वर्जीना को होश आया तो वह हड़बड़ाकर उठकर बैठ गई। उसने इधर उधर देखा। वह अस्पताल के एक वार्ड में बिलकुल अकेली थी। अचानक उस पर खिन्नता-सी छा गई। उसे बीती हुई पूरी घटना याद आ गई थी। उसने दीवानों की तरह चिल्लाकर कहा, 'मुझे यहां क्यों लाया गया है?'

अचानक ऐसा लगा जैसे दरवाजे के सामने से कुछ लोग एकदम भागे हों और वर्जीना बिस्तर से कूदने की मुद्रा में उतरकर बाहर निकली। कारीडोर के दाएं-बाएं नर्सों, जूनियर डाक्टरों, कम्पार्डरों यहां तक कि वार्ड ब्वायज तक की भीड़ दिखाई दी जो उसे आतंकित निगाहों से देख रहे थे।

वर्जीना हाथों में पत्थर होते तो शायद वह उन्हें फेंक-फेंका कर मारने लगती। उसने चिल्लाकर मुट्ठियां भींचकर कहा, ‘क्या देख रहे हो तुम लोग? मैं कोई तमाशा हूं?'

फिर उसने चिल्लाकर कहा, 'मैं वर्जीना हूं मिस वर्जीना ब्यूटी क्वीन।'

'मैं शहर के सबसे बड़े धनवान पुरुष की होने वाली पत्नी हूँ।

अचानक वे सब लोग भाग खड़े हुए। वर्जीना लम्बे-लम्बे कदम भरती हुए हांफती हुई सिविल सर्जना के आफिस में आई तो वह हड़बड़ाकर खड़ा हो गया और जल्दी से बोला 'अरे आप वार्ड से क्यों निकल आई ?'

वर्जीना ने मेज पर घूंसे मारकर चिल्लाकर कहा- 'मैं पूछती हूं, मुझे यहां क्यों लाया गया है ? कुछ देर बाद मेरी सगाई होने वाली थी मिस्टर सिंघानी से।

सिविल सर्जन ने जल्दी से पीछे हटते हुए कहा, 'जी वह आपके ऊपर ब्लैक वुल्फ ने हमला किया था न?'

'हमला नहीं किया था मैंने उसे मौका दिया था।'

'जी हां, इसीलिए आपका मैडीकल चेकअप होता है लेकिन कोई डाक्टर इस चैकअप के लिए तैयार नहीं है।'

'टू हैल विद यू, मुझे कुछ नहीं हुआ। तुम सब लोग पागल हो गए हो किसी ने भी मेरा चेक-अप करने की कोशिश की तो मैं उसकी जान ले लूंगी, जानते नहीं तुम लोग, मैं मिस्टर सिंघानी की होने वाली पत्नी हूं।'

‘जी हां, जी हां, हम भी यही कहते हैं।'

'शटअप, यू बास्टर्ड, मैं तुम सबको जेल भिजवाऊंगी।'

फिर वह हांफती हुई बाहर निकली। वह जिधर से गुजरती उधर ही लोगों की भीड़ काई की तरह से फट जाती थी। वह बाहर आई, कम्पाऊंड में एक टैक्सी खड़ी थी। वर्जीना ने दरवाजा खोलते हुए गुस्से से ड्राइवर से कहा, 'सिंघानी पैलेस चलो तत्काल ही। ड्राइवर अचानक टेक्सी से उतरकर भाग खड़ा हुआ और वर्जीना उसे चिल्ला-चिल्लाकर गालियां देती रह गई। फिर उसने खुद ड्राइविंग सीट संभाली और टैक्सी लेकर चल पड़ी।

सिंघानी पैलेस के फाटक पर खड़े दरबान ने टैक्सी रुकते देखी तो आकर बोला- 'किसको मिलना?’

लेकिन जैसे ही उसकी निगाहें वर्जीना पर पड़ीं वह झपट कर वापस अन्दर घुस गया और निचली खिड़की भी बन्द कर ली। वर्जीना ने चिल्लाकर कहा, 'यू ब्लैडी बास्टर्ड, फाटक खोलो, मैं तुम्हारी होने वाली मालकिन हूं।'

अन्दर से आवाज आई- 'फाटक नहीं खुलेगा। मालिक का हुक्म नहीं है।'

'तुम्हारा मालिक पागल हो गया है सूअर का बच्चा, हरामी कुत्ता।'

फिर उसके हाथ में एक पत्थर आया, वह उसने फाटक पर खींच मारा और वापस टैक्सी में सवार होकर चल पड़ी।

मैडोना होस्टल के फाटक पर टैक्सी रुकी तो दरबान ने वर्जीना को देखकर अन्दर से ही ऊंची आवाज में कहा- ‘फाटक नहीं खुलेगा- मालकिन की आज्ञा नहीं है।'

'ईडियट, हरामजादे, मैं वर्जीना हूं- इसी होस्टल में रहती हूँ।’

अचानक अन्दर से मैडोना की आवाज आई, 'लेकिन अब तुम इस होस्टल में नहीं रह सकतीं।'

‘क्यों नहीं रह सकती ? मैं किराया देती हूं- अपनी आमदनी का फिफ्टी परसेंट देती हूं।’

'तुम्हें छूत की बीमारी लग चुकी है—वह होस्टल की किसी भी लड़की को लग सकती है।'

'यह बकवास है, झूठ है, मुझे कोई बीमारी नहीं लगी।'

'तुम अस्पताल से क्यों भाग निकलीं ?'

'मुझे अन्दर आने दो मैडम- मैं तुम्हें अपना संरक्षक मानती हूं।'

"मैं यहां रहने वाली हर लड़की की संरक्षक हूं।'

अचानक वर्जीना ने पागलों की तरह चिल्लाकर कहा- 'तू किसी की संरक्षक नहीं नीच की सन्तान, तू दलाल है।"

"वर्जिना! तुम पागल हो गई हो।'

"तू दलाल है, तू लड़कियों की दलाल है। यह होस्टल नहीं भोग-विलास का अडडा वेश्यालय है।

सूअर की बच्ची, मैं तेरे विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करूंगी।' फिर उसने पत्थर उठा-उठाकर फाटक पर मारने शुरू कर दिए। अचानक पुलिस की कई गाड़ियों के सायरन गूंजे और फिर अगले ही क्षण वर्जीना भयातुर होकर अन्धाधुंध वहां से भागी।

मैडोना अन्दर से चिल्ला रही थी, 'उसे पकड़ो, वह भाग रही है।'

'पकड़ी न गई, तो अपनी बीमारी जाने कहां-कहां फैलाएगी।'

वर्जीना सड़क पर से छोटी-छोटी गलियों में भागने लगी। ऐसा लगता था जैसे उसका पीछा मौत कर रही हो ।

फिर जैसे ही वह दूसरी सड़क पर पहुंची, अचानक एक गाड़ी उसके सामने रुकी। पिछला दरवाजा खुला और उससे तीखे स्वर में कहा गया,

"जल्दी बैठो, पुलिस करीब है।’ 

वर्जीना जल्दी से गाड़ी में घुस गई। दरवाजा बन्द हुआ और गाड़ी सड़क पर दौड़ने लगी । वह कई पुलिस की गाड़ियों के पास से भी निकली लेकिन उसे किसी ने नहीं टोका जबकि वर्जीना सीटों के बीच नीचे छुपी थर-थर कांप रही थी ।

फिर वर्जीना पर अर्धमूर्छा-सी छाने लगी। पता नहीं कितनी देर बाद वर्जीना की चेतना ने संभाला लिया तो गाड़ी रुक चुकी थी और एक औरत की स्नेहल आवाज उसे पुकार रही थी-

'अपने आपको संभालो बहन|’

वर्जीना उठकर सीट पर बैठ गई । इधर-उधर देखा। गाड़ी आबादी से बहुत दूर एक उपनगरीय स्टेशन से कुछ दूरी पर खड़ी थी ।

वर्जीना ने अगली सीट पर देखा। एक ऐसी औरत ड्राइविंग सीट पर थी जिसने बुर्का ओढ़ रखा था। वर्जीना ने होठों पर जीभ फेरकर कांपते स्वर में कहा– 'क क कौन हो तुम ?'

औरत ने दर्दीली आवाज में कहा- 'मैं भी तुम्हारी तरह ब्लैक वुल्फ की शिकार हूं बहन।'

'नहीं।'

'हां, बहन ! तुम्हारा भेद खुल गया लेकिन मेरा भेद नहीं खुल सका। मैं मोत से ज्यादा दूर नहीं हूं इसलिए अब मैं अपना शेष समय उस ईश्वर के आगे नतमस्तक होकर व्यतीत करती हूं जिसे रूप और यौवन के आवेश और सुख-ऐश्वर्य ने मेरे मन से निकाल फेंका था।'

'बहन'

'मैं अपने करोड़पति घरवाले को भी अपने समीप नहीं आने देती। इसी कारण मुझे तत्व ज्ञान हुआ और मेरी रुचि धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में जाग उठी है। अब मैं अपने आपको इस प्रकार समझाती हुं- हे चित्त ! अब शांत हो, इन्द्रियों के सुख के लिए विषयों की खोज में कठिन परिश्रम मत कर। भीतर की शांति के लिए चेष्टा कर- जिससे दुखों का नाश होकर कल्याण हो, तरंग के समान चंचल चाल को छोड़ दे, संसारी पदार्थों में सुख मत मान- ये सभी नाशवान और सारहीन है—बस तू अपनी आत्मा में ही सुख मान— मैं नहीं चाहती कि मेरी बीमारी मेरे पति तक पहुंचे और पति उन औरतों में बांटता फिरे जिनसे वह मिलता है।"

वर्जीना ने थूक निगला। औरत ने फिर कहा, 'तुम भी मेरे ही जैसी हो - इसलिए मुझे तुम से सम्वेदना है। तुम इतनी प्रसिद्ध हो चुकी हो कि जिस भांति तुम्हारे सौंदर्य की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी— उसी प्रकार अब तुम्हारे इस रोग की चर्चा भी जंगल की आग तरह फैलेगी।'

'नहीं।'

"बहन ! अगर तुम पुलिस के हाथों में पड़ गई तो तुम्हें पागलखाने में भी अकेली रहना पड़ेगा, तुम चिल्लाओगी भी कि तुम पागल नहीं हो तब भी दुनिया नहीं मानेगी – कल तक तुम्हारे आस-पास तुम्हारे जिन चाहने वालों की भीड़ रहती थी वे तुमसे डरकर भागेंगे – तुम्हारे लिए जीना एक बोझ बन जाएगा, हो सकता है— मरने से पहले सचमुच तुम पागल हो जाओ।'

अचानक वर्जीना दोनों हाथों से मुंह छुपाकर फूट-फूटकर रो पड़ी। औरत ने धीरे-धीरे उससे कहा- 'दूसरा रास्ता तुम्हारे सामने एक ही है। एकान्तवास का जीवन। जब तक ईश्वर ने तुम्हें जीवन दिया है तुम किसी ऐसी जगह रहो जहां तुम्हें वर्जीना के रूप में कोई न जानता हो अपने को परोपकार और ईश्वर चिन्तन में खपा दो।'

वर्जीना ने रोते-रोते कहा— 'लेकिन, मैं जाऊं कहां ? '

'दुनिया बहुत बड़ी है बहन-कहीं भी चली जाओ।' फिर उसने नोटों की एक गड्डी देकर कहा, 'ये पांच हजार रुपए मेरी ओर से भेंट स्वरूप स्वीकार करो–सीट पर कपड़े भी रखे हैं— इन सादा कपड़ों में तुम्हें कोई नहीं पहचान सकेगा। तुम सामने के स्टेशन से ट्रेन पकड़ो और यहां से बहुत दूर किसी छोटे-से शहर या गांव में निकल जाओ, हीं तुम्हें आत्मसुख और शांति प्राप्त हो सकती है जहां कोई पहचान वाला तुम तक न पहुंच सके।' वर्जीना सिसकियों और हिचकियों के बीच कपड़े बदलने लगी ।

"और अब पिछली रात से मिस वर्जीना गुम है पुलिस तत्परता से उसकी तलाश में है ताकि उसका पागलपन, उसका रोग दूसरों तक न पहुंचा सके- मिस्टर सिंघानी के बंगले पर सशस्त्र पुलिस का पहरा है और मैडोना होस्टल की मालकिन मैडम मैडोना ने भी सशस्त्र गारद मांग ली है ताकि वर्जीना इन दोनों जगहों पर बलपूर्वक न घुस सके। वर्जीना कांड से सारे महानगर में आतंक फैल गया है। शहर में पुलिस के कड़े सुरक्षात्मक प्रबंध किए गए हैं। नौजवान औरतों और लड़कियों को उस रहस्यमय यौन पिशाच ब्लेक वूल्फ के सम्भावित हमले से बचने के लिए परामर्श दिया गया है कि वे पांच बजे शाम के बाद सार्वजनिक स्थानों पर अकेली न निकलें।

"अब आप उस रहस्यमय ब्लैक वुल्फ का चित्र भली-भांति देख लीजिए और अपने आपको इस यौन-पिशाच से बचाने के आत्मरक्षात्मक प्रबंध भी कीजिए- इसके लिए सरकार सब प्रकार की सुरक्षा आपको जुटाएगी ।

फिर टी० वी० स्क्रीन पर ब्लैक वुल्फ की वह तस्वीर दिखाई गई जो इंस्पेक्टर मोना कपूर ने होटल सेवन स्टार में सिंघानी को दिखाई थी।

★उद्घोषिका कुछ और भी बोल रही थी लेकिन मोना ने टी० वी० का स्विच ऑफ कर दिया और सूरज की तरफ देखा, जो हाथ में चाय की प्याली पकड़े हुए इस तरह-आंखे फाड़े बैठा था जैसे वह किसी जादू की कहानी में स्वयं एक पात्र बन गया हो।

मोना ने मुस्कराकर उसके चेहरे के आगे चुटकी बजाई और सूरज इस तरह चौंक पड़ा जैसे वह सोते से जाग पड़ा हो। मोना ने मुस्कराकर चाय का घूंट लेकर कहा, 'क्या सोचने लगे ?'

सूरज ने थूक निगलकर कहा, 'मैं वर्जीना के बारे में सोच रहा हूं।"

'वर्जीना अब तक सैकड़ों मील की दूरी पार कर चुकी होगी। मैं सोच रहा हूं, कल इस समय तक वर्जीना के सपने में भी क्या यह सब होगा ?"

“होगी।'

इंस्पेक्टर मोना क्रूर मुद्रा में मुस्कराई और बोली- 'कल इस समय वह आसमानों पर उड़ रही होगी, कल्पना, में वह श्रीमती सिंघानी बनी हुई चार्टेड हवाई जहाजों में स्विजरलैंड इटली और फ्रांस में हनीमून मनाने के सपने देख रही होगी और उसके चाहने वालों के दिलों पर सांप लोट रहे होंगे और आज।'

मोना धीरे से हंसकर बोली, 'आज सिंघानी इस कल्पना से भी कांप उठता होगा कि अगर धोखे से उसकी शादी वर्जीना से हो जाती और वह भी एड्स का रोगी बन जाता तो मौत उसे किसी समय भी अपनी गोद में समेट सकती थी।

'आज मिस वर्जीना ब्यूटी क्वीन को हर चाहने वाला— वर्जीना के नाम से भी कांप उठता होगा और यह सोचकर संतोष अनुभव करता होगा कि सिंघानी की जगह वह नहीं था।'

मोना ने ठंडी लम्बी सांस ली और बोली, 'मौत को किसी ने नहीं देखा मौत कितनी भयानक होती है। यह कोई नहीं जानता लेकिन मौत की कल्पना ही इंसान को कितना भयभीत कर देती है कि उसके सामने उस ब्यूटी क्वीन की परछाई में भी मौत नजर आने लगती है। जिसके लिए प्राण देने का मौखिक दवा शायद सिंघानी और वर्जीना के प्रेमियों ने हजारों बार किया होगा।'

कुछ क्षण रुककर उसने फिर कहा- "हालांकि दुनिया का हरेक व्यक्ति जानता है कि एक दिन उसे मरना अवश्य है।’

उसने चाय का घूंट लेकर सूरज की तरफ देखा और मुस्कराकर बोली- 'लेकिन तुमने भी ब्लैक वुल्फ का कैरेक्टर भली-भांति निभाया।

सूरज ने एक घूंट लिया और बोला- 'मान लीजिए ब्लैक वुल्फ एक का

ल्पनिक कैरेक्टर है अगर कानून पर यह भेद खुल गया तो?"

इंस्पेक्टर मोना कोई केस बिना किसी ठोस बुनियाद सॉल्व नहीं करती।’

'ठोस बुनियाद ?

'हां, ब्लैक वुल्फ एक वास्तविक कैरेक्टर है। 

'नहीं।'

सूरज की खोपड़ी झनझना गई। मोना ने कहा, 'कई वर्षं पहले आस्ट्रेलियाई गुप्तचर पुलिस ने इन्टरपोल को ब्लैक वुल्फ के बारे में सूचना दी था और इन्टरपोल के द्वारा दुनिया के हरेक देश को न केवल अवगत किया गया बल्कि ब्लैक वुल्फ की वैसी ही तस्वीर भी उपलब्ध कराई गई थी।'

"ओहो!"

'ब्लेक वुल्फ वास्तव में आस्ट्रेलिया का वासी है जिसने अट्ठारह वर्ष की आयु में सिडनी के बैंक में एक करोड़ अमेरिकी डालर के बराबर की धनराशि का डाका मारा था।'

'नहीं।'

'और जानते हो यह डाका उसने किसलिए मारा था।'

'किसलिए ?'

 

क्रमशः 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.