माहिर को मना कर अयाना फिर जाने को हुई कि माहिर ने उसी वक्त टेबल से एक फाइल उठाई और उसे अयाना की ओर फेंक दिया जो अयाना के कदमों के पास जा गिरी, अयाना फाईल की ओर देखकर माहिर की ओर देखती है जो चेयर पर बैठ उससे एटीट्यूड वाले लहजे में बोला - "जाते जाते इसे तो देखकर जाओ, मेरा पैसा और मैं तुम्हें अपने काबू में रख सकता हूं, ऐसी कोई चीज नहीं जो माहिर खन्ना चाहे और ना हो और हां जब तक मैं ना चाहूं ना तुम मुझसे पीछा छुड़ा सकती हो और ना ही मुझसे दूर जा सकती हो।"

ये सुन अयाना उसे घूरते हुए बोली - "गलतफहमी है आपकी"

माहिर तिरछा मुस्कुराते दिया - "तो गलतफहमी दूर कर लो जो तुम्हें है....चलना तुम्हें मेरी मर्जी से है अब, देखो तो जरा"

माहिर की बात सुन अयाना नीचे से फाईल को उठाती है और माहिर को एक नजर देख वो उस फाईल को पढ़ने लगती है वो जैसे-जैसे फाईल पढ़ रही थी उसकी आखें फैलती गयी और उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी मानो फाइल में कुछ ऐसा हो जिसे जानकर अयाना के होश ही उड़ गये, उसने फाइल से नज़रे हटाकर माहिर खन्ना को देखा जो उसकी ओर देखते मुस्कुरा रहा था।

तभी अयाना फाइल की ओर इशारा कर हैरान होते उससे बोली "ये, ये झूठ है ये नहीं हो सकता है, ये झूठ है ना...आपकी कोई साजिश है ना, आप मुझे मजबूर कर रहे है ना यहां काम करने के लिए, ऐसा नहीं सकता है, आप ऐसा नहीं कर सकते है माहिर खन्ना, नहीं कर सकते है…नो!"

माहिर चेयर से उठा और अयाना की ओर आते फुल कॉन्फिडेंस से बोला - "ये, ये सच है और मैने अभी कहा ना कि मैं कहता कम, करता ज्यादा हूं और मैं कर चुका हूं।"

"नो" अयाना फिर चिल्लाती है और फाइल में मौजूद पेपर को निकालकर फाड़ने लगी - "ये झूठ है ये झूठ है ऐसा हो ही नहीं सकता है।"

तभी माहिर ने अयाना को कंधो से पकड़ा और उसे अपने करीब करते बोला - "ये उतना ही सच है जितना तुम खुद को सत्यवादी कहती हो और हां ये पेपर सिर्फ एक कॉपी थी, जिनको फाड़कर कुछ नहीं होने वाला है जो लिखा था इन सारे पेपर में...है हिम्मत तो कर लो बचा लो खुद को मुझसे, मेरे इशारो पर चलने के लिए तुम खुद को जल्द रेडी कर लो, अब तक तो जान चुकी होगी तुम मुझे..…ना सुनने की आदत नहीं है।"

तभी अयाना खुद को माहिर से अलग करती है और माहिर पर हाथ उठाने के लिए अपना हाथ ऊपर करती है पर माहिर उसका हाथ ऊपर ही रोक लेता है और गुस्सें भरी निगाहों से अयाना को घूरते हुए कहता है -  "सोचना भी मत, अंजाम इसका भी बहुत बुरा हो सकता है पहले भी ऐसी गलती कर चुकी को फिर से दोहराओगी तो बहुत पछताओगी।"

अयाना ने अपना हाथ झटकाया और वहां से वो चली गयी, "सी यू सून" माहिर ने उसे आवाज देते हुए कहा और टेबल पर बैठ, जमीन पर बिखरे कागज के टुकड़ो की ओर देख खुद से बोला - "इतना आसान भी नहीं होगा, इस सबसे तुम्हारा निकल पाना, मैनैं प्लान ही ऐसा बनाया है अयाना मिश्रा कि थक हारकर तुम्हें यहीं पर आना होगा अगर तुम कोशिश भी करोगी माहिर खन्ना से बचने की तो मुश्किल और बढ़ा दूंगा तुम्हारी जो तुम कोशिश करने के भी लायक ना रहो" कह माहिर खन्ना अयाना के बारे में सोचते तिरछा मुस्कुरा दिया।

उसकी मुस्कुराहट और आंखों की चमक मानो ऐलान कर रही हो उसकी जीत का, जो कि उसने अयाना को हराकर पाई थी, पर क्या सच में आज माहिर खन्ना की जीत और अयाना की हार हुई थी या फिर उनकी किस्मत कुछ और ही करामात करने के मूड में है पर ये तो किस्मत ही जाने। दोनों कभी मिलना नहीं चाहते थे फिर भी इनकी किस्मत बार बार इन्हे मिला रही है, और वजह जो बनी है वो है माहिर खन्ना की जिद्द और अयाना मिश्रा का स्वाभिमान।

__________

【मिश्रा हाऊस

अयाना घर पहुंचती है, वो बहुत गुस्सें में थी और खुद से बड़बड़ाते हुए घर के अंदर आ रही होती है तभी पिहू की नजर उस पर पड़ी वो अयाना को आते देख प्रकाश जी से जोर से बोली -"अयू दी आ गयी पापा!"

ये सुन प्रकाश जी भी मुस्कुराते हुए अयाना की ओर देखते है....अयाना के पास आते ही पिहू बोली - "कैसा रहा दी इंटरव्यू, आपको जॉब मिल गयी ना? मैं भी ना ऑफकोर्स अच्छा गया होगा और आपको जॉब न मिले ये तो होने से रहा...है ना दी?"

तभी अयाना ने अपना बैग चेयर पर फेंका और जोर से सविता जी को आवाज दी "मामी, मामी जी कहां हो आप, यहां आइए मामी!"

अयाना को ऐसे चिल्लाते और गुस्से में देख पिहू और प्रकाश जी दोनों हैरान और परेशान हो जाते है क्योंकि अयाना कभी इतनी ऊंची आवाज में नहीं बोलती और अपनी मामी के साथ तो बिल्कुल भी नहीं, प्रकाश जी अयाना की ओर आते - "क्या हुआ बेटा?"

"दी आप गुस्से में क्यों हो?" पिहू ने भी कहा

अयाना उनको कुछ नहीं कहती, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है कि आखिर क्या हो रहा है और तभी अयाना किचन की ओर बढ़ते फिर सविता जी को जोर से आवाज देती है - "मामी, मामी जी....वो किचन में जाती कि तभी सविता जी हॉल में आ जाती है और अयाना पर गुस्सा करते बोली - "क्या है? क्यों चिल्ला रही हो वो भी घर आते ही और मुझ पर?"

अयाना परेशान होते उनसे बोली - "और क्या करूं मामी जी, आपने क्या किया है आपको अंदाजा भी है?"

सविता जी उस पर चिल्लाते हुए - "क्या बोल रही है, क्या कर दिया मैने?"

तभी प्रकाश जी बोले - "क्या हुआ बेटा?"

“हां दी....बात क्या है? क्या कर दिया मम्मी ने?” कहते पिहू उनकी ओर आ गयी।

तभी अयाना ने एक पल अपने माथे पर अपना हाथ रखा और फिर सविता जी की ओर देखते दूजे पल उनको कंधो से पकड़ते हुए बोली - "क्या जरूरत थी मामी, माहिर खन्ना के वो दस लाख रूपये रखने की, क्यों आपने वो पैसे लिए, क्यों किया ऐसा आपने? क्यों मामी?"

ये सुनते ही प्रकाश जी हैरान होते फट से बोले - "क्या?"

पिहू भी सविता जी की ओर देखते भौहें चढ़ाते बोली - "दस लाख रूपये?"

"हां मामा जी, हां पिहू, वो उस दिन घर पर माहिर खन्ना के मैनेजर पैसे देने आए थे और मैने मना कर दिया था तो मामी ने उस दिन उनसे उनका कार्ड ले लिया और फिर दुबारा मिलकर उनसे वो दस लाख रूपये ले लिए" अयाना ने सविता जी की ओर देख कहा….

प्रकाश जी हैरान परेशान होते हुए - "पर ऐसा कैसे हो सकता है बेटा और तुम्हारी मामी क्यों पैसे लेगी उनसे, तुम्हें कोई गलतफहमी हुई होगी बेटा।"

"नहीं, मामा जी आप चाहो तो मामी जी से पूछ लो ऐसा ही हुआ है, है ना मामी?"....अयाना ने सविता जी की ओर देखते उनसे सवाल किया।

तभी सविता जी सबको अपनी तरफ देखता पाकर सबसे नजरें चुराते बोली - "आप सब ऐसे क्यों देख रहे है मुझे जैसे मैने कोई चोरी कर दी हो?"

प्रकाश जी - "जो अयाना कह रही है क्या वो सब सच है?"

पिहू - "जो अयू दी बोल रहे आपने किया है क्या, बोलो मम्मी?"

तभी अयाना सब बताते हुए बोली - “हम सच कह रहे है मामा जी, मामी उनसे वो दस लाख रूपये लेकर आई है, वो हम इंटरव्यू देने गये थे मिस्टर बजाज के यहां तो हमारा इंटरव्यू नहीं लिया गया क्योकि माहिर खन्ना ने उन्हे कहा कि उन्होने मुझे अपने यहां काम पर रख लिया है तो कोई भी माहिर खन्ना के खिलाफ जाकर हमें कभी भी अपने यहां काम नहीं देगा और हम माहिर खन्ना के साथ कोई काम नहीं करना चाहते थे तो हम आगे कोई प्रोब्लम न हो ये सोच माहिर खन्ना से मिलने उनके ऑफिस चले गये, जब हम माहिर खन्ना से इस बारे में बात करने गये, उनसे कहा कि कुछ भी कर लीजिए हम नहीं काम करेगे आपके साथ तो उन्होने मुझे एक फाइल दिखाई जिसमें सबकुछ लिखा था वो भी साफ साफ शब्दों में कि सविता मिश्रा ने उनसे दस लाख केश लिए है। उन पेपर पर मामी के साइन भी थे मामा जी और पिहू तुम्ह़ें पता है उन पेपर में क्या कंडिशन लिखी गयी है कि हमें हर हाल में उनके साथ काम करना होगा, अगर हम नहीं करते है तो वो हमारे खिलाफ यानी की मामी जी के खिलाफ केस कर देगें, इनको जेल भी भिजवा सकते है...उनके पैसे तीन दिन के अंदर ना लौटाये तो वो हमारी फैमिली के साथ कुछ भी कर सकते है, या तो हम उनके पैसे दे तीन दिन के अंदर या उनकी हर बात माने और उनके अकोर्डिंग हमारे पास उनके साथ काम करने और उनकी बात मानने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं है।”

ये सुन पिहू और प्रकाश जी एक साथ बोले - "क्या?"

सविता जी - "क्या जेल? पर ऐसी तो कोई बात न हुई थी हमारी, मैं मिली उस से जो घर आया था उस दिन…मैने बात की उनसे तो वो पैसे देने को तैयार हो गये, मदद करने को राजी हुए तभी मैने पैसे लिए और बोले तुझे अपने यहां काम दे देगें और तुम यहां काम करके ये सारे पैसे चुका दोगी, मुझसे कहा कि आप चिंता मत कीजिए वो हमारें यहां ही काम करेगी और तुम वहीं तो गयी थी ना आज नौकरी लेने फिर ली क्यो नहीं?"

अयाना अपना सिर पकड़ते - "उन्होनें मदद नहीं की मामी....अपने जाल में फंसाया है हमें, सोच समझकर चाल चली है माहिर खन्ना ने जिसमें उन्होनें आपको घसीट लिया है और हम आज नौकरी लेने माहिर खन्ना के पास नहीं मिस्टर बजाज के यहां गये थे जिन्होनें हमें मना कर दिया ये कहकर कि आपको माहिर खन्ना अपने यहां काम देगें, आप वहीं काम करो।"

सविता जी - "तो ले लो ना, काम ही तो है यहां करो या वहां, क्या फर्क पड़ता है?"

अयाना - "क्या? आप हमें ऐसे आदमी के यहां काम करने को कह रही है जो अच्छा नहीं है और उन्होनें आपको भी धोखे से फंसा लिया है फिर भी आप उनकी साइड ले रहे हो, जरूरत क्या थी इतने सारे पैसे वो भी उनसे लेने की मामी और अब वो उन पैसों के चलते हम सबको मजबूर करेगे देखना आप, हमें नीचे दबा कर रखेगें, और ना मानते है हम तो मुश्किल और बढ़ जाएगी हमारी मामी, क्यों लिए आपने पैसे?"

सविता जी - "जरूरत थी तब लिए वो भी बहुत ज्यादा कोई अपने शौंक पूरे करने के लिए नहीं लिए, और मैने मदद मांगी थी भीख नहीं मुझे थोड़ी पता था ऐसा हो जाएगा और बड़े लोग है इतने सारे पैसे दिए है होगी वो शर्ते कुछ उनकी, मुझे क्यों जेल में डालेगें तुम ले लो उनकी नौकरी और चुका देना वो सारे पैसे और हां ऐसी शर्ते इसलिए बनाई होगी जानते होगें तुम काम नही करोगी, जिद्दी जो ठहरी, जरूर कुछ तुमने ही किया होगा तभी वो बड़े लोग ऐसे कर रहे है हमारे साथ।"

अयाना हैरान होते - "मामी....आपको हम पर भरोसा नहीं है क्या, हमनें कुछ नही किया उस माहिर खन्ना का दिमाग खराब है आप भी उनकी बातों में आ गयी, और अब भी वो ही आपको सही लग रहे है हद होती है मामी!"

सविता जी कुछ कहती कि प्रकाश जी बोल पड़े - "कहां है वो पैसे?"

ये सुन अयाना को भी होश आया और उसने भी सविता जी से पैसो के बारे में एक ही सांस में बोलते हुए पूछा - "हां मामी कहां है वो पैसे, आप अभी वो पैसे दे दीजिए हमें...हम अभी लौटा आएगें...ना हम पैसें रखेगें और उनका जो भी प्लान है वो फेल हो जाएगा, फिर हमें उनके साथ उनके यहां काम भी नहीं करना पड़ेगा।"

तभी प्रकाश जी फिर बोले "हां सविता जल्दी वो पैसे दे दो, अभी लौटा देगें, ना हमारी अयू को वहां काम करना पड़ेगा ना वो हमें किसी बात के लिए मजबूर कर पाएगें, हमारी अयाना माहिर खन्ना के यहां काम नहीं करेगी उनकी कोई बात नहीं मानेगी।"

पिहू - "सच में.... दे दो मम्मी, जो आदमी मदद के नाम पर ऐसी शर्तें रख सकता है वो भी बिन कुछ बताएं उसका कोई भरोसा नहीं है वो कुछ भी कर सकता है।"

अयाना - "लो...पिहू बच्ची होकर सब समझती है मामी, आप भी समझो ना, लाइए वो पैसे!"

"नहीं है पैसे!" सविता जी तीनो की ओर देखते बोली, ये सुनते ही अयाना, प्रकाश जी, पिहू के तो होश ही उड़ गये और वो एक दूसरे की शक्लें ताक सविता जी की ओर हैरानी से देखने लगे।

अयाना - "क्यों नहीं है मामी?"

प्रकाश जी - "कहां गये?"

पिहू थूक निगलते - "वो भी इतने सारे, दस....दस लाख?"

'उड़ाये नहीं है कहीं, खर्च हो गये...और वो उन पैसों में से पचास हजार बचे है जो अलमारी में रखे है, जाओ जाकर ले लो" सविता जी अपने कमरे की ओर हाथ करते बोली।

अयाना परेशान होते - "क्या पचास हजार और बाकी?" 

प्रकाश जी भी परेशान होते हुए - "बाकी कहां गये और इतने ही क्यों बचे है?"

सविता जी उनकी ओर देखते - "वो जिनके देने थे मैने दे दिए बस!"

अयाना ना में सिर हिलाते हुए - "ओह नो, मामी ऐसा नहीं करना चाहिए था बस एक बार बात तो की होती, बताते हमें एक बार, तो क्या हो जाता है बताना चाहिए था।"

प्रकाश जी - "अकेले ही ये फैसला लेने की क्या जरूरत थी सविता, पैसे लिए भी.…और दे भी डाले!"

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग। 

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