विक्रम : रिया ऑटो से क्यूँ गई?? वह ड्राइवर को भी तो फोन लगा सकती थी गाड़ी लाने के लिए।
रिया का समय से पहले निकलना, ऑटो से जाना, विक्रम को मन ही मन और डरा रहा था। घर पहुँच के देखा तो रिया वहाँ थी ही नहीं। फिर कहां गई होगी, यह सोचकर वह घबरा गए। विक्रम तुरंत रिया की दोस्त नेहा को कॉल करते हैं।
विक्रम: हैलो.. नेहा बेटा, रिया तुम्हारे साथ है क्या?
दूसरी ओर से नेहा की आवाज आई, “मेरे साथ? नहीं तो, अंकल। क्या हुआ, रिया ठीक तो है?”
विक्रम: पता नहीं ।
विक्रम अब टेंशन में थे। कहां जा सकती है रिया? फिर उन्हीं लोगों के बीच तो नहीं पहुंच गई, जिनके कारण इस हाल में पहुंची है? विक्रम उसे कॉल लगाते हैं मगर वह फोन नहीं उठाती। इस पर विक्रम का दिल और बैठ गया।
इससे पहले भी ऐसा कई बार हुआ था कि रिया बिना बताए चली जाती थी, मगर अब विक्रम उसे उन रास्तों से बचाना चाहते थे। रिया की फ़िक्र उन्हें घर में नहीं रहने दे रही थी लेकिन कहाँ ढूंढने जाते? उसका इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था,
विक्रम: कहाँ पता करूँ, समझ नहीं आ रहा.. रिया, प्लीज फोन उठाओ.. अब कोई नादानी मत करना बेटा.. पहले से ही तेरे जीवन में बहुत परेशानियां हैं।
बेबस हो कर विक्रम सोफे पर सिर टिकाकर बैठ गए और रिया के लौटने का इंतजार करने लगे। वहीं रिया का ऑटो एक कॉलोनी के गेट पर जाकर रुकता है। रिया वहीं उतर कर आगे पैदल चल देती है। यह शहर की एक पुरानी कॉलोनी थी जहां विक्रम का पुराना घर था और रिया के कुछ पुराने दोस्त। आगे बढ़ते हुए रिया की नजर अपने पुराने दोस्तों पर पड़ी, जिनको देख वह खुश हो गई,
रिया: सब कितने बदल गए हैं, मगर मैं अभी भी तुम सबको पहचान सकती हूँ ... गुंजन, अंजू , गौरव।
रिया उन सबको देख खुशी से उछल पड़ी पर वह सब शरीफ मुहल्ले में रहने वाले शरीफ लोग थे और रिया अब उनकी दुनिया में बदनाम थी। यह वही लोग थे जो रिया के लिए कभी एक परिवार की तरह थे। हर हाल में रिया के साथ खड़े होते थे लेकिन आज उसे अजनबी की तरह देख रहे थे। रिया की बातों का किसी ने जवाब नहीं दिया और सब एक एक कर बहाना बनाते हुए चले गए,
रिया: यह सब तो मेरे अपने थे, मेरा परिवार, पर यह सब मुझसे डर क्यों रहे हैं, मैंने ऐसा क्या किया है??
रिया को जबाव देने के लिए कोई नहीं था वहाँ। उन लोगों के इस बर्ताव से रिया और टूट गई । धीरे धीरे कदम उठाती वह उस घर की तरफ बढ़ रही थी जहां कभी वह अपनी माँ, अनन्या, के साथ रहती थी। अब वहां एक गार्ड के अलावा कोई नहीं था। रिया ने जाकर धूल से भरा दरवाजा झटके से खोल दिया और अंदर चली गई। अंदर घुसते ही गुजरे कल की तस्वीरें उसके सामने से गुजरने लगी. उसके कानों में जैसे अनन्या की आवाज आई, “रिया... कहां जा रही हो बेटा, रुको न, वहाँ सीढ़ी पर नहीं जाना, बेटा। गिर जाओगे तो चोट लग जाएगी।”
ऐसी आवाजें उसे घर के कोने कोने से आ रही थीं। सोफे पर बैठ कर रिया की चोटी बनाती अनन्या, सीढ़ियों पर चढ़ने की जिद करती रिया को भागकर गोद में उठाती अनन्या, नई साड़ी पहन कर पल्लू लहराकर इतराती अनन्या, रिया को खाना खिलाती, गोद में लेकर घूमते हुए सुलाती, लोरियां गाती अनन्या, उस घर में हर जगह रिया के सामने अनन्या थी मगर पास जाकर छूने की कोशिश की तो बस परछाई निकली। झट से गायब हो गई।
रिया: आप यहां थीं तो सब कितना अच्छा था न मम्मा, वह नया घर तो आपको पसंद ही नहीं आया था और वहां आप ज्यादा दिन रही भी नहीं। हम यहाँ कितने खुश थे। आप यहां से क्यों गई, उस नए घर में?
अपने आप से बातें करती रिया पूरे घर में घूमती रही और फिर सीढ़ी पर जाकर बैठ गई। सीढ़ी पर सिर रखकर बैठ रिया फिर खुद से ही बात करती है,
रिया: मुझे आपकी बहुत जरूरत है मम्मा, अगर आप होतीं तो मुझे जरुर समझतीं। यह सब लोग, जो अभी मुझे इग्नोर करके गए, आप इन सबको समझा देतीं। पर आप तो...
रिया अनन्या को याद करके फूट फूट कर रोने लगी। बाहर खड़ा गार्ड रिया के बाहर आने का इंतजार कर रहा था मगर जब काफी देर तक रिया नहीं निकली तो उसने विक्रम को कॉल करके बताया कि रिया मैडम आई हैं, काफी देर से अंदर हैं, निकली नहीं।
विक्रम: उफ्फ... रिया मेरी बच्ची, कितनी अकेली हो गई है तू और मैं तुझे तेरे दोस्तों में ढूँढ रहा हूं।
रिया की खबर मिलते ही विक्रम बिना देर किए रिया के पास पहुंच गए और अपने पुराने घर को देख वह भी अतीत की तस्वीरों में खो गए। द्वार पर रंगोली बनाती अनन्या, घर के बाहर तीज त्योहारों को पड़ोसियों के साथ मनाने की रौनक, कितनी यादें थी यहां, मगर तभी उन्हें रिया याद आती है। वह जल्दी से अन्दर जाते हैं मगर रिया को देख अपने आप दो कदम पीछे हट जाते हैं , सीढ़ियों पर सिर रखकर बैठी रिया वहाँ ऐसे सुकून से सोई थी, जैसे मां की गोद में हो। विक्रम ने पास जाकर उसे धीरे से जगाया,
विक्रम: उठो रिया, घर चलो।
रिया: डैड, आप यहाँ आ गए? देखिए डैड, यह घर बिल्कुल नहीं बदला। यहां अभी भी मम्मा की आवाजें गूँजती हैं। वह मुझे यहीं बैठी दिखाई देती हैं, बस मुझसे बात नहीं करती।
विक्रम रिया को अपने सामने बिखरते देख रहे थे, वह उसे झट से सीने से लगा लेते हैं और खुद भी रो पड़ते हैं।
विक्रम: अब तुम्हारी मम्मा कहीं नहीं है। सिर्फ भ्रम है और यादें हैं, चलो बेटा यहां से।
रोती हुई रिया को अपने साथ लेकर विक्रम घर आ गए। रिया अपने अतीत से निकलने की कोशिश कर ही रही थी कि पुलिस के सवाल उसके दिमाग में चलने लगे। कबीर की डेड - बॉडी को देखकर तो क्लीयर था कि उसकी मौत ओवर डोज से ही हुई है, फिर ऐसा क्या है जो पुलिस उससे निकलवाना चाहती है…
रिया: कहीं ऐसा तो नहीं, सच में कबीर को किसी ने मार डाला हो।
रिया अब खुद अपने ही सवालों में घिर रही थी, आखिर किसने दिया होगा कबीर को ओवर डोज और क्यों? कहीं उसकी गिरफ्तारी ही तो कबीर की मौत का कारण नहीं बनी? कितने ही सवाल चल रहे थे दिमाग में और कबीर के लिए और भी ज्यादा दर्द हो रहा था,
रिया: मुझे नहीं पता था कबीर, हमारा रास्ता इतना खतरनाक है, लेकिन तुम्हें जान से मारकर क्या मिलेगा किसी को।
जुर्म की दुनिया से अनजान रिया सिर्फ कुछ कर दिखाने के अपने जुनून में उस दुनिया का एक हिस्सा बन गई थी और पुलिस की नजर में क़ातिल।
वहीं विक्रम पुराने घर में रिया को बिखरते देख अंदर ही अंदर टूट गए थे, उन्हें अपने इमोशन्स दिखाने नहीं आते थे। एक बार फिर वह शनाया में सहारा ढूंढते हैं,
विक्रम: मैं अपनी बच्ची को वहां सीढ़ी पर सोते देख रहा था। अपनी माँ की यादों में खोई, वह एक अनाथ बच्चे जैसी वहां बैठी थी। मुझे यह बर्दाश्त नहीं होता, शनाया।
शनाया: यह मुश्किल जरूर है पर तुम्हें सहना पड़ेगा विक्रम। रिया को खुद को संभालने दो।
रिया को अपने हाल पर छोड़ दें, यह विक्रम से हो नहीं सकता था मगर उसे कैसे संभाले यह भी वह नहीं जानते थे। शनाया की सलाह उन्हें बकवास लगती है और वह चिल्ला देते हैं,
विक्रम : बकवास मत करो, शनाया। अनन्या को उसके हाल पर छोडकर एक बार गलती कर चुका हूं, अब रिया को उसके हाल पर नहीं छोडूंगा।
शनाया: अपने गुस्से पर कंट्रोल करो विक्रम. तुम वही करते हो जो तुम्हें सही लगता है, पर अफसोस, तुम हमेशा ही गलत होते हो।तुम अपनी ज़िद में सबको अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करते हो इसलिए सब तुमसे दूर हो जाते हैं, और तुम अकेले रह जाते हो।
विक्रम: ज़िद, ईगो, सब पीछे छूट गए। तुम नहीं समझ रही हो शनाया, मेरे सामने अब सिर्फ रिया है।
विक्रम रिया के दर्द से बेहाल थे और रिया कबीर के लिए परेशान। रिया इरादा कर लेती है कि कबीर के साथ क्या हुआ था, वह पता करके ही दम लेगी,
रिया: मेरा जो भी हो कबीर, अगर तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ है तो मैं इस राज तक पहुंच कर ही रहूँगी।
यह इरादा करके रिया घर से निकलने वाली थी कि विक्रम ने उसे रोक दिया। विक्रम उससे पूछना चाहते थे कि क्यों वह इतनी अकेली पड़ जाती है कि उसे अपनी मम्मा की याद का साया ढूंढना पड़ता है, मगर बोलने से पहले शनाया के शब्द याद आ गए कि एक बार उसे खुद को सम्हाल लेने दो। अभी सही समय न जान कर विक्रम बस रिया से यह पूछकर रह गए कि वह कहां जा रही है।
विक्रम: रिया बेटा, घर से निकलते ही तुम्हारे हर क़दम पर पुलिस की नजर रहेगी। कुछ ग़लत मत होने देना खुद के साथ।
रिया: फिक्र मत कीजिए डैड, अब मैं सब अच्छा करूँगी।
रिया घर से सब ठीक करने के लिए निकलती है पर कितना ठीक कर पाएगी, नहीं जानती थी। कबीर की मौत का सच जानने के लिए वह सबसे पहले उस घर में जाना चाहती है जहां कबीर की मौत हुई मगर रिया जब वहाँ पहुंचती है तो देखती है कि गेट पर एक कांस्टेबल पहरा दे रहा है । रिया गुस्से से अपने आप में बड़बड़ाने लगी,
रिया: यह लोग न तो खुद कुछ कर पाते हैं न मुझे करने देंगे। मैं अगर अंदर नहीं गई तो कैसे पता चलेगा क्या हुआ था उस दिन।
रिया ठान कर निकली थी कि वह पता लगा कर ही रहेगी तो वह घर के पीछे की तरफ चली गई, यहां वहां ढूंढती रही कि कोई रास्ता दिखे। दीवार के पास खड़े एक बड़े से अशोक के पेड़ को देखती है, और सोचती है कि इसपर चढ़कर उपर छत तक पहुंचती हूँ। रिया को पेड़ पर चढ़ने की प्रैक्टिस कबीर ने ही करवाई थी, आज कबीर को याद करती हुई वह पेड़ पर चढ़ कर छत पर कूद गई और पीछे की सीढ़ियों से अंदर आ गई। ऊंघते गार्ड के पास से दबे पाँव निकलते हुए वह अंदर पहुंच गई जहाँ कबीर की यादों ने उसे घेर लिया। कबीर ने कहा था, “ रिया, एक दिन तुमको ऐसे जम्प करना सिखाऊँगा कि तुम कहाँ थी , कहाँ पहुंची और उसके अगले मिनट कहाँ मिलो, कोई समझ ही न पाए।”
रिया: बस बस! अब कुछ ज्यादा हो गया। मैं इंसान हूं, गुब्बारा नहीं। उड़कर कभी यहाँ तो कभी वहाँ।
कबीर के साथ गुज़रे उस खूबसूरत वक्त को याद कर रिया मुस्कुरा दी, मगर अगले ही पल उसे याद आया कि वह यहां कबीर की मौत के प्रूफ ढूंढने आई है। उसने एक बार पूरे घर को गौर से देखा, हर जगह सामान बिखरा पड़ा था, घर के हाल देखकर तो यही लगता था कि कबीर ने खुद ही ओवरडोज लिया। फिर क्या था जो रिया नहीं देख पा रही थी? ढूंढते - ढांढते रिया किचन में पहुंच गई, और वहां कुछ ऐसा दिखा जिससे उसका माथा ठनका, “यह कैसे हो सकता है?”
क्या देखा रिया ने किचिन में ???
क्या रिया के हाथ कोई प्रूफ लगा है??
क्या कबीर की मौत के पीछे कोई राज़ है??
जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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