'हालीवुड की एक बहुत मशहूर और सैक्सबम अभिनेत्री की एक रात भोगने के लिए।'
‘माई गॉड।’
'हालीवुड की उस संवसम की एक रात भोगने के बाद उसे पता चला कि उस सेक्सबम की देह में जहां दुनिया की ज्यादा से ज्यादा सुन्दरता और सैक्स समाई हुई थी, वहीं वह इस खतरनाक बीमारी एड्स की भी शिकार जो थी उस नौजवान को लग गई थी—
‘ओहो ।'
'सबसे पहले उसकी प्रेमिका ने उसे ठोकर मारी और उसने पाशविकता में अपनी प्रेमिका को भी वह बीमारी दे दी। उसके बाद वह जनूनी बन गया और उससे जितना नौजवान लड़कियां दूर भागती उसकी दीवानगी उतनी ही बढ़ती।
उसने सिडनी को दर्जनों लड़कियों को शिकार बनाया। जब पुलिस पीछे लग गई तो देश के अन्य प्रान्तों में निकल गया फिर एक पड़ोसी देश में पहुंच गया और फिर वह एक अन्त राष्ट्रीय यौन अपराधी घोषित कर दिया गया।'
सूरज हक्का-बक्का उसे देख रहा था। मोना ने खाली प्याली मेज पर रखी और बोली 'मैं इस शहर के दर्जनों सैक्स केसों को जानती हूं जिनकी कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं है और धीरे-धीरे अब यह बीमारी इतनी साधारण होने लगी है कि पहले जो अपराध औरत के प्रति मर्दों के द्वारा होते थे वही अपराध अब औरतों के हाथों मर्दों के प्रति हो रहे हैं जिसका एक उदाहरण तुम हो।'
उसने ठण्डी सांस लेकर कहा, 'पहले मैं तुम्हें उस ट्रेन से कूदकर जान देने वाली लड़की का अपराधी समझी थी— लेकिन उसकी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, तुम्हारी कहानी, प्रिंसिपल की करनी, तुम्हारी नाम की भाभी सीमा की करनी और फिर यूसुफ का बयान मैडोना वर्किंग गर्ल्स होस्टल की असलियत- इन सब बातों से मेरे दिमाग में जो स्कीम चिरकाल से उबल रही थी, वह पक गई और ब्लैक वुल्फ की भूमिका निभाने के लिए मुझे तुमसे बढ़कर उपयुक्त और विश्वस्त व्यक्ति नहीं मिल सकता था।
फिर वह मुस्कराई और बोली, ‘और तुमने मेरी स्कीम के मात्र आरम्भ का ही नतीजा देख लिया।'
सूरज ने उत्सुकतावश पूछा तो क्या मात्र आरम्भ है ?'
'हां, सूरज ! अभी हमें बहुत कुछ करना है, क्योंकि वर्जीना की घटना का आतंक कुछ दिनों बाद कम होता हुआ लुप्त हो जाएगा और फिर सब कुछ सामान्य हो जाएगा और मेरा वह लक्ष्य पूरा नहीं हो सकेगा जिसे पूरा करना अपने जीवन का मैं उद्देश्य समझती हूं।'
सूरज ने गम्भीरतापूर्वक कहा- 'आपका तात्पर्य है, मुझे अभी और भी पाप करने होंगे? "
'मैं फिर कहूंगी कि तुम इन्हें पाप क्यों समझते हो ?'
'इसलिए कि मैंने अपनी जिन्दगी की वह सब से बड़ी दौलत जो शादी के बाद मुझे अपनी पत्नी के लिए सुरक्षित रखनी चाहिए थी, मिस वर्जीना जैसी वेश्या पर गंवा दी और अब आप कहती हैं कि मैं अपनी यह दौलत |’
मोना ने सूरज की बांह पर हाथ रखा और बोली- 'मैं तुम्हारी बात समझ रही हूं सूरज ! लेकिन तुम यह क्यों नहीं सोचते कि तुम्हारा नाम सूरज है और सूरज निज को आग में तपाता रहता है मगर सारी दुनिया को रोशनी और ऊर्जा देता है। तुम जो कुछ गंवा रहे हो वह किसी उद्देश्य के लिए गंवा रहे हो और जब वह पूरा हो जाएगा तो तुम्हें जिस शांति का आभास होगा उसका अनुमान तुम आज नहीं लगा सकते, क्योंकि इसका परिणाम बाद में देखने को मिलेगा।'
सूरज ने खड़े होकर धीरे से कहा- 'यह सब आप इसलिए कह रही हैं कि आप मेरी जगह नहीं | आप मेरी पीड़ा को कैसे समझ सकती हैं ?"
इंस्पेक्टर मोना ने उसे अपलक देखा और बोल 'तो तुम्हें इस बात का दुख है कि यह पीड़ा तुम अकेले झेल रहे हो ?'
उसने सूरज की बांह पकड़कर कहा- ‘आओ, मेरे साथ चलो।'
वह सूरज को अपने बेडरूम में लाई । दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फिर सूरज की तरफ मुड़कर दोनों हाथों को फैलाकर बोली- ‘आओ, आगे बढ़ो और शामिल कर लो मुझे भी अपनी पीड़ा में।'
'मोना जी।'
सूरज की आवाज कांप गई। मोना ने फिर कहा- "अगर तुम्हें अपनी अनमोल दौलत गंदाने का दुख है तो उसकी जिम्मेदार मैं हूं। तुम मुझे भी मेरी उस दौलत से वंचित कर दो।'
'नहीं।'
'मैं तुम्हें वचन देती हूं कि जितनी बार तुम अपनी यह दौलत गंवाकर आओगे-उतनी ही बार मैं तुम्हारे हाथों अपनी दौलत गंवाने के लिए तैयार रहूंगी क्योंकि यह स्कीम मेरी है और मैं क्योंकि मर्द नहीं हूं इसलिए इसको मूर्त रूप नहीं दे सकती।'
सूरज की आंखें छलक पड़ीं। उसने धीरे से कहा- "मुझसे भूल हो गई। मोनाजी! मुझे क्षमा कर दीजिए आपने जो स्कीम बनाई है वह जन कल्याण के लिए है अगर उसके लिए कोई भेंट देना सिर्फ मर्द ही का काम है तो मैं आपको इस भेंट से दूर ही रखूंगा, क्योंकि अगर मैं आपकी इज्जत की बलि मागूंगा तो यह पाप होगा जो मेरे दूसरे पुण्य को भी पाप बनाकर रख देगा। जो काम मेरा है वह काम सिर्फ मैं ही करूंगा, चाहे मुझे उसके लिए अपनी उम्र ही क्यों न गंवानी पड़े।’
मोना ने ठण्डी सांस ली और मुड़कर बोली- 'तुम बहुत अच्छे हो सूरज जिस काम को तुम्हारे जैसे नौजवान एक लुभावना भोग-विलास समझते हैं, उसे तुम एक पुण्य के स्वरूप करने पर भी अपनी आत्मा पर बोझ महसूस कर रहे हो। मुझे गर्व है कि अभी हमारे देश में तुम जैसे नौजवान भी हैं ।'
सूरज ने अपने आंसू पोंछे और बोला- 'अगला प्रोग्राम क्या होगा ?"
‘आओ, काम के कमरे में चलें-मैं तुम्हें समझाऊंगी।'
फिर वे दोनों बैडरूम से निकल आए। सूरज के चेहरे पर अब गहरी शांति दिखाई दे रही थी।
सरस्वती स्कूल की प्रिंसिपल ने प्रार्थना पत्र पर निगाह डाली और चपरासी से बोली- 'कौन है यह आदमी ?
'पता नहीं, आप कहें तो भगा दूं ?"
'नहीं, एक बार मिलने के बाद फैसला करूंगी ।"
चपरासी के तेवर बदल गए, उसने कहा- 'तो फिर बुला लाऊं उसे?'
'हां, यहीं बुला लाओ ।'
चपरासी चला गया। प्रिंसिपल जल्दी जल्दी छोटे से आईने में देखकर अपना मेकअप ठीक करने लगी फिर वैनिटी बैग वापस अन्दर रखकर वह रजिस्टर पर इस तरह झुक गई जैसे बहुत ज्यादा व्यस्त रहती हो। कुछ देर बाद सीढ़ियों पर पदचाप गूंजीं। फिर चपरासी की लठमार आवाज आई-
'आ गए हैं मैडम ।'
प्रिंसिपल ने नजरें उठाए बिना कहा – ‘आने दो ।'
पदचाप मेज के पास आकर रुक गई और फिर जब प्रिंसिपल ने निगाहें उठाई तो उसकी पूरी देह झनझना गई। रीढ़ की हड्डी में चीटियां-सी रेंगने लगीं।
सामने एक स्वस्थ नौजवान खड़ा हुआ था। घनी मूंछें, कचकट दाढ़ी, गहरो ब्राऊन आंखों की पुतलियां जो प्रिंसिपल के अधखुले गिरेबान के अन्दर झांक रही थीं जैसे और ज्यादा अन्दर को देख-भाल रही हों। प्रिंसिपल ने थोड़ा और आगे झुककर कहा, 'तुम्हारे पास कोई पिछला अनुभव तो है ही नहीं।'
'मैडम ! चांस मिलने से ही अनुभव आता है - एक बार चांस देकर तो देखिए- अगर मेरे काम से संतुष्ट न हों तो निकाल बाहर कीजिएगा।
अचानक चपरासी ने झटके से कहा, "मैं खड़ा रहूं या चला जाऊं ?”
प्रिंसिपल गुस्से से लाल हो गई। उसने दहाड़कर कहा- 'गेट आऊट, जब तक मैं न बुलाऊं अपनी मनहूस शक्ल मत दिखाना।'
चपरासी झटके से मुड़कर चला गया। नौजवान ने कहा- 'बड़ा बदतमीज चपरासी रखा है आपने— मेरा तो जी चाह रहा था उठाकर नीचे फेंक दूं ।'
प्रिंसिपल ने थोड़ी सी मुस्कराकर कहा- 'क्यों ?'
"अरे, आपके कमरे में लाते हुए ऐसे डर रहा था जैसे में आपको उड़ाकर ले जाऊंगा। मैं एक शरीफ आदमी हूं ।'
"हुं, कहां रहते हो ?"
'अभी तो कहीं नहीं रहता।'
'क्या मतलब ?"
"बस तकदीर यहां ले आई है। इतनी बड़ी इमारत है। किसी कोने में फर्श पर ही दरी बिछाकर सो जाऊंगा।'
"तुम्हें रहने की जगह भी मिल जाएगी।'
'ओ, मैडम ! फिर तो आपका गुलाम बन जाऊंगा।'
'आओ, पहले तुम रहने की जगह ही देख लो ।'
'अरे वाह-वाह, मैडम ! आपके बच्चे जिएं।'
'हमारी शादी नहीं हुई।’
'नाईस '
'व्हाट'
'मेरा मतलब है जो औरतें ज्यादा उम्र तक शादी नहीं करतीं, वही इस उम्र में भी सेक्सी और मनमोहक नजर आ सकती हैं।'
'ईडियट, तुम यहां बकवास करने आए हो या नौकरी करने ?'
‘बकवास का तो मैं एक्सपर्ट हूं, लेकिन आपका हुक्म होगा तो मुंह बन्द रखूंगा।'
"आओ, बैडरूम देखें।'
'धन्यवाद, धन्यवाद ।'
प्रिंसिपल नौजवान को उसी बेडरूम में लाई जिसमें एक तरफ एक नंगी औरत की तस्वीर लगी थी। नौजवान सब कुछ छोड़कर तस्वीर को एकटक देखता हुआ बोला-
'वाह, क्या पेंटिंग है।'
फिर वह मुड़कर बोला- 'लेकिन तू डर क्यों रहा है ?"
'म म मैडम ! यह तो यह तो ऐसा ही निशान है।'
'कैसा निशान ?'
'जैसा टी० वी० पर दिखाया था— अखबारों में जिसका फोटो छपकर आया था -- वह काला काला भेड़िया। अचानक प्रिंसिपल हड़बड़ाहट में मेज के पीछे से निकलती हुई चिल्लाने की मुद्रा में बोली- 'झूठ बोल रहा है तू, झूठ बोल रहा है।'
'म'म मैं मैं सच कह रहा हूं।’
और फिर अचानक चपरासी पलटकर घबराया बाहर निकलकर भागा। प्रिंसिपल दरवाजे की तरफ झपटती हुई. चिल्लाई- "ठहर जा, ओ कुत्ते, हरामजादे, ठहर जा।'
लेकिन चपरासी ने एक-एक छलांग में कई कई सीढ़ियां पार कीं। आखिरी सीढ़ियों से वह फर्श पर गिरा और ऊपर से प्रिंसिपल ने चिल्लाकर कहा- "ठहर जा, सूअर के बच्चे।'
लेकिन चपरासी वेग से बाहर भागता हुआ चिल्लाया - 'इस्तीफा भिजवा दूंगा।' उसकी चीख सुनकर एक अधेड़ उम्र की टीचर क्लास रूम से निकल आई। चपरासी को बौखलाहट में भागते देखकर जोर से बोली-
"अरे क्या हो गया तुझे ? चपरासी ओ चपरासी।'
चपरासी ने भागते-भागते पलटकर चिल्लाकर कहा, "भागो, मैडम को काला भेड़िया काट गया।'
टीचर उछलकर चिल्लाई— 'क्या ? काला भेड़िया ?'
फिर उसने ऊपर देखा जहां से प्रिंसिपल दीवानों की तरह चीख रही थी।
'झूठ बोल रहा है। खबरदार जो कोई बाहर गया। एक एक को नौकरी से निकाल दूंगी और किसी को तनख्वाह नहीं मिलेगी।
सहसा टीचर ने चिल्लाकर बच्चों से कहा- भागो, बच्चो ! जल्दी-जल्दी भागो-मैडम को काला भेड़िया काट गया है।'
फिर स्कूल में ऐसी भगदड़ मच गई जैसे वहां भूचाल आ गया हो और पूरी इमारत गिरने वाली हो । प्रिंसिपल गला फाड़-फाड़कर चिल्लाती रही, लेकिन देखते ही देखते स्कूल वीरान हो गया। एक बच्चा भी नजर नहीं आ रहा था।
प्रिंसिपल के पूरे शरीर में थरथरी हो उठी थी । दिल ने में किसी हथौड़े की तरह बज रहा था। सांसें बुरी तरह फूली हुई थीं, उसकी कल्पता में वर्जीना घूम रही थी और फिर उसकी वह दीवानगी जो उसने सिंघानी से सगाई टूटते समय देखी थी।
प्रिंसिपल लड़खड़ाती हुई वापस आफिस में आई और कुर्सी पर इस तरह गिर पड़ी जैसे उसकी टांगों में थोड़ा-सा भी दम न रहा हो। उसकी कल्पना में टी० बी० की खबर में ब्लैक वुल्फ का विज्ञापन, अखबारों में बड़े-बड़े इश्तहार और चेतावनी घूम रही थी और आवाजें भी घूम रही थीं। ‘भागो-भागो मैडम को काला भेड़िया काट गया।
'मैडम को काला भेड़िया काट गया।' प्रिंसिपल की आंखों में अन्धेरा-सा छाने लगा ।
'तो अब मेरी भी वर्जीना जैसी दुर्गति होगी ?'
'वह सूअर का बच्चा - काला भेड़िया था ।
'मुझसे भी लोग दूर भागेंगे। क्या सोसायटी के सारे दरवाजे मुझ पर बन्द हो जाएंगे ?
'काश काश ! मुझे मालूम हो गया होता तो मैं मैं उसे गोली मार देती। जिन्दा नहीं छोड़ती। उस सूअर के बच्चे को गोली ही मार देनी चाहिए । उसे जान से मार डालवा चाहिए । अभी वह लोकल स्टेशन तक भी नहीं पहुंचा होगा।'
प्रिंसिपल ने कंपकंपाते हाथों से ड्राअर खोलकर उसमें से रिवाल्टर निकाला। फिर वह कुर्सी से इस तरह उठी जैसे उसके शरीर का बोझ कई गुणा बढ़ गया हो ।
अचानक टेलीफोन की घण्टी ने उसे अपनी ओर आकृष्ट कर लिया और उसने कंपकंपाते हाथ से रिसीवर उठाकर फंसी- फंसी आवाज में कहा
‘हैलो ।’
दूसरी तरफ से पुरुष स्वर कुछ घबराया हुआ सुनाई दिया - 'सरस्वती स्कूल ?'
'यही है ।'
'आप प्रिंसिपल महोदया हैं ।'
'अभी-अभी आपके स्कूल की एक लेडी टीचर और चपरासी ने हमें जो सूचना दी है। क्या वह बिलकुल ठीक है ?
'हां, उसी ब्लंक वुल्फ ने नौकरी के बहाने मेरे ऑफिस में जाकर मुझे अकेली पाकर मेरी इज्जत के ऊपर हमला कर दिया ।
'ओह ! देखिए, आप जहां हैं वहीं ठहरिए—मैं सिविल अस्पताल फोन कर रहा हूं।'
'मैं उस सूअर के बच्चे को मारने जा रही हूं—वह अभी लोकल स्टेशन तक भी नहीं पहुंचा होगा - उसे मर ही जाना चाहिए।'
"मैडम ! प्लीज, आप बाहर मत निकलिए।' लेकिन प्रिंसिपल ने रिसीवर रख दिया। रिवाल्वर लेकर लम्बे-लम्बे कदम भरती हुई बाहर निकल आईं। नीचे उतरो तो इमारत वीरान पड़ी थी।
कुछ देर बाद वह कार में सवार थी और कार स्टेशन की तरफ दौड़ रही थी। उसकी आंखों में खून सवार था और -दीवानगी-सी झांक रही थी ।
अचानक एक नौजवान को देखकर उसने गाड़ी को ब्रेक लगाए और चिल्लाकर बोली- 'ठहर जा सूअर के बच्चे ! बचकर कहां जाएगा ?"
नौजवान ने पलटकर आश्चर्य से उसे देखकर पूछा - 'क्या हुआ ? देवी जी।'
‘देवी के बच्चे, ब्लैक वुल्फI आज तेरी जिन्दगी का आखिरी दिन है ।
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