मैथिली ने जैसे ही इस आवाज़ को सुना वो बुरी तरह से कांप गई। ऐसा लग रहा था, जैसे मौत उसके सामने थी। कुमार को इस तरह से देखकर मैथिली कभी भी नहीं घबराई थी। उसने देखा कि कुमार धीरे धीरे चलता हुआ उसी की ओर आ रहा था। वहीं इधर दूसरी तरफ मैथिली motorboat को पानी में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थी उसने engine तो चालू कर लिया था, मगर motorboat आगे बढ़ नहीं रहा था।
उसकी नाकाम कोशिश को देख कुमार हँसते हुए बोला,
कुमार(हंसते हुए) : "मैथिली तुम्हें क्या लगता है...मैं इतना बेवकूफ हूँ...इस motorboat को operate सिर्फ मैं ही कर सकता हूँ और कोई नहीं इसलिए बेहतर होगा कि तुम अपनी ये बेकार कोशिश छोड़ दो..."
इतना कहते हुए कुमार मैथिली की ओर बढ़ता कि तभी मैथिली ने पानी में उतरते हुए कहा, "कुमार...मेरे पास मत आना... मैं पानी में आगे तक चली जाऊंगी... मैं अपनी जान दे दूंगी...."
मैथिली को इस तरह कहता देख कुमार ज़ोर ज़ोर से हंस रहा था, वो जानता था कि मैथिली चाह कर भी पानी में आगे नहीं जा सकती थी, क्योंकि मैथिली को गहरे पानी से डर लगता था। वो अगर तालाब में भी नहाती थी, तो किनारे ही नहाया करती थी, रीमा का हाथ पकड़ कर। मैथिली डर से कांप रही थी, कुमार ने इसी का फायदा उठाया और उसने उसकी कलाई पकड़ ली। मैथिली चिल्लाने लगी, "बचाओ....बचाओ...."
उसकी आवाज़ चारों तरफ गूंज रही थी, मगर उसकी सुनने वाला वहाँ पर कोई भी नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे आसपास के सारे पेड़, पौधे, पक्षी, जानवर सब शांत होकर ये सब देख रहे थे। कुमार खींचते हुए मैथिली को कमरे में ले गया और उसने उसे बिस्तर पर धड़ाम से पटकते हुए कहा,
कुमार(गुस्से से) : "तुम ये भूल रही हो कि अगर मैं तुम्हें यहाँ तक ला सकता हूँ तो तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर सकता हूँ, मगर हर बार मैं तुम्हें बस इसलिए माफ़ कर देता हूँ क्योंकि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ मैथिली और मेरा प्यार इजाज़त नहीं देता कि मैं तुम्हें ज़रा सा भी नुकसान पहुंचाऊं...."
इतना कहने के बाद कुमार ने मैथिली का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेते हुए, उसकी आंखों में घूर कर कहा,
कुमार(दांत पीसते हुए) : " तुमने दोबारा ऐसा कुछ किया तो फिर तुम्हें कभी भी कोई भी तलाश नहीं कर पाएगा। मैं तुम्हें सबसे इतनी दूर ले जाऊंगा कि वहाँ मेरे अलावा तुम्हें सपने में भी कोई दिखाई नहीं देगा, इतना याद रखना मैथिली...."
कहते हुए कुमार ने उस कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। मैथिली चिल्लाते रही, "बचाओ....बचाओ...."
मैथिली की आवाज उस रात के अंधेरे में ही गूंज कर रह गई। इधर दूसरी तरफ सुबह होने के साथ ही जीतेंद्र पुलिस स्टेशन आ पहुंचा। वो कल पूरा दिन गांव में भटका था क्योंकि उसने ये ठान लिया था कि एक बार वो खुद से पूरे गांव की तलाशी लेगा और कोई ना कोई सुबूत ढूंढ ही लेगा।
Cafe से लेकर स्कूल और मंदिर, जीतेंद्र ने एक एक जगह को छान लिया था मगर मैथिली का कुछ भी पता नहीं चल पाया था और अब जाकर वो पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर मलिक के सामने आकर बैठा था। उसकी हालत देख इंस्पेक्टर मलिक ने अपने अंदाज़ में कहा, "इतना परेशान काहे हो रहे हो बे, हम पर भरोसा नहीं है का?"
इंस्पेक्टर ने जिस अंदाज में कहा, जीतेंद्र ने table पर हाथ मारते हुए कहा,
जीतेंद्र(गुस्से से) : "आपको मजाक सूझ रहा है.... यहां पिछले दो दिनों से मैथिली का कुछ पता नहीं चल पाया है और आप मुँह में पान दबाए बैठे हैं, अगर आप से नहीं होता तो फिर कहिए, मैं कमिश्नर को सीधा फ़ोन लगाऊंगा।"
जीतेंद्र के इस तेवर को देखकर इंस्पेक्टर मलिक ने डंडा पटकते हुए कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(फुफकारते हुए) : "तुमको क्या लगता है, हम यहाँ बैठ के बस पान चबा रहे है, अरे!!.... इस case के चक्कर में दिमाग का पुरजा पुरजा हिल चुका है….तुमको पता है ना, कुमार नाबालिक है, हम ऐसे ही उसके साथ मारपीट नहीं कर सकते हैं....”
इंस्पेक्टर मलिक पूरी बात कहने के बाद, कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगे, जीतेंद्र भी शांत हो गया। तभी पीछे से एक constable ने कहा, "मगर साहब मुझे नहीं लगता कि उस बच्चे ने ऐसा कुछ किया होगा। वो काफी मासूम है सर।"
Constable के मुँह से जैसे ही ये निकला जीतेंद्र बुरी तरह से भड़क गया और बताने लगा कि कुमार कोई मासूम नहीं है, जीतेंद्र और रीमा को उसी पर शक है। इसके बाद जीतेंद्र ने आगे कहा,
जीतेंद्र(हड़बड़ा कर) : "शुरू में कुमार की बातों में मैं भी आ गया था मगर आप खुद सोचिये अगर कुमार ने मैथिली को किडनैप नहीं किया तो फिर कौन है.... कौन है उसका दुश्मन? बताइए.... है इस सवाल का जवाब.....(Pause)....नहीं है ना....तो फिर आपको मानना पड़ेगा कि मैथिली को कुमार ने ही किडनैप किया है।"
जीतेंद्र जिस दावे के साथ कह रहा था कहीं ना कहीं अब इंस्पेक्टर मलिक को भी कुमार पर शक होने लगा था। जीतेंद्र के प्रेशराइज करने के बाद इंस्पेक्टर मलिक धीरे धीरे करके एक एक चीज़ जानने लगे, जीतेंद्र उन्हें सब कुछ बताने लगा। ठीक उसी वक्त रीमा और मैथिली के पिताजी और चाचाजी कोहराम मचाते हुए पुलिस स्टेशन आ गए। उन तीनों को देखते ही इंस्पेक्टर ने पान की पिचकारी पीकदान में मारते हुए कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(भड़कते हुए) : "हाँ... हाँ...अब आप लोगों की ही कमी थी, अरे!!...तीन काहे पूरा गांव उठा कर ले आ जाते, यहाँ हमारी शादी का दावत चल रहा है ना....(pause)...हमने कह दिया कि हम कोशिश कर रहे हैं तो कोशिश कर रहे हैं। इससे ज्यादा क्या हम जान दे दें....अगर हम ही नहीं रहेंगे तो case कौन solve करेगा….बताइए?"
इंस्पेक्टर को इस तरह से बिफरतेहुए देख जीतेंद्र ने रीमा को मैथिली के पिताजी और चाचाजी को पुलिस स्टेशन से बाहर जाने के लिए कहा। थोड़ी देर तक पूछ्ताछ करने के बाद इंस्पेक्टर मलिक अपने कुछ कांस्टेबल को लेकर सीधा गांव की तरफ निकल गए। गांव पहुंचते ही उन्होंने अपने driver से सीधा जिस घर के सामने जीप रोकने को कहा, वो घर किसी और का नहीं बल्कि कुमार का था। कुमार के माँ बाप घर पर नहीं थे, घर का दरवाजा बंद था, इंस्पेक्टर मलिक ये देखकर बड़े हैरान होते हुए बोले,
इंस्पेक्टर मलिक(हैरानी से) : "ई!!!...साला सुबह सुबह घर का दरवाजा बंद काहे है बे? कहाँ गए हैं ये लोग.....कहीं लड़का के माँ बाबा भी तो इस किडनैपिंग में नहीं शामिल है?"
इंस्पेक्टर मलिक ये सब कह ही रहे थे कि तभी पीछे से आवाज आई, "मेरे माँ बाप एक गरीब इंसान है और वो हर दिन कोयले के खदान में मजदूरी करने जाते हैं, आज भी वो वहीं गए हैं।"
इंस्पेक्टर मलिक ने एक ही बार में इस आवाज को पहचान लिया। उन्होंने जैसे ही मुड़कर देखा सामने कुमार खड़ा था। कुमार के चेहरे पर सख़्ती थी क्योंकि धीरे धीरे वह समझ गया था कि अगर उसने डटकर इंस्पेक्टर का सामना नहीं किया तो फिर उसका सच बाहर आ सकता है। कुमार को अपने सामने देखते ही इंस्पेक्टर ने पूछा कि वो कहाँ गया था और कहाँ से आ रहा है? कुमार ने कहना शुरू किया,
कुमार(बिना किसी भाव के) : "मैं तालाब की तरफ गया था और फिर वहाँ से मंदिर में पूजा करके आ रहा था। इसी बीच आप लोगों को देखा.....आप लोगों को कुछ काम है तो कहिए, नहीं तो मैं चलता हूँ।”
इंस्पेक्टर ने कुमार को ऊपर से नीचे तक देखा। उसके बाल गीले थे, कपड़े भीगे हुए थे, उसे देखकर लग रहा था कि वो नहा के आ रहा है, उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा और चुपचाप कुमार को घूरते हुए वहाँ से जाने लगा। इंस्पेक्टर मलिक को ऐसा अब तक कुछ भी नहीं मिला था, जिससे उसका शक यकीन में बदल जाए। तभी constable ने कहा, "अगर वो लड़की खुद से ही घर छोड़ के गई होगी तो सबूत कहाँ से मिलेगा सर...."
इंस्पेक्टर मलिक को यकीन था कि मैथिली घर छोड़कर इस तरह से नहीं जा सकती क्योंकि उन्होंने जीतेंद्र के मुँह से पूरी कहानी सुनी थी और उनको यही लगा था कि मैथिली के साथ जरूर कुछ ना कुछ गलत हुआ है। इंस्पेक्टर ने जीप को किनारे खड़ा कर दिया और गांव में ऐसे ही टहलने लगे। उनके दिमाग में कुछ चल रहा था लेकिन तभी उन्होंने देखा कि सामने गली से कुमार एक बैग लिए जा रहा था। वहीं कई दुकान वाले थे, जो उसे देखकर शांत हो गए थे। उनके चेहरे के भाव कुछ अलग ही नजर आने लगे थे। जैसे जैसे कुमार आगे बढ़ रहा था, कुछ दुकान वाले नज़र बचाने की कोशिश कर रहे थे।
इंस्पेक्टर मलिक को ये बहुत ही odd लगा। उन्होंने मन ही मन कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(मन में) : "एक 16 साल के लड़के को देखकर इन दुकान वालों के चेहरे क्यों सूख रहे हैं....कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है? हमको देखना पड़ेगा वरना ऐसे तो ये case solve होने से रहा।"
इंस्पेक्टर मलिक इतना कहते हुए एक किराने दुकान के बाहर आकर रुक गए। इंस्पेक्टर को देखते ही दुकान वाले के चेहरे पर एक डर का भाव आ गया। वो हड़बड़ाते हुए दुकान के अंदर चला गया। तभी इंस्पेक्टर ने मुँह में पान रखते हुए कहा, "अंदर काहे भग लिए बे!!... ज़रा बाहर आओ....कुछ सवाल जवाब करना है तुमसे...."
इंस्पेक्टर मलिक की आवाज़ सुनते ही वो दुकान वाला घबरा गया, वो बाहर ही नहीं आ रहा था, इंस्पेक्टर मलिक को थोड़ा doubt हुआ, तभी उन्हें अंदर से कुछ सामान गिरने की आवाज़ आई। इंस्पेक्टर मलिक कुछ समझ पाते इतने में वो दुकानदार पीछे के दरवाजे से भाग निकला।
थोड़ी दूरी पर खड़े constable ने चिल्ला कर कहा, "सर वो दुकान वाला तो वहाँ उस दरवाजे से भाग निकला, जल्दी से पीछा करिये।" कॉन्स्टेबल ने जिस तरह से order देकर कहा था, इंस्पेक्टर मलिक ने उसे घूरते हुए कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(बिफरते हुए) : "अबे हम तुम्हारे साहब हैं, तुम हमको क्या order दे रहे हो, उसका पीछा करो और हम को कैसे भी करके वो ज़िंदा चाहिए, नहीं तो हम किसी का promotion नहीं होने देंगे... इतना याद रखना..."
इंस्पेक्टर इतना कहते हुए एक दूसरे रास्ते से उस आदमी को पकड़ने के लिए भाग खड़े हुए। उनको समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो दुकानदार इस तरह से दुम दबाकर भागा क्यों? उन्होंने मन ही मन कहा, "कहीं ये उस किडनैपर से मिला हुआ तो नहीं है या कहीं वो किडनैपर ये दुकान वाला तो ही नहीं है, कुछ तो झोल है...."
इतना कहकर इंस्पेक्टर कुछ कदम आगे गए ही थे कि उन्होंने देखा वही दुकानदार अपने घुटनों पर बैठ कर, दोनों हाथ ऊपर किये हुए है। इंस्पेक्टर ने अगले ही पल अपनी बंदूक निकालते हुए कहा, "अब कहाँ भागोगे....मिल्खा सिंह....आखिरकार आ गए ना औकात में...." इतना कहते हुए इंस्पेक्टर मलिक ने उस दुकानदार को कॉलर से पकड़ा और उसे एक जोरदार तमाचा मारते हुए पूछा कि आखिर वो भागा क्यों था? तभी दुकानदार ने कहना शुरू किया, "देखिए साहब अगर आप मुझे कुछ नहीं करियेगा तो ही मैं बताऊँगा।"
इंस्पेक्टर ने उसे यकीन दिलाया कि अगर वो बेकसूर होगा तो उसे कुछ भी नहीं होगा। दुकानदार ने आगे कहना शुरू किया, "कल सुबह सुबह कुमार मेरे दुकान में आया था, उसने बहुत सारा सामान लिया और जाते जाते उसने मुझे एक धमकी भी दी कि अगर उसके बारे में कोई पूछने आए या कोई पूछे कि उसने ये सामान वगैरह क्यों लिया है तो मैं किसी को भी ना बताऊँ।”
इतना कहने के बाद दुकानदार सांस लेने के लिए चुप हुआ, सारे लोग उसकी बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उसने आगे कहना शुरू किया, “साहब कुमार के पास एक बंदूक भी थी, इसलिए जब मैंने आपको देखा तो मैं अपने आप ही समझ गया कि आप जरूर कुमार के बारे में ही पूछने आए होंगे क्योंकि आजकल वह बहुत बदल गया है साहब....उसको देख कर अब गांव के कई लोग डरने लगे हैं, ना जाने उसे क्या हुआ है....और तो और जब से उसने बंदूक ली है, कोई उससे भिड़ने की हिम्मत ही नहीं करता...."
इंस्पेक्टर मलिक ये सब सुनकर हैरान थे। इसी बीच उनके सारे constable भी वहाँ आ चूके थे। उन्होंने भी जब ये सुना तो वे बुरी तरह से चौंक गए। उनका सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर कुमार के पास बंदूक आई तो आई कहाँ से?
इंस्पेक्टर मलिक और बाकी लोगों को ये भी पता चल गया था कि गांव के कुछ लोगों को कुमार ने जानबूझकर डरा कर रखा था, इसका ये मतलब था कि कुमार किस तरह का लड़का है वो गांव के उन कुछ लोगों को पता था, जिनमें से यह दुकानदार था। इंस्पेक्टर ने दुकानदार को यकीन दिलाते हुए कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(ऊंची आवाज़ में) : "तुम चिंता नहीं करो, अब उस कुमार के साथ हम भी game खेलेंगे। उसको लग रहा है कि वो चुपके चुपके कांड पर कांड करेगा और किसी को पता ही नहीं चलेगा ठीक है बेटा...."
इतना कहते हुए इंस्पेक्टर वहाँ से चले गए। करीब 1 घंटे के अंदर ही इंस्पेक्टर मलिक ने अपनी पूरी team बुलाई, जो civil dress में थे और plan बनाने लगे। पूरा plan बनाने के बाद इंस्पेक्टर मलिक ने चिल्लाकर कहा,
इंस्पेक्टर मलिक(ऊंची आवाज़ में) : तुम सब को पता है ना? जैसा हमने समझाया, वैसा ही करना है। अगर किसी से ज़रा सा भी गलती हुआ तो कसम से हम उसको ऐसी जगह गोली मारेंगे कि उठते बैठते वो हमको याद करेगा, जान लो.....(Pause)....चलो काम शुरू करो...उस दुकानदार का कहना है कि कुमार फिर से सामान लेने आएगा तो अब तुम लोगों को क्या करना है, हम बता दिए हैं...."
धीरे धीरे माहौल बदल गया था। अब इंस्पेक्टर का पलड़ा भारी होने वाला था। आखिर क्या होने वाला था, कुमार के साथ ये सवाल बना हुआ था। क्या है इन्स्पेक्टर मालिक की प्लैनिंग कुमार को पकड़ने की?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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