एपिसोड  11 - एक पहल

 

“मैं इस समय कितना ठगा हुआ महसूस कर रहा हूं, ये तुम सोच भी नहीं सकते पीटर!" मेल्विन ने कहा जब उसकी मुलाकात पीटर और उसके दूसरे साथियों से हुई।

मेल्विन काम पर वापस लौट आया था। 

“तुम्हारे बॉस ऐसा कैसे कर सकते हैं मेल्विन?” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “तुम उस ऑफिस में पिछले 17 सालों से काम कर रहे हो। तुम में हुनर है, जज्बा है और वो जोश है जो किसी भी आर्टिस्ट में होना चाहिए।"

“आप क्यों इसे भड़का रहे हैं डॉक्टर साहब?" पीटर ने पूछा, ”मेल्विन इस बात का परसों से ही रट लग रहा है। लेकिन इस समय हमारा काम पीटर को भड़काना नहीं, बल्कि उसे समझाना है।”

“तुम्हें अब भी लगता है मेल्विन को समझने की जरूरत है? रामस्वरूप जी ने पूछा, “गलती मेल्विन के बॉस की है। और ये बहुत बड़ी गलती है। मैं इसमें मेल्विन को फुल सपोर्ट करता हूं।”

पीटर ने रामस्वरूप जी की बात सुनकर अपना माथा पीट लिया। वो लक्ष्मण की ओर देखा हुआ बोला, “तुम्हें भी ऐसा ही लग रहा होगा लक्ष्मण। है न? तुम्हें तो हर उल्टी चीज सीधी लगती है। या तुम अपने पिता का विरोध करोगे?”

“हां पीटर! मैं उनका विरोध करूंगा। क्योंकि मुझे ऐसा कुछ भी नहीं लगता जैसा पिताजी सोच रहे हैं।” लक्ष्मण ने गहरे ख्यालों में खोए हुए कहा, “मेल्विन को अपने बॉस से सवाल–जवाब तो करना ही चाहिए। सवाल–जवाब नहीं तो कम से कम उसे अपना विरोध तो जरूर दर्ज करना चाहिए। वैसे मेल्विन, तुम अपना विरोध किस तरह दर्ज करने वाले हो?”

“मेल्विन ने सोचा है कि वो इस एग्जीबिशन में अपने स्केचेस खुद लोगों को दिखाएगा। अनऑफिशियल तरीके से।” पीटर ने बताया, “मुझे मेल्विन का यही तरीका सही नहीं लग रहा है। इसके कारण मेल्विन कि जॉब जा सकती है। पहले ही इसकी जिंदगी में कई समस्याएं हैं।”

“मेल्विन, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो?” लक्ष्मण ने पूछा, “क्या तुमने अपना विरोध जताने का यही तरीका चुना है। तुम गांधीगिरी से अपने बॉस को सबक सिखाना चाहते हो? अहिंसा परमो धर्म।”

पीटर ने भी मेल्विन की तरफ देखा। मेल्विन इस समय बिल्कुल शांत खड़ा था। जैसे उसे इस मसले से कुछ लेना–देना ही नहीं था। तभी रामस्वरूप जी ने कहा, “मैं समझ गया मेल्विन कहां खोया हुआ है।” इतना कहने के साथ ही रामस्वरूप जी ने इशारा किया और सब उसे ओर देखते हुए मुस्कुराने लगे।

ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी हुई थी। ट्रेन के रुकते ही कंपार्टमेंट में नए पैसेंजर अंदर आने लगे थे। उन्हीं पैसेंजर में वो लड़की भी खड़ी थी जिसकी तलाश मेल्विन की आंखों को काफी वक्त से थी।

नेवी ब्लू गाउन में भीड़ को हटाते हुए एक लड़की ट्रेन में अपने लिए जगह बना रही थी।

“मेल्विन, शायद तुम्हारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन हो चुका है।” पीटर ने मेल्विन की नजरों को पकड़ते हुए कहा, “मैं तो कहता हूं कि जाकर बात कर लो। गॉड भी यही चाहते हैं कि तुम्हारी कहानी कुछ आगे बढ़े।”

भीड़ को हटाते हुए लड़की मेल्विन के ठीक सामने खड़ी थी। वो भीड़ को हटाकर शायद मेल्विन के करीब आना चाहती थी।

इससे पहले कि मेल्विन कुछ सोच–समझ पाता, वो लड़की मेल्विन के पास आते हुए बोली, “अब मां की तबीयत कैसी है?”

मेल्विन को एकाएक ही समझ में नहीं आया कि वो क्या जवाब दे। तब पीटर ने कहा, “मां बिल्कुल ठीक है। मेल्विन, बताओ इन्हें।”

पीटर के इतना कहते ही मेल्विन जैसे नींद से जाग उठा था।

“हां–हां। मां, अब बिल्कुल स्वस्थ है। बस थोड़ी थकान रहती है उन्हें।” मेल्विन ने बिना पलके झपकाए कहा। उसका ध्यान लड़की पर नहीं, अपने शब्दों पर था जिसे वो बहुत नाप–तौलकर बोल रहा था। 

“मैं गॉड से प्रे करूंगी कि वे जल्दी ही ठीक हो जाए।” अपने चेहरे पर मनमोहक मुस्कान लिए उस लड़की ने कहा।

“थैंक यू सो मच।” मेल्विन इतना ही कह सका और फिर वो लड़की जाकर एक सीट पर बैठ गई। मेल्विन खड़ा-खड़ा उसे देखता रह गया। 

उसके वहां से जाते ही सब मेल्विन को देखकर मुस्कुराने लगे थे।

“अरे मेल्विन, तुम तो अभी काफी गुस्सा कर रहे थे। एकाएक तुम्हारा गुस्सा कहां चला गया?” लक्ष्मण ने उसे छेड़ते हुए पूछा, “लगता है, मामला बहुत गंभीर है। लेकिन आज मौका मिला था तो तुमने उसका नाम क्यों नहीं पूछ लिया?”

“फिलहाल साल–दो साल तक मेल्विन उसका नाम नहीं पूछेगा। महीने बाद तो पहल हुई वो भी लड़की की तरफ से।” पीटर ने कहा और फिर मेल्विन की ओर देखकर वो मुस्कुराने लगा। 

“ये क्या बोल रहे हो तुम पीटर? ये कोई पहल नहीं थी उसकी ओर से। वो तो बस मेरी मां का हाल-चाल पूछने आई थी।” मेल्विन में शर्माते हुए कहा। 

“ओह हो, चेहरे पर आई शर्म तो देखो। वो सिर्फ मां का हाल-चाल पूछने आई थी।” पीटर ने मेल्विन की बात को दोहराते हुए कहा, “लेकिन उसे ये बताया किसने कि तुम्हारी मां की तबीयत ठीक नहीं है?” पीटर ने कहा तो सब ने उसकी हां में हां मिलाया।

“अरे हां मेल्विन, आखिर उस लड़की को तुम्हारी मां के बारे में किसने बताया?” रामस्वरूप जी ने भी वही सवाल किया। 

“क्या कोई तुम्हारी जासूसी कर रहा है मेल्विन?” लक्ष्मण ने कहा, “फिर तो ये बहुत ही खतरनाक बात है।”

“कोई मेल्विन की जासूसी नहीं कर रहा है लक्ष्मण। तुम लोग मेरी बात मानो या न मानो, लेकिन वो लड़की मेल्विन को नोटिस करती है। अभी एक हफ्ते के लिए मेल्विन यहां नहीं था तो देखा, कैसे तड़पते हुए यहां तक चली आई। अब तक हम समझते थे कि मेल्विन प्यार में है लेकिन आग तो दोनों तरफ लगी हुई है।”

“पीटर! प्लीज, इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल मत करो। मुझे बहुत बुरा लग रहा है। बिना कुछ भी सोचे–समझे अनाप-शनाप बोले जा रहे हो तुम।” मेल्विन ने पीटर को लगभग डांटे हुए कहा है।

“नहीं–नहीं मेल्विन, तुम पीटर को ऐसे डांट नहीं सकते।” लक्ष्मण ने कहा, “वैसे तो मुझे इन सब से कुछ लेना–देना नहीं है। क्योंकि मैं सचमुच ये नहीं चाहता कि इस उम्र में तुम इन सब चक्करों में पड़ो लेकिन फिर भी मैं तुम्हें इस उम्र का एक अनुभव बताता हूं।”

लक्ष्मण के इतना कहते ही रामस्वरूप जी हंसने लगे। वे बोले, “अब तुम अपने से 15 साल बड़े मेल्विन को वो समझाओगे जिसका उसे 25 साल से एक्सपीरियंस है। लक्ष्मण, चाहे तुम्हारी उम्र प्यार करने की हो लेकिन मेल्विन जिस उम्र में है वहां वो प्यार के साथ-साथ उसके प्रति जिम्मेदारियां को भी अच्छी तरीके से समझता है। हम जानते हैं कि मेल्विन प्यार में है। मेल्विन भी जानता है कहीं न कहीं उसे प्यार जैसा कुछ होने तो लगा है। लेकिन क्या प्यार से ही जिंदगी कट जाती है? नहीं लक्ष्मण, प्यार के साथ आती है बहुत बड़ी जिम्मेदारी जिसे निभाने की हिम्मत रखने वाला ही आगे बढ़ पाता है। मेल्विन अब उस उम्र में है जहां उसकी कई जिम्मेदारी हैं। पत्नी की जिम्मेदारियां निभा पाना अब शायद उसके लिए मुश्किल हो।”

“रामस्वरूप जी, आपने बहुत बड़ी बात कह दी है। और बिल्कुल मेरे दिल की बात। शायद इसीलिए कहते हैं कि घर में एक बुजुर्ग का होना बहुत जरूरी है। मैं पिछले एक हफ्ते से मां के पास था। मैं अपनी मां को बहुत चाहता हूं। ऐसे में अगर मैं किसी लड़की को पसंद करने लगा लेकिन उसकी मेरी मां से नहीं बनी या फिर मेरी मां उस लड़की को समझ न पाई तो फिर कितनी बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। पहले मुझे ये समझना होगा कि आगे बढ़ने से पहले आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए मैं क्या-क्या कर सकता हूं।”

“नहीं मेल्विन, मैं कुछ समझा नहीं। तुम क्या ये कह रहे हो कि प्यार करने से पहले तुम अपनी मां की इजाजत लेना चाहते हो?” लक्ष्मण ने पूछा।

“इसमें इजाजत लेने वाली कोई बात नहीं है लक्ष्मण। मां को मैं बहुत प्यारा हूं। मेरी जिंदगी में अगर कोई लड़की आती है तो मेरा प्यार बंट जाएगा। शायद मैं मां की इतनी केयर न कर पाऊं जितनी मैं अपनी होने वाली पत्नी करूंगा। लेकिन अगर मैं अपनी मां को हमेशा की तरह यूं ही चाहता रहा तो शायद मेरी पत्नी को ये बात अच्छा न लगेगी। एक छत के नीचे इस तरह की परेशानियां आती ही रहती हैं। एक उम्र में परेशानियों से निपटने के सारे पैतरे आपके पास होते हैं लेकिन जिस उम्र में मैं खड़ा हूं वहां मैं कोई भी पैतरा नहीं आजमा सकता।”

“मुझे क्या लगता है मेल्विन।” पीटर ने कुछ सोचते हुए कहा, “तुम्हें इतना आगे का नहीं सोचना चाहिए। कुछ चीजें हमें गॉड पर भी छोड़ देनी चाहिए। हमारा काम सिर्फ आज में जीने का होना चाहिए। वो कहते हैं न कि कल किसने देखा। भविष्य में क्या हो सकता हैये अगर हम वर्तमान में सोचेंगे तो काम कब करेंगे। मैं तुम्हें कोई ज्ञान नहीं दे रहा हूं। लेकिन अब तुम्हारा रास्ता क्लियर है तो तुम्हें आगे बढ़ना ही चाहिए। अगर कोई प्रॉब्लम आई तो है उसका डटकर मुकाबला करेंगे।”

“पीटर सही कह रहा है।” डॉक्टर ओझा ने कहा। उनका स्टेशन बस आने ही वाला था, “जाते-जाते मैं फिर तुम्हें एक सलाह देते जाता हूं मेल्विन। बिना डरे हुए उस लड़की से दोस्ती करो। तुम्हें सचमुच एक साथी की जरूरत है।” इतना कहने के साथ ही डॉक्टर ओझा ने अपना सूटकेस उठाया और ट्रेन की गेट पर जाकर खड़े हो गए। ट्रेन रुकी तो मेल्विन चुपचाप उन्हें प्लेटफॉर्म पर चलते हुए देर तक देखता रहा।

उनके जाने के बाद कंपार्टमेंट में काफी देर तक शांति छाई रही। सब रह–रहकर एक–दूसरे की ओर देखते लेकिन किसी को भी कुछ सूझ नहीं रहा था।

“मैं डॉक्टर साहब की बातों से सहमत हूं मेल्विन।” पीटर ने कहा, “यही इसका एकमात्र सॉल्यूशन है। अपने अंदर से ये डर बाहर निकाल दो कि कुछ गलत होने वाला है। बस चीजें अपने आप सही होने लगेंगी।”

“मैं डॉक्टर साहब और पीटर, दोनों की बातों से सहमत हूं। जब तक हम सोचते हैं कि कुछ गलत होने वाला है तभी तक चीजें गलत होती है। जैसे ही गलत हमारे दिमाग से निकलता है चीजें अपने आप सही होनी शुरू हो जाती हैं।” रामस्वरूप जी ने कहा, “हम सब तुम्हारे साथ हैं मेल्विन। तुमसे कोई चूक नहीं होने देंगे। पिछले 1 महीने से हम यही चाहते थे कि तुम पहल करो और उस लड़की से बातचीत शुरू करो। लेकिन अंतत उस लड़की ने ही बातचीत शुरू की। यहां से अगर ये बातचीत रुकी तो फिर आगे तुम्हें सिर्फ अंधेरा दिखाई देगा। तब शायद हम चाहकर भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाएंगे।”

मेल्विन की जिंदगी तीन सांचों में कैद हो चुकी थी। पहला सांचा वो था जिसे उसकी मां ने बनाया था। दूसरा सांचा वो था जिसे उसके बॉस ने बनाया था और तीसरा सांचा उसने खुद बनाया था जिसमें ढलने की उसकी सारी कोशिशें नाकाम हो रही थीं।

ऑफिस पहुंचते ही मेल्विन की नजर अपने कलीग महेश से मिली। वो डरा हुआ था।

मेल्विन उसके पास जाता हुआ बोला “तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है महेश। मैं इसमें तुम्हारा नाम नहीं आने दूंगा।”

“तुम्हारे चाहने से क्या होता है मेल्विन। सब जानते हैं कि ऑफिस में हम दोनों आपस में कितनी बातचीत करते हैं। तुम्हें यहां देखकर लोग तुरंत समझ जाएंगे कि मेरी खबर देने की वजह से ही तुम यहां आए हो।” महेश ने डरते हुए कहा। तब तक मेल्विन के बॉस की नजर उन दोनों पर पड़ चुकी थी।

एग्जीबिशन बहुत ही शानदार था। कुल मिलाकर 4 हॉल बुक किए गए थे। जिसमें हर तरह किताबें, स्केच, पेंटिंग और कागज या थर्माकोल से बनाएं मॉडल की नुमाइश लगी हुई थी।

मेल्विन का बॉस उसे देखकर करीब आ गया था। उसने हैरान होते हुए मेल्विन से पूछा, “अरे मेल्विन, तुम यहां? तुम्हारी छुट्टियां अभी तो खत्म भी नहीं हुई है।”

“मुझे पता है सर। लेकिन अब काम पर लौटने का समय आ गया है। इतने बड़े अवसर पर अगर मैं मौजूद नहीं रहूंगा तो जिंदगी भर रेस में हारे हुए घोड़े की तरह खड़ा रह जाऊंगा।”

“क्या मतलब है तुम्हारा?” मेल्विन की बॉस ने पूछा।

“बस इतना ही कि ये मेरे अब तक के सबसे शानदार स्केचेस हैं ।मैं चाहता हूं कि इस एग्जीबिशन में मेरे इन सभी स्केचेस को जगह मिले। मैं इन्हें वो मुकाम दिलाना चाहता हूं जिसका सपना मैंने देखा था सर। जिसका सपना हम दोनों ने मिलकर अपनी कंपनी के लिए देखा था। क्या आप नहीं चाहते कि मेरे स्केचेस भी इस एग्जीबिशन हॉल की दीवारों पर लगे?”

मेल्विन के इतना कहते हैं उसका बॉस गहरी सोच में डूब गया। इससे पहले कि बॉस कुछ जवाब दे पाते, एक शख्स उनके पास आकर खड़ा हो गया। वो सिर से पांव तक ज्वेलरी और ब्रांडेड कपड़ों प्रोडक्ट्स में घिरा हुआ था। उसके गले और हाथ में आधा किलो सोना डला हुआ था। करोड़ों रुपए उसने सिर्फ अपने पहनावे पर खर्च किया था। 

आखिर कौन था ये शख्स? क्या ये वही था जिसे हाथ मिलाकर मेल्विन की बॉस ने इतने बड़े एग्जिबिशन को ऑर्गेनाइज किया था? मेल्विन की जिंदगी में आगे क्या होगा? क्या वो अजनबी लड़की से दोस्ती बढ़ाएगा?

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