मेल्विन ने रेबेका के मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया, उसने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया और खुद को पूरी दुनिया से काट लिया। मिस्टर कपूर की 'फ़ियास्को फ़ैमिली' वाली बात उसके दिमाग में गूँज रही थी, एक ऐसा रहस्य जो उसे अंदर तक झकझोर रहा था। सिंडिकेट का बॉस, जिसे उसने 'बॉस' कहकर पुकारा था, उसकी धमकी – 'या तो हमारे साथ, या मौत' – उसके कानों में गूँज रही थी। उसके पास सिर्फ़ 24 घंटे थे। रात भर मेल्विन सो नहीं पाया, बिस्तर पर करवटें बदलता रहा। सुबह हुई, पर उसकी आँखों में थकान साफ झलक रही थी।
अपने फोन को बंद करने से पहले, मेल्विन ने कुछ देर पहले की अपनी कोशिशों को याद किया। जब से वह इस सिंडिकेट के पीछे पड़ा था, उसने कुछ लोगों से संपर्क करने की कोशिश की थी, जिनसे उसे उम्मीद थी कि वे मदद कर सकते हैं।
सबसे पहले, उसने श्यामा लाल को याद किया। श्याम लाल एक बड़ा हीरा व्यापारी था, जिसके तार अंडरवर्ल्ड से जुड़े होने की अफवाहें थीं। मेल्विन जानता था कि श्यामा लाल सिंडिकेट के साथ हीरों का व्यापार करता था। उसने सोचा था कि श्याम लाल उसे डिकोस्टा या सिंडिकेट के बारे में कुछ अंदरूनी जानकारी दे सकता है। उसने श्याम लाल को कई बार फोन किया था, पर हर बार उसका फोन विदेश में बंद आ रहा था। मेल्विन ने मान लिया था कि शायद श्याम लाल को सिंडिकेट के बढ़ते खतरे का आभास हो गया होगा और वह देश छोड़कर भाग गया है।
फिर उसे नितिन याद आया। वही नितिन, जिसने उसे पहली बार डिकोस्टा का नाम बताया था, और जो सिंडिकेट से जुड़ा था। नितिन ही वह कड़ी था जिसके ज़रिए मेल्विन इस पूरे दलदल में फंसा था। मेल्विन ने नितिन को भी कई बार फोन करने की कोशिश की थी, पर उसका फोन भी लगातार स्विच ऑफ आ रहा था। मेल्विन को नहीं पता था कि नितिन ज़िंदा है या नहीं, या उसे सिंडिकेट ने ठिकाने लगा दिया है। उसे लगा कि नितिन ही शायद उसे इस मामले में कुछ रोशनी दे सकता था, पर वह भी अब उसकी पहुँच से बाहर था।
यह सोचकर मेल्विन को और अकेलापन महसूस हुआ। उसके पास कोई नहीं था जिस पर वह भरोसा कर सके। रेबेका, जिसे वह खतरा नहीं पहुँचाना चाहता था, श्याम लाल और नितिन, जो गायब हो चुके थे। मिस्टर कपूर के पास जानकारी तो थी, पर वह भी इस खतरनाक खेल का हिस्सा नहीं थे।
अब मेल्विन को सिर्फ़ खुद पर भरोसा करना था। या तो उसे सिंडिकेट के प्रस्ताव को मानना था, या फिर उस फियास्को फैमिली के खिलाफ़ अकेले ही उतरना था, जिसका नाम सुनकर ही रूह काँप जाती थी। उसके पास सोचने का समय कम था, और निर्णय उसे ही लेना था।
फ़ियास्को फ़ैमिली। यह नाम उसके दिमाग में एक भयंकर चक्रवात की तरह घूम रहा था। एक ऐसा परिवार जो पीढ़ियों से अपराध और शक्ति के इस खेल को चला रहा था। ‘मी’, नितिन, डिकोस्टा, उसकी माँ की मौत – सब कुछ इस एक नाम से जुड़ा हुआ लग रहा था। मेल्विन को पता था कि यह कोई आम लड़ाई नहीं थी। यह एक ऐसी गहरी खाई थी जिसमें कूदने का मतलब था खुद को पूरी तरह मिटा देना।
वह एक तरफ सिंडिकेट के 'बॉस' के प्रस्ताव के बारे में सोच रहा था – उनके लिए काम करके अपनी माँ का बदला लेना। क्या यह सच में एक मौका था, या सिर्फ़ एक और जाल? दूसरी तरफ, मिस्टर कपूर ने उसे डायरी के आखिरी पन्ने के बारे में बताया था, जिसमें शायद सिंडिकेट के असली मुखिया का नाम छिपा था। लेकिन मिस्टर कपूर को भी बॉस ने निगरानी में रखा था, यह बात उसे डरा रही थी।
उसके अंदर एक तेज़ बहस चल रही थी। क्या मैं सिंडिकेट के साथ मिलकर उन्हें अंदर से खत्म कर सकता हूँ? क्या मैं उनके नियमों पर चलकर उन्हें हरा सकता हूँ? या क्या यह उनके साथ जुड़कर खुद को उनके जैसा बना लेने का बहाना था? उसने अपनी माँ की आँखों में देखा था, उस आखिरी मंज़र में, जहाँ बेबसी और डर था। उसने अपने पिता की डायरी पढ़ी थी, जहाँ सच्चाई के लिए लड़ने का संकल्प था।
दोपहर हो चुकी थी, और घड़ी की सूइयाँ तेज़ी से भाग रही थीं। मेल्विन का फैसला साफ हो चुका था। वो हार नहीं मानेगा। वो सिंडिकेट के लिए काम नहीं करेगा, चाहे नतीजा कुछ भी हो। वह उनकी शर्तें स्वीकार नहीं करेगा। वह उन्हें उनकी ही ज़मीन पर हराएगा, अपने तरीके से। वो उन्हें खत्म करेगा, जड़ से।
मेल्विन ने वही रेस्टोरेंट चुना जहाँ उसे कल वेटर मिला था। वह जानता था कि यह खतरनाक होगा, लेकिन उसे उस वेटर तक पहुँचना था। उसे पता था कि यह उसका संदेशवाहक है, सिंडिकेट के 'बॉस' तक पहुँचने का रास्ता। रात का अँधेरा गहरा रहा था, और रेस्टोरेंट में भीड़ कम थी। मेल्विन ने एक गहरी साँस ली, जैसे युद्ध में जाने से पहले कोई सिपाही लेता है।
वह अंदर गया और सीधा उस काउंटर की तरफ बढ़ा जहाँ उसने कल उस वेटर को देखा था। वेटर वहीं खड़ा था, अपने कपड़ों पर दाग़ साफ करता हुआ। उसकी वही चिपचिपी मुस्कान उसके चेहरे पर थी, पर मेल्विन को उसकी आँखों में एक अजीब सी सतर्कता दिख रही थी। उसे पता था कि मेल्विन वापस आएगा।
मेल्विन ने वेटर के ठीक सामने आकर अपनी आवाज़ को स्थिर रखते हुए कहा, "मैं यहाँ तुम्हारे बॉस से बात करने आया हूँ।"
वेटर की मुस्कान थोड़ी फीकी पड़ी। "बिल्कुल। मुझे पता था कि आप जरूर आओगे, सर। आखिर हमारे रेस्टोरेंट में ऑफर्स ही इतने अच्छे चल रहे हैं कि कोई उसे मना कर ही नहीं सकता।" उसकी आवाज़ अब बहुत धीमी थी, लगभग फुसफुसाहट। "तो कहिए, क्या फैसला किया है?"
मेल्विन ने वेटर की आँखों में सीधा देखा। उसकी आवाज़ अब ठंडी और दृढ़ थी, उसमें कोई झिझक नहीं थी। "मैंने अपना फैसला कर लिया है। मैं तुम्हारे साथ काम नहीं करूँगा। तुम्हारे बॉस को बता देना, उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया गया है।"
वेटर के चेहरे पर से सारी भावनाएँ गायब हो गईं। उसकी आँखें सिकुड़ गईं, और उसके होठों पर एक अजीब सी, खतरनाक मुस्कान फैल गई। "क्या तुम श्योर हो, सर? ये तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा।"
"मैं श्योर हूँ," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा गुस्सा था। "उसे बता देना... उसे बता देना कि मैं उसे खत्म करने आ रहा हूँ। उसे, और उसके पूरे सिंडिकेट को। तुम लोगों ने मेरी माँ की जान ली है, और मैं तुम सबको ज़िंदा नहीं छोडूंगा। उसे बता देना, मेल्विन आ रहा है, और उसका हिसाब चुकता करने के लिए।"
वेटर एक पल को हँसा, एक नीरस, ठंडी हँसी। "तो तुमने दूसरा रास्ता चुना है?" उसकी आवाज़ में अब कोई विनम्रता नहीं थी, सिर्फ़ एक ठंडी क्रूरता थी।
मेल्विन ने उसे घूर कर देखा। "हाँ, दूसरा रास्ता। अब फ़ोन मिलाओ। मुझे अपने बॉस से बात करनी है।"
वेटर ने अपनी जेब से वही साधारण सा स्मार्टफोन निकाला, उसे अनलॉक किया और मेल्विन की ओर बढ़ाया। स्क्रीन पर वही अनजान नंबर दिख रहा था, पर वेटर की आँखों में यह साफ लिखा था कि मेल्विन को यह कॉल लेनी है। मेल्विन ने हिचकिचाते हुए फोन पकड़ा, उसके हाथ काँप रहे थे।
"हेलो?" मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में अभी भी अविश्वास और गुस्सा दोनों था।
दूसरी तरफ से वही गहरी, शांत, पर बेहद प्रभावशाली आवाज़ आई। "तो मेल्विन। आखिरकार हमारी बात हो रही है।"
"हाँ," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में गुस्सा भरा था। "मैंने फैसला कर लिया है। मैं तुम्हारे साथ काम नहीं करूँगा। मैं तुम्हें खत्म करने आ रहा हूँ। तुम और तुम्हारा सिंडिकेट, तुम सब खत्म हो जाओगे।"
बॉस की आवाज़ में एक हल्की सी मुस्कान थी, पर वह ठंडी और कैलकुलेटेड लग रही थी। "बड़ा साहस है तुममें, मेल्विन। मुझे पसन्द आया। मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी।"
मेल्विन ने गुस्से से कहा, "तुमने मुझे डराने की कोशिश की थी। तुमने मेरी माँ को मारा, न जाने कितने लोगों को मरवाया, यहाँ तक कि बच्चों तक को नहीं छोड़ा। ऐसे में मैं तुंम्हारे साथ हाथ मिलाऊँगा? बेवकूफ हो तुमसब। तुम आखिर ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? अब मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि डर क्या होता है!"
"तुम्हें लगता है कि तुम हमें खत्म कर सकते हो? तुम्हें क्या पता है सिंडिकेट के बारे में?" बॉस ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उदासीनता थी। "तुम सिर्फ एक मोहरे हो, मेल्विन। और मोहरों का अंजाम तुम्हें पता है।"
यह आवाज़, यह बॉस, वही था जिससे उसकी पहले भी बात हुई थी, जब वह नितिन के साथ मिलकर डिकोस्टा से माया को छुड़ाने की डील कर रहा था। उस समय भी इस आवाज़ ने उसे रोका था, उसे समझाया था, पर मेल्विन ने ध्यान नहीं दिया था। अब उसे याद आया।
"तुम्हें मेरी माँ के बारे में कैसे पता चला?" मेल्विन ने पूछा, उसकी आवाज़ में अब गुस्सा कम और उलझन ज़्यादा थी।
"हमें सब पता है, मेल्विन।" बॉस ने कहा। "हमें तुम्हारी हर हरकत का पता है। हम हमेशा तुमपर अपनी नज़र गड़ाए हुए हैं। हम जानते हैं कि तुम अभी क्या सोच रहे हो। तुम्हारे बॉस, मिस्टर कपूर, को भी हमने निगरानी में रखा है। तुम बदले की आग में जल रहे हो। और हम उस आग को बुझाना नहीं चाहते, बल्कि उसे सही दिशा देना चाहते थे। पर तुमने गलत दिशा चुनी।"
मेल्विन को यकीन नहीं हुआ। "तो तुम क्या चाहते हो?"
"तुमने दूसरा रास्ता चुना है, मेल्विन।" बॉस ने कहा, उसकी आवाज़ में अब कोई भावना नहीं थी, सिर्फ़ एक भयानक फैसला था। "तुम्हारी मौत।"
कॉल कट गई। मेल्विन ने फोन वेटर को वापस दे दिया, उसके हाथ अभी भी काँप रहे थे। वेटर, जिसके चेहरे पर अब वापस वही चिपचिपी मुस्कान थी, ने फोन जेब में रखा और मेल्विन को एक पल के लिए देखा। "तुम्हारी पसंद थी, सर।"
इससे पहले कि मेल्विन कुछ समझ पाता, वेटर ने तेज़ी से अपना हाथ बढ़ाया। मेल्विन ने उसकी हरकत देख ली थी, लेकिन वह बहुत तेज़ी से हुआ। वेटर ने मेल्विन की गर्दन पर एक छोटा सा, नुकीला इंजेक्शन लगा दिया। मेल्विन के शरीर में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई, जैसे उसके नस-नस में कोई ज़हर फैल रहा हो। उसकी आँखें धुंधली होने लगीं, उसके पैर कमज़ोर पड़ने लगे।
"क्या... क्या किया तुमने?" मेल्विन ने लड़खड़ाती आवाज़ में पूछा।
वेटर की मुस्कान अब एक क्रूर हंसी में बदल गई थी। "बस आपके चुनाव का सम्मान कर रहा हूँ सर।"
मेल्विन ने ज़ोर से चिल्लाने की कोशिश की, पर उसकी आवाज़ उसके गले में ही अटक गई। उसके शरीर में एक अजीब सा लकवा छा गया, जैसे उसकी सारी ताकत निचोड़ ली गई हो। वह ज़मीन पर गिरने लगा, उसकी आँखें खुली थीं, पर उसे कुछ दिख नहीं रहा था। आखिरी चीज़ जो उसे याद थी, वो थी वेटर की वो चिपचिपी मुस्कान, जो अब एक विजयी मुस्कान में बदल चुकी थी।
मेल्विन बेहोश होकर रेस्टोरेंट के फर्श पर गिर पड़ा। उसकी चेतना अँधेरे में विलीन हो गई।
मेल्विन के बेहोश होते ही, वेटर ने फुर्ती से रेस्टोरेंट के मैनेजर को इशारा किया। मैनेजर, जो इस पूरे घटनाक्रम को दूर से देख रहा था, तुरंत वेटर के पास आया। दोनों ने मिलकर मेल्विन को उठाया और रेस्टोरेंट के पिछले दरवाज़े से बाहर निकाला। एक काली वैन दरवाज़े पर इंतज़ार कर रही थी। मेल्विन को वैन में धकेला गया, और वैन तेज़ी से अँधेरे में गायब हो गई।
मेल्विन को नहीं पता था कि वह कहाँ जा रहा है, या उसके साथ क्या होने वाला है। उसके दिमाग में सिर्फ़ एक बात गूँज रही थी – फियास्को फैमिली। उसे लगा कि उसने उन्हें चुनौती देकर बहुत बड़ी गलती कर दी है। पर उसके अंदर अभी भी एक उम्मीद की किरण बची थी। उसे विश्वास था कि वह ज़िंदा बचेगा, और इस चुनौती का सामना करेगा।
जब मेल्विन को होश आया, तो उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। उसकी आँखें धुंधली थीं, और शरीर में अजीब सी कमज़ोरी थी। उसे लगा जैसे वह किसी ठंडे, नम कमरे में पड़ा हो। चारों तरफ़ अंधेरा था, और एक अजीब सी सड़ांध की गंध आ रही थी। उसने उठने की कोशिश की, पर उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे।
अचानक, एक तेज़ रोशनी जली। मेल्विन ने अपनी आँखें सिकोड़ीं, और उसने देखा कि वह एक तहखाने में था। उसके सामने एक टीवी स्क्रीन पर कुछ फुटेज चल रही थी। स्क्रीन पर डिकोस्टा मुस्कुराता हुआ दिख रहा था, और उसके आसपास कुछ लोग खड़े थे। मेल्विन को लगा कि यह कोई जेल है, पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि उसे कहाँ लाया गया है। फिर अचानक से टीवी में एक अजीब सा ऐड विडिओ चलने लगा। नवजीवन का ऐड।
"हर बच्चे का सपना होता है - एक सुरक्षित घर, प्यार भरा परिवार, और उज्ज्वल भविष्य।"
"लेकिन कभी-कभी, परिस्थितियाँ इतनी मुश्किल हो जाती हैं कि ये सपने टूट जाते हैं। बच्चे खो जाते हैं, अकेले पड़ जाते हैं, और उम्मीदें दम तोड़ने लगती हैं।"
"यहीं से 'नवजीवन' की शुरुआत होती है। हम उन बच्चों को सहारा देते हैं, जिन्होंने सब कुछ खो दिया है। हम उन्हें एक नया घर देते हैं, जहाँ वे सुरक्षित महसूस कर सकें। हम उन्हें शिक्षा देते हैं, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें।"
"नवजीवन सिर्फ एक एनजीओ नहीं है, यह एक परिवार है। एक ऐसा परिवार जहाँ हर बच्चे को प्यार मिलता है, हर सपने को पंख मिलते हैं।"
"हम मानते हैं कि हर बच्चे में असीम क्षमता होती है। उन्हें बस एक मौका चाहिए, एक सही दिशा चाहिए।"
"एक नया सवेरा, एक नई उम्मीद... 'नवजीवन' के साथ।"
आगे जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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