सुबह-सुबह, गोवा के डाबोलिम एयरपोर्ट पर पहुँचते ही, अश्विन के चेहरे पर राहत भरी मुस्कान झलक उठी। दिल्ली की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर, यह नया माहौल उसे भाने लगा था। वहाँ की गर्म हवाओं ने उसका बड़े ही प्यार से स्वागत किया। एक पल को उसे ऐसा लगा, जैसे यह हवाएँ उसे गले लगा रही हों।
उसने गहरी साँस ली, अपना बैकपैक उठाया, और टैक्सी स्टैंड की ओर बढ़ते हुए अपने आस-पास नज़रें दौड़ायीं। चारों तरफ़ टूरिस्ट्स की भीड़-भाड़ थी। कोई खुशी से झूम रहा था, कोई अपने परिवार के साथ सेल्फी ले रहा था, और कुछ कपल्स मौजूद थे। उस भीड़ में अश्विन अकेला था। हालाँकि, इस बार उसे यह अकेलापन सुकून भरा लग रहा था। शायद यही सुकून और शांति तो वह यहाँ तलाशने आया था।
टैक्सी में बैठते ही उसने ड्राइवर को होटल का पता बताया। जैसे-जैसे गाड़ी चलती गई, वैसे-वैसे अश्विन की आँखें गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य और रास्ते पर चल रहीं सुंदरियों पर टिक गईं। नारियल के पेड़ और वो शानदार रंग बिरंगे घर, सब कुछ उसके दिल को छूने लगा।
होटल के कमरे में पहुँचते ही, अश्विन ने खिड़की खोली। समुद्र की लहरों और चिड़ियों की आवाज़ उसके कानों में पड़ी, और उसने महसूस किया कि शायद यह सफर उसकी ज़िंदगी के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है। यहाँ वह अपनी चिंताओं से दूर रहकर, खुद को फिर से खोज सकता है, अपने आप को समझ सकता है।
बालकनी में खड़े होकर उसने आसमान में चमकते सूरज को देखा। उसके मन में एक विचार आया,
अश्विन (मन ही मन): “क्या गोवा की यह ट्रिप मुझे वह शांति दे पाएगी जिसकी मुझे तलाश है?”
इसी सवाल के साथ, वह अपनी गोवा की यात्रा के पहले दिन का आनंद लेने के लिए निकल पड़ा। वह बीच पर एक शैक में बैठा हुआ, ठंडी बीयर का मज़ा लेते हुए, समुद्र की ओर देख रहा था। वह इस पल में इतना खो गया कि कुछ समय के लिए ही सही, वह शीना की यादों से, अपने बाबा की बिगड़ती तबियत से, माँ के साथ चल रही अनबन से, अपने काम की समस्याओं से, और दिल्ली के शोर-शराबे से दूर हो गया।
कुछ देर बाद जब उसने अपनी नज़रें दौड़ाईं, तो अपने आस-पास लोगों को देखा। दोस्तों का एक समूह था, जिनमें कुछ अपने फोन में व्यस्त थे और कुछ हँसी-मज़ाक कर रहे थे। वहाँ उसे कुछ कपल्स भी दिखे, जो आपस में बातचीत में लीन थे। कुछ समुद्र के बीचों-बीच छई-चप्पा-छई कर रहे थे, और कुछ जोड़े रेत और लहरों पर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खड़े थे। वे ठंडे पानी की लहरों को अपने पैरों पर महसूस करते हुए मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।
उन्हें देखकर, उसे अचानक ही अकेलापन महसूस होने लगा। तभी उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी, जो पास वाले शैक में काफ़ी देर से अकेले बैठी हुई थी। वह लैपटॉप पर कुछ लिख रही थी और बार-बार समुद्र की ओर देख रही थी। उसके टेबल पर एक सिगरेट का पैकेट था और कुछ बीयर की बोतलें। उसकी सुंदरता, लंबे काले बाल, नीली आँखें और उसके कमर पर बने टैटू अश्विन को उसकी तरफ आकर्षित करने लगे। उसने सोचा कि शायद उस लड़की से बात करने से उसका मन बहल जाए। उसने बड़ी कोशिश करके हिम्मत जुटाई और उसके पास चला गया।
अश्विन: (मुस्कुराते हुए) - “हाय, मेरा नाम अश्विन है”
यह कहते हुए वह वह सामने वाली कुर्सी पर बैठने ही वाला था कि लड़की ने चिढ़े हुए अंदाज़ में, बिना उसकी ओर देखे कहा कि वह इंट्रेस्टेड नहीं है। अश्विन थोड़ा निराश और बेहद शर्मिंदा महसूस करते हुए, उतरे मुँह के साथ वापस अपनी जगह पर जाकर बैठ गया और समुद्र की ओर देखने लगा। उसने अपने बीयर का एक लंबा सा घूँट लिया और मन ही मन अपनी बेइज़्ज़ती पर खीजने लगा।
तभी, उसके शैक पर एक और लड़की आयी और बड़ी नर्मी से पूछने लगी, "क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ?" उसकी आवाज़ सुनकर अश्विन उसकी ओर देखने लगा, और एक पल के लिए खो गया। लड़की के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।
अश्विन ने उससे पूछा, "आप यहाँ क्यों आई हैं?" लड़की ने हँसते हुए जवाब दिया, "शायद आप भी औरों की तरह ही कन्फ्यूज हो गए हैं," और फिर उसने पीछे की ओर इशारा किया। जब अश्विन ने पलटकर देखा, तो उसे एहसास हुआ कि जो लड़की उसके पास आयी थी और जिसने उसे अपने पास से भगाया था, वे दोनों जुड़वा बहनें थीं।
अश्विन पहली बार ऐसे किसी इंसान से मिला था जो जुड़वा थे, ख़ासकर लड़कियाँ। वे न केवल एक जैसी दिखती थीं, बल्कि उन्होंने एक जैसे कपड़े भी पहने थे। इतना ही नहीं, दोनों बहनों ने एक जैसे टैटू भी बनवाए हुए थे। दोनों का रंग-रूप, हेयरस्टाइल, फिगर, सब कुछ हू-ब-हू मैच कर रहा था। यहाँ तक कि उनकी आवाज़ भी मिलती-जुलती थी।
उस लड़की ने अश्विन को हैरान होते देखा तो और भी ज़्यादा हँसने लगी। बातों ही बातों में उसने अपना और अपनी बहन का नाम बताया। फिर वह कहने लगी कि वे दोनों बहनें कोलकाता से गोवा घूमने आयी हैं। उसने बताया कि उसकी बहन का हाल ही में तलाक हुआ है, और तबसे उसे मर्द ज़ात से नफ़रत सी हो गई है।
इसके बाद उसने कहा, "जब आप मेरी बहन के पास जा रहे थे, तब मैं ड्रिंक लेने के लिए गयी हुई थी, और मैंने आपको दूर से आते हुए देखा था। मुझे लगा था कि मेरी बहन फिर से किसी पर भड़कने वाली है।" यह सुनकर अश्विन ने राहत की सांस ली और काफ़ी दिनों बाद वह दिल से मुस्कुराया।
उसकी बात सुनकर अश्विन के चेहरे पर शर्मिंदगी झलकने लगी, क्योंकि यह लाज़मी था कि उस लड़की ने वह भी देखा होगा जो अश्विन और उसकी बहन के बीच हुआ था। तभी उस लड़की ने अपनी बहन की बदतमीज़ी के लिए अश्विन से माफ़ी मांगी। इस पर अश्विन के शर्मिंदगी से भरे चेहरे पर एक मुस्कान और आँखों में हल्की चमक आ गई।
अश्विन ने उसे देखते हुए कहा, "मुझे आपकी बहन की बातों का ज़रा भी बुरा नहीं लगा।"
फिर वे दोनों आपस में बातें करने लगे। बातों ही बातों में अश्विन को पता चला कि वह लड़की एक लेखिका है, और उसकी जुड़वा बहन एक फैशन डिज़ाइनर और ब्लॉगर है। कुछ देर तक उससे थोड़ी-बहुत बातें करने के बाद, अश्विन का मन भी हल्का हो गया। जैसे-जैसे वे बात करते रहे, अश्विन के भारी दिल को और भी ज़्यादा सुकून और राहत मिलने लगी।
उस लड़की ने अश्विन से उसके बारे में पूछा तो अश्विन ने उसे ज़्यादा कुछ नहीं बताया, सिवाय इसके कि वह दिल्ली की एक एड एजेंसी में टीम लीडर है।
फिर उस लड़की ने मज़ाक में कहा, "एक खूबसूरत लड़की को फ्री ड्रिंक पाने के लिए क्या करना होगा?"
इस पर अश्विन की हँसी छूट गई। वह उस लड़की के साथ बार की ओर बढ़ने लगा। कुछ समय बाद, दोनों हाथों में एक-एक बीयर की बोतल लेकर समुद्र के बीचों-बीच जाकर खड़े हो गए। लहरों कि थाप और बीच के फिसलते रेत का मज़ा ही कुछ और है। धीरे-धीरे, उन्हें एहसास हुआ कि शाम होने को थी।
तभी वे दोनों वापस अपनी जगह पर लौट आए। अपनी बीयर का आखिरी घूँट लेते हुए, उन्होंने एक-दूसरे को देखा और कुछ देर तक बस एक-दूसरे की आँखों में खोए रहे।
तभी वहाँ उस लड़की की बहन आ गई और उसका हाथ पकड़कर वहाँ से ले जाने के लिए उसे उठाने लगी। वह होटल लौटने की ज़िद कर रही थी। उसी समय, उस लड़की ने अश्विन से उसका नंबर मांगा और एक पते पर आने को कहा, जहाँ अक्सर पार्टियाँ हुआ करती थीं। फिर वे दोनों वहाँ से जाने लगीं। अश्विन बस मुस्कुराते हुए उन्हें जाते हुए देखने लगा।
जाते-जाते उस लड़की की बहन ने नाराज़गी जताते हुए कहा, "तुमने उसे पार्टी में क्यों बुलाया?" तब अश्विन ने उस लड़की को कहते सुना, "वह मुझे अच्छा लगा। उसकी लुक्स मुझे काफी सही लगी, और उससे बात करने पर ऐसा लगा कि वह एक अच्छा आदमी है।"
"अच्छा आदमी!" उस लड़की द्वारा कहे गए इन दो शब्दों ने अश्विन के चेहरे से हँसी गायब कर दी। उसके दिल-ओ-दिमाग में एक तूफान उठ खड़ा हुआ। उसे किसी गहरी सोच में डाल दिया।
एक बार फिर, अश्विन के ज़ेहन में उसकी इच्छाओं द्वारा फैलाए गए तांडव के दृश्य, किसी फ़िल्म के दृश्यों की तरह चलने लगे। उसने गहरी साँस ली और अपने आपसे कहा,
आश्विन: अगर यहाँ भी आकर मैं वही सब सोचूँगा तो एंजॉय कब करूँगा?"
अश्विन जैसे ही अपने होटल के कमरे में पहुँचा, तो उसने पार्टी में जाने के लिए तैयार होना शुरू कर दिया।
जब अश्विन उस लड़की के बताये पते पर रात को पहुँचा, तो उसने वहाँ उसके साथ उसकी बहन को भी पाया, जिसका मुँह उसे देखते ही उतर गया लेकिन अश्विन को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। उसे तो बस अपनी ज़िंदगी एंजॉय करनी थी।
वे तीनों पार्टी में गये। नाचते-गाते हुए खाने-पीने और ड्रिंक्स का मज़ा लेने लगे। तभी उसकी नज़र अचानक ही रजत और रिया पर पड़ी! रजत और रिया? यहाँ गोवा में? यह देखकर वह हैरान रह गया। उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। बिना कुछ सोचे-समझे उसने अपना रुख उनकी ओर किया और गुस्से में उनके पास जा पहुँचा। उसे अपने सामने देखकर रिया और रजत भी चौंक गए।
अश्विन: (गुस्से में चिल्लाते हुए) – "कब से चल रहा है ये सब? तुम दोनों मुझसे कब से ये सब छुपा रहे थे? कब से धोखा दे रहे हो मुझे?
रजत: (झिझकते हुए) – अश्विन तू शांत हो जा! मैं तुझे सब समझाता हूँ भाई"
अश्विन: (गुस्से में चिल्लाते हुए) – "साले, भाई मत बोल! मुँह तोड़ दूँगा तेरा मैं।"
रिया: (डरते हुए) – "अश्विन! देखो..."
अश्विन: (रिया को रोकते हुए, गुस्से में) – "तुम तो कुछ बोलो ही मत। तुमसे तो बात ही नहीं करना चाहता मैं।"
रजत: (भड़कते हुए) – अश्विन अब तू हद्द पार कर रहा है।
अश्विन: (गुस्से में) – "नहीं तो? क्या कर लेगा बे? "
रिया: (गुस्से में) – "मैंने तुम्हें कभी धोखा नहीं दिया, मिस्टर अश्विन म्हात्रे! तुम ही सब कुछ छोड़कर भाग गए थे – हर बार की तरह, और इसलिए हमने ब्रैकप कर लिया था। अब मैं रजत के साथ एक कमिटेड रीलैशन्शिप में हूँ! जैसे तुम अभी शीना के साथ हो!!! सो माइंड योर ओन बिजनस।
आश्विन के पास कहने को कुछ नहीं था।
क्या अश्विन यह झटका सह पाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.