गाँव में रात का सन्नाटा पसरा था। बाहर की हल्की हवा खिड़कियों से टकराकर एक अजीब-सी सरसराहट पैदा कर रही थी। गाँव में सब सोए हुए थे। प्रियंका के घर का माहौल अजीब था। कमरे में घना अँधेरा था। प्रियंका की आंखों से अजीब चमक निकल रही थी, जो अंधेरे को चीरकर बाहर तक दिख रही थी। प्रियंका बिस्तर पर बैठी थी। उसके चेहरे पर एक भयानक मुस्कान थी। वह दीवार को घूर रही थी, जैसे वहाँ कुछ देख रही हो। ऐसे में वह बीच-बीच में, कभी-कभी ज़ोर से हंस पड़ती, उसकी हंसी इतनी डरावनी थी कि घर के बाक़ी लोग भी घबरा रहे थे।
कविता
अमित... सुनो, प्रियंका के कमरे से फिर आवाजें आ रही हैं। मुझे डर लग रहा है।
प्रियंका के माँ बाप धीरे-धीरे प्रियंका के कमरे की ओर बढ़े। कमरे के पास पहुँचते ही उन्हें प्रियंका की हंसी सुनाई दी, जो अचानक बंद हो गई। कविता ने दरवाज़ा हल्के से खोला और प्रियंका को बिस्तर पर बैठे देखा। उसकी आँखें दीवार पर टिकी थीं और वह बड़बड़ा रही थी।
कविता
प्रियंका... बेटा, तुम ठीक तो हो?
प्रियंका ने झटके से अपनी माँ की तरफ़ देखा। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। वह कुछ अजीब-सी भाषा में बड़बड़ाने लगी, जिसे कविता समझ नहीं सकी और फिर अचानक...
प्रियंका
तुम्हें लगता है, तुम मुझे रोक सकती हो? ये शरीर अब मेरा है।
ये सुनकर प्रियंका की माँ का दिल दहल गया। वह घबरा कर पीछे हटने लगी।
अमित
प्रियंका! क्या हुआ तुम्हें? ये सब क्या बोल रही हो?
प्रियंका अचानक से खड़ी हो गई। उसका शरीर अकड़ने लगा। उसने दीवार की ओर इशारा किया, जैसे किसी को देख रही हो।
प्रियंका
बस कुछ दिन की बात है, फिर सब ख़त्म हो जाएगा। तुम लोग भी॥
ये सुनकर प्रियंका के बाप ने तुरंत कमरे में रखी हनुमान चालीसा निकाली और उसे पढ़ना शुरू किया। प्रियंका उनके सामने झटपटाने लगी। उसके हाथ हवा में तैरने लगे और उसने ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया।
प्रियंका
रुको! बंद करो ये! मुझे मत रोको! मुझे बदला लेना है।
प्रियंका की माँ ने पास पड़ी पूजा की थाली से भगवान का कलावा उठाया और प्रियंका के हाथ में बाँध दिया। जैसे ही कलावा बंधा, प्रियंका की आवाज़ धीमी पड़ने लगी। वह धीरे-धीरे बेहोश होकर बिस्तर पर गिर पड़ी।
कविता
ये हमारी बेटी नहीं है। हमें पंडितजी को बुलाना होगा।
प्रियंका के माँ बाप अपने कमरे में चले गए। इसके बाद कमरे में अजीब सन्नाटा छा गया। रात का समय और भी भयानक हो गया था। घड़ी में रात के तीन बजने वाले थे। अचानक, प्रियंका का शरीर हरकत करने लगा। उसकी आँखें खुल गईं और वह चुपचाप उठ खड़ी हुई। उसके चेहरे पर फिर वही अजीब-सी मुस्कान थी। प्रियंका ने कलावा उतारकर फेंक दिया और तेज-तेज कमरे में चलने लगी। उसकी चाल अजीब थी, जैसे वह किसी और के इशारे पर चल रही हो।
प्रियंका
तुम मुझे रोक नहीं सकते। ये सिर्फ़ शुरुआत है।
वो दीवार की तरफ़ बढ़ी और अचानक छिपकली की तरह उस पर चढ़ने लगी। वह दीवार पर उल्टा लटक गई, उसके बाल नीचे लटक रहे थे और उसकी आँखें ज़मीन की तरफ़ देख रही थीं। वह धीरे-धीरे फुसफुसाने लगी।
प्रियंका
काका आहलूवलिया आ जाओ... अब मैं तैयार हूँ।
कमरे में फिर अजीब-सी शांति छा गई। प्रियंका धीरे-धीरे खिड़की के पास बैठ गई, .उसकी आँखें जंगल की तरफ़ ही टिकी रहीं। कहीं दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनाई देने लगी और रात और भी भयानक लगने लगी।
जहाँ एक तरफ़ प्रियंका के अंदर इस भूत से सब अंजान थे, वही दूसरी तरफ़ काका आहलूवलिया ने सोनू की शर्ते मान ली थी और शराब के चक्कर में उनसे दोस्ती कर ली थी। काका आहलूवलिया , जिसे गाँव में शराबी भूत के नाम से जाना जाता था। अब वह काका chef बनने जा रहे थे। उन्होंने अब एक नई डायरेक्शन की ओर क़दम बढ़ाया था।
गाँव में यह ख़बर फैला दी गई थी की सोनू और अन्नू ने शराबी भूत को भाग दिया है
सबके सब जश्न मनाने लगे, वही दूसरी तरफ़ काका आहलूवलिया के जाने का दुख गाँव की औरतों को था, उनकी लाइफ में फिर से वही सौतन शराब ने कब्जा कर लिया था। गाँव वालों ने सोनू से बहुत पूछा की उन्होंने काका आहलूवलिया को कैसे भगाया। .सोनु ने बस ये जवाब दिया की' आप आम खाओ गुटली मत गिनो।
वैसे गाँव वालों के लिए उनका आम उनकी शराब ही थी, जो अब उन्हे काके दी हवेली पर मिलने लगी थी। अब काका अन्नू और सोनू के साथ मिलकर रेस्टोरेंट में पसीना बहा रहे थे। काका को अब बस वह अंग्रेज़ी शराब दिख रही थी, जो अब बहुत जल्दी उनकी होने वाली थी। काका के आने के बाद से ही अब रेस्टोरेंट का माहौल भी अब काफ़ी मज़ेदार हो गया था। लोग हंस-खेल रहे थे और डिनर के मज़े ले रहे थे। वही काका ने शेफ की तरह काम करते हुए रोटियों को बेलने से लेकर, सब्जियों को काटने तक का काम ख़ुद ही संभाल लिया था, ये सीन वैसे देखने में काफ़ी मजेदार था क्योंकि काका ने अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए एक साथ ही एक तरफ़ रोटियाँ बेल ली और दूसरी तरफ़ उसी समय सब्जियाँ भी काट ली। ये सब जादू देखकर अन्नू और सोनू भी काफ़ी खुश थे, क्योंकि उनका सारा काम अकेले काका ख़ुद कर रहे थे। काका का ड्रेस और उसके चेहरे की हरकते बिल्कुल शेफ की तरह नहीं लग रही थी, क्यूंकी वह नशे में झूलता हुआ सब काम कर रहा था।
सोनू
काका, आप तो बस यूही लगे रहिए,
काका आहलूवलिया
बिलकुल, पुत्तर य॥ आज से मैं यहाँ एक प्रोफेशनल शेफ की तरह हूँ। अब से जबतक ये रेस्टोरेंट शिमला में नंबर 1 नहीं बन जाता, मैं ऐसे ही तुम दोनों के साथ काम करता रहूंगा।
सोनू
आज की ख़ुशी में ये लो देसी शराब हमारी तरफ़ से।
काका आहलूवलिया देसी शराब की बोतल देखकर ख़ुशी से झूम उठा। वही सोनु और अन्नू को अब समझ आ गया था कि काका आहलूवलिया की दोस्ती में उनका रेस्टोरेंट शिमला में जल्द ही नंबर 1 बन जाएगा।
सोनू
क्यों न हम अपने रेस्टोरेंट का नाम काके दी हवेली रख दे? इससे काका भी पूरे शिमला में फेमस हो जाएंगे!
अन्नू
बहुत ही बढ़िया मेरे भाई
काका आहलूवलिया
बुराहह
जहाँ एक तरफ़ काका के भूत ने सोनू और अन्नू के साथ मिलकर "काके दी हवेली" में काम करना शुरू कर दिया था, वही दूसरी तरफ़ सोनू और उसकी गर्लफ्रेंड पिंकी आज एक आखिरी बार मिल रहे थे, क्योंकि आज पिंकी का गाँव में आखिरी दिन था और सोनू ने उसे आखिरी बार मिलने के लिए बुलाया था। उन्होंने गाँव के बाहर छोटी पहाड़ी के पास मिलने का डिसाइड किया, जहाँ वह दोनों कभी-कभी सनसेट या सनराइज देखने जाते थे। छोटी पहाड़ी के कोने में एक पुराना पीपल का पेड़ था, जिसके नीचे दोनों अक्सर बैठकर अपनी बातें किया करते थे। सोनू ने पिंकी को उसी जगह पर बुलाया। पिंकी आकर पेड़ के नीचे बैठ गई।
सोनू
पिंकी, जब तुम चली जाओगी तो मेरा दिल और मेरा हाथ दोनों बहुत मिस करेंगे तुम्हें।
पिंकी
सोनू, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी, तुम्हारे सपनों में, तुम्हारे ख्वाबों में। मेरा सपना...
सोनू
मैं समझता हूँ पिंकी। तुम्हारा सपना सच होना बहुत ज़रूरी है। .जान लो कि मैं तुम्हारे बिना इस गाँव में अकेला ही हूँ, अधूरा-सा क्योंकि मेरा आधा हिस्सा तो दिल्ली में होगा। मैं यहाँ तुम्हारी यादों के साथ बैठूंगा और तुम्हारे लौटने का इंतज़ार करूंगा। तुम जाओ, एयर होस्टेस की ट्रेनिंग लो और ऊंची उड़ान भरो
सोनू ने अपनी जेब से एक छोटा-सा पैकेट निकाला और पिंकी को दिया
सोनू
लो पिंकी, ये तुम्हारे लिए।
पिंकी ने सोनू के हाथ से वह पैकेट लिया और उसे खोला, उसमें एक खूबसूरत लॉकेट था जिसमें उन दोनों की फोटो थी। उसकी आंखों में ख़ुशी की चमक थी। उसने लॉकेट को अपने दिल से लगा लिया
पिंकी
सोनू, तुमने मेरे दिल को छू लिया है। ये मेरे लिए बहुत स्पेशल है। जब भी मैं दिल्ली में किसी भी परेशानी का सामना करूंगी, मैं तुम्हारी बातों को याद करूंगी। तुम्हारा प्यार मेरी सबसे बड़ी ताकत होगा
उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और फिर धीरे-धीरे एक-दूसरे को किस करते हुए बाय कहा। सोनू वही बैठा रह गया, पिंकी उससे दूर होती गई. तभी पीछे से किसी के ज़ोर-ज़ोर से रोने की आवाज़ आने लगी, सोनू की आंखे नम थी। .एकदम से ये रोने की आवाज़ सुनकर सोनू पीछे मुड़ा, तो उसने देखा की काका आहलूवलिया आंखे भरकर ज़ोर जोर से रो रहा है।
सोनू
आप क्यों रो रहे हो काका?
काका आहलूवलिया
पुत्तर, वो... तुम दोनों के बीच इतना प्यार देखकर, मुझे मेरी बीवी, मेरी परमजीत कौर का प्यार याद आ गया। मैंने उसके साथ अच्छा नहीं किया।
सोनू
क्यूँ?
काका
वो मैने। उसको... छोड़ पुत्तर, ये बता तू आज कौन-सी पी रहा है?
सोनू
मतलब
काका
अरे पिंकी के जाने की याद में कौन-सी पीएगा आज।
सोनू
ऐसा कुछ नहीं है और आप क्या कर रहे हो, आपको तो रेस्टोरेंट में होना चाहिए। यहाँ छुप-छुपाकर हमारी बाते क्यूं सुन रहे थे।
काका आहलूवलिया
पुत्तर, बस हवा खाने आ गया था, वैसे तुझे देखकर मुझे मेरी जवानी के दिन याद आ गए, मैं अपनी जवानी में बहुत हैंडसम था, बहुत सारी लड़किया मेरे पीछे मरती थी।
सोनू
काका, अभी भी कुछ बदला नहीं, अभी भी आपको देखकर लोग मरते ही है।
काका सोनू को गुस्से में देखने लग गया, तभी सोनू के पास अन्नू का फ़ोन आया, सोनू ने फ़ोन उठाया,
सोनू
हाँ अन्नू बोल,
अन्नू
काका, कहाँ पर है?
सोनू
मेरे साथ है छोटी पहाड़ी के पास।
अन्नू
गांव में एक मर्डर हो गया है। रवि की लाश मिली है सब काका का ही नाम ले रहे है।
ये सुनकर सोनू हैरानी और डर से काका आहलूवलिया की तरफ़ देखने लगा।
आखिर अब आगे क्या होगा। क्या सोनू भी रवि की मौत के लिए काका आहलूवलिया को ही ज़िम्मेदार मानेगा, आख़िर कैसे काका आहलूवलिया अपनी बेगुनाही साबित करेगे? सोनू और अन्नू अब आगे क्या करेगे? ये जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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