तभी सविता जी चिल्ला उठी-"बस,...क्या बात करती आप सब से ,पैसे लेने के बाद क्यूं लिऐ क्यूं लिए कह रही हो(आयना की ओर देखते) बताते,तो लेने देती क्या?और हां क्या करते हम,
तुम्हारी मां के इलाज में हमने सब लुटा दिया,एक फूटी कोड़ी नही बची हमारे पास में,ना खाने को कुछ और ना रहने को घर,सिर पे जो ये छत है वो भी गिरवी रखी पड़ी थी,इतना सारा कर्ज...,लेन दारों के फोन पर फोन आ रहे थे तेरे मामा को,
आज नहीं कल दूंगा कल नहीं परसों,....वक्त की महौलत मांग रहे थे उनसे, गिड़गिड़ा रहे थे सबके आगे ये(प्रकाश जी की ओर देखते)कौन कितना वक्त देता,आज, कल ,क्या ?दस दिन बाद भी ये कुछ नहीं कर पाते,जितना कमाते है उस में घर खर्च ही मुश्किल से निकलता है ,कैसे सामान घर का राशन आ रहा है कुछ पता है,
बाकि सब वैसे का वैसे ही रहता कुछ नहीं बदलता!"
"दूध वाले,बिजली वाले सब जान खा रहे थे मेरी क्या करती तंग आ चुकी थी मैं, नहीं देखा गया तेरे मामा को इतना ज्यादा परेशान,खाना पीना क्या? रात की नींद उड़ी पड़ी है इनकी,तुम बच्चों के सामने तो हंस देते है पर अकेले में क्या करते है लाचार महसूस करते है क्योकि कुछ नहीं कर पा रहे थे ये,आगे भी बहुत सारे काम करने है,
पिहू की पढ़ाई और भी ना जाने क्या क्या,तो जो मुझको समझ आया मैनैं वो कर दिया,ले लिए पैसे ,वही रास्ता सही लगा जो परेशानियां चल रही थी कम करने के लिऐ,आप सबको बोलती तो नहीं मानते इसल़िए अकेले ही यह सब कर लिया मैनैं,कोई भी बैंक भी इतना एक साथ नही देता और ब्याज भी नहीं ले रहे वो लोग,ऊपर से नौकरी भी तो दे रहे है जिससे ये पैसे तुम चुका सकती हो,...दफ्तर का काम ही तो करवाऐगें ना कौन सा हल जुतवाएगें तुझसे अयाना!"
"वो अच्छे नहीं है तो तुम क्या पूरी दुनिया को जानती हो कौन अच्छा है कौन बुरा बताओ,वहां काम नहीं करोगी जहां करोगी वहां अच्छे लोग मिलेगे़ तुम्हे ये पक्का है क्या?नहीं और हां अच्छी तो ये मामी भी किसी को नहीं लगती,तो बस उन पैसो से मैनैं सब कर्जा उतार दिया कुछ रहा है तो वो देख लेना तुम सब,ये घर की छत बचाई है मैनैं
ले आई मैं घर के कागज वापस,और हां अगर ना करोगी वहां काम तब भी कौन सा ये छत रहेगी हमारे सिर पर ,बड़े लोग है वो छीन लेगें और वैसे भी पैसे नहीं लेती तब भी सड़क पर आते अब भी आ जाएगें, और हां अब जेल में डाल दे मुझे तो भी कोई परवाह नहीं है,मुझे पता है जो किया मैनैं अपने परिवार के लिऐ,अपने बच्चों के लिऐ किया और तो और कुछ भी गलत नहीं किया,
समझे आप सब....तो ना मुझसे सवाल किजिऐ और ना ही(अयाना की ओर गुस्से से देखते हुऐ)
मुझपर चिल्लाने की जरूरत है!"
इतना कह सविता जी बड़बड़ाते हुए वहां से उसी वक्त चली गयी और प्रकाश जी भी उनके पीछे "सविता सविता "करतेे चले जाते है!
सविता जी और प्रकाश जी के जाते ही अयाना ने मुंह से फूंका और अपने माथे पर हथेली रख बोली-"ये प्रोब्लम्स कम क्यों नहीं होती है दिन बे दिन बढ़ती ही क्यों जा रही है?"
पिहू -"अयू दी अब क्या होगा?आप करोगे उनके यहां काम?"
ये सुन अयाना का जबड़ा कस गया और वो ना में सिर हिलाते हुए बोली-"कभी नहीं करूंगी चाहे कुछ भी करना पड़े मुझे पर माहिर खन्ना के यहां नहीं काम करूंगी मैं,उन्हें नहीं जीतने दूंगी जानबूझकर किया उन्होनें ये सब,माहिर खन्ना की चाल है ये पर मैं उनकी एक नहीं मानूंगी!"
पिहू-"मम्मी ने सही किया या गलत अयू दी!"
अयाना पिहू की ओर देखते-"गलत भी नहीं और सही भी नहीं,यार मैं घर की परेशानी हालात सब समझती हूं,मामी की भावना़ओ की कद्र करती हूं वो फिक्र करते है सबकी जानती हूं, मैं भी मामा जी को टेंश नहीं देख सकती हूं,तुम सबकुछ करो़ लाइफ में सब मिले तुम्हें इस कोशिश में भी रहती हूं,मैं भी नोर्मल सिच्युएशन चाहती हूं यार पर जो हुआ है पिछले दिनो उससे निकलने में टाइम तो लगेगा ना,मैं मामा जी कुछ तो करते ही ना,और कर भी रहे थे ना,हैंडल कर लेते ना कुछ करके,
जानती हूं मां के इलाज में बहुत पैसे लगे थे पिहू पर उस माहिर खन्ना से हमें पैसे उधार नहीं लेने चाहिऐ थे जिसकी शर्ते भी ऐसी है,ना चुका पाए तो हमारी फैमिली और ज्यादा परेशान होगी,क्या फायदा ऐसी मदद लेने का जो मदद कम श्राप ज्यादा हो,मदद मिलने पर इंसान चैन की थोड़ी सांस लेता है पर यहां तो मुसीबत और बढ़ गयी है परेशानी कम नहीं हुई ब्लकि बढ़ गयी है उस आदमी के आगे हाथ फैलाने से!"
पिहू-"रिलेक्स दी,अब गुस्सा करने से क्या होगा,
आईनो़ आप जो कह रहे हो सही कह रही हो?मैनैं तो कभी नहीं सोचा था ये माहिर खन्ना ऐसे इंसान है!"
ये सुन अयाना माहिर खन्ना के बारे में सोचते हुऐ पिहू से बोली-"तुम सोच भी नहीं सकती हो कि वो कैसे है?"
पिहू हैरान होते-"मतलब?"
जैसे ही पिहू ने "मतलब" कहा तो अयाना "कुछ नह़ी" कहकर वहां से अपने कमरे में चली जाती है,पिहू ऊपर की ओर देख अपने हाथों को जोड़ प्रार्थना करते बोली-"प्लीज माता रानी,कुछ बुरा मत होने देना,आलरेडी सब बहुत परेशान है और मुश्किल ना बढ़ा देना और इस प्रोब्लम से जल्द निकाल देना ओके एंड बुआ आप भी वहीं हो ना बोल देना हेल्प करे हमारी,माता रानी से!"
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【खन्ना विला】
साक्षी सार्थक बीच रूम खड़े,सामने रखे बड़े से खूबसूरत से स्टेच्यू को मुस्कुराते एकटक निहार रहे थे जो उनका ही कपल स्टेच्यू था,उसमें साक्षी को सार्थक ने पीछे से हग कर,चेहरे को साक्षी के कंधे पर टिका रखा था,साक्षी भी थोड़ी गर्दन को घुमाकर चेहरा उसकी तरफ किए हुई थी,दोनों ही एक दूजे को देख मुस्कुरा रहे थे,सार्थक की बाहें जहां साक्षी पर थी वही साक्षी ने अपनी बाहों को उसकी बाहों पर रख रखा था,दोनों बेहद ही प्यारे लग रहे थे और उस पर लिखा हुआ बेस्ट मॉम- डैड का टैग उस स्टेच्यू को और भी ज्यादा प्यारा बना रहा था,साथ में दोनों की खुशी भी बढ़ा रहा था!
साक्षी स्टेच्यू की ओर इशारा कर-"सार्थक रियू ने हमें कितना प्यारा सरप्राइज आईमीन गिफ्ट दिया है ना हमारी एनीवर्सरी पर!"
सार्थक हामी भरते-"हां साक्षी बहुत प्यारा गिफ्ट दिया है हमारे बेटे रियान ने हमें,हमारी एनिवर्सरी पर आज हमें दो दो सरप्राईज मिले है पहला वो एनीवर्सरी पार्टी दूजा ये वंडरफुल गिफ्ट!"
साक्षी-"माही रियू दोनों ने कितनी सारी प्लेनिंग कर रखी थी सार्थक,हमें कुछ भी पता नहीं चलने दिया,थोड़ा सा भी नहीं,दोपहर को होटल गये तो वहां हमारे लिए पार्टी और शाम को घूमफिर घर आए तो ये गिफ्ट!"
सार्थक-"बोला था ना तुमसे,जरूर ये मामा भांजा कोई खिचड़ी पका रहे है,महीने भर दोनों ने छुपा
कर रखा पार्टी का इस गिफ्ट का,थोड़ा सा जिक्र ना किया,बहुत ही अच्छे से इस सब को पचा गये
दोनों पर आज हमें उनकी खिचड़ी का पता चल ही गया जो कि बहुत मजेदार थी!"
साक्षी-"हां,पता चला भी तब जब दोनों ने चाहा, सच कहूं सार्थक बहुत अच्छा लगा,बहुत मजा आया,हमारा एनीवर्सरी डे बहुत ही अच्छा गया,
हम सब साथ थे काश आज हमारे साथ ईशान भी होता!"
सार्थक साक्षी के कंधे पर बाहें डालते-"बात हुई थी ना ईशान से,उसने विश भी किया और सॉरी भी बोला,उसके एग्जाम है साक्षी,नहीं तो जरूर आता,माही ने बताया ना हमें एनीवर्सरी पार्टी का ईशान को पता था बट उसके एग्जाम थे तो माही ने फोर्स नहीं किया,वरना ऐसा हो सकता है क्या माही बोले आने का,या फिर हमारी खुशी के लिए ईशान ना आए,नहीं ना!"
साक्षी-"हां ये तो है,मन तो ईशान का भी था हम सबसे मिलने का!"
सार्थक-"जल्द मिलेगें हम सब ,वैसे छोटे साले साहब ने बोला है वो जल्द ही आएगें.....सो बी हैप्पी!"
साक्षी सार्थक की ओर देखते-"हैप्पी तो मैं बहुत हूं!"
सार्थक साक्षी का माथा चूम-"बस यही चाहिए!"
साक्षी हाथ बांधते हुए-"पर मुझे कुछ और भी चाहिए!"
सार्थक भोह़े उचकाते-"क्या?"
"माही ने पार्टी दी ,रियू ने गिफ्ट बट तुमने,तुमने मुझे कुछ नहीं दिया सार्थक,कहां है बताओ मेरा एनीवर्सरी गिफ्ट........"साक्षी बोल रही थी कि
सार्थक ने उसे अपने करीब खींच लिया-"मैं हूं ना तुम्हारा गिफ्ट!"
साक्षी सार्थक को घूरने लगी तो सार्थक उसकी गाल चूम फिर बोला-"मैं हूं ,,,फिर भी तुम्हें कुछ और चाहिए,मुझसे बेस्ट एनीवर्सरी गिफ्ट क्या हो सकता है साक्षी तुम्हारे लिए,......."सार्थक प्यार भरे अंदाज में बोलते साक्षी के करीब आने लगा कि तभी डोर नॉक हुआ!
दोनों फट से दरवाजे की ओर देखते है,रियान की आवाज आई-"मॉम डैड ओपन द डोर!"
ये सुनते ही सार्थक का मुंह बन गया,वही साक्षी
खुद को उससे छुड़ा मुस्कुराते दरवाजे की ओर बढ़ गयी,साक्षी ने डोर खोला,रियान उसक़ो देख मुस्कुराया और रूम में आकर भागा बैड पर जा चढ़ा-"मॉम डैड आज मैं आपके साथ सोऊंगा!"
साक्षी खुश होते-"सच रियू!"
रियान ने जोर से "येस मॉम"कहा और बीच बैड लेट गया-"मैं आज यहां सोऊंगा!"साक्षी डोर बंद कर सार्थक को देखती है जो कमर से हाथ टिका रियान को घूर रहा था!
साक्षी रियू की ओर देखते सार्थक के पास आई और धीरे से बोली-"क्या हुआ?"
सार्थक उसी लहजे में-"क्या हुआ दिख नहीं रहा,
कबाब में हड्डी बन गया,सुना ना तुमने आज यहां सोऊंगा,रियान हमारे साथ सोएगा साक्षी!"
साक्षी मुस्कुराते-"अच्छा है ना!"
सार्थक म़ुंह बनाते-"खाक अच्छा है,आज ही इसे यहां सोने के लिए आना था क्या,आज का दिन तो छोड़ देता,हमारी आज एनीवर्सरी है यार,आज के दिन हमारी शादी हुई थी,जो शादी की रात पर हुआ था मैनैं सोचा था आज भी वो होगा पर अब सोच रहा हूं रियान अग्निहोत्री के यहां रहते कैसे होगा!"
ये सुन साक्षी ने सार्थक को घूरते उसकी बाहं पर हाथ दे मारा-"तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता"कह वो रियान की ओर बढ़ गयी-"रियू!"
रियान उठ बैठा-"येस मॉम!"
साक्षी बैड पर बैठ उससे लिपट गयी-"एम हैप्पी रियू,आज आप हमारे साथ सोओगें!"
रियान सार्थक की ओर देख-"डैड आप भी हैप्पी हो?मेरे यहां होने पर!"
सार्थक हंस दिया-"येस मेरा बच्चा एम वेरी हैप्पी बेटा,बहुत खुश हूं आप हमारे साथ सोओगे आज
मॉम डैड उनका रियान सब साथ"बोलते सार्थक बैड पर आ बैठा और उसने रियान को हग करते उसका प्यार से सिर चूम लिया!!
ये देख रियान खुश हो गया,वहीं साक्षी मुस्कुराते ना में सिर हिला देती है और मन ही मन खुद से-
"सार्थक भी ना,रियू के आने पर मुंह भी बनाता है और खुश होते अपने बेटे पर प्यार भी लुटाता है,पागल कहता कुछ है करता कुछ है!"
तभी सार्थक ने साक्षी की ओर भोहें उचकाई तो
नाक सिकोड़ देती है,दोनों कुछ बोलते जुबान से कि रियान बोल पड़ता है-"मॉम डैड आपको यह (स्टेच्यू की ओर इशारा करते)गिफ्ट पंसद आया ना,सरप्राइज कैसा लगा(साक्षी सार्थक की ओर देख)आपको?"
ये सुनते ही सार्थक साक्षी एकसाथ "सुपर्ब"बोले
और "थैंक्यू"कहते दोनों ने एक साथ रियान की गाल चूम ली,रियान दोनों की ओर बारी बारी से देखते-"मुझे पता था आपको यह बहुत अच्छा
लगेगा!"
सार्थक-"अच्छा!"
रियान-"या डैड!"
साक्षी-"बट आपने हमें नहीं बताया,पूछा तब भी नहीं!"
रियान-"सॉरी मॉम,बता देता तो सरप्राइज खराब हो जाता!"
साक्षी-"हां ये तो है!"
सार्थक-"सॉरी की कोई बात नहीं बेटा,हम दोनों को आपका सरप्राईज बहुत पंसद आया,है ना साक्षी!"
"येस"कहते साक्षी ने रियान का चेहरा हाथों में भर माथा चूम लिया,ये देख सार्थक गुनगुनाने लगा-"पल भर के लिए कोई हमें प्यार करलो,
थोड़ा ही सही!"
ये सुन साक्षी-रियान दोनों हंस पड़े,उनको हंसते देख सार्थक भी हंसते एक साथ दोनों को अपने गले लगा लेता है,.....तभी सार्थक का फोन रिंग किया,वो दोनों से अलग होकर बैड से उठा और टेबल पर रखे अपने फोन को जाकर लिया-"हां माही!"
दरअसल सार्थक को माहिर की कॉल आई थी,
माहिर सार्थक से-"चैंप आपके रूम में है?"
सार्थक साक्षी रियान की ओर देखते जो एक दूजे के साथ बड़े खुश नजर आ रहे थे-"हां,यहीं है!"
माहिर-"मेरे पास भेज दो,मैं ध्यान रख लूंगा!"
सार्थक मुस्कुराते हुऐ-"नहीं....माही आज रियान हमारे साथ सोना चाहता है,वो यही रहेगा,हम भी चाहते है हमारा बेटा हमारे पास ही रहे!"
ये सुन माहिर"ओके"बोल कॉल कट कर देता है वही साक्षी सार्थक की बात सुन मुस्कुराने लगी,
सार्थक फोन टेबल पर छोड़ वापस रियान साक्षी के पास चला आया!!
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माहिर बाल्कनी में खड़ा-"ये जीजू भी ना,इनका समझ ही नहीं आता,बोलते अलग करते अलग!"
बोल वो दायें बायें गर्दन को हिलाते रूम में चला
आया और फोन को काऊच पर फैंक,लाईट बंद कर बैड पर जाकर से आराम से सो गया,थोड़ी ही देर में गहरी नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया!
इधर माहिर चैन से सो रहा था उधर उसके चलते अयाना की नींद उड़ चुकी थी,सकून से सोना तो दूर उसे पल भर का आराम भी नहीं था अयाना बैड पर लेटी करवट ही बदल रही थी,नींद उसकी आखों से चैन उसके मन से आज कोसो दूर था….."
(क्रमशः)
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