आरु को गांव की काफी रहस्य पता चल चुकी थे, पर अब भीमा शायद अत्तीत की उन पन्नों को आरु से सामने पढ़ने वाले थे, जिन्हें सुनकर आरु की ज़िन्दगी हमेशा की लिए बदलने वाली थी, भीमा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा।
भीमा- आरु हमे हमेशा सिखाया जाता है की सबके साथ प्रेम से रहना चाहिए, पर जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है तो उसी को धोख़ा मिलता है। बहुत साल पहले जब ये गांव एक कबीला हुआ करता था, तब इस कबीले में एक ऐसी लड़की रहती थी जिसके गुणों की चर्चा दूसरे कबीलों में भी होती थी।
आरू- उस लड़की का नाम क्या था
भीमा- उसका नाम था ‘आर्या’ जितनी वो दिखने में सुन्दर थी, उतने ही सुंदर थे उसके गुण। उसे कभी किसी ने गुस्सा करते हुए नहीं देखा था, सबसे प्यार से बात करने वाली वो लड़की, दिमाग से भी इतनी तेज़ थी। कबीले का सरदार भी उससे पूछ कर कबीले के लिए फैसले लिया करता था। उसे कई सिद्धियां भी प्राप्त थी। पर उसने कभी भी अपनी उन शक्तियों का बल लोगों पर नहीं दिखाया था।
आरू- उसे वो सिद्धियां कहां से मिली थी, क्या उसकी भी मदद अपने की थी?
भीमा- मैं भला कौन होता हूँ उसको कुछ सिखाने वाला। वो तो उसकी भक्ति में ही इतनी शक्ति थी की कुल देवी ने प्रसन्न होकर उसे सिद्धियां दी थीं। उसकी वजह से ये कबीला बाकी कबीलों से ज़्यादा खुशहाल था। पर कहते हैं ना इंसान अगर गलती ना करें तो वो भगवान हो जाए। लेकिन ऐसा संभव ही नहीं, और शायद इसलिए उस लड़की से भी एक ऐसी गलती हुई जिससे उसका सारा जीवन बदल गया।
भीमा ने उस लड़की का रसस्य बताना शुरू किया। उस लड़की से बस एक गलती हो गयी थी की वो प्रेम कर बैठी थी । उस कबीले में एक नौजवान लड़का आया जो इस कबीले का नहीं था। विदेश से आया हुआ वो लड़का इस कबीले में कपड़ों का व्यापर करने के लिए आया था। इसी सिलसिले में वो कुछ दिन इस कबीले में रुका था। उसका रंग बहुत गोरा था, कद भी लम्बा और गठीला शरीर था. वो उस देश से आया था जहां साल की ज्यादातर दिन बर्फ रहती थी। इस देश में कुछ दिन रहते रहते ही, वो यहाँ की भाषा अच्छे से सीख चुका था। हर कबीले की लड़की उसके तीखे नैन नक्श और सुंदरता देख कर उस पर मोहित हो गयी थी। पर सिर्फ ‘आर्या’ ही थी, जो उसके बहारी आवरण से आकर्षित नहीं थी । आर्य के गुणों की तारीफ उस लड़के के कानों तक जा पहुंची और वो आर्य से प्रभावित हो गया। उसने आर्या से शादी करने का फैंसला कर लिया था। आर्या का ध्यान अपनी और खींचने की लिए उसने बहुत कोशिशें की. कभी वो लोगों की मदद करता, तो कभी मंदिर की प्रसादी बनवाने की कमान संभाल लेता। आर्य सब कुछ देख रही थी उसका गांव के प्रति मदद और अपने प्रति प्रेम की भावना। एक दिन उस विदेशी लड़के की कोशिश कामयाब हुई. आर्या भी धीरे धीरे उसे पसंद करने लगी थी।दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था। आर्या जानती थी की, कबीले वाले कभी भी विदेशी लड़के से उसके रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे। समाज के डर से उन दोनों ने गंधर्व विवाह करने का फैसला किया। उस विदेशी लड़के ने आर्या से कहा था की वो उस से शादी करके उसे अपने देश ले जायेगा। वो कहते हैं ना, प्रेम एक ऐसी चीज़ है जो जीवन को सुन्दर बनाती है, पर जब ये प्यार दिल की जगह दिमाग पर काबू कर ले, तो अच्छी भली ज़िन्दगी को भी नर्क बना देती है। सब गुणों से सम्पन्न आर्या को भी प्रेम ने अपने वश में कर लिया था। उसकी सही और गलत पहचानने की क्षमता मानों जैसे ख़त्म ही हो गयी थी। जब वो उस विदेशी लड़के से भाग कर शादी करने जा रही थी , तो उसने ये बात गाँव में सिर्फ एक लड़की को बतायी थी, और उस लड़की का नाम था ‘लक्ष्मी’। पुरे गांव में आर्या की सिर्फ एक ही पक्की सहेली थी और वो थी लक्ष्मी। जब आर्या ने लक्ष्मी को भाग कर शादी करने की बात बताई, तो लक्ष्मी ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की। पर जो इंसान प्रेम में अँधा हो जाए उसके लिए कोई समझाइश या सिद्धियां काम नहीं आती। आर्या फैसला कर चुकी थी की, वो उस विदेशी लड़के के साथ कबीले से बहार जाकर शादी कर लेगी और हमेशा की लिए उसके देश चली जायेगी। आर्या रात को एक दिन मौका पाते ही कबीले से भाग गयी। कबीले में किसी को पता ही नहीं चला की आर्या कहां गयी है, पर लक्ष्मी सब जानती थी। आर्या की पक्की सहेली होने के कारण सबसे उससे पूछा की क्या वो जानती है, आर्या कहां है? पर लक्ष्मी ने हर बार पूछे जाने पर यही जवाब दिया था की वो कुछ नहीं जानती। उसे आर्या ने कसम दी थी की कभी भी, किसी को कुछ भी नहीं बताएगी। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था। इस घटना के कई महीनें गुज़र जाने की बाद, एक दिन लक्ष्मी सैर करते करते कबीले से कुछ दूर चली गयी थी. अचानक उसे पेड़ की पीछे से किसी की रोने की आवाज़ आयी। लक्ष्मी ने उस औरत से पूछा
“अरे तुम कौन हो और यहाँ सुनसान जगह में अकेली क्या कर रही हो ?”
जैसे ही उस लड़की ने पलट कर अपना चेहरा दिखाया, तो लक्ष्मी हैरान हो गयी, ये कोई और नहीं बल्कि आर्या थी। भीमा से कहानी का ये हिस्सा सुनकर आरु बेचैन हो गया, और उसने भीमा से पूछा -
आरू- इसका मतलब उस लड़के ने बेचारी आर्या को धोखा दिया था।
भीमा- हाँ, बेटा उसकी साथ धोखा हुआ था.
भीमा ने अपनी कहानी जारी रखते हुए आगे बताया कि , उस लड़की ने आर्या से शादी तो की थी पर इस इरादे से नहीं की वो उसका साथ ज़िन्दगी भर निभाएगा, बल्कि सिर्फ इसलिए की थी आर्या को जितना उसकी जिद्द थी और जो बिना शादी के संभव नहीं थी। एक दिन वो आर्या को बिना बताये अपने साथियों के साथ अपने देश चला गया । आर्या, कई महीनों तक लोगों से मांग मांग कर खाना खाया करती थी. अपने किये और नियति पर शर्मिंदा आर्या हमेशा अपना चेहरा ढ़क कर रखती थी ताकि कोई उसे पहचान ना ले। उसकी कभी हिम्मत ही नहीं हुई की वो अपने कबीले वापस जा सके, क्योंकि जब वो लक्ष्मी को मिली तो 9 महीने गर्भवती थी। उसने अपनी सारी कहानी लक्ष्मी को बताई और लक्ष्मी ने वादा किया की वो रोज़ यहाँ आकर आर्या को खाना देगी। कबीले की एक दायी को भी उसने आर्या की मदद की लिए राज़ी कर लिया था। लेकिन किस्मत ने अभी अपना एक नया खेल खेलना था, आर्या को दो बेटे हुए जिनको जन्म देने की बाद आर्या की तबियत बिगड़ने लगी थी। उसकी सिद्धियां उससे छीन चुकी थी। लक्ष्मी रोज़ आर्या की पास उसकी देख भल करने आती थी, पर एक दिन जब लक्ष्मी वहां पहुंची तो आर्या ज़मीन पर पड़ी मिली, उसकी आत्मा अपना शरीर त्याग चुकी थी। उसका एक बेटा रोये जा रहा था और लक्ष्मी की बहुत ख़ोजने के बाद भी उसका दूसरा बेटा नहीं मिला। लक्ष्मी ने दायी माँ की मदद से आर्या का अंतिम संस्कार किया और उसकी बेटे को कबीले में ले आयी। कबीले वालों की पूछने पर लक्ष्मी और दायी माँ ने बताया की ये बच्चा जंगल की पास रोये जा रहा था, लगता है कोई इसे वहां छोड़ गया था। पुराने ज़माने की लोग दिल से बहुत साफ़ होते थे , उन्होंने उस बच्चे को अपना लिया और कबीले का सदस्य बना लिया। किसी को कभी पता नहीं चला की वो आर्या का बेटा है। यहाँ तक कहानी सुनने की बाद आरु ने भीमा से सवाल किया।
आरू- बाबा उस दूसरे बच्चे का क्या हुआ, क्या उसे जंगल की जानवर उठा कर ले गए थे ।
भीमा- वो तो उसकी किस्मत जाने की उसकी साथ क्या हुआ, पर आरु क्या तुम जानना चाहते हो आर्या के जिस बेटे को गांव वालों ने पाला था, वो लड़का कौन था?
आरू- हां बाबा बताओ कौन था वो?
भीमा- वो तुम थे आरु.
भीमा की बात सुनकर आरु चौंक गया था , जिस अतीत के बारे में वो भीमा से पूछता रहता था , आज वो अतीत उसके सामने आ चुका था। भीमा जानते थे की आरु ये बात सुन कर चौंक जायेगा, और कुछ बोल भी नहीं पायेगा। इसलिए उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा।
भीमा- आरु तुम इस लिए ही ताकतवर थे क्योंकि तुम्हारी रगों में आर्या का खून था। तुम्हें वो सभी गुण विरासत में मिले थे। तुम आम बच्चों से ज़्यादा समझदार थे। पर मुझे आज तुमसे वचन चाहिए की आर्या यानि तुम्हारी माँ का ये राज़ सिर्फ राज़ ही रेहगा। क्योंकि मेरे अलावा बस तुम ही हो जिसे आज के समय में ये राज़ पता चला है.
आरू- जी बाबा मैं इस राज़ को राज़ ही रखूँगा।
भीमा- अरे पर तुम रो क्यों रहे हो ?
आरू- बाबा मेरी माँ इतनी दुखी थी की हमें जन्म देते ही चली गयी।
भीमा- आरु वो बीती हुई कड़वी सच्चाई है, मैंने तुमसे कहा था की अतीत के कुछ राज़ समय आने पर तुम्हारे सामने रखूँगा। तुम्हें अतीत को याद करके रोना नहीं है बल्कि अतीत से शिक्षा लेकर वर्तमान को अच्छा बनाना है।
आरु अपने पिछले जन्म का रहस्य जानने के बाद दुविधा में था, वो ये जानना चाहता था की उसके भाई के साथ क्या हुआ? भीमा ने कहा था कि अतीत से सीख कर वर्तमान को सुधारो। क्या वर्तमान में हो रही घटनाओं का नाता, आर्या की कहानी के साथ जुड़ा था? जानने के लिए पढ़ते रहिये “काल का जाल”
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