मीरा और अनिका एक छोटी-सी गली के किनारे बने आइस क्रीम पार्लर में खड़ी थी, जो उनके कॉलेज के पास बना था। हल्की हवा चल रही थी,  मौसम को देखकर लग रहा था कि किसी भी वक्त बदल सकता है। अनिका ने जो सवाल मीरा से पूछा था, उसका जवाब सुनकर अनिका हैरान रह गई थी, मानो उसके दिल में एक और तूफ़ान ने जन्म ले लिया हो। उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ नजर आ रही थीं। अनिका बहुत देर तक कुछ नहीं कहा, मीरा भी उसे हैरानी से देख रही थी, उसने अनिका को हाथ मारते हुए कहा 

मीरा- अनिका, क्या हुआ? अब ये मत कहना कि तुझे भी अमन ने 25 जुलाई को ही प्रपोज किया था?  

अनिका(सोचते हुए)- क्या तुम श्योर हो ये वही तारीख है?

मीरा- हाँ, यार। मैं श्योर हूँ, इतनी बड़ी बात कैसे भूल सकती हूँ। पर तू बता तू इतना हैरान क्यों है?

अनिका-  न... नहीं, नहीं... कोई ऐसी बात नहीं है। तुमने कहा... 25 जुलाई, दरअसल उस दिन  कुछ हुआ था। इस दिन जब अमन ने मुझसे मिलने का वादा किया था, लेकिन अजीब बात ये है कि उस दिन वो गायब हो गया, ना कोई मैसेज ना कोई फोन, बस गायब। फिर मैं तीन दिन तक उसका इंतजार करती रही, फिर अचानक वो 29 जुलाई को लौटा और उस दिन उसने मुझसे अपने दिल की बात कही। वो उसी दिन मेरे लिए वो साड़ी भी लेकर आया था, जो मैंने कल पहनी थी। सच में हमारी पूरी लव स्टोरी ही इत्तेफाक है शायद। 

अनिका की बात पर मीरा ने उसकी ओर देखा फिर अचानक उससे नजरें हटाली, क्योंकि मीरा किसी भी हाल में अनिका को उन फोटोज़ के बारे में बताकर डराना नहीं चाहती थी। मीरा ने परेशान नज़रों से अनिका की ओर देखा। उसके चेहरे पर भी घबराहट और अविश्वास की लकीरें साफ नजर आ रही थीं। फिर उसने एक नकली मुस्कान के साथ अनिका से कहा 

मीरा- हम्म, तुम सही कह रही हो, पर कोई बात नहीं, कम से कम हमारी लव स्टोरीज़ आम नहीं होंगी। वरना जिसे देखो सबकी एक जैसी घिसी-पीटी होती है, हमारी में ट्विस्ट एण्ड टर्न  ज़्यादा हैं। 

मीरा की बात सुनकर अनिका हंस पड़ी, लेकिन उन दोनों को ही पता था कि उनके बीच हो रही ये बातचीत अब एक गहरे सवाल की तरह बन गई थी, जिसका जवाब न तो अनिका के पास था और न ही मीरा के पास। दोनों की आंखों में शक और चिंता साफ झलक रही थी, जैसे किसी अनजाने रहस्य से घिर गई हों, पर वो दोनों ही इसे इग्नोर कर रही थी। कुछ देर बाद मीरा के मन में एक ख्याल आया, मीरा कुछ और कहने ही वाली थी कि अचानक उसका फोन बज उठा। उसने स्क्रीन पर देखा तो उनकी क्लासमेट ज्योति का था। मीरा ने अनिका की ओर देखा और कहा 

मीरा- ज्योति है, शायद क्लास में आने को कहेगी। 

अनिका(इशारा करते हुए)- उठा ले ना.. जरूरी होगा तो चल लेंगे। 

मीरा ने अनिका की हामी के बाद ज्योति का फोन  उठा लिया। उठाते ही ज्योति ने धीमी आवाज़ में कहा मीरा, तुम लोग कहां हो? आज एक बहुत जरूरी क्लास है। इसका टेस्ट भी जल्दी होगा। तुम लोग आ जाओ। 

मीरा :अनिका, ज्योति कह रही है कि आज बहुत ज़रूरी क्लास है और उसका टेस्ट भी जल्दी होगा। चल चलते हैं.. 

क्लास में पहुंचकर मीरा और अनिका ने एक ही सीट पर अपना बैग रख दिया, ऐसा करने के बाद उन दोनों ने एक दूसरे को हँसकर देखा। कुछ दिनों से वो दोनों ही कई चीज़ों के चलते एक दूसरे से अलग बैठ रही थी, लेकिन अब उनके बीच में कोई राज़ नहीं था। उनका एक सीट पर बैठना ऐसा था जैसे दो देशों के बीच में जंग खत्म हो गई हो। दोनों हँसते हुए अपनी सीट पर बैठ गई, कुछ देर बाद प्रोफेसर ने पढ़ाना शुरू करते हुए कहा 

 आज हम एक ऐसे विषय के बारे में पढ़ेंगे जो साहित्य और मनोविज्ञान दोनों की ही दृष्टी से बहुत ज़्यादा ज़रूरी है। विषय का नाम है सत्य, कथ्य और मिथ्या। इसे इस तरह समझिए, सत्य और मिथ्या एक धागे के दो छोर हैं, और कथ्य वो इन दोनों के बीच की एक महीन सी दीवार। हम इसकी बिना पर ही सत्य और मिथ्या का भेद समझ पाते हैं। लेकिन कभी-कभी जो हमें सच लगता है, वो वास्तव में झूठ होता है, और जो झूठ दिखता है, वो किसी बड़े सत्य की ओर इशारा कर सकता है। लेकिन कथ्य में इन दोनों को ही बदलने की क्षमता होती है। हम कईं बार कथ्य पर भरोसा कर झूठ यानि मिथ्या को भी सच मान लेते हैं। और कभी हम कथ्य और तथ्य यानी की साक्ष्य दोनों को ही नकारकर सच को भी झूठ समझ लेते हैं। 

मीरा प्रोफेसर की बातों में कहीं खो सी गई थी, वो प्रोफेसर की बातों से अपने आज के हालात जोड़ रही थी। उसका दिमाग भटकने लगा, ब्लैकबोर्ड पर प्रोफेसर इन तीनों के बारे में लिख रहे थे, लेकिन मीरा के दिल और दिमाग के ब्लैक्बोर्ड पर बस अनिका और उसके बीच हुई बातें चल रही थी। वो बार-बार उन समानताओं को याद कर रही थी जो अनिका और उसके अमन और अर्जुन के रिश्तों में थी। मीरा ने अपने मन ही मन में इन सभी बातों को आज के विषय से जोड़ते हुए कहा 

मीरा- ये बातें क्या सिर्फ इत्तेफाक हैं? या फिर कोई बड़ा झूठ, जो अर्जुन या अमन हमसे कह रहे हैं। सच क्या है? पता नहीं क्यों सब बहुत साफ-साफ होकर भी उलझा हुआ है। 

मीरा ने अनिका की तरफ देखा, लेकिन वो भी गहरी सोच में डूबी थी। इस क्लास ने उनके मन में और ज्यादा सवाल खड़े कर दिए थे। अब उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि कहीं उनके रिश्तों में कुछ ऐसा तो नहीं जो वो सामने होते हुए भी देख नहीं पा रही थीं? क्लास खत्म होते ही, मीरा और अनिका बाहर निकलीं। अनिका ने मीरा की तरफ देखा फिर अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा 

अनिका- यार मीरा, अच्छा होता हम क्लास में ही ना आते। ना जाने क्यों प्रोफेसर की बातें सुनकर मुझे हमारी सिचुएशन  भी अजीब लगने लगी हैं। सत्य, कथ्य, मिथ्या और क्या था, हाँ.... तथ्य.... 

मीरा- हाँ, ये ही था। लेकिन अच्छा हुआ हम क्लास में आए, कम से कम इस क्लास ने हमें सोचने पर मजबूर तो कर दिया है कि जो दिखता है, वैसा होता नहीं। और जो होता है वो दिखता नहीं।  

अनिका भी मीरा की बात सुनकर सोच में पड़ गई। दोनों कॉलेज से बाहर निकल रही थी। मीरा ने कुछ सोचते हुए अनिका को रोका और कहा 

मीरा- अनिका, मुझे कुछ बताना है। तुझे थोड़ा अटपटा लग सकता है और शायद मैं पागल भी लगूँ, लेकिन कल कुछ हुआ था। तूने कल हल्के नीले रंग की साड़ी पहनी थी, हैना? 

मीरा का सवाल सुनकर अनिका के चेहरे पर घबराहट की छाया फैल गई। उसने हैरान होते हुए कहा 

अनिका- हाँ, पर तुझे कैसे पता? तू नदी पर आई थी। 

अनिका का सवाल सुनकर मीरा की आँखों में डर उमड़ आया, उसने घबराते हुए अनिका से कहा 

मीरा- मुझे कल किसी ने अनजाने नंबर  से तेरी तस्वीरें भेजी थी। मैं तुझसे मिलने आने वाली थी, पर फिर मुझे अर्जुन  का खत मिला। 

मीरा ने अनिका को अपने साथ हुई सारी घटना बताई। उसने बताया कि जैसे ही उसने अर्जुन के सामने अपना फोन किया, तो उसमें से तस्वीरें गायब थी। मीरा ने उन तस्वीरों को वापस ढूँढने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे वो कहीं नहीं मिली। मीरा की बातों से उसका डर साफ झलक रहा था। वो ही डर अब अनिका भी महसूस कर पा रही थी। मीरा ना अपनी बात पूरी करते हुए कहा 

मीरा- क्या अब हम उनपर भरोसा कर सकते हैं? उनका एक वक्त हम दोनों के साथ ना होना, थोड़ा अटपटा है ना, अमन ने तुम्हें 4 बजे आने को कहा और अर्जुन ने मुझे 6 बजे। एक और बात क्या तेरी और अमन की कोई साथ में फोटो है?

अनिका ने ना में सिर हिलाया, मीरा और अनिका अब इस उलझन के साथ और ज्यादा समय नहीं बिता सकती थीं। दोनों के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। जब से मीरा ने उन photos की बात बताई थी तभी से दोनों के बीच एक अजीब सा खिंचाव आ गया था। अनिका असमंजस में थी कि क्या उसे मीरा की बातों में ध्यान देना चाहिए या बस सब कुछ बस एक इत्तेफाक मान लेना चाहिए। अनिका ने अपने मन के विचारों को छुपाने की कोशिश की, लेकिन उसकी आंखों में झलकता डर मीरा से छिपा नहीं रहा। वो जानती थी कि मीरा भी इसी उलझन में फंसी हुई थी, लेकिन दोनों को एक-दूसरे से सीधे कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर मीरा ने एक मुस्कान के साथ कहा 

मीरा (अनमने अंदाज़ में)-  क्या तुझे लगता है कि हम सिर्फ ज्यादा सोच रहे हैं? 

अनिका ने उसकी बात को ध्यान से सुना, लेकिन उसकी आंखों में एक दृढ़ता थी।

अनिका-  नहीं, मीरा। मुझे ऐसा नहीं लगता... अच्छा एक बात बताओ, क्या तुम अपने फोन को कहीं रखकर भूल गई थी, या कुछ देर के लिए तुम्हारा फोन तुम्हारे पास नहीं था। 

मीरा अनिका का सवाल सुनकर कुछ सोचने लगी, पहले उसने ना में सिर हिलाया फिर अचानक से कुछ याद करते हुए बोली 

मीरा- अनिका, मुझे अच्छी तरह याद है। मैं कमरे से बाहर नहीं गई, लेकिन हाँ, मैं अपना फोन कमरे में छोड़कर कपड़े बदलने गई थी। जब मैं वापस आई, फोन वहीं रखा था। सब एक सा था।  

अनिका ने फिर से उसे एक सवाल के साथ देखा। 

अनिका- अच्छा ये बता, तुझे अर्जुन का खत बाथरूम में जाने से पहले मिला या बाद में?

मीरा(सोचकर)- बाद में, मैं बाथरूम से आई, उसके बाद मेरी खिड़की पर किसी ने पत्थर मारा, उससे ही खत लिपटा हुआ था। 

मीरा की बात सुनकर अनिका के मन में बहुत सारे सवालों ने जन्म ले लिया, वहीं अनिका ने एक बार मीरा का फोन  देखा, जिसमें उसे मीरा की हल्के नीले सूट में ली गई सेल्फ़ी दिखी। अनिका ने चौंकते हुए मीरा को देखा, जिसपर मीरा ने कहा 

मीरा (धीरे से)- अब तेरा क्या ख्याल है? क्या बस इत्तेफाक है सब?

अनिका(नकारते हुए)- मैं मानती हूँ कि कुछ बहुत गड़बड़ है। पहले वो तस्वीर का गायब होना, फिर वो अजीब बातें। हमें इन सब चीजों पर वाकई और ध्यान देना चाहिए।

मीरा अनिका की बात से सहमत दिखी। दोनों घर की तरफ बढ़ रही थी तभी अनिका ने मीरा की तरफ देखकर कहा 

अनिका- मुझे नहीं पता, लेकिन हमें इस पर ज्यादा ध्यान देना होगा। मैं ये कहना नहीं चाहती थी, ना ही मानना चाहती थी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये सब महज इत्तेफाक है। हमें कुछ करना होगा। 

उनकी बातचीत से दोनों के दिलों में नया डर भर गया था।मीरा और अनिका ने अब फैसला किया कि उन्हें अपने-अपने बॉयफ्रेंड्स के बारे में और जानकारी जुटायेंगी। वे अब सतर्क हो गई थीं, क्योंकि उनके रिश्तों में छिपे राज़ धीरे-धीरे सतह पर आ रहे थे। उन्हें चीजें उतनी आसान और पारदर्शी नहीं लग रही थी, जैसे उन्हें दिखाई जा रही थी। उन दोनों की बातचीत चल ही रही थी कि मीरा के फोन पर एक कॉल आया। कॉल करने वाला कोई और नहीं बल्कि अर्जुन था। फोन देखते ही मीरा के चेहरे पर हल्की सी घबराहट छलकने लगी, अनिका ने मीरा को call उठाने का इशारा किया। मीरा के call उठाते ही अर्जुन ने कहा 

अर्जुन- सुनो मीरा, मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूँ। मेरा कल तुमपर गुस्सा करना ठीक नहीं था , मुझे पता है। मैं जल्द ही मिलना चाहता हूँ। क्या तुम मुझसे मिल सकती हो?

अर्जुन की आवाज में मीरा को प्यार और सच्चाई महसूस हुई, लेकिन मीरा अब उसपर पूरी तरह भरोसा करने से कतरा रही थी। मीरा ने जल्दी से हामी भरी, और कॉल खत्म होते ही उसने अनिका की ओर देखा। अनिका अपने phone में मैसेज पढ़ रही थी, उसके चेहरे पर चिंता थी। मीरा कुछ पूछ पाती उससे पहले ही अनिका ने उसकी ओर देखकर कहा 

अनिका- भाई का मैसेज है, अनिका, मुझे तुरंत घर आना होगा। कुछ अर्जेंट है। 

अनिका की आवाज़ में घबराहट थी, मीरा ने उसे अर्जुन से फोन पर हुई बातचीत के बारे में ना बताकर कहा 

मीरा- ठीक है, तू जा। मुझे कुछ जरूरी काम है, कल मिलते हैं। 

अनिका तेजी से वहाँ से निकल गई, लेकिन मीरा अब भी असमंजस में थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो। उसने अर्जुन  से मिलने का फैसला किया और उसकी बताई जगह पर पहुँच गई। अर्जुन ने मीरा को एक पार्क में बुलाया था, जहां लोग थे। अमूमन अर्जुन मीरा को खाली सुनसान जगहों पर मिलता था। मीरा ये सब देखकर हैरान हो रही थी कि तभी उसके कानों में अर्जुन की आवाज़ पड़ी 

अर्जुन- मीरा... ज़्यादा इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा। 

अर्जुन को देखकर मीरा खुश हुई, वो उसकी तरफ बढ़ी ही थी कि अचानक बारिश होने लगी। बूंदों की आवाज मीरा के कानों में गूंजने लगी। अर्जुन मीरा को लेकर एक शेड के नीचे चला गया। और फिर मुस्कुराते हुए बोला 

"तुम्हें पता है, मुझे बारिश बहुत पसंद है, अगर आज तुम मेरे साथ नहीं होती, तो मैं बाहर निकलकर भीग रहा होता पर अगर मैं तुम्हें लेकर बारिश में गया तो तुम बीमार पड़ जाओगी।

अर्जुन की बात सुनकर मीरा ठिठक गई। क्योंकि ये वही बात थी जो अनिका ने अपने बॉयफ्रेंड के बारे में कही थी। मीरा के मन में एक अजीब सी घबराहट फैल गई। 

क्या अर्जुन वही है जो वो दिखता है? या फिर इसके पीछे कोई और सच्चाई छिपी है? क्या अनिका और मीरा अब पता करेंगी अर्जुन और अमन से जुड़े राज़? 

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