रिया उस फ्लैट में सिर्फ यह ढूंढने गई थी कि कबीर की मौत कहीं साजिश तो नहीं थी। पता नहीं उसे ऐसा क्यों लग रहा था कि यह सोच-समझकर किया गया मर्डर है, वह भी किसी जान-पहचान का किया-कराया। अपना शक confirm करने के लिए उसे प्रूफ चाहिए थे । रिया किचन में जाकर एक-एक चीज़ गौर से देखने लगी। वहां पतीले में थोड़ी-सी साड़ती हुई मटर की सब्जी और प्लेट में चावल पड़े थे। रिया का माथा ठनका, उसे कबीर से हुई वह बात याद आती है,

रिया: यह क्या कर रहे हो कबीर? चावल के साथ दाल पैक करा लो या करी ले लो। मटर के साथ चावल कौन खाता है?  

इसपर कबीर बोला, “अपना रोहन खाता है, बल्कि वह चावल सिर्फ मटर के साथ ही खाता है, उसे इस खाने का नशा है।”  इसके साथ ही रिया को याद आता है कि कबीर कभी चावल नहीं खाता था तो यह चावल यहां कौन लाया??  क्या रोहन ने कबीर को...? सोच में डूबी, यहां-वहां ढूंढती रिया का हाथ अचानक एक ग्लास से लगा और वह गिर गया। “खन्न्न" की आवाज़ सुनकर बाहर ऊंघ रहा गार्ड जाग गया और भागकर अंदर आया। चारों तरफ़ देखता हुआ वह किचन में पहुंचा, मगर वहां उसे केवल ग्लास ही पड़ा मिला। ग्लास को देखकर गार्ड ने सोचा, चूहा या बिल्ली होगी और वह बाहर निकल गया। उसे वापस जाते देख खिड़की के बाहर लेज् पर छुपी रिया बुदबुदाई,

रिया: बस, शक में ही पकड़ना आता है इन पुलिस वालों को। इनकी नाक के नीचे कोई मर्डर भी कर जाए तो इनको पता नहीं चलता।

गार्ड के जाते ही रिया भी वहां से वापस निकल गई लेकिन घर आकर भी  रिया का कहीं मन नहीं लगा। उसे पता था कि रोहन कबीर का अच्छा दोस्त है, वह ऐसा कैसे कर सकता है? कबीर उसके लिए जरूरी भी था, अगर दोस्ती के लिए नहीं  तो जरूरत के लिए वह उसे अपने साथ रखना चाहेगा.. मारेगा क्यों?  

रिया: कुछ तो गलत हुआ है तुम्हारे साथ कबीर और किसने किया, मैं यह पता लगाकर ही रहूंगी… तुम ओवर डोज नहीं कर सकते, यह एक सच है और दूसरा यह कि तुम कभी चावल नहीं खाते थे।  

रिया कसम खाती है कि कबीर की मौत का सच सामने लाकर ही रहेगी और अगर रोहन इसमें शामिल हुआ तो वह उसे भी नहीं  छोड़ेगी।  

रिया:  रोहन तो हमारा दोस्त है ना.. मैं शायद कुछ ज्यादा ही सोच रही हूं… हो सकता है वह कबीर के साथ आया हो और खाना खाकर गया हो और उसके बाद कबीर के साथ कोई हादसा हुआ हो?

कुछ अलग करने की चाह और अपने पिता से दुश्मनी की ज़िद में रिया ने जाने-अनजाने जिस दुनिया में कदम रखा था वहाँ सिर्फ काम निकाले जाते थे और मासूम रिया वहाँ विश्वास और दोस्ती ढूंढ रही थी। यह उसकी सबसे बड़ी भूल थी। उधर विक्रम खाना लगवा कर बैठे थे। उस दिन रिया के साथ खाना नहीं खा पाए थे लेकिन आज अपनी बेटी के साथ बैठकर खाएंगे। जब रिया अपने रूम से नहीं  निकली तो विक्रम बिना खाए ही उठकर जाने लगे, तभी पीछे से रिया ने आवाज दी  

रिया: डैड, खाना नहीं  खाएंगे?  

विक्रम : खाना तो है, पर तुम…  तुम अभी तक क्या कर रही थी, इतना लेट आई हो डिनर के लिए!

रिया: आज मन नहीं था डैड, पर आप जाते दिखे और खाना लगा दिखा तो मुझे लगा, आप शायद मेरा ही वेट कर रहे थे।

रिया की थोड़ी सी केयर से विक्रम खिल उठे और जल्दी से आकर डिनर के लिए बैठ गए।  खाना खाते हुए रिया का मन किया कि वह अपने डैड से कबीर के लिए हेल्प मांग ले, मगर फिर उसे लगा कि  डैड उसे फिर अपने हिसाब से चलने के लिए कहने लगेंगे तो खुद को रोककर वह खाना खाने लगी।  

रिया : अगर डैड हेल्प करते तो रोहन क्या, कोई भी क्यों न हो, आसानी से सामने आ जाता..  पर फिर डैड मुझे अपने हिसाब से चलाएंगे, मैं अब डैड से नहीं  लड़ना चाहती।

विक्रम रिया की ख़ामोशी समझ रहे थे पर वह चाहते थे कि जो रिया कहना चाहती है खुद ही कहे लेकिन रिया कुछ नहीं बोली, चुपचाप खाना खाती रही।  जब नहीं रहा गया तो विक्रम ने ही पूछा,  

विक्रम: क्या बात है रिया कुछ कहना चाहती हो???

रिया: हां डैड... नहीं , मतलब कुछ नहीं डैड। बस मन कर रहा था आपके साथ खाना खाऊं।

विक्रम: हां बेटा..  मैं भी कब से यही चाहता था, अगर तुम्हेंं कोई प्रॉब्लेम ना हो तो हम रोज साथ ही डिनर करेंगे।

पहले, कितना मुश्किल लगता था विक्रम को रिया से बात भी करना और आज वह उनके साथ डिनर कर रही थी। विक्रम के लिए यह कम नहीं था कि वह अपने डैड के साथ बैठना चाहती है। पिता आखिर पिता होता है कितना भी सख्त क्यों न हो पर अपने बच्चों के आगे मोम हो ही जाता है। रिया स्पून प्लेट में रखकर उठते हुए कहती है,

रिया: मेरा हो गया डैड, आपको कुछ दूं?  

विक्रम: नहीं  बेटा, आज तूने पहले ही बहुत कुछ दे दिया।

विक्रम रिया के बदले रूप से भावुक होकर क्या बोल गए थे, रिया को समझ नहीं आया। वैसे भी रिया के दिमाग में तो वही चावल मटर चल रहे थे। उसके सामने जो था, वह सच था या संंयोग, रिया के लिए यह समझना आसान नहीं था।  सबसे बड़ा कन्फ्यूजन यही था कि रोहन अगर कबीर को मारना चाहता तो उसी के घर में क्यों??? इन उलझनों से रिया निकल ही नहीं  पा रही थी, तभी उसके पास नेहा का कॉल आता है, “ हैलो रिया, आज अजय का बर्थ्डै है। हमने एक छोटी-सी पार्टी रखी है, तुम आना चाहोगी??

रिया: नहीं  नेहा, मेरा मन नहीं  करता अब कहीं जाने को..  

यह सुनकर नेहा थोड़ा ज़ोर देकर बोली, “अरे यहां ज्यादा लोग नहीं हैं। हम उसके खास लोग ही हैं और फिर तुम तो अजय की best friend हो, प्लीज ना मत कहना।”

रिया: ठीक है आती हूं, पर मैं जल्दी वापस आ जाऊंगी।

रिया का एक परसेंट भी मन नहीं था, पार्टी में जाने का मगर अजय के लिए वह मना नहीं कर सकती थी। पार्टी में पहुंचने पर पता चला कि केक काटने के लिए उसी का इंतजार हो रहा था। उसके बाद अजय पुराने दोस्तों से रिया को मिलवाता है। पहले ही रिया कुछ क़रीबी दोस्तों का बर्ताव देख चुकी थी इसलिए अब उसको किसी से मिलने में दिलचस्पी नहीं थी। सबसे मिलते हुए रिया को यह भी महसूस कर रही थी कि बाकियों को उससे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। रिया अपने लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेती है और एक तरफ जाकर बैठ जाती है, अजय फ्रेंड्स से घिरा हुआ था।  तभी रिया के पीछे से आकर कोई बोलता है, “हैलो रिया।” रिया पलटी और गई।  

रिया: रोहन??

रिया अपने सामने खड़े रोहन को देख एक मिनट के लिए गुस्से से जल गई।  वह चाहती थी उसका गला दबा दे, पर वह कुछ कहती उसके पहले ही रोहन बोल पड़ा, “ वाओ , तुमने तो पहचान लिया! मुझे लगा था कि तुम भूल गई होगी.. अब तुमने नई शुरुआत जो की है।” रिया ने अपने पर काबू रखते हुए जवाब दिया…

रिया: मैं दोस्तों को नहीं भूलती और तुम्हेंं तो आज ही याद कर रही थी।

रोहन को वहां देख अब रिया यह सोच रही थी कि अजय की पार्टी में रोहन क्या कर रहा है? किसने बुलाया इसे और क्यों? कहीं अजय इसकी दोस्ती में उलझ तो नहीं गया? रिया उससे कुछ पूछती, उससे पहले अजय आ गया और रिया को रोहन के साथ देखकर बोल, “ अरे वाह, तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो??  

रिया : बस जानने की ही कोशिश में हूँ।

यह सुनते ही अजय तपाक से बोला, “ अरे, मैं मिलवाता हूँ ना, यह है…  

रिया: रोहन! मिस्टर रोहन हैं यह।

रिया ने अजय की बात को बीच में ही काटते हुए कहा। अजय चुप हो गया क्योंकि उसे रिया की शक्ल देख कर लग रहा था कि जैसे रोहन से कोई हिसाब लेना हो उसको। यह रिया की किस्मत ही थी जो उसे वहीं ले जाती थी जहाँ वह नहीं  जाना चाहती। रोहन का इस पार्टी में मिलना उसे एक बार फिर उस रास्ते पर धकेल रहा था। वह अब बिना अंजाम सोचे, रोहन से सीधा सवाल करती है,

रिया: कबीर के बारे में पता है तुम्हेंं?

रोहन ने जवाब दिया, “ हाँ, पता है, और यह भी कि तुमसे इस केस में काफी पूछताछ हुई है।” रिया को रोहन की बातों में अब मक्कारी की बू आ रही थी मगर उसने सवाल बन्द नहीं  किए,

रिया: तुम कबीर से आखिरी बार कब मिले थे?  

रोहन ने अजीब सी मुस्कान के साथ कहा, “जब तुम मिली, बस उसी के आधे घण्टे पहले।” रिया को उसके जवाब बिल्कुल बेतुके लग रहे थे मगर वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। अपने सवालों में उलझा कर उससे सच निकलवाना चाहती थी,

रिया : पुलिस को लगता है कबीर की मौत ओवर डोज कि वजह से हुआ है..  क्या तुम कुछ जानते हो इस बारे में?  

इस पर रोहन ने उलटा रिया से ही सवाल कर डाला, “ तुम्हें क्या लगता है?”

रिया: मेरे लगने का क्या, मुझे तो लगता है तुमने उसे मार डाला!

एक पल में रिया वह बोल गई जिस का रोहन को अंदाजा भी नहीं था। वह उठकर खड़ा हुआ, और रिया से यह बोलकर कि तुम कबीर की मौत के सदमे से पागल हो गई हो”, वहां से चला गया। अजय ने उसे बुलाया पर उसने ignore कर दिया और रिया गुस्से से उसे जाते देख रही थी। अजय ने रिया का गुस्सैल चेहरा देखा और उससे रोहन के बारे में पूछा, “तुम ऐसा क्या जानती हो रोहन के बारे में, जो उसे पार्टी छोड़कर जाना पड़ा?’  

रिया: तुम क्या जानते हो उसके बारे में जो उसे पार्टी में बुलाया?!

अजय रिया के व्यवहार से परेशान हो जाता है और रिया ग़ुस्से में पार्टी से चली जाती है। रोहन का सामने आना और रिया का सवाल करना एक नए तूफान की आहट हो सकती है। अगर रोहन ने ही कबीर को मारा होगा तो क्या वह उसे भी छोड़ेगा? रिया यह सब नहीं सोच पाई। उस पर तो अब जुनून सवार था कि वह कबीर को न्याय दिलाएगी। घर आ चुकी, रिया की आंखों में अजय की पार्टी ही चल रही थी - रोहन का मिलना और कबीर की मौत के बारे में सवाल उठने पर उसका वहां से चले जाना। अब रिया का शक विश्वास में बदल रहा था कि कबीर की मौत जैसे दिखी थी, वैसे हुई नहीं।  

रिया: जिसका डर था वही हुआ कबीर..  रोहन तुम्हारी मौत की साजिश में शामिल है… कैसा लगा होगा, जब तुम्हेंं यह पता चला होगा!!!

क्या बीती होगी कबीर पर रोहन की असलियत जानकर, रिया यही सोच रही थी। कुछ सोचकर रिया ने गाड़ी निकाली और सीधे रोहन के पास पहुंच गई। रोहन ने उसे देखते ही कहा, “ रिया, त.. तुम? इस वक्त यहां क्यों आई हो?”  

रिया को देख हड़बड़ाया रोहन उससे सवाल भी ढंग से नहीं कर पा रहा था मगर रिया पूरी तैयारी से गई थी। उसने जेब से एक पैकेट निकाला और रोहन के सामने रख दिया। वह पैकेट देख रोहन की आँखें फटी की फटी रह गयीं…  

 

क्या था उस पैकेट में ऐसा जिसे देख कर रोहन इतना घबरा गया ?

क्या वाक़ई रोहन का हाथ था कबीर की मौत में?

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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