नेहा के कमरे से चिल्लाने की आवाज़ सुनकर, सभी गार्ड्स तुरंत उसके कमरे के बाहर पहुँच गए। उस फ़्लोर की सारी लड़कियाँ भी भीड़ बनाकर वहाँ खड़ी हो गईं, और धीरे-धीरे लड़के भी आने लगे। नेहा के कमरे के अंदर कोई और नहीं, रोहित था, पर यह बात नेहा और उसकी रूममेट्स को तब पता चली, जब रोहित ने लाइट्स ऑन कीं और लाइट्स ऑन करते ही कहा,
रोहित: "अरे! मैं हूँ रोहित. तुम सब चिल्लाकर जंगल के सारे जानवर भगा दोगी क्या?"
रोहित को देखकर नेहा की रूममेट्स तो शांत तो हो गईं, पर बाहर जो चिल्लाने से भीड़ इकट्ठा हो गयी थी उसका क्या? नेहा के सामने दो मुश्किल सिचुएशन थीं जिनका हल नेहा को फ़ौरन खोजना होगा। पहला, आखिर रोहित का इतने रात को नेहा के रूम में आने के पीछे मकसद था और दूसरा, अब इसे गार्ड्स और लोगों के नज़रों से बचा कर कैसे यहां से निकाला जाए।
कुछ देर रुकने के बाद नेहा ने फाइनली अपने रूम का दरवाज़ा खोला, अंदर उसकी रूममेट्स घबराए हुए एक्सप्रेशन के साथ बेड पर बैठी हुई थीं। गार्ड्स और बाकी लोग कमरे में अंदर आ गए और उन लड़कियों से चिल्लाने का कारण पूछने लगे। डर के मारे वो सब कन्फ्यूजिंग बातें करने लगीं: "वह आया था... डरावना था... चला गया... अब सब चले जाओ।"
सब लोग उनके जवाब सुनकर और भी कन्फ्यूज हो गए। उनकी कन्फ्यूज़िंग बातें सुन एक गार्ड आगे आया और सख़्त आवाज़ में बोला, "अगर आप लोग ऐसे एक साथ बोलेंगी तो हमें कुछ समझ नहीं आएगा, प्लीज़ एक-एक करके अपनी बात रखिये।"
यह सुनकर, तीनों लड़कियाँ एक दूसरे की तरफ़ देखने लगीं, थोड़ी घबराई हुई। तभी, पीछे से किसी की आवाज़ आई, "तुम लोगों के कमरे में भी सांप आ गया था क्या?"
उसकी बात सुनते ही, तीनों को एक अच्छा जवाब मिल गया। सब एक साथ बोलीं, "हाँ! इसलिए हम देखकर चिल्लाने लगीं।"
सांप के बारे में सुनते ही गार्ड्स रूम के चारों तरफ़ ध्यान से देखने लगे। उन्हें सांप ढूंढते हुए देखकर, नेहा घबरा गई। नेहा सोचने लगी, अगर गार्ड्स ऐसे ही नेहा के कमरे में सांप खोजने लगे, तो शायद बाथरूम में छिपा रोहित पकड़ा जाएगा। नेहा को समझ आ गया कि उसे कुछ करना होगा, वरना रोहित की मुश्किल बढ़ जाएगी।
नेहा (घबराते हुए): "सांप आया था, पर वह बालकनी से वापस बाहर चला गया। हम बस उसे देखकर डर गए थे।"
नेहा की बात सुनकर गार्ड्स और सब लोग कंविन्स हो गए और वापस चले गए। लेकिन, जिस आदमी ने सांप की बात छेड़ी थी, वह अभी भी कमरे में था। आदमी बोला, "ध्यान से, यह सांप ज़हरीला भी हो सकता है।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया। नेहा सोचने लगी कि यह कितना अजीब है, कोई ऐसे सिचुएशन में मुस्कुराते हुए कैसे जा सकता है।
नैरेटर - जैसे ही सब चले गए, रोहित बाथरूम से बाहर आया। और आते ही नेहा की तरफ़ बढ़ा।
रोहित: "कौन था वह आदमी?"
नेहा : "कौन सा आदमी?"
रोहित: "वह जिसने सांप देखने की बात की थी।"
रोहित को इस आदमी की आवाज़ जानी-पहचानी सी लग रही थी। तभी रोहित को याद आया कि यह वही आदमी था जिसने रोहित को नेहा के कमरे का पता बताया था। लेकिन जब तक रोहित नेहा से कुछ और पूछता, नेहा का गुस्सा और भी बढ़ गया था। नेहा के गुस्से को देखकर, रोहित थोड़ा घबरा गया।
नेहा (गुस्से में): "यह क्या बचकानी हरकत है रोहित? किससे मिलने आए हो यहाँ? बाहर निकलो अभी के अभी!"
नेहा को रोहित पर चिल्लाता देख उसकी एक रूममेट नेहा को शांत कराने की कोशिश करने लगी। नेहा को शांत होता न देख, वो नेहा पर तंज कस्ते हुए कहती है, "हाँ नेहा , और जोर से चिल्लाओ, फिर से सब वापस आ जाएँगे। और हम इस बार फंस जाएँगे।" अपनी रूममेट की ये बात सुन नेहा अपने आवाज़ को थोड़ा कंट्रोल करने की कोशिश करती है।
नेहा (गुस्से में मगर धीमी आवाज़ में): यहाँ क्यों आए रोहित? तुमको आइडिया भी है अभी कितना बड़ा बवाल हो सकता था?
रोहित को अब समझ नहीं आ रहा था कि वह वह ऐसा क्या बोल दे जिससे की नेहा का गुस्सा शांत हो जाए। अगर वह कहता कि नेहा से मिलने आया था, तो नेहा न जाने गुस्से में क्या-क्या कह देती। नेहा का चेहरा गुस्से में लाल हो चुका था, रोहित की तरफ से कोई जवाब ना आता देख, नेहा का चेहरा गुस्से से और लाल होने लगा था। इधर रोहित नेहा की डाँट सुनते हुए, सिर झुकाए खड़ा था.
नेहा की दूसरी रूममेट सिचुएशन को संभालने की कोशिश करते हुए रोहित से कहने लगी, "सुनो रोहित! तुम्हें अब यहाँ से वापस जाना चाहिए। जो भी बात करनी है, वह सुबह कर लेना। और प्लीज़, ध्यान से जाना।"
यह सुनकर नेहा ने रोहित की तरफ़ से अपना मुँह फेर लिया। रोहित छोटे बच्चों की तरह मुँह बनाकर नेहा की तरफ़ देखने लगा। रोहित को पता था कि दुनिया में ऐसा कोई मंत्र नहीं है जो नेहा को शांत कर सके। रोहित ने दूसरी लड़कियों की तरफ़ देखा, वो दोनों मुस्कुरा रही थीं। रोहित ने सोचा की उसे जल्द ही कुछ करना होगा वरना नेहा के गुस्से से उसे कोई भी नहीं बचा पाएगा।
नेहा : "रोहित, जवाब दो। इतनी रात यहाँ क्यों आए हो?"
रोहित: "यह मैडम जो चिल्ला रही है, उनसे तो मिलने नहीं आया हूँ, मैं तो तुम दोनों से मिलने आया हूँ।"
नेहा के रूममेट्स को भी पता था कि रोहित अपने आपको बचाने के लिए ऐसा कह रहा है, रोहित तो नेहा के रूममेट्स को जानता तक नहीं था। वह दोनों रोहित के इस झूठ पर हामी भरते हुए, सुबह मिलने का वादा करने लगीं और रोहित को वापस भेज दिया। नेहा भी चिढ़ कर बिस्तर पर वापस आ गई, अब वह और भी गुस्से में थी।
नेहा की रूममेट ने नेहा को चिढ़ाने के अंदाज़ में पूछा -"नेहा सच बताना, क्या तुम जिससे लड़कर यहाँ आई हो, वह रोहित तो नहीं है न? ऐसा लगता है, रोहित यहाँ बस तुम्हें मनाने ही आया है।"
अपनी रूममेट के इस मज़ाक से नेहा का गुस्सा और भी बढ़ गया। नेहा नहीं चाहती थी की कैंप में उसके और रोहित के बीच किसी रिलेशन को लेकर कोई अफवाह उड़े। अब नेहा सिर्फ सुबह होने का इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही सुबह हुई, नेहा तैयार होकर नाश्ता करने चली गई। डाइनिंग हॉल के एरिया में पहुँचते ही नेहा की नज़रें रोहित को खोजने लगी। रोहित को एक किनारे टेबल पर बैठे देख, वह सीधे रोहित की टेबल पर गई और उससे अपने साथ चलने को कहा। रोहित शांति से उठा, अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ़ किए और, नेहा के पीछे-पीछे चला गया। यह सब देखकर कैंप के बाकी लोग मुस्कुराने लगे। नेहा इस मुस्कुराहट से और चिढ़ गई।
नेहा रोहित को एक कमरे में ले गई। सुबह का सेशन शुरू होने में अभी वक्त था, और सारे मेंबर्स अपना नाश्ता कर रहे थे। यहाँ नेहा और रोहित को कोई नहीं डिस्टर्ब करेगा। नेहा, रोहित से रात से ही गुस्सा थी। उसने रोहित की तरफ़ देखा, और उससे सीधे पूछा कि आखिर वह चाहता क्या है? यह बचकाना बिहैवियर क्यों? रोहित ने अब तक नेहा को अपनी ज़िन्दगी के बारे में कुछ नहीं बताया था। रोहित की आधी-अधूरी बातें नेहा को अब परेशान करने लगी थीं। और अब नेहा का रोहित पर से भरोसा उठ चुका था। नेहा रोहित के और झूठ बर्दाश्त नहीं कर सकती।
नेहा: “रोहित! तुम बदल गए हो न? और मुझे अब नए लोगों को नहीं जानना। नहीं है मेरे अंदर इतनी शक्ति। प्लीज़, मेरा पीछा छोड़ दो।”
नेहा, रोहित को अब तक अपना वही पुराना कॉलेज का दोस्त मानती आ रही थी जिसके साथ नेहा ने अपने कॉलेज के कुछ सबसे बेहतरीन पल गुज़ारे थे। लेकिन रोहित, अब जो इंसान बन गया था, या शायद बनने का दावा कर रहा था, उससे नेहा को कोई लेना-देना नहीं था। नेहा अब इस रोहित से और कुछ कहना नहीं चाहती थी। वह बस अपने दर्द और मुश्किलों को और नहीं बढ़ाना चाहती थी। यह सोचकर वो वहाँ से जाने लगी।
तभी रोहित ने बहुत ही धीमी आवाज़ में उससे रुकने की रिक्वेस्ट की। नेहा ने पीछे मुड़कर देखा तो रोहित अपने घुटनों पर उसके सामने सिर झुकाए बैठा था, और उसकी आँखों में फिर से आँसू थे।
रोहित: "नेहा , मैं तुम्हें सब बताना चाहता हूँ। पर मुझे थोड़ा वक्त दो।"
नेहा : "वक्त ही तो देती आई हूँ मैं पूरी ज़िंदगी। पहले मृत्युंजय को और अब तुम्हें। बस अब और नहीं। या तो तुम मुझे आज सब कुछ सच बता रहे हो या फिर मैं यह कैंप छोड़कर जा रही हूँ।"
नेहा के मुँह से कैंप छोड़कर जाने वाली बात सुनकर रोहित डर गया। रोहित नेहा को कहीं जाने नहीं देना चाहता। रोहित ने बहुत हिम्मत करके नेहा को अपनी ज़िंदगी के बारे में बताना शुरू किया।
रोहित: "याद है जब हमारा कॉलेज में आखिरी दिन था और मैं तुमसे बात करने आया था।"
नेहा : "हाँ, याद है।"
रोहित: "और तुम मुझसे बात किए बिना ही वहाँ से चली गई।"
नेहा : "वो… मैं।"
रोहित (नेहा की बात काटते हुए): "मुझे कोई explanation नहीं चाहिए अब। मैं move on कर चुका हूँ। पर उस दिन मेरा दिल टूट चुका था
रोहित की बातें सुनकर नेहा घबरा गई, नेहा फिर से अपने उस अतीत का सामना नहीं करना चाहती थी जिसे सोचकर वो आज भी शर्मिंदा है। रोहित के लिए शायद आसान रहा होगा उस दिन को भूलकर आगे बढ़ जाना, मगर नेहा आज भी उस दिन को याद करती है। लेकिन नेहा समझ नहीं पा रही है की रोहित फिर से उस दिन का जिक्र क्यों कर रहा है? क्या वाकई उसके दिल में नेहा के लिए आज भी प्यार है, या कहीं रोहित नेहा को एक बार फिर प्रपोज़ तो नहीं कर देगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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