एक तरफ जहाँ इंस्पेक्टर मलिक के सारे आदमी प्लान के मुताबिक गांव के बाज़ार में आम आदमी बन कर फैल चूके थे, वहीं इधर दूसरी तरफ कुमार ने जब मैथिली के कमरे का दरवाजा खोला तो वह चौंक पड़ा। मैथिली बिस्तर पर कोने में जकड़ कर बैठी हुई थी और कांप रही थी। कुमार उसे देखकर बुरी तरह से चौंक गया। वो जैसे ही मैथिली के पास गया, मैथिली ने उसे दूर रहने को कहा। कुमार ने मैथिली का हाथ पकड़ा, उसका पूरा बदन बुखार से तप रहा था और ठंड से वो कांप रही थी। मैथिली की ऐसी हालत देखकर कुमार को यकीन ही नहीं हुआ। उसे ऐसा लगा कि उसके गुस्से के कारण मैथिली की ऐसी हालत हुई है। उसने नरम आवाज में कहा,
कुमार(धीरे से) : "मुझे माफ़ कर देना मैथिली मगर मैं क्या करता....तुम कल यहाँ से भागने की कोशिश कर रही थी इसलिए मुझे गुस्सा आ गया था वरना मैं तुम्हारी ऐसी हालत कभी नहीं होने देता।"
मैथिली ने कुमार की तरफ अजीब नजरों से देखते हुए कहा, "प्लीज़ मुझे यहाँ से जाने दो, देखो तुमने मेरी क्या हालत कर दी है....कुमार मैं ऐसे मर...." मैथिली आगे कहती इससे पहले ही कुमार ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा,
कुमार(प्यार से) : "मैथिली...ऐसा मत कहो.... मैं तुम्हारे लिए जल्द ही दवाइयां लेकर आता हूं.... तुम्हें कुछ नहीं होगा.... मैं हूं तुम्हारे साथ..."
इतना कहते हुए कुमार ने वापस से मैथिली के कमरे को बंद किया और वहाँ से motorboat में बैठकर बाजार की तरफ निकल गया। वहीं इधर दूसरी तरफ इंस्पेक्टर मलिक चलते हुए सीधा कुमार के स्कूल में पहुँच गए। उन्होंने जैसे ही कुमार के बारे में school के प्रिंसिपल से पूछा, प्रिंसिपल के एक आदमी ने कुमार के suspend होने की बात बताई। तभी प्रिंसिपल ने अपने उस आदमी से पूछा, "क्या मैथिली मैडम school आ रही है?" इसके जवाब में उस आदमी ने ना में सर हिलाया लेकिन इंस्पेक्टर जो कुर्सी पर बैठे हुए सब कुछ सुन रहे थे, उनको हैरानी हुई। उन्होंने पूछा,
इंस्पेक्टर मलिक(हड़बड़ाते हुए) : "एक मिनट....एक मिनट ये का माजरा है....कुमार का तो हमको समझ में आया...आपने उसके बाद मैथिली मैडम के बारे में काहे पूछा? ज़रा आप बताने का कष्ट करेंगे।"
इंस्पेक्टर मलिक को प्रिंसिपल ने बताया कि ऐसा अक्सर होता था कि जब जब मैथिली स्कूल नहीं आती थी तो कुमार भी स्कूल नहीं आता था और अब ये हर कोई जान चुका था। धीरे धीरे करके इंस्पेक्टर मलिक को कुमार के जुनून के बारे में पता चलने लगा और उसे पता चल गया कि वह मैथिली को बहुत ही ज्यादा चाहता था। इंस्पेक्टर मलिक ने जिसके बाद कुमार के कुछ classmates से जाकर बातचीत की। एक लड़के ने बताया, "वो बहुत ही अजीब लड़का हैं सर वो पहले first बेंच में बैठता था मगर उसकी height ज्यादा थी तो पीछे वालों को दिक्कत होती थी तो इसीलिए हमने जब complaint की तो वो पीछे बैठने लगा... मगर मैथिली मैडम की class में वो ज़बरदस्ती आगे आ जाता था….”
इसके तुरंत बाद दूसरे लड़के ने कहा, वो ना किसी से बात करता है, ना ही किसी को उसने दोस्त बनाया है। बस वो किसी से बात करता था तो मैथिली मैडम....हम सबको अच्छे से याद है, उनका क्लास जिस दिन नहीं होता था, वह उदास हो जाता था और वह हर वक्त try करता था कि कैसे भी मैथिली मैडम की नजरों में आ सके, उनका attention पा सके...(Pause ).... उसका गुस्सा बहुत खतरनाक है सर।"
धीरे धीरे करते हुए इंस्पेक्टर मलिक को कुमार की image के बारे में पता चलने लगा। आखिर में उन्होंने स्कूल से निकलते हुए खुद ही कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(मन में) : "तो मतलब जीतेंद्र का शक सही था..…कहीं ना कहीं कुमार का मैथिली के गायब होने में हाथ तो है। हमको नहीं पता था कि एक 16 साल का लड़का अपनी ही टीचर के लिए इतना दीवाना होगा.....(pause)....अब तो ये case और भी ज्यादा मजेदार हो गया है....इसको हमको अच्छे से संभल के देखना होगा....क्या है कि कुमार नाबालिग है!"
कहते हुए इंस्पेक्टर वहाँ से गांव की तरफ जाने लगे। उनको देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे उनका स्कूल में आना सफल हुआ था। इधर दूसरी तरफ शाम के करीब 4 बजे कुमार जल्दी जल्दी अपने गांव आया और मेडिकल शॉप में जाकर वो दवाईयां लेने लगा। कुमार को ये अहसास नहीं था कि आसपास कई नजरें उसे ही देख रही थी।
कुमार ने मेडिकल वाले को पैसे दिए और फिर फल की दुकान में चला गया क्योंकि वो जानता था कि मैथिली को इस वक्त फलों की काफी जरूरत है, वह काफी कमजोर हो गई थी। तभी अचानक से फल की दुकान के सामने civil dress में मौजूद एक इंस्पेक्टर ने अपने bluetooth पर कहा, "मलिक सर....कुमार मेरी आँखों के सामने ही है। उसने पहले कुछ दवाइयां लीं और फिर फल खरीद रहा है। मुझे पक्का लगता है कि इसी ने मैथिली को गायब किया है और मैथिली अब बीमार हो गई होगी....उसी के लिए कुमार दवाइयां और फल ले जा रहा है।"
इंस्पेक्टर मलिक का फ़ोन के दूसरी तरफ से ऑर्डर आया कि वो और बाकी सारे लोग कुमार पर ही नजर रखें और जैसे जैसे वो आगे बढ़े, उसको वो लोग फॉलो करें, ताकि सभी को उस जगह के बारे में पता चल सके, जहां पर कुमार ने मैथिली को रखा था। थोड़ी ही देर में कुमार सामान लेकर बाजार से निकल गया। वो अब धीरे धीरे मुस्कुराते हुए आगे बढ़ रहा था, जैसे कुछ हुआ ही न हो। वो एकदम normal रहने की कोशिश कर रहा था। उसने मन में कहा,
कुमार(ख़ुद से) : "मुझे आज रात घर जाना होगा... मां बाबा के सामने रहूंगा तो किसी को शक नहीं होगा....(Pause)....मगर मैथिली को ऐसी हालत में वहां छोड़ना सही होगा क्या?"
कुमार सोचते हुए आगे बढ़ गया, उसे पता ही नहीं था कि 3-4 लोग उसके पीछे पीछे आ रहे थे। कुमार चलते हुए जंगल के बीचों बीच आ गया था। आगे बढ़ते हुए अचानक से उसे एहसास हुआ कि कुछ लोग उसके पीछे पीछे आ रहे हैं मगर वो रुका नहीं। कुमार उस जंगल के हर छोटे बड़े रास्ते को अच्छे से जानता था, वो जानबूझकर जंगल के घने और पतले रास्ते में अंदर जाने लगा। उसके पीछे पीछे आ रहे जो सारे आदमी झाड़ियों में छिपते हुए आगे बढ़ रहे थे। तभी अचानक से उन्होंने पाया कि वो जंगल के बीचोबीच आ चूके हैं और उन्हें कुमार कहीं दिखाई नहीं दे रहा। कुमार एकाएक ही झाड़ियों में कहीं गायब हो गया था। कुमार को कहीं ना देख, उनमें से एक ने कहा, "कहाँ गया वो लड़का....अगर वो नहीं मिला तो मलिक सर हमें छोड़ेंगे नहीं...."
वो सारे रास्ता भटक चूके थे। कुमार ने उन्हें चकमा दे दिया था। ठीक उसी वक्त इंस्पेक्टर मलिक का एक आदमी को फ़ोन आया। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, "कहाँ हो तुम लोग? हम यहाँ जंगल के इस रास्ते पर खड़े इंतजार कर रहे हैं और तुम लोग कहाँ चले गए हो?" बाकी लोगों ने जब बताया कि वो रास्ता भूल चूके हैं, इंस्पेक्टर मलिक ने गुस्से से पैर पटक लिए और फ़ोन काटकर अकेले ही आगे बढ़ने लगे क्योंकि उनके पास अब और कोई रास्ता नहीं बचा था। उन्होंने मन ही मन कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(ख़ुद से) : "ये सामने जो बड़ा रास्ता दिख रहा है, हमें इसी पर आगे बढ़ना चाहिए। ये कहीं ना कहीं हमको जरूर ले जाएगा क्योंकि हमारा दिमाग जहाँ तक कहता है, कुमार इसी रास्ते से आगे जा सकता है।"
इधर दूसरी तरफ कुमार बंगले में आ चुका था। कुमार ने मैथिली के सामने सारी दवाइयां रखते हुए कहा, "ये लो मैथिली जल्दी से दवाई खा लो..." मगर मैथिली ने दवाइयों को सामने से हटा दिया। कुमार को ये देखकर गुस्सा आया, उसने कड़क आवाज में कहा,
कुमार(गुस्से से) : "मैथिली बच्चों जैसी हरकतें मत करो....तुम्हें भी पता है कि अगर मुझे गुस्सा आ गया तो फिर मैं क्या कर सकता हूँ? मैं ज़ोर जबरदस्ती करके ये दवाइयां नहीं खिलाना चाहता और तुम एक बात जितनी जल्दी समझ सको समझ जाओ कि मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है, मैं तुम्हारी safety के लिए कुछ भी कर सकता हूँ और तुम देख ही चुकी हो कि मैंने क्या किया है।"
मैथिली बहस नहीं करना चाहती थी, उसके मन में इस वक्त कुछ और ही चल रहा था। मैथिली ने जैसे ही दवाइयां खाई, कुमार ने अगले ही पल कुछ सेब काटकर मैथिली को दिए मगर मैथिली ने खाने से इनकार करते हुए कहा,
मैथिली(लाचारी से) : "कुमार मुझे यहाँ कमरे में घुटन सी महसूस हो रही है, मुझे बाहर जाकर थोड़ा टहलना है.... दो दिनों से मैं इस कमरे में बंद हूं..."
कुमार(घूरते हुए) : "नहीं....मैथिली नहीं तुम्हें क्या लगता है, तुम हर बार मुझे बेवकूफ बना दोगी, मुझे पता है जैसे ही मैं तुम्हें यहाँ से बाहर ले जाऊंगा, तुम मुझे चकमा देकर भाग जाओगी...."
मैथिली(गुस्से से) : "देखो अपना दिमाग लगाना बंद करो, तुम्हें पता है मेरी तबियत खराब है। तुमने खुद मेरा हाथ पकड़कर देखा है, मुझे सच में घुटन महसूस हो रही है अगर तुम चाहते हो कि मुझे कुछ ना हो तो प्लीज़ मुझे बाहर ले चलो...तुम मुझे बेड़ियों में बांध दो मगर बाहर ले चलो..."
कुमार मैथिली की हालत देख समझ गया था कि मैथिली को अभी relax होने की ज़रूरत है। थोड़ी ही देर में कुमार मैथिली को बंगले से बाहर ले गया, उसने उसे आजाद कर दिया था। मैथिली यहाँ वहाँ घूम रही थी और उसके पीछे पीछे थोड़ी ही दूरी पर कुमार था। मैथिली को आए हुए दो दिन से ज्यादा हो गए थे, मगर उसे अब तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला था कि आखिर कुमार ने उसे किडनैप किया तो किया कैसे? उसने अकेले तो नहीं किया होगा? मैथिली ने थोड़ी ही देर में गौर किया कि उन दोनों के अलावा वहाँ पर कोई भी नहीं है। चारों तरफ घूमने के बाद, मैथिली ने मन ही मन सोचा,
मैथिली(यकीन से) : "मुझे एक बार और try करना चाहिए, मगर इस बार मुझे कुछ अलग प्लान बनाना होगा। मुझे कुछ ऐसा करना होगा कि कुमार इस बंगले से दूर उस नदी के पार चला जाए, जिसके बाद फिर मेरे पास काफी वक्त होगा। मैं इस बार चप्पू वाली नाव से यहां से भागुंगी...."
मैथिली ये सब कुछ मन ही मन सोच रही थी, वहीं कुमार पास में ही बैठकर उसे देख रहा था। जैसे जैसे हवाएं चल रही थी, मैथिली के खुले बाल हवा में लहरा रहे थे। कुमार को ये सब कुछ एक सुकून दे रहा था, मगर कुमार ये नहीं जानता था कि मैथिली मन ही मन उसे वहाँ से दूर करने के बारे में सोच रही थी ताकि वो वहाँ से भाग सके।
इस बार मैथिली कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि अगर उसने इस बार गलती की तो कुमार उसे नहीं छोड़ेगा और उसके लिए खतरा और बढ़ जायेगा। कुमार अभी मैथिली को देख कर मुस्कुरा ही रहा था कि अचानक से उसने देखा मैथिली वहाँ से भागते हुए बगले के अंदर जा रही है। कुमार ने चिल्लाते हुए कहा, "मैथिली!!...क्या हुआ? तुम इस तरह से भाग क्यों रही हो? मैथिली क्या परेशानी है, मुझे बताओ?"
मैथिली नहीं रुकी। कुमार को बहुत अजीब लगा। कुमार भागता हुआ जल्दी से मैथिली के कमरे के बाहर आया, उसने देखा कमरे का दरवाजा अंदर से बंद है। कुमार को समझ में नहीं आया कि आखिर मैथिली क्या करना चाहती है। वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा, "मैथिली दरवाजा खोलो मैथिली..... मैथिली तुम्हें मेरी आवाज़ सुनाई दे रही है।"
करीब 2 मिनट तक कुमार दरवाजा पीटता रहा, आखिर में जब मैथिली ने दरवाजा नहीं खोला तो कुमार को किसी अनहोनी का डर सताया। वो दरवाजा तोड़ने ही वाला था कि मैथिली ने दरवाजा खोल दिया। उसे इस तरह से देख कर कुमार चिल्लाते हुए बोला, "आखिर क्या हो जाता है तुम्हें अचानक, तुम क्या करने लगी थी?"
कुमार चिल्लाता जा रहा था मगर मैथिली सर झुका कर खड़ी थी। काफी तेज चिल्लाने के बाद अचानक से कुमार को एहसास हुआ कि उसे इस तरह से मैथिली पर नहीं चिल्लाना चाहिए। तभी मैथिली ने कुमार से कहा, "कुमार, तुम्हें वापस से मेडिकल जाना होगा।" कुमार ये सुन कर हैरान हो गया। उसे समझ नहीं आया कि आखिर मैथिली के कहने का क्या मतलब है? उसने जब कारण पूछा तो मैथिली ने बताया,
मैथिली(झिझकते हुए) : "girls प्रॉब्लेम है! अब वह भी बताऊ की क्या होती है?
कुमार मैथिली की परेशानी एक बार में ही समझ गया। अगले ही पल कुमार ने बंगले का main दरवाज़ा बंद किया और motorboat से नदी के उस पार जाने लगा। इस बार कुमार ने मैथिली को एक कमरे में नहीं बंद किया था ताकि मैथिली को अगर दूसरे कमरे में जाना हो तो जा सके। कुमार के जाते ही मैथिली खिड़की पर चढ़ गई और वहां से होते हुए, उसने एक पेड़ की डाल को पकड़ लिया। मैथिली उस डाल को पकड़ कर झूलते हुए बंगले से बाहर आ गई। उसका पहला पड़ाव पार हो चुका था। वो अब नाव की तरफ़ तेज़ रफ़्तार से जाने लगी। वहीं इधर दूसरी तरफ़ कुमार जो आधी नदी पार कर चुका था, एकाएक ही उसे याद आया कि उसका phone दूसरे कमरे में छूट गया है।
“अगर मैथिली को phone मिल गया तो... गड़बड़ हो जाएगी...मुझे वापस जाना होगा..." कहते हुए कुमार ने motorboat को वापस बंगले की तरफ़ मोड़ दिया। क्या करेगा कुमार अब जब उसे दिखेगा की मैथिली ने फिर से भागने की कोशिश की है?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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