धुएँ का गुबार कमरे में इतना घना हो गया था कि मेल्विन को ठीक से साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। उसका दिमाग चकरा रहा था, और उसे लगा जैसे उसके कान बजने लगे हैं। तभी, धुएँ को चीरती हुई एक आवाज़ गूँजी। यह आवाज़ उतनी तेज़ नहीं थी, पर उसमें एक अजीब सी गहराई थी, एक ऐसी गूँज जो सीधे आत्मा तक उतरती थी।

"मेल्विन!"

यह आवाज़! मेल्विन के पूरे शरीर में झुनझुनी दौड़ गई। वह जानता था यह आवाज़। यह वही आवाज़ थी जिसने उसे फ़ोन पर धमकी दी थी, वही आवाज़ जिसने उसे अपने लिए काम करने का प्रस्ताव दिया था। यह 'बॉस' था!

मेल्विन ने पलकें झपकाईं, अपनी आँखों को धुएँ से बचाने की कोशिश की। जिस पर्दे पर अभी भी चीफ का छाया दिख रहा था, उसी पर्दे के ठीक सामने, धुएँ के बीच एक आकृति उभरने लगी थी। वह आकृति काली थी, बिल्कुल एक परछाई की तरह, पर धीरे-धीरे वह परछाई छँट रही थी, क्योंकि वो आकृति अब पास आती जा रही थी। हर कदम के साथ धुएँ का पर्दा हट रहा था, और आकृति धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही थी।

एक भयानक सन्नाटा छा गया। मेल्विन ने अपनी साँसें रोक लीं। उसके सामने जो शख्स खड़ा था, वो वाकई खौफनाक था। उसने एक काला लबादा पहना हुआ था जो उसके पूरे शरीर को ढके हुए था, और उसके चेहरे पर एक काला, चमकदार मास्क था जिसमें सिर्फ़ उसकी आँखें चमक रही थीं। वो आँखें... वही आँखें जो वीडियो में उस बच्चे की थीं, वही आँखें जो इतनी तेज़ और कुशाग्र थीं। उन आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो उसकी असीम बुद्धिमत्ता और क्रूरता को दर्शा रही थी। यह क्रूरता किसी गुस्से या आवेश से नहीं थी, बल्कि एक ठंडी, कैलकुलेटेड, और भयानक क्रूरता थी।

वह आकृति ठीक मेल्विन के सामने आकर रुक गई। धुँआ अब लगभग छँट चुका था, और मेल्विन को साफ दिख रहा था कि ये कोई और नहीं, बल्कि सिंडिकेट का चीफ ही था। वो क्रूर शख्स जो न सिर्फ़ ताकत में, बल्कि बुद्धिमत्ता में भी दुनिया के श्रेष्ठतम में से एक था। उसकी मौजूदगी से कमरे की हवा में एक अजीब सा दबाव महसूस हो रहा था, जैसे खुद मौत उसके साथ खड़ी हो।

मुखिया ने अपना एक हाथ उठाया, और एक इशारा किया। कमरे में एक धीमी, गहरी, और गंभीर आवाज़ गूँजी। उसकी आवाज़ में एक अजीब सा मैग्नेटिज्म था, जो सीधे मेल्विन के दिमाग पर असर कर रहा था।

“मेल्विन... तुम्हारा स्वागत है।”

 

मेल्विन ने जवाब देने की कोशिश की, पर उसके गले से आवाज़ नहीं निकली। उसकी हिम्मत अब जवाब दे रही थी।

"तुमने हमें धमकी दी, मेल्विन।" मुखिया ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी शांति थी, जो उसके शब्दों को और भी डरावना बना रही थी। "तुमने कहा कि तुम हमें खत्म कर दोगे। मुझे ये साहस पसंद आया। पर साहस के साथ समझदारी भी ज़रूरी है, दोस्त।"

वह मेल्विन के करीब आया, इतनी करीब कि मेल्विन को उस लबादे से आ रही अजीब सी गंध महसूस हुई – लोहे और किसी केमिकल का मिश्रण। "तुम अकेले हो, मेल्विन। इस दुनिया में तुम्हारे पास कोई नहीं है। तुम्हारी माँ अब नहीं है। तुंम्हारे साथ अब कोई नहीं है, तुम अकेले हो।"

मेल्विन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। पर वो जानता था कि वो अकेला नहीं है, नितिन उसके साथ था। ऐसे कई चेहरे होंगे जो उसके साथ होंगे। नहीं, मेल्विन अकेला नहीं था। उसने पूरी तैयारी की थी। मेल्विन अपने मन में यह सब सोचता ही रहा कि तभी चीफ के हरकतों से ऐसा लगा जैसे वो मेलवीन को पढ़ चुका है। वो जानता था कि मेल्विन इस वक़्त क्या सोच रहा है। इस उस चीफ के पीछेवाला पर्दा फिर से जगमग हो उठा। 

"मैं जानता हूँ कि तुम इस वक़्त क्या सोच रहे हो।"- चीफ ने कहा। 

उसके बाद चीफ के पीछे वाले पर्दे में एक आकृति दिखने लगी। खून से लथपथ, बेजान। वो शरीर नितिन का था। नितिन अब मर चुका था। इस बात ने मेल्विन को अंदर से झकझोर दिया। 

"तुम इसके बारे में अभी सोच रहे हो न?"- चीफ ने आगे कहा 

जिसके जवाब में मेल्विन ने कुछ नहीं कहा, बस मन ही मन सोचता रहा। "नितिन मर चुका है?यह कैसे हो सकता है? कहीं ये उनकी कोई चाल तो नहीं? अगर नितिन मर चुका है तो फिर बच्चों का क्या? क्या वे भी" मेल्विन यह मन ही मन सोच ही रहा था कि तभी उस चीफ ने कहा- 

"चिंता मत करो। बच्चे सुरक्षित हैं।"- चीफ ने फिर कहा। 

उसके इतना कहते ही मेल्विन हक्का बक्का रह गया। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो जो कुछ भी सोच रहा था उस चीफ को सब पता चल जा रहा था। आखिर यह कैसे सम्भव था? क्या वो इतना बुद्धिमान था कि वो किसी के मन तक को पढ़ सकता था। तभी उस चीफ की आवाज फिर से गूंज उठी।

"तुम्हें लगता है कि तुम हमें हरा सकते हो?" चीफ ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी हँसी थी। "ये सिंडिकेट जो तुमने देखा है... ये सिर्फ़ एक छोटा सा हिस्सा है। हमारी जड़ें इतनी गहरी हैं, इतनी पुरानी हैं, कि तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। तुम्हारी सरकारें, तुम्हारी खुफिया एजेंसियां... सब हमारी मुट्ठी में हैं। हमें कोई नहीं रोक सकता।"

मेल्विन की मुट्ठियाँ कस गईं, उसके नाखून हथेली में धँस गए।

"तुम हमारे लिए काम करोगे, मेल्विन।" -चीफ ने कहा। 

"लेकिन मैं ही क्यों? अगर तुम सच में इतने ताकतवर हो तो मुझसे ही क्यों मदद चाहिए। कुछ महीने पहले तक तो हम तो जानते तक नहीं थे एक दुसरे को।"- मेल्विन ने कहा। ।

"ऐसा सिर्फ तुम्हें लगता है।"

चीफ के इतना कहते ही वह पर्दा फिर से तस्वीरों से भर गया। पर इस बार तस्वीरें मेल्विन की थी। उसका ट्रैन से सफर करके ऑफिस जाना। ऑफिस में ड्राइंग बनाना। अपनी माँ से मिलना। सब कुछ दिखने लगा। फिर चीफ ने कहा- 

"हमने हमेशा से तुमपर नजर रखा था मेलवीन। हम तुम्हारे

हर एक कदम पर नजर रख रहे थे। तुम्हें लगता है कि तुमने हमें खोजा है। नहीं मेल्विन। तुम्हें पता है कि हमने तुम्हें क्यों चुना? क्योंकि हमें तुममें हमेशा से वो दिखा जो तुम खुद में नहीं देख पाए। तुम एक प्यादा नहीं हो, मेल्विन।" चीफ ने कहा। "तुम एक हथियार हो। एक हथियार जो हमारे लिए काम कर सकता है। सोचो, तुम्हारे पास असीमित जानकारी होगी, असीमित संसाधन होंगे। तुम उन लोगों को ढूंढोगे जिन्होंने तुम्हारी माँ को मारा, जिन्होंने तुम्हारे पिता का जीवन बर्बाद किया। और तुम उन्हें खत्म करोगे।" 

जिसे सुनकर मेल्विन जोर-जोर से हँसने लगा- "सिंडिकेट का चीफ, दुनिया का सबसे तथाकथित सबसे बुद्धिमान इन्सान, मेरे सामने मन्नतें कर रहा है। मुझे मनाने की कोशिश कर रहा है। जबकि मेरे बार-बार कहने पर की मैं उसके लिए काम नहीं करूँगा। वो फिर भी कोशिश कर रहा है। तुमसे तो अच्छा तो डिकोस्टा है, बात समझते ही बंदूक मेरे सर पर तान दिया। उसे भी पता था कि किसे कब तक मनाना है, लेकिन तुम। तुम तो बेवकूफ हो। किसी के मन की बात तक नहीं पड़ सकते। सच्चे बेवकूफ तो तुम हो।"- मेल्विन ने हँसना जारी रखा। 

जिसे सुनकर चीफ भी हँस पड़ा। फिर कुछ देर शांत रहने के बाद उसने एक गहरी साँस ली फिर उसे छोड़ते हुए कहा- 

"जब 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ था तो कई सैनिकों की जान गई थी। यह वो वक़्त था जब हमारी कंपनी अपने अंगों के व्यापार को नया आयाम देना चाहती थी कई नए देशों में अपना विस्तार कर के। ऐसे में तुंम्हारे पिता भी अपने क्राइम को दुनिया भर में फैलाना चाहते थे। वे एक ऐसा व्यवसाय ढूंढ रहे थे जिसमें उन्हें सबसे ज्यादा फायदा हो। तब उनसे हम मिले और न सिर्फ मिले, बल्कि उन्होंने हमारी जरूरत को समझा। उन्होंने उस वक़्त हमें वो सब कुछ दिया जिसकी हमें उस वक़्त सख्त जरूरत थी। उन्होंने हमें सैनिकों के अंग दिए, हमें विस्तार दिया और बदले में हमने उन्हें पैसे दिए। वे, पैसे जो उनके सालों के मेहनत और उनके जोखिम का नतीजा था। जो उनके और उनके परिवार के भलाई के लिए था। लेकिन तुमने उन पैसों का क्या किया? हमें ही वापिस कर दिया उन जानों को बचाने के लिए जिसकी कद्र तुंम्हारे पिता तक नहीं करते। तुम्हें लगता है कि तुंम्हारे पिता को तुमपर नाज़ होगा? नहीं, उन्हें तुमपर घिन्न आएगी।"-चीफ ने कहा। 

मेल्विन अभी भी सदमे में था, उसकी आँखों के सामने उसके पिता की एक ऐसी तस्वीर उभर रही थी जिसे वह कभी देखना नहीं चाहता था। क्या यह सच था? क्या उसके पिता वाकई इतने निर्दयी थे कि मासूम सैनिकों के अंगों का व्यापार कर रहे थे? उसका दिमाग इन विचारों से जूझ ही रहा था कि चीफ ने अपनी बात जारी रखी।

"तुम्हारे पिता का हमारे सिंडिकेट के तब के चीफ के साथ गहरे सम्बन्ध थे," चीफ ने कहा, उसकी आवाज़ में इतिहास की गूँज थी। "फियोस्का परिवार हमेशा से इस सिंडिकेट की रीढ़ रहा है। उस समय, फियोस्का परिवार के चीफ के दो बच्चे थे – एक बेटा और एक बेटी। बेटा ताकतवर और क्रूर था, और वो वह सारी खूबियाँ रखता था जो इस सिंडिकेट को आगे बढाने के लिए जरूरी था लेकिन बस एक दिक्कत थी, उसमें दूरदर्शिता की कमी थी। वहीं दूसरी ओर, बेटी, असाधारण रूप से बुद्धिमान थी। उसकी सोच इतनी गहरी थी कि वह किसी भी स्थिति को शतरंज की बिसात की तरह देखती थी, हर कदम पहले से भांप लेती थी।"

चीफ ने एक पल के लिए अपनी बात रोकी, जैसे वह पुरानी यादों में खो गया हो। " बेटी हमेशा से जानती थी उसमें ही असली क्षमता है, वही थी जो इस सिंडिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती थी। लेकिन, परंपरा के नाम पर, फियोस्का परिवार के चीफ ने बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया। फियोस्का फैमिली में यह एक आम बात थी, लेकिन बेटी ने इसे स्वीकार नहीं किया।"

मेल्विन ने साँसें रोक लीं, अब उसे इस कहानी में दिलचस्पी होने लगी थी। यह सिर्फ़ एक सिंडिकेट नहीं था, यह एक परिवार की गाथा थी, सत्ता के लिए संघर्ष की कहानी थी।

"बेटी ने चुपचाप काम किया," चीफ ने आगे कहा। "उसने अपने भाई की हर गलती का फायदा उठाया, उसकी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाया। उसने जाल बुना, और बेटे को ऐसे हालात में फँसाया कि वह खुद ही अपनी बर्बादी का कारण बन गया। जब सब खत्म हो गया, तब बारी बेटी की आयी।" 

इतना कहकर चीफ शांत हो गया फिर चीफ ने एक गहरा साँस लीया और तभी, कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई। चीफ ने अपना काला, चमकदार मास्क धीरे-धीरे उतारना शुरू किया। मेल्विन की धड़कनें तेज हो गईं। मास्क हटने लगा, और उसके नीचे से एक सुंदर, लेकिन अत्यंत तीखे नैन-नक्श वाला चेहरा सामने आया। वह एक महिला थी, उसकी आँखें वही थीं जो उसने वीडियो में देखी थीं, वही आँखें जो असीम बुद्धिमत्ता और क्रूरता को दर्शा रही थीं। उसने आगे कहा-

"और बेटी ने? बेटी ने बिना किसी खून-खराबे के, बिना किसी विवाद के सिंडिकेट की बागडोर संभाली। उसने दिखाया कि सच्ची ताकत सिर्फ़ क्रूरता में नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता में होती है। और तब से मैं इस सिंडिकेट को चला रही हूँ।"

उसके बाद उसने मेल्विन की तरफ देखा और पूछा- 

"तुम मेरा कॉल क्यों नहीं उठा रहे थे मेल्विन?"

मेल्विन की आँखें फटी रह गईं। 

"रेबेका...?" उसके मुँह से केवल यही शब्द निकला। क्योंकि वो इस वक़्त जो कुछ भी देख रहा था उसपर यकीन ही नहीं कर पा रहा था। 

"हाँ, मेल्विन। रेबेका, रेबेका फ़ियासको, फ़ियासको फैमिली की सबसे समझदार वारिस।" चीफ ने कहा, उसकी आवाज़ अब पहले से कहीं ज़्यादा स्पष्ट थी, लेकिन उसमें वही अजीब सी गहराई और चुंबकत्व था। 

रेबेका ने एक कदम आगे बढ़ाया, और मेल्विन को महसूस हुआ कि उसके आसपास की हवा और भी घनी हो गई है।

"तुम अक्सर लोकल ट्रेन में मुझे देखने आते थे, मुझे देखने की कोशिश करते रहते थे जबकि हकीकत तो यह था कि मैं हमेशा से तुम्हें देख रही थी। मैं तुम्हारी हर हरकत पर नज़र रख रही थी।"

उसकी आँखों में एक ठंडी चमक थी, जैसे वह मेल्विन के मन को पढ़ रही हो। "मुझे पता था कि तुम कौन हो, तुम्हारी क्षमता क्या है। मुझे पता था कि तुम अपने पिता से कितने अलग हो। और तुम क्या कर रहे हो और जब तुमने मुझे इम्प्रेस करने के लिए मेरे सामने अपना रुमाल गिराया था, सच बोलू तो मैं तुंम्हारे बेवकूफी पर बहुत ज्यादा हँसी थी।" 

मेल्विन के लिए यह किसी डरावने सपने से कम नहीं था। उसने अपनी माँ को खो दिया, ‘मी’ से दूर हो गया और जिस लड़की को वह सबसे ज्यादा बचाने की कोशिश कर रहा था। उसी ने उससे सारी खुशियाँ छीन ली। वही, लड़की जो अब रह रहकर मेल्विन को अपने शब्दों से चोट पहुँचा रही थी। इससे बुरा और क्या ही हो सकता था। 

अब आगे क्या होगा? कैसे निकलेगा मेल्विन इस खतरे से? इस दुख से कैसे उबर पाएगा? क्या मेल्विन रिबेका के साथ मिल जाएगा या उसी के हाथों अपनी जिंदगी गँवा देगा। जानने  के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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