बिजली की एक हल्की सी चमक ने आसमान को कुछ पलों के लिए रोशन किया। चारों तरफ धुंधली हुई बूँदें तेज़ी से गिर रही थीं। बादलों की गरज और ठंडी हवा के बीच, मीरा और अर्जुन एक पेड़ के नीचे खड़े थे। मीरा की आँखों में कईं सारे सवाल थे, वो अर्जुन को चुपचाप देख रही थी, वहीं अर्जुन मीरा की शक भरी नज़रों से बेखबर बारिश की बूंदों को अपने हथेलियों पर महसूस कर रहा था। बारिश के बीच से आती ठंडी हवा मीरा की बाँहों पर हल्की सी कंपकंपी पैदा कर रही थी। उसका दिल भीगती हुई धरती से तेज़ धड़क रहा था, मानो बारिश की गिरती हर बूंद के साथ उसकी बेचैनी और बढ़ रही हो। उसने अर्जुन की तरफ देखा और मन ही मन कहा
मीरा(खुद से)- क्यों मैं अब तक अर्जुन पर भरोसा नहीं कर पा रही हूँ?
एक तेज़ हवा के झोंके से मीरा सिहर उठी, अर्जुन ने उसे अपनी जैकिट के अंदर खींच लिया। उसकी गर्म हथेलियाँ मीरा के कंधों पर थी, पर मीरा का मन कहीं और उलझा हुआ था। अर्जुन के कुछ दिनों से बदलते हुए बर्ताव ने उसके मन में कई सवालों को जन्म दे दिया था। और अब, जिस तरह उसने आज बात की, उसे और भी शक होने लगा था। ऐसा लग रहा था उसे जैसे अर्जुन अपने बारे में कुछ छिपा रहा हो। मीरा अपने ख्यालों में उलझी हुई थी कि तभी अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा
अर्जुन- तुम क्या सोच रही हो?
उसकी आवाज़ बारिश की आवाज़ में खो जाने वाली थी, पर मीरा उसे साफ-साफ सुन सकती थी। मीरा थोड़ी देर चुप रही। उसके ज़हन में अनिका की बात घूमने लगी। उसने एक लंबी साँस ली और अपने भीतर के सवालों को दबाने की कोशिश की। लेकिन आखिरकार, उससे रहा नहीं गया और उसने हिचकिचाते हुए अर्जुन ने पूछा
मीरा- अर्जुन, क्या तुम कभी जयपुर गए हो?
मीरा का सावाल सुनकर अर्जुन अचानक से चौंक गया। उसके चेहरे पर हल्की सी घबराहट उभर आई थी। उसने उसकी ओर देखा, फिर पल भर के लिए आसमान की ओर नजरें घुमाई। उसके माथे पर बारिश की बूंदे थी, पर उसकी आँखों में कोई और ही उलझन भरी चमक थी, जैसे वो कुछ छिपा रहा हो। अर्जुन ने मीरा की तरफ देखकर थोड़ा शांत रहते हुए पूछा
अर्जुन- ये सवाल अचानक क्यों?
मीरा उसकी नजरों से बचती हुई बोली,
मीरा- अरे, बस यूँ ही। मेरी दोस्त है, अनिका। वो हाल ही में जयपुर घूमकर आई है। तो मैंने सोचा, अगर तुम गए हो तो मुझे भी कुछ टिप्स मिल जाते।
अर्जुन ने थोड़ी देर तक कुछ नहीं कहा। उसकी नज़रें मीरा पर टिकी रहीं, जैसे वो उसके भीतर छिपी उसके सवाल की सच्चाई को समझने की कोशिश कर रहा हो। फिर उसने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा,
अर्जुन- ओह, अच्छा। हाँ, ठीक है, अगर तुम चाहो तो हम भी कभी वहाँ का प्लान बना सकते हैं।
मीरा ने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन अंदर से वो अभी भी बेचैन थी। अर्जुन के चेहरे पर कुछ तो ऐसा था, जो उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसकी निगाहें, उसका तरीका, सब कुछ अब उसे अजीब लग रहा था। मीरा कुछ नहीं बोली, लेकिन तभी अर्जुन ने बात बदलते हुए कहा
अर्जुन- अच्छा, मैं तुम्हारे लिए एक छोटा सा गिफ्ट लाया था।
अर्जुन ने अपने बैग से एक छोटा सा पैकेट निकाला, मीरा ने चौंकते हुए उसकी ओर देखा। उसकी सांसें अचानक से तेज़ हो गईं। अर्जुन ने जैसे ही वो पैकेट उसकी ओर बढ़ाया, उसके हाथों ने धीरे से पैकेट लिया, पर उसकी आँखों में अब वो पुरानी मासूमियत नहीं थी, बल्कि शक था और अब उसे इस बारिश में अर्जुन की हर हरकत उसे और रहस्यमयी लगने लगी थी। पैकेट को खोलते हुए मीरा की उँगलियाँ काँप रही थीं, तभी अर्जुन ने हिचकिचाहट भरी हंसी के साथ पूछा
अर्जुन- क्या हुआ? खोलो न, देखो क्या है?
मीरा ने धीरे-धीरे पैकेट खोला। उसके अंदर से एक छोटा सा पेंडेंट निकला। मीरा ने पेंडेंट को देखा तो उसका दिल एक पल के लिए थम सा गया। मीरा ने पेंडेंट से नजर हटाकर बाहर देखा तो बारिश धीमी हो चुकी थी, और अर्जुन ने मीरा की तरफ मुस्कराते हुए पेंडेंट बढ़ाया और कहा
अर्जुन- कैसा लगा? पसंद आया ?
मीरा पेंडेंट को देखते ही एक पल के लिए ठिठक गई, क्योंकि पेंडेंट बेहद खूबसूरत और महंगा था। उसके मन में अनगिनत सवाल उठ रहे थे। आखिर अर्जुन क्यों उसे इतना महंगा तोहफा दे रहा था?? उसकी उलझन उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। मीरा ने हिचकिचाहट के साथ कहा
मीरा- अर्जुन, ये बहुत महंगा है। मैं इसे घर नहीं ले जा सकती, मम्मी को क्या कहूँगी। प्लीज तुम इसे रख लो।
अर्जुन ने हल्की सी हंसी के साथ उसकी तरफ देखा, और कहा
अर्जुन- क्या तुम भी मीरा, अरे, इसमें क्या है? अगर तुम्हारी मम्मी पूछें, तो कह देना कि ये तुम्हारी दोस्त अनिका ने दिया है। सारा दिन तो उसका नाम लेती रहती हो, कह देना कि ये गोल्ड का नहीं बल्कि नकली है।
अर्जुन ने जबरदस्ती करते हुए मीरा को पेंडेंट रखने के लिए मना लिया था। मीरा ने उसकी बात सुनी, और अनमने ढंग से पेंडेंट रख लिया। बारिश अब पूरी रुक चुकी थी। अर्जुन ने अपना हाथ बाहर निकाला और बूंदों की रफ्तार देखी। फिर मीरा की तरफ देखकर कहा
अर्जुन- बारिश रुक गई है, इससे पहले वापस शुरू हो, तुम जाओ। देर मत करो, मैं भी निकलता हूँ।
मीरा ने हाँ में सिर हिलाया और जबरन एक मुस्कान दी। अर्जुन को अलविदा कहकर मीरा धीमे कदमों के साथ वहाँ से चली गई। अर्जुन ने उसे जाते हुए देखा, उसकी आँखों में एक गहरी रहस्यमयी चमक थी। मीरा के जाते ही अर्जुन ने अपने फोन को निकाला और किसी को कॉल किया। कॉल लगते ही अर्जुन ने गंभीर आवाज़ में कहा
अर्जुन- मैंने अपना तोहफा दे दिया है। अब बारी तुम्हारी है।
फोन काटते ही उसकी मुस्कराहट और गहरी हो गई। वहीं दूसरी ओर मीरा घर पहुँची, तो दरवाज़ा उसकी माँ रमा ने खोला। रमा के चेहरे पर एक अजीब सी बेचैनी थी। उन्होंने मीरा को देखते ही कहा मीरा, कहाँ थी तू? अनिका का फोन आया था। वो बहुत घबराई हुई थी, तुझे मिलना चाहती है। और ये क्या, तेरा फोन स्विच ऑफ क्यों है? एक तो इतनी देर से आई है, ऊपर से फिर से अनिका से मिलेगी। तुम कॉलेज में क्या करती हो? खैर, वो अनिका कह रही थी कि वो शाम की आरती के लिए मंदिर आएगी, वहीं मिल। पर जल्दी आना....
रमा की आवाज़ में चिंता साफ़ झलक रही थी। मीरा ने पहले उसे हैरानी से देखा और फिर अपना फोन निकाला जो सचमुच बंद था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अनिका को क्या हो गया। मीरा ने जल्दी से अपना बैग रखा और अपनी माँ से कहा,
मीरा- मैं जा रही हूँ। जल्दी से आ जाऊँगी....
मीरा बिना वक्त गँवाए अनिका से मिलने निकल गई। उसके मन में हज़ारों सवाल थे। अर्जुन का पेंडेंट, अनिका की घबराहट। सब ख्याल मीरा के मन में हलचल पैदा कर रहे थे। मीरा अनिका से मिलने मंदिर के पास पहुँची, जहाँ अनिका उसका इंतज़ार कर रही थी। अनिका की आँखों में चिंता और बेचैनी थी। जैसे ही मीरा उसके पास पहुँची, अनिका ने बिना देरी किये अपनी बात कह डाली
अनिका- मीरा, आज घर पहुँचते ही बवाल हो गया। शायद अमन ने मेरे लिए एक गिफ्ट भेजा था और वो माँ के हाथ लग गया। मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने उनसे कह दिया कि ये गिफ्ट तूने मुझे दिया है।
मीरा ने कुछ नहीं कहा, बस अनिका के हाथ में पकड़ा हुआ एक पैकेट देखा। मीरा ने अनिका से वो पैकेट लिया और उसे खोलकर देखा। पैकेट खोलने के बाद मीरा की आँखें अचानक चौड़ी हो गईं। क्योंकि अनिका के पास भी वही पेंडेंट था, जैसा अर्जुन ने उसे दिया था।मीरा को लगा जैसे किसी ने उसकी सांसें रोक दी हों। एक अजीब सा डर उसके दिल में घर करने लगा था। मीरा ने पैकेट अनिका को थमाते हुए कहा
मीरा- ये कैसे हो सकता है? अर्जुन ने भी मुझे ऐसा ही पेंडेंट दिया है। क्या अर्जुन और अमन एक-दूसरे को जानते हैं? या फिर दोनों ने कुछ करना चाहते हैं हमारे साथ?
अनिका ने मीरा के कंधे पर हाथ रखा और उससे शांत रहने को कहा। मीरा ने एक बार फिर अनिका के हाथ से वो पेंडेंट लिया और अपनी बेचैनी को दबाते हुए कहा
मीरा- अनिका ये बात तो साफ है कि ये सब इत्तेफाक नहीं है। अगर है भी तो हमें इसकी जड़ तक जाना होगा। हमें इसका सच पता करना होगा। एक काम कर कल तू अमन को कॉलेज में मिलने के लिए बुला, और मैं अर्जुन को बुलाऊँगी।
मीरा ने अर्जुन और अमन को बुलाने की बात कहकर अनिका को अपना पूरा प्लान बताया। अनिका ने उसकी बात सुनी, और एक हल्की सी हामी भरी। दोनों सहेलियाँ मंदिर से घर लौट आई। अगली सुबह का मौसम हल्का ठंडा और साफ़ था, लेकिन अनिका और मीरा के दिलों में बेचैनी की हलचल साफ दिखाई दे रही थी। दोनों सुबह 10 बजे ही कॉलेज के पास वाली गली के मोड़ पर मिली। दोनों की आँखों में एक अजीब सी गंभीरता थी। शायद दोनों के मन में चल रहे सवालों और शक ने उन्हें इस अनचाही सोच में डाल दिया था। अनिका ने अपने बैग से पैसे निकालकर पास की चाय की दुकान से दो चाय के कप लिए। दोनों ने बिना एक शब्द कहे चाय पी। आज उन दोनों को ही चाय का स्वाद पहले जैसा नहीं लग रहा था, शायद उनके मन में चल रही कशमकश ने चाय के स्वाद को भी फीका कर दिया था। दोनों के चेहरों पर वो हल्की मुस्कान भी नहीं थी, जो आमतौर पर उनके मिलने पर होती थी। मीरा ने चुप्पी तोड़ी, और कुछ सोचते हुए कहा
मीरा- हम सीधे गार्डन में नहीं जा सकते। अगर हम पहले ही वहाँ पहुँच गए तो उन्हें अजीब लग सकता है सोचो अगर जैसा हम जैसा सोच रहे हैं, वैसा ना हुआ तो। हम इसे बस एक अनप्लैन्ड मुलाकात दिखाएंगे।
मीरा की बात पर अनिका ने हाँ में सिर हिलाया। मीरा ने घड़ी देखी तो उसमें 10 बजे थे। उसने अनिका की ओर देखा और कहा
मीरा- चल, पहले कॉलेज चलते हैं। तुम क्लास में बैग रखना और अपना फोन लेकर निकल जाना, मैं क्लास में ही रहूँगी, और तुम्हारा फोन आने के बाद निकलूँगी। उससे पहले मैं तुम्हें मैसेज करती रहूँगी।
अनिका ने उसकी बात मानी, और दोनों कॉलेज की ओर बढ़ने लगीं। उनके कदमों में हल्की सी जल्दबाजी थी। कॉलेज में पहुँचते ही मीरा और अनिका अपने-अपने काम में लग गईं। मीरा ने क्लास में एक सीट पर बैठते ही अपनी किताब निकाली, तभी अचानक एक लड़का उसकी तरफ बढ़ा और धीरे से बोला मीरा, आपको प्रोफेसर रोशनी ने स्टाफ रूम में बुलाया है।
मीरा को ये सुनकर थोड़ी हैरानी हुई। उसे प्रोफेसर रोशनी का अचानक बुलाना कुछ अजीब सा लगा, लेकिन उसने सोचा कि शायद किसी असाइनमेंट या प्रोजेक्ट के बारे में बात करनी हो। वो अपना बैग और फोन वहीं छोड़कर स्टाफ रूम की तरफ बढ़ गई। जैसे ही वो स्टाफ रूम के पास पहुँची, तो अचानक उसकी टक्कर एक लड़की से हो गई, जो हाथों में रंगों का पैकेट लिए हुए थी। टक्कर इतनी तेज़ थी कि रंग का पैकेट मीरा के कपड़ों पर गिर गया, और उसके सफेद टॉप पर रंग फैल गए। मीरा के कपड़ों का हाल देखकर लड़की ने घबराते हुए कहा
“सॉरी , मुझे माफ़ करना! मैंने देखा नहीं था । ओह गॉड, आपके तो सारे कपड़े खराब हो गए।” मीरा ने गहरी साँस ली, लेकिन नाराज़गी को छिपाते हुए कहा,
मीरा- कोई बात नहीं, इट्स ओके ... पर मुझे इसे अभी साफ करना होगा।
मीरा अपने कपड़े साफ करने के लिए सीधे वॉशरूम की ओर बढ़ गई, वहीं दूसरी ओर अनिका गार्डन के पास बैठी थी। उसने घबराते हुए बार-बार फोन देखा, वो मीरा के फोन या मैसेज का इंतजार कर रही थी। तभी अचानक उसका फोन बजा—अमन का कॉल था। फोन उठते ही अमन ने कहा
अमन- हैलो, अनिका मैं पहुँच गया हूँ। तुम कहाँ हो?
अनीक(हकलाते हुए)- मैं, मैं यहाँ गांधी जी की मूर्ति के पास हूँ। तुम आ जाओ...
अमन के phone रखते ही अनिका ने घबराते हुए मीरा को फोन किया, लेकिन मीरा ने फोन नहीं उठाया । अनिका को समझ में नहीं आया कि अब क्या करे। उसने फिर से कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। उसने सोचा कि मीरा शायद जल्दी ही आ जाएगी। तभी अनिका ने देखा कि अमन उसके पास पहुँच गया, अनिका ने अपने चेहरे से चिंता हटाकर अमन को एक मुस्कान के साथ हैलो बोला। जहां एक तरफ अमन अनिका से मिलने पहुँच गया था तो वहीं दूसरी तरफ मीरा वॉशरूम में अपने कपड़ों से रंग साफ करने की कोशिश कर रही थी। उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था, ताकि कोई उसे परेशान न करे। अचानक उसे महसूस हुआ कि दरवाज़ा बाहर से लॉक हो गया है। उसने घबराकर दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं खुल रहा था। मीरा ने मन ही मन सोचते हुए कहा
मीरा- ये क्या हो रहा है?
मीरा ने मन ही मन सोचा, उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने दरवाज़ा कई बार जोर से खटखटाया, लेकिन कोई आवाज़ नहीं आई। मीरा पूरी तरह से घबरा गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? बहुत देर बाद, जब मीरा को बाहर से कोई जवाब नहीं मिला तो उसकी भी हिम्मत टूट गई। वहीं अनिका अमन से मिलकर वापस कॉलेज लौट आई थी और मीरा को ढूंढ रही थी। अनिका को उसके साथी ने बताया कि उसने मीरा को स्टाफ रूम की तरफ जाते देखा था। अनिका घबराई हुई स्टाफ रूम की ओर भागी। मीरा के फोन न उठाने की वजह से उसकी चिंता बढ़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मीरा को हुआ क्या? तभी उसे वॉशरूम के दरवाज़े से जोर-जोर से खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं, और वो फटाफट दरवाज़े के पास पहुँची। उसने दरवाज़ा बाहर से खटखटाते हुए कहा
अनिका- मीरा?
अंदर से मीरा की घबराई हुई आवाज़ आई।
मीरा- अनिका, मैं अंदर फँस गई हूँ! प्लीज़ दरवाज़ा खोलो!"
अनिका ने बिना देर किए दरवाज़ा खोला। जैसे ही दरवाज़ा खुला, मीरा बाहर आई और उसकी आँखों में आंसू थे। उसने तुरंत अनिका को कसकर गले से लगा लिया। उसकी साँसे तेज चल रही थी, अनिका ने मीरा से परेशान होते हुए पूछा
अनिका- मीरा, तू क्या कर रही थी। तुझे तो क्लौस्ट्रोफोबिया है, तूने दरवाज़ा क्यों बंद किया।
मीरा ने खुद को सँभालते हुए जवाब दिया,
मीरा- मुझे नहीं पता कि ये कैसे हुआ, मैंने दरवाज़ा बंद नहीं बल्कि ढ़काया था। लेकिन अचानक किसी ने इसे बाहर से बंद कर दिया।
अनिका ने उसे संभालते हुए कहा
अनिका- कोई बात नहीं, अब सब ठीक है अब, हम बाहर हैं। चलो, ये सब बाद में सोचेंगे।
अनिका मीरा के साथ क्लास में पहुंची, मीरा बहुत घबराई हुई थी। उसे याद भी नहीं था कि अनिका अभी अमन से मिलकर आई थी, मीरा पानी पी रही थी कि तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया। मीरा ने एक नज़र फोन पर डाली और मैसेज पढ़ा। जिसे पढ़कर मीरा के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच गई। अनिका ने उससे पूछा
अनिका- क्या हुआ मीरा, अर्जुन का मैसेज है? वो आ गया?
मीरा (गंभीर)- नहीं, वो नहीं आ रहा है। बोल रहा है कि कुछ ज़रूरी काम है।
अनिका(एक गहरी सांस लेकर)- अमन भी बहुत जल्दी में निकल गया, मैंने उसे रोकने की कोशिश की पर वो रुका नहीं। लगता है, आज किसी ने तुम्हारे साथ प्रैन्क किया।
अनिका की बात पर मीरा उसकी तरफ मुड़ी और अपनी घबराहट को दबाते हुए बोली
मीरा- पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे ये प्रैन्क नहीं लग रहा.... सोची समझी चाल लग रही है।
मीरा की बात सुनकर अनिका भी हैरान रह गई। कॉलेज खत्म होने के बाद दोनों घर की ओर निकल गई। मीरा घर पहुंचकर सीधे कमरे में जाकर अपनी डेस्क के पास बैठ गई। उसने अपनी डायरी खोली और एक पेन उठाया। और धीमे-धीमे लिखते हुए बोली
मीरा- क्या ये शक सच में सही है, या फिर मैं खुद को बस परेशान कर रही हूँ? हर छोटी बात अब बड़ी लगने लगी है। अर्जुन ने आजतक मुझे मिलने से मना नहीं किया, लेकिन आज उसने अचानक मिलने से मना कर दिया। आखिर क्यों?
मीरा की तरह अनिका भी उलझन में थी। वो आज अमन से भी पुराने दिनों की तरह नहीं मिल पाई थी। उसके दिल में प्यार से ज़्यादा डर था। अनिका ने अपनी डायरी निकालकर उसमें लिखते हुए कहा
अनिका- जब से ये सारे झगड़े और उलझनें शुरू हुई हैं, सब कुछ बिखरता जा रहा है। क्या हम सही कर रहे हैं?
नेरैटर- दोनों के मन में सवाल तो कई थे, लेकिन जवाब कहीं खोए हुए लग रहे थे। क्या अनिका और मीरा को मिल पाएंगे उनके सवालों के जवाब? किसे call किया था अर्जुन ने? किसने बंद किया मीरा को बाथरूम में?
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