अश्विन, रिया की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया। उसका गुस्सा धीरे-धीरे शांत होने लगा। इतने में रजत ने शांत स्वभाव के साथ कहा,

रजत: “क्या हम इस बारे में कहीं बैठकर बात कर सकते हैं?

अश्विन ने शांत स्वभाव के साथ सिर हिलाकर हाँ के इशारे में जवाब दिया, और फिर रजत और रिया के साथ उन दो लड़कियों से बिना मिले ही पार्टी से निकल गया।

अश्विन, रिया और रजत एक पब में बैठकर शराब पीते हुए बातें कर रहे हैं।

अश्विन: (शांति से) – “तो बताओ, कब से चल रहा है ये सब तुम दोनों के बीच?”

रजत: (शांति से) – “देख भाई, मैं जानता हूँ कि तुझे लग रहा होगा जो मैंने किया वो गलत है, लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने तुझे धोखा नहीं दिया। और न ही रिया ने।”

रिया: (शांति से) - “बात यह है अश्विन, जब तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़कर चले गये थे, तब मैं बहुत ज़्यादा अकेली फ़ील करने लगी थी, और तब रजत ने एक अच्छे दोस्त की तरह मेरा साथ दिया, मेरा ध्यान रखा, मुझे सँभाला, उसी दौरान हम दोनों करीब आये, मुझे उससे प्यार हो चुका था, और उसे भी मुझसे प्यार हो चुका था, लेकिन, उसने कभी भी मुझे प्रपोज नहीं किया, उसकी वजह तुम थे। उल्टा, जब मैंने उसे रीलैशन्शिप की बात की, तो रजत तो मुझसे ये कहने लगा था कि वो मेरे साथ रीलैशन्शिप में नहीं रह पाएगा, क्योंकि उसे यही लगता रहेगा कि उसने तुम्हें धोखा दिया है। और मुझे शीना के बारे में रजत से पता चला था। वो एक दिन मैंने उसका फोन लिया था, और तब मैंने तुम्हारे मैसेज देखे। जब मैंने उससे शीना की बात की, तो उसने मुझे सारी सच्चाई बतायी। फिर जब मुझे पता चला कि तुम ने मूव ऑन कर चुके हो, तुम्हारी लाइफ में शीना है, तब जाकर मैंने रजत को इस रीलैशन्शिप के लिये कन्विन्स किया।”  

रजत: (शांति से) - “मैं तो कब से तुमसे ये बात शेयर करना चाहता था, लेकिन तुम पिछले दिनों से काफ़ी बिजी हो, और अंकल की भी तबियत ठीक नहीं है। इस वजह से मैंने तुमसे ये बात छुपायी। मुझे लगा जब अगली बार तुम मुंबई आओगे, तब मैं, मेरे और रिया के बारे में तुम्हें सब कुछ बता दूँगा। सॉरी यार भाई, तुझे यह सब ऐसे पता चला।

शीना: (शांति से) - “तुम सॉरी क्यों बोल रहे हो रजत, हमने कोई गलत काम थोड़ी न किया है!”  

अश्विन शांति से दोनों की बातें सुनता रहा। उनकी सारी बातें सुनने के बाद, वह और भी ज़्यादा शांत हो गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आख़िर उन दोनों से क्या कहे। उसने एक झटके में, एक घूँट में अपनी ड्रिंक ख़त्म की और उन दोनों की तरफ देखने लगा। कुछ देर तक ख़ामोश रहने के बाद, अश्विन ने कहा,

अश्विन: (शांति से) – “बेस्ट ऑफ लक दोस्तों. इन्जॉय योर लाइफ.”

रिया: (शांति से) – “अश्विन।”

अपनी बात कहने के बाद, जैसे ही अश्विन अपनी जगह से जाने के लिए उठा, रिया की आवाज़ सुनकर उसके क़दम रुक गए। वह पीछे पलटा, तो रिया उसे देखते हुए पूछने लगी,

रिया: (शांति से) – “शीना कैसी है? वो तुम्हारे साथ नहीं आयी? और, अंकल की तबियत ठीक नहीं है, और तुम यहाँ...”

अश्विन: (शांति से) – “मैं तुम्हारे सवालों का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझता।”

इससे पहले कि रिया अपनी बात पूरी कर पाती, अश्विन ने उसे टोकते हुए कहा और वहाँ से जाने लगा। तभी, उसे एहसास हुआ कि उसका फोन उसी टेबल पर रखा हुआ है। जैसे ही वह पलटा, उसने रजत के पीछे किसी को खड़ा देखा, और वह चौंक गया।

वह व्यक्ति, जिसके हाथ में बोतल थी, रजत पर हमला करने वाला था। यह देखकर अश्विन के रोंगटे खड़े हो गए। वह भागकर रजत की तरफ़ बढ़ा, मगर तब तक देर हो चुकी थी।

रिया: (गुस्से में चिल्लाते हुए) – “ये तुमने क्या कर दिया!”
रिया: (चिंतित स्वर में रोते हुए) – “रजत, रजत!”
रिया: (मदद की भीख मांगते हुए) – “कोई तो मदद करो! प्लीज हेल्प!”

रिया की गुस्से से भरी चीख और दहाड़ सुनकर, रजत को ज़मीन पर पड़े कराहते हुए, उसके फटे सिर और फ़र्श पर फैले ख़ून को देखकर, अश्विन के होश उड़ गए। उसने अपने आस-पास रजत पर हमला करने वाले हमलावर को नहीं देखा। यह देखकर, वह पूरी तरह से उलझन में पड़ गया कि वहाँ क्या हुआ और हमला करने वाला व्यक्ति इतनी जल्दी कहाँ गायब हो गया।

अश्विन ने जैसे ही अपने हाथ पर नज़र डाली, वह और भी ज्यादा घबरा गया। उसके हाथ में बियर की एक टूटी हुई बोतल थी, उसका हाथ खून से सना हुआ था, और उसके कपड़ों पर खून के छींटे और दाग-धब्बे थे। तभी उसकी नज़र कुछ लोगों पर गई, शायद वे बॉउनकर्स थे, जो शीना, रजत और उसकी ओर तेज़ी से बढ़ रहे थे। उन्हें अपनी ओर आता देखकर, अश्विन पूरी तरह से घबरा गया और किसी तरह भीड़-भाड़ से बचते हुए, जल्दी-जल्दी पब  से निकल गया।

अश्विन, छुपते-छुपाते, बचते-बचाते जैसे-तैसे अपने होटल के कमरे में पहुँचा। कमरे में पहुँचते ही वह तुरंत बाथरूम  में गया और अपने खून से सने हाथ को धोने लगा। जैसे ही उसने नल बंद किया, उसे ऐसा लगा कि किसी ने उसके कमरे का दरवाज़ा खोला है। वह अचानक और भी ज़्यादा घबरा गया।

अश्विन, अपने डर पर काबू पाते हुए जैसे ही बाथरूम  से बाहर निकला, तो जो नज़ारा उसने देखा, उसने उसे सन्न कर दिया। उसके कमरे में एक पुलिस इन्स्पेक्टर और दो हवलदार खड़े थे। एक हवलदार ने तुरंत उसे पकड़ लिया। अश्विन के दिमाग में यही चल रहा था कि शायद रिया ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई होगी।

वह अपने बचाव में कुछ बोलने ही वाला था कि तभी इन्स्पेक्टर ने उसे सख्त लहजे में चुप रहने का आदेश दिया। अश्विन का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा, और वह अपनी घबराहट पर काबू नहीं पा सका।  

अश्विन: (घबराते हुए) - “लेकिन officer..”

इससे पहले कि वह कुछ भी कहता, अधिकारी ने उसे डाँटते हुए चुप रहने को कहा और फिर डंडा दिखाते हुए धमकाया, "अगर ज़रा भी शोर मचाया, तो तेरी यहाँ पर ही धुलाई कर दूँगा।" अश्विन डर के मारे बिल्कुल चुप हो गया। इसके बाद, इंस्पेक्टर ने दूसरे हवलदार को कमरे की तलाशी लेने का आदेश दिया। अश्विन हैरान-परेशान था, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

हवलदार ने कमरे की अच्छे से तलाशी ली और फिर अश्विन के बैग को चेक करने लगा। उसने बैग से सारा सामान निकाला, तो उसमें से कई सारे ड्रग्स के पाउच मिले। उन पाउच को देखकर, इंस्पेक्टर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। "बस, अब कोई सफाई देने की ज़रूरत नहीं। तुम्हारी असलियत सबके सामने आ चुकी है।"

अश्विन कुछ कहने ही वाला था, मगर इससे पहले कि वह अपनी बात रख पाता, हवलदार ने उसे हथकड़ी पहना दी और फिर उसे कमरे से बाहर घसीटते हुए पुलिस जीप तक ले गया।

अश्विन एक इंटरोगेशन रूम में बैठा हुआ था। उसके माथे पर पसीने की बूंदें थीं और चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। सामने वही इंस्पेक्टर बैठा हुआ था जिसने उसे गिरफ्तार किया था। इंस्पेक्टर अश्विन को घूरते हुए सवाल पर सवाल पूछे जा रहा था।

इस दौरान, अश्विन को एक भयंकर सच पता चला। उसे लग रहा था कि पुलिस ने उसे रजत पर हुए हमले के मामले में गिरफ्तार किया होगा, मगर सच्चाई कुछ और ही थी।

दरअसल, जिन दो जुड़वा बहनों से अश्विन बीच पर मिला था और जिनके साथ उसने पार्टी की थी, वे दोनों किसी ड्रग्स के केस में शामिल थीं। पुलिस को उन पर लंबे समय से शक था और वे उनकी गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए थे। लेकिन, पुलिस को हमेशा ऐसा लगता था कि उनके पीछे किसी बड़े आदमी का हाथ है, क्योंकि अब तक उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया था।

ऐसे में अश्विन का उन बहनों से मिलना पुलिस को संयोग नहीं, बल्कि साजिश जैसा लग रहा था। ऊपर से अश्विन के पास से ड्रग्स के पाउच मिलने ने पुलिस के शक को और पुख्ता कर दिया। अश्विन ने बार-बार यह कहा कि वह उन बहनों को नहीं जानता और उनसे पहली बार ही मिला था, मगर इंस्पेक्टर ने उसकी बातों पर विश्वास नहीं किया। "कानून सबूत माँगता है, और इस वक़्त जो सबूत हैं, वे तुम्हारे खिलाफ़ हैं।" हालात को देखते हुए, अश्विन समझ गया कि वह एक गहरी परेशानी में फँस चुका है।

सारे मामले को जाँचने-परखने के बाद, पुलिस वालों ने अश्विन को जेल में डाल दिया।

उसे वह रात हवालात में ही गुज़ारनी पड़ी। सारी रात वह बस यही सोचता रहा कि वह इस मुसीबत से बाहर कैसे निकले। कहाँ अश्विन अपनी रात को रंगीन बनाने का सपना देख रहा था, मगर यह रात उसकी ज़िंदगी की सबसे काली और डरावनी रात साबित हुई।

अश्विन सारी रात जागता रहा। जैसे ही सुबह हुई, उसका माथा ठनका। कुछ सोचते हुए उसने इंस्पेक्टर से मिलने की माँग की। थोड़ी देर बाद, जब वह इंस्पेक्टर से मिला, तो उसने बहुत सोच-समझकर मांडवली करने की कोशिश की। काफ़ी मशक्कत के बाद, वह किसी तरह पुलिस वालों के चंगुल से निकलने में कामयाब हो गया। लाज़मी है कि इंस्पेक्टर ने जो सामान उससे बरामद किया था, वह अश्विन को वापस नहीं मिलने वाला था। अश्विन ने इसे लेकर कोई सवाल भी नहीं उठाया।

होटल पहुँचते ही, अश्विन ने तुरंत दिल्ली वापस जाने की तैयारी शुरू कर दी। अपने सामान को समेटते हुए, वह मन ही मन बड़बड़ाने लगा,

अश्विन (बड़बड़ाते हुए): - “मुझे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था। आया तो आया, लेकिन उन दो लड़कियों के साथ पार्टी में जाने की क्या ज़रूरत थी? पत्थर पड़े थे मेरी अक्ल पर! मस्ती के चक्कर में मैं इतना अंधा हो गया कि मुझे इस सबका अंदाज़ा ही नहीं था। कहाँ मैंने सोचा था कि गोवा में चिल करूंगा, लेकिन यहाँ तो मरने की नौबत आ गई। मेरी किस्मत लिखते वक़्त सच में कुछ तो लोचा हुआ है। इससे पहले कि कोई और बवाल हो, मुझे यहाँ से निकल लेना चाहिए। इसी में मेरी भलाई है।”

अश्विन, डाबोलिम एयरपोर्ट जाने के लिए कैब में बैठा ही था कि इतने में उसके पास एक कॉल आया। जैसे ही उसने कॉल रिसीव किया, उसके हाथ-पाँव सुन्न पड़ गए। वह किसी मोम की बेजान गुड़िया की तरह स्थिर और बेज़ुबान हो गया। किसका कॉल आया था अश्विन को?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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