेका। कहो कैसे याद करना हुआ?"- मेल्विन ने मजाक करते हुए पूछा।
"अह, हेलो मेल्विन! एक खुशखबरी है। मैंने मॉम डैड को तुमसे दोबारा बात करने के लिए मना लिया है। बस इस बार तुम वादा करो कि तुम दोबारा गायब नहीं होंगे। देखो मेल्विन, यह हमारे लिए आखरी मौका होगा। हमें किसी भी तरह से दोनों को हमारी शादी के लिए मनाना होगा, वरना अगर इस बार भी कुछ गड़बड़ हुआ तो इसे हमारे रिलेशन का दी एन्ड ही समझ लो।"
यह सुनते ही मेल्विन के चेहरे पर कुछ देर के लिए ही सही, पर घबराहट सी छाने लगी, पर उसे खुद पर और अपने प्यार पर पूरा भरोसा था। उसने इस बार दृढ़ निश्चय कर लिया था कि चाहे जो कुछ भी हो जाए, वो इस बार रेबेका के पेरेंट्स से उसका हाथ मांगनेवाला मौका हरगिज़ नहीं गवाने वाला।
"तुम चिंता मत करो रेबेका। इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी। मुझपर भरोसा रखो।"- मेल्विन के इस आत्मविश्वास से भरे जवाब ने रेबेका को भी कन्विन्स कर लिया था।
"मुझे तुम पर भरोसा है मेल्विन!"- इतना कहकर रेबेका ने फोन काट दिया।
वहीं दूसरी और पार्टी की बात सुनकर पीटर सच में उछल पड़ा था।
"क्या तुम सच कह रहे हो पीटर। मैं इस कंपनी में कई सालों से काम कर रहा हूँ, मैंने आज तक भी भी मिस्टर कपूर को किसी के लिए बहक पार्टी देते हुए नहीं देखा।"- एक एम्प्लॉई ने कहा।
"अरे क्योंकि मिस्टर कपूर इससे पहले कभी किडनेप थोड़ी हुए थे।"- पीटर ने हंसते5 हुए कहा। यह सुनकर वहाँ सभी हंसने लगे।
"वैसे तुम्हें पता कैसे चला कि मिस्टर कपूर ऑफिस में एक ग्रैंड पार्टी ऑर्गनाइज करने वाले हैं?"- उसी एम्प्लॉई ने पीटर से पूछा।
"अरे अपने सूचना के तार ऑफिस में जगह जगह फैले हैं। पूरे ऑफिस में कब क्या चल रहा होता है, मुझे सब पता रहता है।"- पीटर ने छाती चौड़ी करते हुए डींगें हाँकना शुरू कर दिया। पर फिर तुरन्त ही वह बिल्कुल शांत वाली मुद्रा में आ गया- "वैसे सच कहूँ तो मैंने मिस्टर कपूर और मेल्विन कि यह बात चुपके से सुन ली थी।"
"ओह, यानी कि अभी भी तुम्हारे दिमाग से जासूसी गिरी हटी नहीं है। क्यों है न? मिस्टर शेरलॉक होल्मस?"- लक्ष्मण ने चुटकी लेते हुए कहा।
"अरे कहाँ तुम भी।"- पीटर ने सर खुजाते हुए कहा - "वैसे मैंने सुना है कि यह पार्टी सिर्फ एम्प्लोयी मेम्बर्स के लिए नहीं रहेगी। बल्कि इस बार शहर के बड़े बड़े दिग्गज भी वहाँ मौजूद होंगे। यह अब तक हमारे ऑफिस की सबसे बेहतरीन पार्टी होगी। शायद इसीलिये मिस्टर कपूर ने हमें हमारे फैमिली मेंबर्स को भी साथ आने की अनुमति दे दी है।" -पीटर ने कहा।
"क्या सच में? मैं अभी जाकर विशाखा को यह खुशखबरी सुनाता हूँ, उसका भी ऐसे बड़े-बड़े पार्टी को देखने का बड़ा मन रहता है।"- लक्ष्मण ने कहा।
यहाँ ऑफिस में खुशियों का माहौल था वहीं मेल्विन के घर में उसकी माँ हमेशा की तरह फूलों के देखभाल व्यस्त थी। उनका वह छोटा सा बगीचा तरह तरह के सुंदर फूलों से सजा हुआ था जहाँ सूरजमुखी से लेकर जैस्मिन तक कई खूबसूरत थे, वहीं उनका बगीचा सिर्फ फूलों तक सीमित नहीं था बल्कि कई ऐसे छोटे छोटे पौधे थे जो आये दिन उनके घर के काम में आ जाते थे। ये सभी पौधे मेल्विन की माँ ने अपने अकेलेपन को काटने के लिए बनाए थे, क्योंकि मेल्विन अक्सर ऑफिस के काम के सिलसिले में घर से दूर रहता है, इसलिए उनके लिए ये छोटे-छोटे फूल पौधे ही उनका परिवार बन चुके थे। ये मेलविन की माँ के लिए उनके खुद के बच्चों से कम न था, अकेलेपन में उनके बुढ़ापे का सहारा थे।
आज मेल्विन की माँ उन पौधों का खास ध्यान रख रही थी, क्योंकि उन्हीं फूलों में से एक फूल अंकुरित होनेवाला था। यह फूल केवल इसलिए भी खास नहीं था क्योंकि यह सबसे सुंदर या विलुप्त था, बल्कि ये फूल गुड लक के प्रतीक थे। ऐसा कहा जाता था कि इनका अंकुरित होना घर में कई तरह की खुशियाँ लाता है, और मिसेज फर्नांडीज इस बात को लेकर आश्वस्त थी की उनके घर में वह खुशी रेबेका के रूप में आएगी।
अभी फूलों की देखभाली करते हुए कुछ ही देर हुए थे कि उनके घर के डोरबेल ने उनका ध्यान उस दरवाजे की और मोड़ दिया।
"लगता है मेल्विन आज कुछ ज्यादा ही जल्दी घर आ गया।"- उन्होंने मन ही मन सोचा।
लेकिन जब उन्होंने दरवाजा खोला तो मेलविन वहाँ नहीं था, बल्कि वहाँ कोई भी नहीं था। उन्होंने थोड़ा आस पास भी झाँका जहाँ दूर-दूर तक उन्हें कोई नहीं दिखा।
"ये पड़ोस के बच्चे भी न!"- इतने कहते हुए वे फिर से अपने बगीचे की देखभाल करने लगी पर अभी कुछ ही देर हुए थे कि दरवाजे की डोरबेल फिर से घण्टियों के आवाज से गूंज उठी।
उन्होंने दरवाजे के पास से एक आवाज लगाई-
"कौन है?"
जिसका जवाब डोरबेल की फिर से आती आवाज थी। जब उन्होंने दरवाजा खोला तब फिर से उन्हें वहाँ कोई नहीं मिला बस फर्क इतना था कि इस बार की परिस्थिति पहले जैसी नहीं थी।
यहाँ मेल्विन हमेशा की तरह उसी लोकल ट्रेन में घर की और सफर कर रहा था। उसके दिमाग में अभी हाल में हुई घटना को लेकर लगभग भुचाल सा आया हुआ था। मिस्टर कपूर का यूं किडनेप होना, फिर डिकोस्टा का नया मालिक बनना, उसकी माँ पर हमला होना, आखिर यह सब क्या चक्कर था? और ऊपर से मिस्टर कपूर की भी बात सही थी, कोई अनजान शख्स उनकी मदद क्यों करना चाहेगा? आखिर कौन था वह शख्स? कोई ऐसा जिसे वह जानता हो या कोई ऐसा जो उन्हें जानता हो?
यूं तो मेल्विन घण्टों तक इस बारे में सोच सकता था, लेकिन उसे इसमें उनलोगों से सीधा मदद लेना ज्यादा बेहतर लगा जो उसका साथ इस किडनेपिंग वाले केस पर साथ निभाये थे। उसने तुरंत लक्ष्मण को फोन घुमाने का सोचा पर उसके फोन बाहर निकालते ही उसके तो जैसे होश ही उड़ गए।
मम्मी के 5 मिस्ड कॉल्स? और मेल्विन को इस बात की भनक तक न लगी? यूँ तो आमतौर पर वह कभी मम्मी के मिस कॉल्स को मिस नहीं करता लेकिन शायद आज या तो ट्रेन में चहल पहल ज्यादा थी, या फिर उसके दिमाग में उथल पुथल ज्यादा था जिस कारण वह इतने सारे मिस कॉल्स को नजरअंदाज कर गया।
उसने तुरन्त अपनी मम्मी को फोन घुमाया, जिसे दूसरी तरफ से रिसीव करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।
"हेलो मम्मी। क्या हुआ? आपके इतने सारे मिस कॉल दिकहे रहे हैं।"
"बेटा। तुम इस वक़्त कहाँ हो?"- दूसरी तरफ से एक घबराती आवाज सुनाई दी। वह आवाज डरी हुई थी।
"मैं तो इस वक़्त ट्रेन में हूँ। आज ऑफिस से जल्दी छुट्टी मिल गयी रुओ सोच तुम्हें सरप्राइज दूँ। क्यूँ? क्या हुआ? आप इतनी घबराई हुई क्यों हैं?" - मेल्विन भी थोड़ा हैरानी के साथ पूछा। इससे पहले उसने अपनी मम्मी को ऐसे घबराते हुए कभी नहीं देखा था। इसलिए मेल्विन को यह मामला थोड़ा गम्भीर सा लग रहा था।
"बेटा। हमारे बगीचे के सारे पौधों को किसी ने रौंध दिया है। हमारे सारे फूल खराब हो गए हैं। मैं थोड़ा सा दरवाजा खोलने गयी थी कि उतने ही देर में हमारे सारे पौधों को किसी ने…!"
यह सुनते ही मेलविन कि जैसे हँसी सी छूट गयी।
"ओह मम्मी आप भी न। मैं तो डर ही गया था। मुझे लगा कोई बहुत बड़ी अनहोनी हो गयी है। आप पौधों की चिंता क्यों करती हैं। मैं अभी नए पौधे लेकर आता हूँ और आस पास के बच्चों को भी हड़का देता हूँ कि कोई हमारे बगीचे के आलस पास भी न भटके।" - मेल्विन ने हँसते हुए कहा।
"बेटा अगर सिर्फ पौधों की बात होती तो शायद मुझे भी उतनी चिंता नहीं होती लेकिन मुझे कोई बहुत बड़ी अनहोनी का ये संकेत लग रहा है बेटा। तुम प्लीज़ अपना ख्याल रखना।" - मम्मी ने घबराते हुए कहा।
"अरे माँ। मुझे क्या होगा, मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ। अभी देखो, रेबेका ने भी अपने मम्मी डैडी को हमारे रिश्ते को लेकर बात करने के लिए राजी कर लिया है और अपने वो जो बोस है न? मिस्टर खड़ूस... कपूर, मिस्टर कपूर। उन्होंने भी पूरे ऑफिस को एक ग्रैंड पार्टी के लिए इनवाइट किया है, और तो और इस बार हम अपने परिवार को भी साथ ले जा सकते हैं। मैं तो सोच रहा हूँ कि मैं तुमको ले चलूं। तुम इतने दिनों से घर में अकेले रहकर यूँ ही इतना परेशान रहती हो, क्या पता नए लोगों से मिलकर तुमको मिलकर अच्छा लगे।" - मेल्विन ने आगे कहा।
"अरे बेटे। इस उम्र में मैं कहाँ अब पार्टी सब जा पाऊंगी। एक तो मेरी सेहत और ऊपर से नए लोग।"- मेल्विन की माँ ने बात टालने की कोशिश पर।
"वो सब मुझे कुछ नहीं सुनना माते। तुम चल रही हो तो मतलब तुम चल रही हो।"- मेल्विन ने जोर देते हुए कहा।
मेल्विन की इस जिद्द के आगे मम्मी को भी अपने हथियार डालने ही पड़े।
"अच्छा ठीक है बेटा। अगर तू इतना कह ही रहा है तो ठीक है। वैसे पार्टी कब और कहाँ है?"- उन्होंने पूछा।
"वो तो अभी हमें भी नहीं पता पर जब भी होगा हमें उसको लेकर पर्ची शेयर कर दी जाएगी।"- मेल्विन ने कहा।
"पर्ची। हम्म।"- यह सुनते ही जैसे मम्मी को कुछ याद से आ गया।
"क्या हुआ माँ, कोई दिक्कत है?"- मेल्विन ने तुरंत पूछा।
"क्या? आ,, नहीं नहीं बेटे। मैं बस थोड़ी देर के लिए खो गयी थी। कुछ नहीं, कुछ नहीं।"- मम्मी ने बात को टालते हुए कहा।
"अच्छा ठीक है माँ। मैं अभी थोड़ी देर बाद फोन करता हूँ, स्टेशन आ गया है।"- मेल्विन ने कहा।
"हां, हां बेटे बिल्कुल। मुझे भी अभी थोड़ा घर का काम आ पड़ा है। मैं भी अभी रखती हूँ।"- यह कहकर उन्होंने फ़ोन काट दिया और फोन को उन्होंने एक टेबल पर रख दिया जिसके ठीक सामने मिट्टी से सनी हुई एक कागज का टुकड़ा रखा हुआ था जिसमें बस एक शब्द लिखा हुआ था।
“शांति।”
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