एपिसोड – 10: धोखा
“मैंने कहा था न, पीटर के पास ऐसी कोई चीज नहीं है।” लक्ष्मण ने सीना चौड़ा करते हुए कहा।
पीटर उसकी तरफ देखा हुआ मुस्कुरा रहा था। लेकिन रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा को अब भी यकीन था कि पीटर की बातों में कुछ तो सच्चाई है।
उस दिन से रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा की नजरों में पीटर एक रहस्यमई इंसान बन चुका था।
इधर मेल्विन अपनी मां की सेवा में दिन-रात लगा हुआ था। उसे वह लड़की भी याद आती जिसकी हंसी ने उसका घर तक पीछा किया था। मेल्विन बैठा हुआ उस लड़की के बारे में विचार कर रहा था।
“क्या मैं सचमुच प्यार में हूं? क्या इस उम्र में प्यार करना ठीक है? मेरे दोस्त सही कहते हैं। मैं उस लड़की के बारे में कुछ भी नहीं जानता। मैंने सिर्फ उसकी हंसी सुनी है जो मुझे अपनी ओर आकर्षित करती है। इतनी जल्दी अपने आप को किसी के लिए समर्पित कर देना कहां तक ठीक है?”
अभी मेल्विन इतना कुछ सोच ही रहा था कि उसकी मां वहां आ गई।
“बेटे, आज मैं बाजार जा रही हूं। तुम्हें दुकान पर अकेले ही बैठना होगा। देखना, पड़ोसी शर्मा जी और चौधरी साहब यहां कुछ भी लेने आए तो उन्हें दे देना। लेकिन पैसे मत लेना। उनका हिसाब मैं एक डायरी में लिखती हूं। आज कुछ फलों का आर्डर आने वाला था, अगर वो आ जाए तो मुझे फोन करके बता देना। मार्केट से मैं उनका ऑर्डर भी लेकर आऊंगी।” मेल्विन की मां ने जल्दी-जल्दी बाहर जाने की तैयारी करते हुए मेल्विन को कुछ आदेश दिए।
“रिलैक्स मां!” मेलविन ने कहा, “अभी 9 बज रहे हैं। आपको तो 11 बजे मंडी जाना होता है न?”
“हाँ, लेकिन मुझे फटाफट तैयार होकर सब काम निपटा लेने की आदत है।“
“मां, ये शर्मा जी और चौधरी जी तो वही है न जो बचपन में मुझे अपने कंधे पर खिलाया करते थे। उनके बच्चे तो शायद विदेश में जॉब करते हैं न?” मेल्विन ने अपनी मां से पूछा।
“तो तुम्हें याद है। हां बेटे, शर्मा जी और चौधरी जी वही हैं।। लेकिन अब वैसे नहीं रहे। काफी बूढ़े हो चुके हैं। और बेचारे अपने परिवार के सताए हुए भी हैं।“ मेल्विन की मां ने कहा।
“परिवार के सताए हुए।“ मेल्विन को कुछ समझ में न आया तो उसने पूछा, ”क्या मतलब है आपका मां?”
“लड़के विदेश में सेटल हो गए लेकिन वे दोनक हाल-चाल जानने के लिए अपने मां बाप को कभी फोन तक नहीं करते। उनके बच्चों ने तो बाहर शादी भी कर ली। तुम तो जानते ही हो, उनके लड़कों की आपस में कितनी गहरी दोस्ती थी।“ मेल्विन की मां ने कहा।
“दोस्ती तो मेरी भी थी मां। लेकिन मेरी उनसे ज्यादा बनी नहीं। हम ठहरे आम से आर्टिस्ट और वे कॉरपोरेट के बादशाह। जिस हवा में उनके माता-पिता ने उनके लिए उड़ान भरने का सपना देखा था वही उड़ान वे आज भर रहे हैं। मुझे उन दोनों से यही उम्मीद थी।“
“गलती उन दोनों की नहीं है बेटे। शादी से पहले वे दोनों रोजाना अपने घर फोन किया करते थे। वो तो शादी के बाद उन्होंने अपने मां-बाप से कॉन्टैक्ट रखना बंद कर दिया। इसलिए कहते हैं बच्चों की शादी उनकी मर्जी से कभी नहीं करनी चाहिए। हम मां-बाप क्या बेवकूफ हैं जो उनके लिए अच्छा जीवन साथी चुनते हैं। जो उनके साथ-साथ उनके परिवार का भी ख्याल रखें और उन्हें अपना माने।“
“आप चाहे तो ऐसा भी कह सकते हैं मां। लेकिन शर्मा जी और चौधरी जी के लड़के शुरू से ही ऐसे थे। मां-बाप से अक्सर झगड़ा करना और उनकी बातें न सुनना। क्या मैं ये सब नहीं जानता था।“ मेल्विन ने कहा।
“तो तुम्हें क्या लगता है बेटा, अगर उनकी शादी किसी अच्छे घर में होती तब भी वे ऐसा ही करते?” मेल्विन की मां ने उनकी शादी पर एक बार फिर सवाल उठाते हुए पूछा।
“आपका सवाल काफी पेचीदा है मां। हो सकता है कि वे दोनों अच्छे इंसान नहीं थे और वैसे ही उन्हें शादी के लिए अच्छा जीवन साथी भी न मिला हो। हम दोनों अपनी अपनी जगह सही हो सकते हैं मां।“ मेल्विन ने कहा।
“मतलब तुम अब भी यही मानते हो बेटे कि शादी का असर आजकल के लड़कों पर नहीं पड़ता?” मेल्विन की मां अब इस टॉपिक को छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
“मां, गलती सिर्फ बेटों की नहीं होती। मैं तो यह कहता हूं कि लड़का हो या लड़की, गलती सिर्फ एक की कैसे हो सकती है। हो सकता है परिवार की भी इसमें गलती हो।“ मेल्विन ने कहा।
“मैं समझी नहीं बेटे। जरा तुम मुझे समझाओ कि भला बच्चों की जिंदगी का फैसला लेने में मां-बाप की क्या गलती हो सकती है?” मेल्विन की मां ने पूछा।
“मां, जेनरेशन गैप नाम की भी एक चीज होती है। कई बार हम देखते हैं कि बच्चे गलत निकलते हैं और कई मामलों में यह भी दिखाई देता है की मां-बाप बच्चों के साथ एकतरफा व्यवहार करते हैं। वे बच्चों से पहले स्वयं के बारे में सोचते हैं। या फिर कुछ ज्यादा ही पजेसिव होने लगते हैं।“
“मैं शायद तुम्हारी बात से इत्तेफाक न रखूं मेल्विन बेटा। मां-बाप हमेशा अपने बच्चों की भले की ही सोचते हैं। क्या मैं तुम्हारा कभी बुरा सोच सकती हूं?” मेल्विन की मां ने पूछा।
“क्या आप स्योर हैं मां कि आप हमेशा मेरा अच्छा चाहती हैं? और क्या सचमुच औलाद की शादी उनके मां-बाप की मर्जी से ही होनी चाहिए? अगर ऐसा है तो फिर इस उम्र में मैं अकेला क्यों हूं मां?“
“शायद अकेले से तुम्हारा मतलब शादी से है, पत्नी से है, अपने खुद के परिवार से है, तो घर के हालात तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है। तुम्हारे पिता जल्दी ही इस दुनिया से विदा हो गए। तुमने कड़ी मेहनत करके एक मुकाम हासिल किया है। न तुम अपना मुकाम छोड़ सकते हो, न मैं यह दुकान छोड़ सकती हूं।“
“मैं अपनी शादी की बात कर रहा था मां। अपनी जिंदगी में हर कोई कुछ ना कुछ मुकाम जरूर हासिल करता है। चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा। हर किसी के पेरेंट्स काम पर भी जाते हैं। लेकिन शादी एक ऐसी चीज है जिसे कहीं-कहीं कोई अपनी मर्जी से नहीं करता तो कभी किसी की और की मर्जी से नहीं कर पाता। अगर मेरी शादी का योग बना माँ, तो आप क्या चाहेंगी, मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी करूं या फिर आपकी पसंद की लड़की से?” मेल्विन ने जब यह सवाल अपनी मां से पूछा तो उसके कानों में उसी लड़की की हंसी गूंज रही थी।
“शादी वह भी इस उम्र में? मेल्विन, क्या इस सवाल के पीछे कोई कारण है या यूं ही तुमने पूछा?” मेल्विन की मां ने मेल्विन को टटोलते हुए पूछा।
“यूं ही बातों ही बातों में मेरे मन में है सवाल आ गया। अब जब हम इस टॉपिक पर बात कर ही रहे हैं तो मैं इस बारे में आपकी राय जानना चाहूंगा मां। “
“अगर लड़की और उसके घर वाले मुझे पसंद हुए तो मर्जी तुम्हारी। अगर लड़की मुझे पसंद न हुई तो ये समझ लेना कि वो तुम्हारे लिए सही नहीं है बेटा। मां-बाप आखिर अपने बच्चों के लिए कुछ अच्छा ही तो चुनते हैं।“ मेल्विन की मां ने कहा तो मेल्विन ये सुनकर मुस्कुराने लगा।
“मां, आप काम पर जा रही थी न? आप बेफिक्र होकर काम पर जाइए। में यहां आपके पीछे दुकान अच्छी तरह संभाल लूंगा।“
उस दिन मेल्विन अपनी मां की बात देर तक सोचता रहा। वो इस असमंजस में था कि अगर उसकी शादी का योग कभी बना तो कई मुसीबतें उसकी जिंदगी में आ सकती हैं। वो अपनी मां को बेहद चाहता था। उसने अपनी मां और अपने काम के अलावा किसी तीसरे को कभी तवज्जो नहीं दी। लेकिन अब मेल्विन को डर था कि उसकी मां और उसके बीच एक अदृश्य दीवार बनने लगी है।
मेल्विन के ऑफिस में एक इवेंट ऑर्गेनाइज किया गया जिसकी खबर मेल्विन को नहीं दी गई थी। ये एक आर्ट एग्जिबिशन था जिसमें तरह-तरह के स्केच और पेंटिंग की नुमाइश होने वाले थे। ये इवेंट लास्ट टाइम पर ऑर्गेनाइज किया गया था। मेल्विन को इसकी खबर उसके एक कलीग से मिली थी।
महेश नाम के उसके एक कालिक ने जब मेल्विन को कॉल किया तो वो एक पार्टी को अटेंड कर रहा था। ये एक बड़ी पार्टी थी जो मेल्विन की मां से अक्सर बड़े-बड़े ऑर्डर लेता रहता था।
“हां महेश बोलो, क्या बात है?” मेल्विन ने फोन पर पूछा।
“मेल्विन, 2 दिन बाद ऑफिस में एक इवेंट है। एक बड़ी कंपनी के साथ कोलैबोरेट करके बॉस एक बड़ी एग्जिबिशन ऑर्गेनाइज कर रहे हैं। शायद तुम्हारे स्केच इस एग्जीबिशन में नहीं होंगे। एग्जीबिशन ऐसे समय पर ऑर्गेनाइज किया गया है जब तुम्हारी छुट्टियां चल रही है।“ महेश ने कहा तो मेल्विन ये सुनकर हैरान रह गया।
“आर यू स्योर महेश? एग्जीबिशन इवेंट और मुझे इसकी खबर तक नहीं दी गई? बॉस ऐसा कैसे कर सकते हैं महेश?”
“ये शायद कोई बड़ी कंपनी है मेल्विन। बॉस ये मौका अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे। तुम्हारे इंतजार में अगर वे रुकते तो ये कंपनी उनके हाथ से जा सकती थी। इसमें काफी पैसा लगा हुआ है। और शायद बॉस को अच्छा खासा फायदा भी होने वाला है।“ महेश ने मेल्विन को और जानकारी देते हुए कहा।
“नहीं महेश, मैं तो ऐसा नहीं होने देने वाला। एग्जीबिशन दो दिन बाद है न। मैं वहां एक दिन पहले ही आ जाऊंगा।“
“अरे, ये क्या बोल रहे हो तुम मेल्विन? मैंने तुम्हें ये जानकारी इसलिए नहीं दी थी। अगर तुम यहां एक दिन पहले ही आ जाओगे तो मेरी तो शामत आ जाएगी। एग्जिबिशन की पूरी प्लानिंग हो चुकी है। अगर तुम ऐन मौके पर यहां आ जाओगे और लोग तुमसे सवाल करेंगे, फिर तुम उनका जवाब कैसे दोगे?”
“ये सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो महेश। और जवाब मुझे नहीं, बॉस को देना पड़ेगा। आखिर उन्होंने मुझे इग्नोर क्यों किया? क्या इतने सालों का मेरा काम बॉस के लिए कोई मायने नहीं रखता? मैं तुमसे यही कहूंगा महेश कि मेरे आने की खबर तुम किसी को मत देना। वैसे भी तुम्हें ये खबर किसी को नहीं देनी चाहिए। इसे शायद तुम बॉस की नजर में बुरे बन जाओगे। मैं अपने स्केचेस लेकर वहां खुद आऊंगा। अगर कोई बड़ी कंपनी इस एग्जीबिशन में बॉस से हाथ मिला रही है तो इसका फायदा उठाने का हक हम सब का है।“ मेल्विन ने कहा।
मेल्विन ने इतना कहकर फोन कट कर दिया। उसके दिमाग में इस समय कई सवाल थे। वो ये नहीं समझ पा रहा था कि उसके बॉस के आया करने के पीछे क्या कारण हो सकता है। क्या मेल्विन को नीचा दिखाना चाहते थे? या फिर वो ये बताना चाहते थे कि मेल्विन को अब इस कंपनी को कोई जरूरत नहीं है? क्या मेल्विन की जिंदगी में एक और मुसीबत आ चुकी थी?
उसी रात मेल्विन को पीटर की कॉल आई। वो फोन पर भड़का हुआ था।
“बॉस ऐसा कर सकते हैं ये मैंने सपने भी भी नहीं सोचा था पीटर। मैंने उस कंपनी को 17 साल दिए हैं। हर मौके पर मैं अपने बॉस के साथ खड़ा रहा हूं। मैंने कभी काम करने में कोई लापरवाही नहीं की। मेरा काम हर बार पहले से बेहतर हुआ है। लेकिन अब मुझे लग रहा है कि बॉस को कोई नया आर्टिस्ट मिल गया है और इसलिए वो मुझे नजरअंदाज कर रहे हैं।“
“नहीं मेल्विन, ये इतना आसान नहीं है। तुम एक बढ़िया आर्टिस्ट हो। तुम्हारे स्केच वर्ल्ड क्लास होते हैं। शायद तुमसे बढ़िया स्केच बनाने वाला उन्हें मिल जाए लेकिन वो स्केच गूंगा होगा, बहरा होगा, अंधा होगा। तुम्हारे स्केच बोलते हैं, देखते हैं और वे सुनते भी हैं। तुम्हें इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए। अब जबकि समय रहते ही तुम्हें इसके बारे में जानकारी मिल गई है तो तुम्हें जल्द ही वापस आ जाना चाहिए। ये तुम्हारे लिए भी एक बड़ा मौका है। आखिर कब तक तुम अपने बॉस के साइड में काम करते रहोगे।“ पीटर ने मेल्विन को समझाते हुए कहा।
“नहीं पीटर, इस बार नहीं। इस बार मेरी बॉस के साथ तीखी बहस होने वाली है। बॉस को मेरे सवालों के जवाब देने ही होंगे।“
“ठीक है, ठीक है। जैसा तुम्हें सही लगे। मैं तो बस ये कह रहा था कि झगड़ा मत करना। रिश्ते खराब करने से किसी को फायदा नहीं होने। पहले अपने बॉस की बात सुन लेना। शायद उनके ऐसा करने के पीछे कोई अच्छी सोच हो।“ पीटर ने कहा।
“बात तो यही बुरी लगी है पीटर कि ऑफिसियल रूप से मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। अगर कोई भी ऑफिसियल बात मुझसे छुपाई जा रही है तो इसका साफ मतलब निकलता है कि मैं अब उसे आफिस का हिस्सा नहीं हूं। और ये सब जरूर किसी न किसी साजिश के तहत हो रहा है।“
“क्या इसका कारण वो अजीब सा लेटर भी हो सकता है मेल्विन?” पीटर ने जब मेल्विन से ये पूछा तो जवाब देने से पहले वो एक गहरे ख्यालों में डूब गया।
मेल्विन का गुस्सा शांत नहीं हुआ था। क्या उसकी और बॉस के बीच में कोई बहस होने वाली थी? आखिर मेल्विन के बॉस ने मेल्विन को जानकारी दिए बिना इतने बड़े एग्जिबिशन को ऑर्गेनाइज क्यों किया था?
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