जिंदगी में कुछ रास्ते फरेब से ही होकर निकलते हैं… रिया इन रास्तों से गुजरी तो उसे एहसास नहीं था कि यह रास्ते किस तरफ़ जाते हैं। आज उन्हीं रास्तों की उलझनें समझने की कोशिश में लगी थी…. रोहन से मिलवाते हुए कबीर ने कहा था कि हम तीनों मिलकर दुनिया मुठ्ठी में कर लेंगे, पर अगर कबीर को रोहन ने मारा होगा तो वह सब एक धोखा ही था। रिया ने कबीर के घर से उठाया मटर चावल का पैकेट रोहन के सामने रखा और कहा
रिया (accuse करते हुए): यह मुझे कबीर के घर से मिला और हम दोनों यह बात जानते हैं कि कबीर चावल नहीं खाता था, जबकि तुम्हें मटर और चावल ही पसंद थे। । यह तो साफ़ है कि तुम उस रात कबीर के घर पर ही थे। मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूँ, कबीर को किस गलती की सजा दी गई। वह गलत रास्ते पर चलने वाला एक सही इंसान था, तो उसे क्यों मारा गया!
कबीर के कातिलों तक पहुंचने की जिद उसे उन्हीं रास्तों पर फिर आगे ले जा रही थी जहाँ से निकल कर वह नई शुरुआत करने वाली थी। रोहन रिया की बातों को इग्नोर करने की कोशिश करता है, “तुम गलत रास्ते जा रही हो रिया, यहाँ कुछ नही मिलेगा तुम्हें … बर्बाद हो जाओगी।
रिया (धमकाते): बर्बाद हो जाऊंगी या बर्बाद कर दूंगी, दोनों ही सूरतों में कबीर के कातिलों को सामने जरूर लाऊंगी।
रोहन एक बार फिर कोशिश करता है, रिया को समझाने की कि वह दूर रहे, हालांकि वह इस बात से निश्चिंत था कि कबीर के घर में मिले मटर चावल के सबूत होने जैसी बकवास बात पर कोई विश्वास नहीं कर सकता। वह लेकिन जानता नहींं था कि अगर इस बकवास के कारण रिया उस तक पहुंच गई है तो वह किसी भी हद तक जा सकती है। रिया रोहन को लास्ट वार्निंग देती है,
रिया (धमकाते): कबीर की मौत में शामिल जो भी हो, मैं नहीं डरने वाली और न ही पीछे हटने वाली। उसके दोषियों को सजा तो दिलाकर रहूंगी, फिर चाहे सामने तुम भी क्यों न हो।
रिया की वॉर्निंग पर रोहन हंस देता है और उसे खतरों को अनदेखा न करने की सलाह देता है। अपने अगले कदम के लिए सोचती रिया का ध्यान एक बार फिर अजय की तरफ जाता है, मगर रोहन से उसकी दोस्ती के चलते उससे मदद लेना सही नहीं लग रहा था, रोहन से पहले वह अजय के बारे में जानकारी जुटाना शुरू करती है और उसके लिए वह सबसे पहले नेहा के घर पहुंचती है। दरवाजे पर रिया को देख नेहा चौंकते हुए पूछती है, रिया, तुम यहां… मतलब ऐसे बिना बताए तुम मेरे घर कैसे??
रिया (सवाल करते हुए): अंदर बुलाओगी या यहीं से सब पूछकर लौटाओगी!
नेहा हड़बड़ा सी जाती है रिया को अचानक सामने देखकर, मगर फिर हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाती है, चाय लाते हुए नेहा, अचानक घर आने की वजह पूछना चाहती है… पर कैसे पूछे और क्या बोले, कहीं उसे गलत न लगे… तब तक रिया ने जैसे उसका चेहरा पढ़ लिया,
रिया (forcefully): मैं कबीर की मौत का असली कारण जानना चाहती हूं, और उसके लिए मुझे अजय से मदद चाहिए।
रिया की यह बात सुनते ही नेहा ग़ुस्सा होते हुए बोली, “क्या? दिमाग ठीक है तुम्हारा? मैंने तुम्हें पहले ही वॉर्न किया था कि कबीर अच्छा लड़का नहीं है और अब तुम चाहती हो अजय भी तुम्हारे साथ इस गंदगी में उतर जाए!” नेहा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि कबीर की मौत का रहस्य जानने के लिए रिया खुद को किसी मुश्किल में डाले, और आज वह अजय को शामिल करने की बात कर रही थी।, नेहा रिया को साफ शब्दों में कह देती है, “तुम्हारे डैड तुम्हारे साथ हैं, इस केस से तुम्हें निकाल सकते हैं.. कबीर के साथ जो हुआ उसे जानकर भी तुम कुछ नहीं कर सकतीं, बेहतर है दूर रहो तुम इन सबसे और अजय को भी दूर रहने दो”
रिया (समझते हुए ): मैं समझ सकती हूँ तुम अजय को दूर रखना चाहती हो इससे। मैं भी उसे खतरे में नहींं डालना चाहती लेकिन मुझे कबीर के कातिलों तक पहुँचना ही है। कोई बात नहींं, मैं अकेले ही कर लूँगी।
रिया को लगा था नेहा उसकी जरूर कोई मदद कर देगी मगर वह उसकी बात तक नहीं सुनना चाहती थी। निराश हो रिया वापस आ जाती है और एकांत में जाकर बैठ जाती है। उसे याद आता है वह समय, जब कबीर उसे अपने साथ ले जाता था और रोज कुछ नया सिखाता था।रिया के दिमाग में पुरानी बातें चल ही रही थी कि उसे एक आइडिया आता है और बिना देर किए वह फिर एक बार रोहन के पास पहुंच जाती है,
रिया: मैं यह boring जिंदगी नहीं जीना चाहती, मुझे रोज़ कुछ नया चाहिए ।
रिया कबीर के बारे में जानने आई है, रोहन तुरंत समझ गया और उसकी बात सुनकर रोहन हँसते हुए बोला , “तुम जो चाहती मैं अच्छी तरह जानता हूं, जितना तुम यहाँ जानने की कोशिश करोगी, फँसती चली जाओगी। अच्छी तरह समझा रहा हूं, समझ जाओ, तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा।” रिया का आइडिया फेल हो गया उसने सोचा था रोहन के साथ काम करते हुए वह कबीर की मौत की वजह तक पहुंच जाएगी। गुस्से में ठान लेती है।
रिया: (खुद से): तुम्हें बताना तो होगा रोहन, क्यों मारा तुमने कबीर को। सच जो भी है, तुम्हारे अलावा कोई नहीं जानता।
रात गहरा चली थी, रिया एक बार फिर रोहन के ठिकाने पर पहुंचती है और खिड़की से अंदर घुसती है। रोहन नशे में अपने कमरे में बेड पर पड़ा कबीर की फोटो हाथ में लिए कह रहा था, “ दोस्ती, वफा,प्यार और रोहन के साथ काम, एक साथ नहीं होता यार। तुम मेरे लिए बहुत काम की चीज थे, पर तुम उस रिया के लिए लड़ रहे थे। इसीलिए मारना पड़ा तुम्हें, और कोई तरीका नहीं था तुम्हें चुप रखने का।
रिया ने अपने गले से निकल रही चीख को मुंह पर हाथ रखकर दबा लिया। रोहन अपनी धुन में बोल रहा था, हंस रहा था, कबीर को इडियट बताकर खिलखिला रहा था। रिया रोहन का असली चेहरा देख कर उसे मार डालना चाहती थी मगर वह जानती थी अभी बहुत कुछ और पता लगाना है। वह चुपचाप खिड़की से ही वापस आ जाती है। रिया घर आती है और देखती है विक्रम उसका खाने के लिए इंतजार कर रहे हैं। उसे देखते ही बोले,
विक्रम (प्यार से) : काफी लेट हो तुम बेटा, फ्रेश हो जाओ। खाना खा लें।
विक्रम को बदला हुआ देखना कितना अच्छा लग रहा था रिया को, कुछ देर के लिए वह अपनी सारी टेंशन भूल गई और जल्दी change करके डिनर के लिए आ गई। विक्रम रिया की थकान देखते हुए कहते हैं,
विक्रम (फिक्र में) : ऐसा कोई काम अब मत करो रिया, मैं तुम्हे फिर से नहीं खोना चाहता।
रिया (ढांढस बंधाते हुए) : ऐसा कुछ नहीं होगा डैड, मैं कुछ गलत नहीं कर रही। आप चिंता मत करिए।
कितनी अजीब बात थी रिया पूरी दुनिया में अपने डैड से मदद नही मांग पाती क्योंकि अभी भी उसे डर था कि उसके डैड कब पहले जैसे हो जाएं। विक्रम समझ रहे थे कि उसके मन में कोई उथल पुथल चल रही है, मगर वह चाहते थे रिया खुद उनसे शेयर करे। रिया परेशान अपने कमरे में बैठी यही सोच रही थी कि क्या करे कैसे रोहन का चेहरा सामने लाए! तभी उसके मोबाईल पर अजय का फोन आता है, रिया फोन उठाती है,
रिया (पूछते हुए): हां अजय, बोलो।
दूसरी तरफ से अजय पूछता है, “क्या हेल्प कर सकता हूं मैं तुम्हारी।” जिसके जवाब में रिया कहती है।
रिया (ऑफ्हैन्ड): छोड़ो, यह मेरी लड़ाई है, मैं अकेली लड़ सकती हूं।
अजय यह सुनकर थोड़ा हैरान रह जाता है क्योंकि नेहा ने उसे बताया था कि रिया उसकी हेल्प मांगने आई थी। वह बोला , “ठीक है, तुम कहती हो जरूरत नहीं है तो कोई बात नहीं ” और यह कहकर उसने फोन काट दिया। रिया समझ नहीं पा रही थी उसके साथ क्या हो रहा है, वह अजय की हेल्प चाहती थी मगर खुद उसको न कहती हैं। वह सोचती है एक वक्त था आस पास कितने दोस्त होते थे, सब साथ आने के लिए तैयार होते थे और एक यह वक्त है, कोई नहीं बचा जिसके साथ बैठकर अपना मन भी हल्का कर पाए। उसे हलकी सी चोट लगने पर भी कबीर कहता था, “कबीर: तुम ठीक हो रिया, कहीं चोट तो नहीं आई। जब तक पूरी तरह नहीं सीख जाती, ऐसे स्टंट आगे से मत करना।
कुछ ही दिन में कबीर में कितना अपनापन आ गया था और आज अपने भी सब दूर खड़े थे… कबीर के शब्द याद करते हुए रिया रो पड़ी,
रिया: मैं बहुत अकेली हो गई हूं कबीर पर मैं पीछे नहीं हटूंगी।
रोहन को याद करते हुए वह सोचती है कि वह क्यों मारना चाहता था कबीर को, जबकि कबीर तो उसके बहुत काम आता था। अगर कुछ हुआ भी था तो क्या सुलझाया नहीं जा सकता था, मारने की क्या जरूरत? एक इंसान की जान कोई ऐसे ही कैसे ले लेता है! सोचते हुए रिया खिड़की के पास बैठी ही सो गई। विक्रम जानते थे वह परेशान है इसलिए उसे देखने आते हैं और खिड़की के पास बैठे बैठे सोई रिया को देख उदास हो जाते हैं,
विक्रम (उदास होते हुए): मैं कितनी भी कोशिश कर लूं बेटा पर तेरी परेशानी कम नहीं कर पाता।
रिया को बेड पर सुला कर विक्रम उसके सिर पर हाथ रखकर थोड़ी देर बैठे और चले गए, उनके जाते ही रिया आंख खोलती है और रो पड़ती है,
रिया : ( रोते हुए) आई एम सॉरी, डैड, पर मैं आपसे इस विषय पर बात नहीं कर सकती, न ही आप मुझे इस केस में उलझने देंगे।
रिया अब पीछे नहीं हट सकती थी। सुबह होते ही वह फिर रोहन के पास पहुंच गई और उसे एक रिकॉर्डिंग सुनाती है। जो कुछ रात में उसने नशे में कहा था, रिया ने सब रिकॉर्ड कर लिया। रोहन सुनकर हड़बड़ा गया और गुस्से में रिया से बोला, “ तुम कितनी भी कोशिश कर लो रिया पर तुम कुछ नहीं कर सकतीं। मेरी बात मानो और इन सब चीजों से दूर रहो, यह ऐसी पहेली है जिसे तुम कभी नहीं सुलझा पाओगी, उल्टे इसमें फंसती चली जाओगी और खुद को ही दुख पहुंचाओगी।”
रिया उसके हड़बड़ाने पर हंस पड़ती है
रिया (sarcastically ): जो एक रिकॉर्डिंग से घबरा रहा है, वह मुझे वॉर्न कर रहा है कि कुछ न करूं। मैं मरने से नहीं डरती, कबीर के कातिल पकड़ने में अगर मुझे मौत आएगी भी तो सारे मुखौटे उतारने के बाद आएगी। तुम बस अपना सोचो।
जाती हुई रिया को रोहन दूर तक देखता रहा। वह उसे जितने हल्के में ले रहा था उतना आसान नहीं था उसे चुप करके बिठाना। रिया को तो यह एहसास ही नही होना था कि कबीर की मौत साजिश हो सकती है। अब उसे रोकना होगा मगर किस तरह? रोहन यह तो जानता था कि रिया के ऊपर police की हमेशा नजर है, उसे जरा भी नुकसान पहुंचा तो शक उसी पर जाएगा। वहीं रिया को अब यह तो क्लीयर हो गया था कि रोहन ही कबीर की मौत के लिए जिम्मेदार है, बस अब जरुरत थी उसे पुख्ता सबूत की जिससे वह रोहन का असली चेहरा सबके सामने लाए। और अब वह उस सबूत के बिल्कुल करीब थी...।
क्या वह सबूत रिया के हाथ लगेगा?
क्या रिया रोहन का असली चेहरा सबके सामने ला पाएगी या रोहन उसकी कोशिशों को नाकाम कर देगा???
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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