तभी, तहखाने का दरवाज़ा खुला और वही वेटर अंदर आया। उसके चेहरे पर अब भी वही ठंडी मुस्कान थी। उसके पीछे डिकोस्टा था, जिसके चेहरे पर आत्मविश्वास और क्रूरता का मिश्रण था।
"जाग गए, मेल्विन?" डिकोस्टा ने कहा, उसकी आवाज़ मेल्विन के कानों में ज़हर घोल रही थी। "मैंने तुम्हें कहा था, तुम्हारी पसंद गलत थी।"
मेल्विन ने उसे घूर कर देखा। "तुम... तुम मुझे मार नहीं सकते। मैं... मैं जानता हूँ फियास्को फैमिली के बारे में।"
डिकोस्टा और वेटर दोनों हँसे, एक भयानक, दिल दहला देने वाली हँसी। "तुम क्या जानते हो, मेल्विन? तुम्हें लगता है कि एक नाम जानने से तुम सब कुछ जान जाते हो? तुम्हें लगता है कि तुम हमें खत्म कर सकते हो?" डिकोस्टा हँसते हुए आगे बढ़ा, "तुम्हें लगता है कि तुम हमारे बॉस से लड़ सकते हो? यह खेल अभी शुरू हुआ है, मेल्विन।"
मेल्विन को लगा कि उसकी ज़िंदगी एक ऐसे मोड़ पर आ गई है, जहाँ से वापस लौटना नामुमकिन है। यह सिर्फ़ बदला लेने की लड़ाई नहीं थी, यह एक ऐसे साम्राज्य के खिलाफ़ युद्ध था जिसकी जड़ें बहुत गहरी थीं। क्या वह इस युद्ध में ज़िंदा बच पाएगा?
डिकोस्टा के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी, जैसे वह मेल्विन की हर प्रतिक्रिया को पढ़ रहा हो। तहखाने की ठंडी, नम हवा में मेल्विन की साँसें तेज़ हो रही थीं, लेकिन उसकी आँखें डिकोस्टा पर टिकी थीं। अब उसके मुँह में पट्टी लगी हुई थी।
"यह सिर्फ़ बदला लेने की बात नहीं है, मेल्विन," डिकोस्टा ने अपनी आवाज़ को नर्म करते हुए कहा, जैसे कोई साँप फुफकार रहा हो। "यह शक्ति की बात है। तुम क्या समझते हो, हम छोटे-मोटे अपराधी हैं? हम एक ऐसी व्यवस्था चला रहे हैं जो इस दुनिया को बदल सकती है। और तुम... तुम उसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हो। तुम जानते हो? तुम कुछ खास हो। तुम अपनी काबिलियत को अभी तक नहीं जानते। इसलिए तुम्हें बोल रहा कि तुम हम में से एक हो जाओ। राज करोगे।"
मेल्विन ने उसे घूर कर देखा। मुँह पर टेप लगी होने के कारण वह कुछ बोल नहीं पा रहा था, लेकिन उसकी आँखों में विद्रोह साफ दिख रहा था।
"देखो, मेल्विन," डिकोस्टा आगे बढ़ा, उसके हाथ में एक छोटी सी स्क्रीन थी जिस पर 'नवजीवन' के विज्ञापन की फुटेज चल रही थी। "तुमने यह विज्ञापन देखा। तुम्हें लगा कि यह पाखंड है, है ना? कि हम 'नवजीवन' के नाम पर कुछ और कर रहे हैं।"
डिकोस्टा हँसा, एक ठंडी, गणनात्मक हँसी। "तुम आधे सच से भी कम जानते हो।"
उसने स्क्रीन पर कुछ टैप किया, और 'नवजीवन' के विज्ञापन के साथ-साथ, वही अंगों की तस्करी वाले भयानक विज्ञापनों की झलकियाँ भी दिखानी शुरू कर दीं। मेल्विन की आँखें चौड़ी हो गईं, जैसे वह इस भयानक सच्चाई को पचाने की कोशिश कर रहा हो।
"यह है हमारा असली खेल," डिकोस्टा ने फुसफुसाते हुए कहा। "हम ज़रूरतमंदों को उम्मीद देते हैं, उन्हें 'नवजीवन' में आश्रय देते हैं। और बदले में... हम उनसे वो लेते हैं जिसकी दुनिया में सबसे ज़्यादा ज़रूरत है – जीवन के अंग।"
मेल्विन के दिमाग में एक भयंकर तूफान उठ रहा था। वह यह सब समझ नहीं पा रहा था। 'नवजीवन' का चेहरा, और उसके पीछे यह जघन्य व्यापार... क्या यह संभव था कि कोई इतना क्रूर हो सकता है?
"तुम्हारी माँ को क्यों मारा गया, मेल्विन?" डिकोस्टा ने अचानक पूछा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गंभीरता थी। "क्या तुम्हें लगता है कि यह सिर्फ बदला था? नहीं। तुम्हारी माँ एक कुर्बानी थी। कुर्बानी, एक बेहतर भविष्य के लिए, एक बेहतर कल के लिए।"
मेल्विन को अपनी माँ की याद आई, उसकी दयालु आँखें, उसकी निडर भावना।
"अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं, मेल्विन," डिकोस्टा ने अपनी बात जारी रखी। "पहला, तुम हमें चुनौती दो, और तुम्हारा अंत वहीं होगा जहाँ तुम्हारी माँ का हुआ। तुम उस गहरी खाई में गिरोगे जहाँ से कोई वापस नहीं आता। और दूसरा..." वह एक क्षण रुका, मेल्विन की आँखों में सीधे देखते हुए। "तुम हमारे साथ आ जाओ।"
वेटर, जो अब तक खामोश खड़ा था, मुस्कुरा रहा था। उसकी मुस्कान मेल्विन को असहज कर रही थी।
"हमारे साथ आकर, तुम अपनी माँ का बदला ले सकते हो," डिकोस्टा ने लुभाने वाली आवाज़ में कहा। "लेकिन हमारे तरीके से। तुम हमारी ताकत का हिस्सा बनोगे, और तुम इस दुनिया को अपने हिसाब से बदल पाओगे।"
मेल्विन ने अपने दिमाग में उन सभी चीज़ों को दोहराया जो उसने अभी तक देखी थीं, सुनी थीं। फियास्को फैमिली का नाम, सिंडिकेट की क्रूरता, 'नवजीवन' का मुखौटा, और अब अंगों की तस्करी का भयानक सच। क्या वह सच में इन लोगों के साथ मिल सकता था? क्या वह इस बुराई का हिस्सा बन सकता था, सिर्फ इसलिए कि उसे बदला लेना था?
उसने अपनी गर्दन हिलाई, एक दृढ़ 'नहीं' में।
"अभी भी नहीं मानते?" डिकोस्टा के चेहरे पर निराशा नहीं, बल्कि एक अजीब सी संतुष्टि थी। "तुम्हारी ज़ुबान भले ही बंद है, लेकिन तुम्हारी आँखें सब कह रही हैं। तुम अभी भी हमसे लड़ना चाहते हो?"
मेल्विन ने फिर से ज़ोर से गर्दन हिलाई।
"ठीक है," डिकोस्टा ने कहा, उसकी आवाज़ में अचानक एक ठंडापन आ गया। उसने वेटर की तरफ देखा, उसकी आँखों में एक खतरनाक चमक थी। "वेटर, इसका खेल खत्म करो।"
वेटर की मुस्कान और चौड़ी हो गई। उसने अपनी जैकेट के अंदर से एक छोटी, साइलेंसर वाली पिस्तौल निकाली। पिस्तौल की ठंडी चमक मेल्विन की आँखों में reflected हुई। मेल्विन की साँसें तेज़ हो गईं, उसका दिल ज़ोर से धड़कने लगा। क्या यह उसका अंत था? क्या वह अपनी माँ का बदला लिए बिना ही मरने वाला था?
वेटर ने पिस्तौल मेल्विन की तरफ़ उठाई। मेल्विन ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसे लगा कि यह अब खत्म होने वाला है। उसने अपनी माँ का चेहरा याद किया, और उसके होठों पर एक हल्की सी, लगभग अदृश्य मुस्कान आई – शायद यह हार नहीं, बल्कि एक नए युद्ध की शुरुआत थी।
वेटर ने अपनी उंगली ट्रिगर पर रखी, और धीरे-धीरे उसे दबाना शुरू किया...
तभी, तहखाने का दरवाज़ा धड़ाम से खुला। एक आदमी भागा-भागा अंदर आया, उसके चेहरे पर पसीना और घबराहट साफ दिख रही थी।
"बॉस! रुकिए!" वह हाँफते हुए चिल्लाया। "अभी मत मारिए! चीफ खुद इस इलाके में आ रहे हैं! उन्हें अभी खबर मिली है!"
वेटर की उंगली ट्रिगर पर ही रुक गई। डिकोस्टा और वेटर दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, उनके चेहरे पर हैरानी और चिंता का मिश्रण था। 'चीफ' का नाम सुनते ही उनके चेहरे पर एक अजीब सी दहशत फैल गई।
"चीफ?" डिकोस्टा ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा। "वह यहाँ क्या कर रहे हैं?"
"मुझे नहीं पता, बॉस!" आदमी ने घबराते हुए कहा। "लेकिन वे कह रहे हैं कि वे मेल्विन से खुद मिलना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि मेल्विन को किसी भी कीमत पर ज़िंदा रखा जाए।"
वेटर ने पिस्तौल नीचे कर ली, उसके चेहरे पर अब कोई मुस्कान नहीं थी। उसने डिकोस्टा की तरफ देखा, जैसे कोई आदेश का इंतज़ार कर रहा हो।
डिकोस्टा मेल्विन की तरफ़ मुड़ा, उसकी आँखों में एक नया भाव था – उत्सुकता और कुछ हद तक डर। "तो, मेल्विन," उसने कहा, उसकी आवाज़ अब पहले जितनी आत्मविश्वासपूर्ण नहीं थी। "लगता है तुम्हारी किस्मत अच्छी है। या शायद... बुरी। हमारा चीफ तुमसे खुद मिलना चाहता है।"
मेल्विन ने अपनी आँखें खोलीं, और उसने देखा कि वेटर ने पिस्तौल हटा ली थी। उसे लगा कि उसे एक और मौका मिल गया है, लेकिन अब उसके सामने कौन आने वाला था? सिंडिकेट का 'चीफ', वह शख्स जो इस पूरे साम्राज्य को चला रहा था। यह एक और भी बड़ा जाल हो सकता था।
तहखाने में तनाव और गहरा गया था। डिकोस्टा और वेटर दोनों बेचैन थे, उन्हें 'चीफ' के आने का इंतज़ार था। मेल्विन को नहीं पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन एक बात तय थी – यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी।
डिकोस्टा और वेटर के चेहरे पर 'चीफ' के आगमन की खबर ने एक अजीब सा तनाव फैला दिया था। पिस्तौल नीचे हो चुकी थी, लेकिन तहखाने की हवा में अब भी मौत का साया मंडरा रहा था। मेल्विन को समझ आ रहा था कि उसे एक और मौका मिला है, लेकिन यह मौका उसे और भी गहरे दलदल में धकेल सकता था।
तभी, वेटर की जेब में रखा फोन फिर वाइब्रेट हुआ। उसने फुर्ती से फोन निकाला, स्क्रीन पर एक अनदेखा नंबर चमक रहा था। उसने कॉल उठाई, और दूसरे छोर से किसी की कठोर आवाज़ सुनाई दी। वेटर का चेहरा पीला पड़ गया।
"जी, सर... समझ गया, सर," वेटर ने काँपती आवाज़ में कहा। उसने डिकोस्टा की तरफ़ देखा, उसकी आँखें चौड़ी हो गई थीं। "बॉस... ऊपर से आदेश है। मेल्विन को दूसरे कमरे में शिफ़्ट करना होगा। चीफ उससे वहीं मिलेंगे।"
डिकोस्टा का माथा ठनका। "दूसरे कमरे में? क्यों?"
वेटर ने फोन बंद किया और धीरे से बोला, "उन्होंने कहा है कि मेल्विन की ज़िंदगी का फ़ैसला वहीं होगा। चीफ चाहते हैं कि यह मीटिंग पूरी तरह गोपनीय हो।"
मेल्विन के दिल की धड़कन बढ़ गई। 'चीफ' खुद उससे मिलना चाहते थे? और उसकी ज़िंदगी का फ़ैसला वहीं होगा? इसका मतलब था कि यह सिंडिकेट का सबसे बड़ा मुखिया था, वह शख्स जो इस पूरे भयानक खेल को चला रहा था। क्या यह उसके लिए एक मौका था, या एक और जाल?
डिकोस्टा ने एक गहरी साँस ली, जैसे वह किसी बड़े फैसले के लिए तैयार हो रहा हो। "ठीक है। इसे दूसरे कमरे में ले चलो। और सुनिश्चित करो कि कोई भी नज़दीक न भटके।"
वेटर ने सिर हिलाया और एक और आदमी को इशारा किया जो तहखाने के कोने में खड़ा था। दोनों मेल्विन की तरफ बढ़े। मेल्विन ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ-पैर अब भी बंधे हुए थे और इंजेक्शन के असर से उसका शरीर कमज़ोर था।
उन्होंने मेल्विन को उठाया और तहखाने के एक तरफ़ बने एक भारी लोहे के दरवाज़े की तरफ़ ले गए। दरवाज़ा अंदर से लॉक था, और वेटर ने एक कॉम्प्लेक्स कोड डायल किया। दरवाज़ा धीरे से खुला, एक अजीब सी चरमराती आवाज़ के साथ। अंदर का कमरा तहखाने से बिलकुल अलग था। यह छोटा था, लेकिन पूरी तरह से साउंडप्रूफ और एयर-कंडीशन्ड लग रहा था। कमरे के बीच में एक सिंगल कुर्सी रखी थी, और उसके सामने एक बड़ी, खाली मेज़ थी। कोई खिड़की नहीं थी, और हवा में एक अजीब सी रासायनिक गंध थी।
वेटर और दूसरा आदमी मेल्विन को कुर्सी पर बिठाने लगे। उन्होंने उसके हाथ-पैर खोले, लेकिन उसके शरीर में अब भी कमज़ोरी थी। उसके मुँह पर लगी टेप भी हटा दी गई। मेल्विन ने एक गहरी साँस ली, ताज़ी हवा उसके फेफड़ों में भर गई।
"तुम यहाँ इंतज़ार करोगे," वेटर ने ठंडी आवाज़ में कहा। "चीफ जल्द ही आएँगे। और तुम्हारी ज़िंदगी का फ़ैसला करेंगे।"
डिकोस्टा ने मेल्विन की तरफ़ देखा, उसकी आँखों में अब कोई क्रूरता नहीं थी, सिर्फ़ एक अजीब सी उदासी और कुछ हद तक डर था। "यह तुम्हारी पसंद थी, मेल्विन। अब तुम्हें उसके परिणाम भुगतने होंगे।"
उन्होंने मेल्विन को कमरे में अकेला छोड़ दिया, और दरवाज़ा धीरे से बंद हो गया। कमरे में पूर्ण सन्नाटा छा गया, इतना गहरा कि मेल्विन को अपनी साँसों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। वह कुर्सी पर बैठा था, उसके शरीर में दर्द था, लेकिन दिमाग में एक हज़ार विचार दौड़ रहे थे। 'चीफ' क्या चाहता था? क्या वह उसे मार डालेगा, या उसे अपने साथ काम करने के लिए मजबूर करेगा?
उसे अपनी माँ, नितिन, माया, मिस्टर कपूर, और अब रघु की बातें याद आईं। यह सब एक भयानक, जटिल जाल था। मेल्विन को पता था कि वह अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े इम्तिहान का सामना करने वाला था। यह उसके अस्तित्व की लड़ाई थी, और इस बार वह अकेला था।
उसने अपने चारों ओर देखा। कमरा बिलकुल खाली था, केवल एक कुर्सी और मेज़। लेकिन उस कमरे को ध्यान से देखने से ऐसा लग रहा था मानो उसे बच्चों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया हो। दीवारों में आकर्षक पेंटिंग्स, शायद आज पास कुछ खिलौने और बगल में एक बड़ा सा पर्दा जिसमें शायद प्रोजेक्टर से शोज दिखाए जाते हो। कोई भागने का रास्ता नहीं था। उसे 'चीफ' का इंतज़ार करना होगा। वह नहीं जानता था कि वह व्यक्ति कैसा होगा, कितना शक्तिशाली होगा, या उसके इरादे क्या होंगे।
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली, अपने अंदर बची हुई सारी हिम्मत बटोरी। उसने अपनी माँ का चेहरा याद किया, जिसने उसे कभी हार न मानने की सीख दी थी। उसने अपने पिता की डायरी के पन्नों को याद किया, जहाँ सच्चाई के लिए लड़ने का संकल्प था। उसने अपनी मुट्ठी भींच ली क्योंकि उसने तय कर लिया था कि इसके बाद जो भी होगा देखा जाएगा। वो लड़ने के लिए तैयार था।
लेकिन यह उसकी ज़िंदगी का अंतिम मोड़ हो सकता था, या शायद... एक नई शुरुआत।
क्या मेल्विन इस 'चीफ' के सामने खड़ा हो पाएगा, और अपनी ज़िंदगी का फ़ैसला अपनी शर्तों पर कर पाएगा? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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