वेटर ने अपनी जेब से एक साधारण सा स्मार्टफोन निकाला, उसे अनलॉक किया और मेल्विन की ओर बढ़ाया। स्क्रीन पर एक अनजान नंबर दिख रहा था, पर वेटर की आँखों में यह साफ लिखा था कि मेल्विन को यह कॉल लेनी है। मेल्विन ने हिचकिचाते हुए फोन पकड़ा, उसके हाथ काँप रहे थे।
"हेलो?" मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में अभी भी अविश्वास और गुस्सा दोनों था।
दूसरी तरफ से एक गहरी, शांत, पर बेहद प्रभावशाली आवाज़ आई। यह आवाज़ उतनी तेज़ नहीं थी जितनी डिकोस्टा की हो सकती थी, पर उसमें एक अजीब सी कमांड थी, जो सीधे दिमाग पर असर करती थी। "तो मेल्विन। आखिरकार हमारी बात हो रही है।"
मेल्विन को लगा जैसे उसने इस आवाज़ को पहले भी कहीं सुना हो, पर वह ठीक से पहचान नहीं पा रहा था।
"तुम कौन हो? डिकोस्टा?"
"नामों में क्या रखा है, मेल्विन? तुम मुझे 'बॉस' कह सकते हो।" आवाज़ में एक हल्की सी मुस्कान थी, पर वह ठंडी और कैलकुलेटेड लग रही थी। "मैंने तुम्हारे बारे में सब कुछ सुना है। तुम्हारी माँ की मौत का मुझे अफ़सोस है। पर जैसा कि हमारे आदमी ने तुम्हें बताया, यह सब तुम्हारी गलतियों का नतीजा है।"
"मेरी गलतियाँ? मेरी माँ को मारना तुम्हारी गलती है!" मेल्विन ने गुस्से से कहा।
"नहीं, मेल्विन। तुम्हारी गलती है कि तुमने उन चीज़ों में हाथ डाला जिनके बारे में तुम्हें कोई जानकारी नहीं थी।"- बॉस ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उदासीनता थी। "तुम्हें लगता है कि तुम हमें खत्म कर सकते हो? तुम्हें क्या पता है सिंडिकेट के बारे में?"
मेल्विन ने गुस्से से कहा, "मैं जानता हूँ तुम एक आपराधिक संगठन हो! तुम लोगों ने मेरी माँ की जान ली है और मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा! मेरे लिए बस इतना जानना काफी है।"
"बड़ा साहस है तुममें, मेल्विन। मुझे पसन्द आया।" बॉस की आवाज़ में एक अजीब सी प्रशंसा थी।
यह आवाज़, यह बॉस, वही था जिससे उसकी पहले भी बात हुई थी, जब वह नितिन के साथ मिलकर डिकोस्टा से माया को छुड़ाने की डील कर रहा था। उस समय भी इस आवाज़ ने उसे रोका था, उसे समझाया था, पर मेल्विन ने ध्यान नहीं दिया था। अब उसे याद आया।
"तुम्हें मेरी माँ के बारे में कैसे पता चला?" मेल्विन ने पूछा, उसकी आवाज़ में अब गुस्सा कम और उलझन ज़्यादा थी।
"हमें सब पता है, मेल्विन।" बॉस ने कहा। "हमें तुम्हारी हर हरकत का पता है। हम हमेशा तुम पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं। हम जानते हैं कि तुम अभी क्या सोच रहे हो। तुम्हारे बॉस, मिस्टर कपूर, को भी हमने निगरानी में रखा है। तुम बदले की आग में जल रहे हो। और हम उस आग को बुझाना नहीं चाहते।"
मेल्विन को यकीन नहीं हुआ। "तो तुम क्या चाहते हो?"
"हम चाहते हैं कि तुम हमारे लिए काम करो।" बॉस ने सीधे कहा। "हम तुम्हें वही देंगे जो तुम चाहते हो - अपनी माँ का बदला। और हम तुम्हें ताकत देंगे जो तुम्हारे पास अभी नहीं है।"
"मैं तुम्हारे साथ कभी काम नहीं करूँगा!" मेल्विन ने चीखकर कहा। "मैं तुम्हारे जैसे लोगों के साथ नहीं हूँ।"
"सोच लो, मेल्विन।" बॉस की आवाज़ में अब एक अजीब सी गंभीरता आ गई। "तुम्हारे पास दो रास्ते हैं। या तो तुम हमारी मदद करते हो, और तुम्हें वो सब कुछ मिलेगा जिसकी तुम्हें ज़रूरत है। हम तुम्हें सुरक्षा देंगे, तुम्हें वो जानकारी देंगे जिससे तुम अपनी माँ का बदला ले सकोगे, और तुम्हें एक ऐसी ज़िंदगी देंगे जो तुमने कभी सोची भी नहीं होगी।"
"और दूसरा रास्ता?" मेल्विन ने पूछा, उसके दिमाग में डर और उत्सुकता दोनों थी।
"दूसरा रास्ता मौत है।" बॉस ने सीधे कहा, उसकी आवाज़ में कोई भावना नहीं थी। "या तो तुम हमारे साथ हो, या हमारे खिलाफ़। और जो हमारे खिलाफ़ होता है, उसका अंजाम तुम्हें पता है। तुम्हारी माँ की तरह।"
मेल्विन का पूरा शरीर काँप गया। यह एक सीधी धमकी थी। "तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो।"
"नहीं, मेल्विन। मैं तुम्हें एक विकल्प दे रहा हूँ।" बॉस ने कहा।
"तुम अकेले हो। तुम्हारे पास कोई नहीं है जो तुम्हें बचा सके। सिंडिकेट बहुत बड़ा है, और हम हर जगह हैं। तुम्हारे बॉस, मिस्टर कपूर, को भी हमने निगरानी में रखा है। डिकोस्टा सिर्फ़ एक चेहरा है। असली दुश्मन कोई और है। और हम चाहते हैं कि तुम उस असली दुश्मन को ढूंढो, हमारे लिए।"
मेल्विन चुप हो गया। यह एक ऐसा प्रस्ताव था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। सिंडिकेट के साथ मिलकर सिंडिकेट को खत्म करना? क्या वह अपने दुश्मन के साथ मिलकर उसे अंदर से तबाह कर सकता था? या यह सब एक और गहरा जाल था? उसके दिमाग में एक तेज़ लड़ाई चल रही थी।
"तुम्हारे पास 24 घंटे हैं, मेल्विन।" बॉस ने कहा। "सोच लो। कल इसी समय, यही वेटर तुमसे मिलेगा। अगर तुम हमारे साथ हो, तो तुम्हें आगे का रास्ता मिलेगा। अगर नहीं, तो हमें तुम्हारे साथ दूसरे तरीके से निपटना होगा।"
कॉल कट गई। मेल्विन ने फोन वेटर को वापस दे दिया, उसके हाथ अभी भी काँप रहे थे। वेटर, जिसके चेहरे पर अब वापस वही चिपचिपी मुस्कान थी, ने फोन जेब में रखा और मेल्विन को एक पल के लिए देखा। "कल मिलते हैं, सर। उम्मीद है आप सही चुनाव करेंगे।"
वह मुड़ा और किचन की ओर चला गया। मेल्विन वहीं खड़ा रहा, पूरी तरह से टूट चुका था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। उसके पास अब सिर्फ 24 घंटे थे, एक ऐसा फैसला लेने के लिए जो उसकी पूरी ज़िंदगी बदल सकता था।
रात भर मेल्विन सो नहीं पाया। बॉस की आवाज़ उसके कानों में गूँज रही थी, और उसके दिमाग में यह सवाल घूम रहा था कि क्या वह सिंडिकेट के साथ काम करके अपनी माँ का बदला ले पाएगा, या यह एक और जाल था। सुबह होते ही वह उठ बैठा, उसकी आँखें लाल थीं और शरीर थका हुआ।
तभी, उसके फोन की घंटी बजी। वह फोन रिबेका का था, जो उसे कई दिनों से बार-बार कॉल कर रही थी। पर मेल्विन इस बार किसी से बात करने के मूड में नहीं था। इसलिए उसने फोन काट दिया पर फोन को काटते ही उसके स्क्रीन पर मिस्टर कपूर का नाम चमक पड़ा। मेल्विन ने तुरंत फोन उठाया, उसके दिल की धड़कनें तेज़ थीं। उसे लगा जैसे मिस्टर कपूर को उसके बारे में कुछ और पता चला है।
"मेल्विन! तुम्हें सुनकर अच्छा लगा! तुम ठीक तो हो ना?" मिस्टर कपूर की आवाज़ में एक अजीब सी उत्तेजना थी, जो चिंता से ज़्यादा थी।
"हाँ, सर। मैं... मैं ठीक हूँ।" मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में अभी भी थकान थी। "क्या हुआ, सर? आप इतने एक्साइटेड क्यों लग रहे हैं?"
"मेल्विन! मुझे मिल गया! मुझे वो मिल गया जिसकी तुम्हें ज़रूरत थी!" मिस्टर कपूर ने लगभग चीखकर कहा, उनकी आवाज़ में खुशी साफ झलक रही थी। "मुझे तुम्हारे पिता की डायरी के आखिरी पन्ने मिल गए हैं!"
मेल्विन अपनी जगह पर जम गया। उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। "क्या? कहाँ मिले, सर? आप सच कह रहे हैं?"
"हाँ, मेल्विन! तुम्हारे पिता ने उन्हें बहुत चालाकी से छिपा रखा था। मैंने सोचा भी नहीं था कि वो वहाँ हो सकते हैं।" मिस्टर कपूर ने कहा। "और इसमें... इसमें सिंडिकेट के बॉस का नाम लिखा है! असली बॉस का!"
मेल्विन का दिमाग तेज़ी से घूमने लगा। सिंडिकेट का बॉस? वही जिससे उसने कल बात की थी? "कौन है, सर? उसका नाम क्या है? वो कौन है?" उसकी आवाज़ में एक नई ऊर्जा आ गई थी, जो अब तक गायब थी।
मिस्टर कपूर ने एक गहरी साँस ली, जैसे कुछ बड़ा खुलासा करने वाले हों। "मेल्विन, यह संगठन उतना सीधा नहीं है जितना हम सोचते हैं। यह डिकोस्टा या किसी एक आदमी का खेल नहीं है। यह एक बहुत पुराना और गहरा नेटवर्क है।"
"मुझे पता है, सर।" मेल्विन ने कहा। "पर बॉस कौन है? वो कौन है जो ये सब चला रहा है?"
"यह कोई एक व्यक्ति का किया धरा नहीं है, मेल्विन।" मिस्टर कपूर ने कहा, उनकी आवाज़ अब गंभीर हो चुकी थी। "यह एक परिवार है। एक बहुत ही ताकतवर, प्रभावशाली परिवार जो विदेशी है, और पीढ़ियों से इस संगठन को चला रहा है।"
मेल्विन हक्का-बक्का रह गया। एक परिवार? पीढ़ियों से? यह उसकी कल्पना से भी परे था। पर फिर उसे यह भी पता था की सिंडिकेट का हीरो का व्यापार करीब 150 साल से भी ज्यादा पुराना था इसलिए उसे इतनी भी ज्यादा हैरानी नहीं हुई। उसने आगे पूछा - "कौन सा परिवार, सर? मुझे नाम बताइए!"
मिस्टर कपूर ने कुछ देर चुप्पी साधे रखी, जैसे वह शब्दों को तौल रहे हों। फिर उन्होंने एक भारी साँस ली और नाम बताया। "मेल्विन, तुम्हारे पिता ने अपनी डायरी में लिखा है... सिंडिकेट का असली बॉस 'फियोस्का फैमिली' है।"
फियोस्का फैमिली! मेल्विन ने यह नाम पहले कभी नहीं सुना था। यह नाम किसी भी भारतीय अपराधी या संगठन से मेल नहीं खाता था। यह एक विदेशी नाम लग रहा था। तो क्या सिंडिकेट एक विदेशी संगठन था? और माया इवानोवना, जो एक रूसी उद्योगपति के परिवार से थी... क्या उसका इससे कोई संबंध था? क्या कलिज़नेव भी इस परिवार का हिस्सा था?
मेल्विन के दिमाग में एक नया सवाल उठ खड़ा हुआ। अगर सिंडिकेट एक विदेशी परिवार द्वारा चलाया जा रहा है, तो डिकोस्टा कौन था? क्या वह भी बस एक मोहरा था? और वह बॉस जिसने उसे फोन किया था, क्या वह वोल्कोव परिवार का ही कोई सदस्य था?
अब मेल्विन के पास एक नया दुश्मन था, जो पहले से कहीं ज़्यादा बड़ा और शक्तिशाली था। एक ऐसा दुश्मन जो एक परिवार था, जो पीढ़ियों से अपराध की दुनिया पर राज कर रहा था। उसके पास अब सिर्फ बदला लेने की आग नहीं थी, बल्कि एक नया रहस्य भी था जिसे उसे सुलझाना था।
अब मेल्विन क्या करेगा? क्या वह फियोस्का फैमिली का सामना करने की हिम्मत करेगा? और क्या मिस्टर कपूर उसकी मदद कर पाएंगे, या उन्हें भी इस खतरनाक खेल का हिस्सा बनना पड़ेगा?
मेल्विन अपने इसी सोच में डूबा ही हुआ था कि उसके फोन पर फिर से वाइब्रेशन हुई, इस बार यह एक टेक्स्ट मैसेज था।
रेबेका का टेक्स्ट मेसेज।
उसने लिखा था-
"मेल्विन! तुम कहाँ हो? मैंने तुम्हें कितनी बार फोन किया, मैसेज किए, पर कोई जवाब नहीं। मैं तुम्हारे बारे में बहुत परेशान हूँ। तुम्हारी माँ के साथ जो हुआ, उसके बाद से मेरा दिल बैठा जा रहा है। मुझे पता है तुम अभी मुश्किल में हो, पर प्लीज, मुझे बताओ तुम ठीक हो। क्या मैं तुम्हें कहीं मिल सकती हूँ? या कम से कम एक मैसेज का जवाब दे दो। मैं तुम्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकती। प्लीज, बस एक बार बात कर लो।"
रेबेका का मैसेज पढ़कर मेल्विन के अंदर एक अजीब सी हलचल हुई। उसकी चिंता सच्ची थी, उसकी आवाज़ में दर्द था। वह उसे बचाने की कोशिश कर रही थी, उसे सहारा देना चाहती थी। मेल्विन ने एक पल के लिए अपनी उंगलियाँ उठाईं, जैसे वह जवाब लिखने वाला हो। उसके दिमाग में एक विचार आया: "रेबेका को सब बता दूं? शायद वह मेरी मदद कर सके।"
लेकिन अगले ही पल, उसके दिमाग में एक और विचार कौंधा। सिंडिकेट के बॉस की धमकी - "तुम्हारे बॉस, मिस्टर कपूर, को भी हमने निगरानी में रखा है।" अगर वे मिस्टर कपूर पर नज़र रख सकते हैं, तो रेबेका पर क्यों नहीं? उसे पता था कि यह लड़ाई बहुत खतरनाक हो चुकी है, और वह किसी भी अपने करीबी को इसमें घसीटना नहीं चाहता था। वह उसे बचाना चाहता था।
एक गहरी साँस लेते हुए, मेल्विन ने फैसला कर लिया। उसने रेबेका को कोई जवाब नहीं दिया। इसके बजाय, उसने अपने फोन की सेटिंग खोली और उसे स्विच्ड ऑफ कर दिया। स्क्रीन पर अंधेरा छा गया, और उसके साथ ही मेल्विन ने खुद को दुनिया से काट लिया। उसे अकेला होना था, इस भारी फैसले को अकेले ही लेना था।
उसने अपने फोन को एक तरफ रखा और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसका दिमाग फियास्को फैमिली के बारे में सोचना शुरू कर दिया। एक विदेशी परिवार, पीढ़ियों से चला आ रहा संगठन, जो सरकारों और खुफिया एजेंसियों से भी जुड़ा है। यह सिर्फ़ एक आपराधिक गैंग नहीं था, यह एक अदृश्य साम्राज्य था। उसकी माँ की मौत, MI का अपहरण, नितिन का रहस्य – सब कुछ अब एक बड़े, भयानक जाल का हिस्सा लग रहा था।
क्या मिस्टर कपूर की दी हुई जानकारी उसे इस जाल से निकलने में मदद करेगी? या यह उसे और गहरे फँसा देगी? मेल्विन के पास अब सिर्फ़ 24 घंटे थे, अपने जीवन का सबसे बड़ा और खतरनाक फैसला लेने के लिए। उसे यह समझना था कि डिकोस्टा सिर्फ़ एक प्यादा था, और असली खिलाड़ी तो फियास्को फैमिली था। उसे इस नए दुश्मन का सामना करने का तरीका खोजना था, और उसके पास अब कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
मेल्विन अब किस राह पर चलेगा? क्या वह सिंडिकेट के बॉस के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा, या फियास्को फैमिली से अकेले लड़ेगा? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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