काले का काम साए की रक्षा करना था, पर अब काला खुद साए की तरह व्यवहार करने लगा था। वह समीर और उसकी बिल्ली को मारने ही वाला था कि अचानक दरवाज़े पर एक तेज़ आवाज़ हुई और चार लोग उस घर में घुसे। समीर को ये देखकर हैरानी हुई। चारों ने एक साथ अपनी दिव्य शक्ति से काले पर प्रहार किया। ज़ोरदार धमाके के साथ वहाँ से काला और एक-एक करके सभी चमगादड़ गायब हो गए। उनके जाते ही समीर और उसकी बिल्ली आँगन में ज़मीन पर गिर पड़े।

जब समीर ने खुद को संभाला तो उसने देखा कि उन चार में से तीन को पहचानता है: एक था वह बौना आदमी, दूसरा वह एक-आंख वाला व्यक्ति, और तीसरा वह सुनार जिसने उसको वह चाबी दी थी जिससे उसने काले मंदिर का नक्शा हासिल किया था पर यह चौथा व्यक्ति कौन था? वह एक-आंख वाला आदमी समीर को उठाकर कमरे में ले आया और तभी बौना आदमी बोल पड़ा— “तुम उस घेरे से बाहर क्यों आए? अंधे हो क्या? दिख नहीं रहा था वहाँ कौन था? तुम ऐसी गलती कर भी कैसे सकते हो?”

समीर: काले ने उसे मेरी आँखों के सामने मार डाला। मैं क्या करता, चुपचाप खड़ा देखता रहता? मेरी मदद की थी उस औरत ने। मेरा कोई फर्ज है या नहीं?

बौना आदमी बोला, “काला किसी को इस तरह की मौत नहीं दे सकता। तुम्हें नहीं दिखा कि उसकी परछाई के अंदर साया था?”

समीर: वहाँ साया था? मुझे.. मुझे एहसास नहीं हुआ।

बौना आदमी बोला, “हमें पता था वह यहाँ है, इसलिए हम उसे अंदर आने से रोक रहे थे। साया उसे पहचानता था। वो जानता था कि उसकी शक्ति उसकी हथेलियों में है पर जब वो तुम्हें बचाने आई, तो खुद साए का शिकार बन गई। जब साए को बलि नहीं मिलती, तो वह हम जैसी रूहों को मारकर हमारी शक्ति छीन लेता है और कुछ दिन और ज़िंदा रह पाता है। हम इसलिए अंदर नहीं आ रहे थे, लेकिन जब हमें लगा कि तुम नहीं बच पाओगे, तो हमें अंदर आना पड़ा। अब उसने हमें देख लिया है। अब हमारे पास पहचान बदलने का समय नहीं है। अब हमें उससे लड़ना ही होगा, जब तक वह हमें खत्म नहीं कर देता।“

समीर: आप लोग कौन हैं?

समीर के इस सवाल पर सोनार बोल पड़ा, “हम वे आठ आत्माएं हैं जिन्होंने करोड़ी लाल के साथ मिलकर पहला अनुष्ठान किया था और साए को अमरत्व की लालच में इस दुनिया में आने दिया लेकिन जब हमें अपनी गलती का एहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने ना जाने कितनी आत्माओं को खत्म कर दिया। फिर उसने हमें प्रस्ताव दिया कि हम उसके रक्षक बन जाएँ, अमर हो जाएँ, और हर हफ्ते उसे एक बलि दिलाने में मदद करें लेकिन हमने उसका साथ देने से मना कर दिया। हमें लगा था कि हम सब एकसाथ हैं लेकिन करोड़ी लाल ग़द्दार निकला। उसने उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और हमें खत्म करने की कोशिश भी की। खुद को बचाने के लिए हमने छैल पुराण की मदद से मरे हुए शरीरों में आत्मा का प्रवेश कर "कायापलट क्रिया" द्वारा आज तक खुद को जीवित रखा है। हम सबने अब तक तीन बार अपना शरीर बदला है। जब तुम्हारे आने की भविष्यवाणी हुई, हमने तुममें अपनी खोई हुई उम्मीद देखी और मदद करने आ गए। अब तुम ही कुछ कर सकते हो।“

उन लोगों ने समीर को बताया कि कैसे उन आठ आत्माओं में से तीन ने अपनी आत्मा खो दी। पहला था वह बूढ़ा आदमी जिसने समीर की नक्शे तक पहुँचने में मदद की थी — वह दरअसल करोड़ी लाल का भाई था, पर दूसरे शरीर में था। दूसरा वह आदमी था जिसका आधा चेहरा जला हुआ था, जो खाई में गिर कर मर गया था। तीसरी थी शांति निवास वाली औरत, जिसके शरीर में उसके पिता की आत्मा थी। उसने अपनी बेटी के मरने पर उसका शरीर धारण किया था।

समीर ये सब सुनकर हैरान था। तभी वह बिल्ली उनके बीच आकर बैठ गई।

समीर: और यह बिल्ली... यह तो उस बूढ़ी औरत की आत्मा है न जो इस घर की मालकिन थी।

उन चारों ने समीर को बताया कि वह बूढ़ी औरत दरअसल उसके पति की आत्मा थी, जो अब इस बिल्ली के शरीर में है। समीर को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या-क्या अनुभव कर रहा है। छैल में आने से पहले उसकि लाइफ में चमत्कार, शैतान, आत्मा जैसा कुछ भी नहीं था लेकिन यहाँ आकार तो उसे अब सब कुछ सपने जैसा लगने लगा। फिर वह उस चौथे आदमी की ओर देखता है, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था।

चौथे आदमी ने बताया कि वह और कोई नहीं, बल्कि वही समोसे वाला है जिससे समीर छैल में पहली बार मिला था और जिसने उसके यहाँ होने की खबर बाकी सात लोगों को दी थी लेकिन जिस दिन समीर नक्शा लेने गया, साए को पता चल गया कि वह उसकी मदद कर रहा है। इससे पहले कि साया उसकी आत्मा ले लेता, उसने अपना शरीर बदल लिया और जंगल में एक भेड़िये ने उसके मृत शरीर पर हमला कर दिया। लोगों को लगा कि भेड़िये ने उसे मार डाला।

समीर ध्यान से सब सुन रहा था। तभी बिल्ली उसकि गोद में चढ़ गई और वह उसे गले से लगा लेता है, जैसे वह अब उसे कभी खोना नहीं चाहता। बिल्ली से उसे खास लगाव होने लगा था। लगाव तो उसे शांति निवास वाली बूढ़ी औरत से भी था लेकिन वो उसे बचा नहीं पाया।

कुछ देर बातें करने के बाद उन सभी ने मिलकर एक दिव्य घेरा बनाकर घर को सुरक्षित किया और अगले तीन दिन वहीं रहने का फैसला लिया। उन्होंने सबसे पहले उस शांति निवास वाली औरत के कंकाल को इकट्ठा किया और आँगन के एक कोने में उसे जलाकर अंतिम विदाई दी। उन्होंने बताया कि अगर कंकाल को जलाया नहीं जाता, तो वह आत्मा भी साए की गुलाम बन जाती है— जैसे पहले समीर ने देखा था।

सभी उस रात उसी घर में सोए। अगली सुबह एक निर्णायक दिन था। एक तरफ था काला — साए की शक्ति से युक्त, और दूसरी तरफ थीं ये पाँच आत्माएं जो अब समीर के साथ दीवार बनकर खड़ी थीं। वे नहीं चाहते थे कि यह जंग हो, क्योंकि जीतना बहुत मुश्किल था पर समीर, जिसके अंदर युवा जोश और अनुभव की कमी थी, मौत को गले लगाने को तैयार था। अब उसे बचाने और इस साए की कहानी को हमेशा के लिए खत्म करने का एक ही तरीका था — सबका एकसाथ आकर साए का सामना करना।

सबने तय किया कि पहले काले को कैद करेंगे, जिससे वो कमज़ोर पड़ेगा, और फिर समीर अपना अनुष्ठान पूरा कर पाएगा। वे एक-दूसरे को गले लगाकर प्रेम जताते हैं, क्योंकि किसी को नहीं पता कि कौन बचेगा और किसके लिए अब संघर्ष खत्म होने वाला है। एक-आंख वाला आदमी, सुनार और समोसे वाला तीनों निकल पड़ते हैं काले को पकड़ने। बौना आदमी और बिल्ली समीर के साथ घर में ही रुकते हैं।

कुछ देर बाद, समीर किताब में देखता है कि आज के अनुष्ठान के लिए किसी शापित आत्मा का जूठा पानी चाहिए, जिसे कल की कटोरी में डालना है। वह समझ जाता है कि यह काम बौना आदमी कर सकता है।

दूसरी तरफ, वे तीनों डॉक्टर रवि के घर के पास जंगल में पहुँचते हैं और तीन दिशाओं में फैलकर ज़मीन पर निशान बनाते हैं। उन्हें बस अब शाम होने का इंतजार था।

इधर, शाम होते ही समीर जैसे ही अनुष्ठान के लिए पानी लाता है, बिल्ली आ जाती है। समीर जानता है कि उसकी आत्मा भी शापित है, तो अनुष्ठान उसके जूठे पानी से भी हो सकता है। .. लेकिन बौना आदमी बिल्ली को एक ओर कर खुद पानी जूठा कर देता है। समीर वह पानी कटोरी में डालकर अनुष्ठान शुरू करता है।

वहीं दूसरी ओर, रवही के घर के बाहर, वे तीनों अपनी दिव्य शक्ति से एक रोशनी बनाते हैं जिससे जंगल का एक क्षेत्र गुलाबी रोशनी से भर जाता है। डॉक्टर रवि उस रोशनी को देखकर अपने घर में पत्नी और बेटे के साथ छुप जाते हैं।

काला उस रोशनी को देख डॉक्टर रवि के घर से निकलकर जंगल की ओर चल पड़ता है।

घर पर, समीर अनुष्ठान के घेरे में खड़ा था, सूरज ढलने को था। काले की परछाई अब उस रोशनी के केंद्र में पहुँच जाती है। तीनों दिशाओं से आ रही रोशनी उसे बांध लेती है। कुछ ही पलों में वे तीनों महसूस करते हैं कि उनकी पीठ आग की तरह जलने लगी थी— क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी शक्ति लगाकर काले को बाँध रखा था, और साया दूर खड़ा उन्हें अपनी आग से झुलसा रहा था।

यह साए का पुराना बदला लेने का मौका है। तीनों दर्द सहते हुए भी काले को रोशनी से बाहर नहीं जाने दे रहे थे।

उधर समीर का अनुष्ठान पूरा होने ही वाला था। रोशनी उसके घेरे में आती है, कटोरी के पानी को छूती है और जैसे ही छड़ी चमकती है, समीर देखता है कि बौना आदमी ज़मीन पर गिर जाता है और तड़पने लगता है।

वहीं जंगल में, तीनों की बनाई रोशनी और तेज़ होती जाती है और उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। एक पल में जंगल में अंधेरा छा जाता है।

समीर देखता है कि बौने आदमी के शरीर से एक हल्की रोशनी निकलकर छड़ी में प्रवेश करती है और फिर छड़ी सामान्य हो जाती है।

समीर ये देखकर अपनी आँखों पर विश्वास नहीं करता। एक-एक करके सभी आत्माएं चली गईं। अब उसके पास बस उसकी बिल्ली बची थी।

साया, जिससे इन आत्माओं ने उसका रक्षक छीन लिया, अब क्या करेगा समीर के साथ? अब केवल दो अनुष्ठान बाकी हैं। क्या समीर उन्हें अकेले पूरा कर पाएगा? कैसे वह साए को कैद करेगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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