इस बार दरवाज़े पर मटरू नहीं बल्कि बबलू था। बबलू तो खुश था मगर रोहन और प्रिया, वह दोनों एक दम ख़ामोश खड़े थे। उन्हें चुप देखकर वह चौंक गया। उसने चौंकते हुए कहा “क्या हुआ, तुम लोगों ने अभी तक सामान पैक नहीं किया, थोड़ी देर में राजू,छोटा हाथी लेकर आ जाएगा”।  

दोनों ने कुछ नहीं कहा तो वह तुरंत प्रिया के पास गया और पूछा, “क्या हुआ भाभी, सब ठीक तो है ना, आप चुप क्यों है और यह सामान अभी तक पैक क्यों नहीं किया, कहीं आप लोगों का इरादा बदल तो नहीं गया”।

जिस तरह दोनों चुप थे, लाज़मी था कि इस तरह के सवाल बबलू क्या, किसी के भी मन में आ जाते। उसने अपने मन में चल रहे  सवालों को तुरंत शब्दों का जामा पहना दिया था। इससे पहले दोनों की चुप्पी, बबलू के मन की बातों को सच साबित करती, प्रिया ने तुरंत उसे तोड़ते हुए कहा, ‘’अभी तुमसे पहले मटरू अंकल यहां आए थे।''

रोहन : (प्रिया की बात में अपनी बात मिलाते हुए) उन्होंने कहा, अब वह घर खाली नहीं करवाना चाहते है, उन्होंने घर का किराया भी कम करने को कहा है।

दोनों की बात सुनकर बबलू ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। हँसते हँसते बबलू अपने चेहरे पर तीखी मुस्कान ले आया था। उसकी तीखी मुस्कान को देखकर दोनों असमंजस में पड़ गए। वह बिल्कुल नहीं जानते थे कि बबलू के मन में क्या चल रहा है।

तभी बबलू ने तीखे अंदाज़ में कहा, “बहुत चालाक है यह मटरू, अपना काम निकलवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसका पेट देखा है, मेरा तो मन करता है उसे एक मुक्का मार कर फोड़ दूँ”। बबलू की यह बात सुनकर उन दोनों की भी हंसी छूट गई। प्रिया ने अपनी हंसी को बरकरार रखते हुए कहा, ‘’क्यों? ऐसा क्या हुआ बबलू भैय्या, आप उनके बारे में इस तरह क्यों बोल रहे हो?''

बबलू ने जवाब देते हुए कहा, “वह इंसान ऐसा है जो अपने फायदे के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता है, आज तक जिस किसी ने भी उसकी बात पर विश्वास किया, उसने हमेशा धोखा ही खाया है”। यह सुनकर दोनों हैरान हो गए। रोहन ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, ‘’इसका मतलब है, वह कभी भी अपनी ज़बान से मुकर सकते है।''

बबलू ने तुरंत “हां” कह कर रोहन की बात का जवाब दिया। उसने आगे, मटरू की बुराई करते  हुए कहा, “उसे किसी के भी दुख या सुख से कोई मतलब नहीं, बस उसका फायदा होना चाहिए, उसका काम पूरा होना चाहिए”। यह सुनकर दोनों के चेहरे की हवाइयां उड़ गई। उन्हें ज़रा सा भी अंदाज़ा नहीं था कि मटरू के बारे में इस तरह की बातें सुनने को मिलेगी।

उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मटरू इस तरह के व्यक्तित्व वाला इंसान है। प्रिया ने तो अपने मन में फैसला कर लिया था कि वह इस घर को छोड़ कर अपर्णा के घर में शिफ्ट हो जाएगी मगर रोहन, उसके मन में अभी भी मटरू के लिए थोड़ा विश्वास बना हुआ था। उसने दोनों की तरफ देखा और कहा, ‘’वैसे हमें घर से निकाल कर उसका क्या फायदा होने लगा। हमारे जाने से उसका नुकसान ही होगा।''

रोहन के कहने का मतलब था, “अगर घर खाली रहेगा तो मटरू को किराया नहीं मिलेगा और अगर किराया नहीं मिला तो पैसे नहीं आयेंगे और बिना पैसे के मटरू का नुकसान ही होगा”। यह सुनकर बबलू उसके पास गया और कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “मेरे दोस्त, तू कितना सीधा है, उसकी चाल को ज़रा सा भी नहीं समझ पाया”।

इस बार बबलू ने ना प्रिया को कुछ बोलने का मौका दिया और ना ही रोहन को। उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जिस contractor से वह अपने घर को बनवा रहा है, उसके पास अभी समय नहीं है, उसने मटरू को एक महीने के बाद का टाइम दिया है, अब अगर तुम यहां से चले गए तो एक महीने तक उसका घर बंद रहेगा”।

यह सुनकर रोहन से ज़्यादा प्रिया चौंक गई थी। उसने तुरंत कहा, “और एक महीने के लिए उसके घर को कोई किराए पर लेगा नहीं”। यह सुनकर रोहन के चेहरे के भाव बदल गए थे। बबलू ने दोनों को मटरू के बारे में सब खुल के बता दिया था। प्रिया ने बबलू की बात का जवाब देते हुए कहा, ‘’इसका मतलब यह हुआ कि मटरू अंकल एक महीने बाद घर को खाली करवा देंगे।  अगर उन्होंने ऐसा किया तो उस वक्त, हम कहां जाएंगे।''

यह सुनकर एक बार फिर बबलू के चेहरे पर तीख़ी मुस्कान आ गई थी। उसने कहा, “और तब तुम दूसरा घर ढूंढने के लिए परेशान होते रहना। इतना सब कुछ जानने के बाद भी तुम मटरू पर कैसे भरोसा कर सकते हो? या तो तुम बहुत बड़े मूर्ख हो या फिर वह बहुत ज़्यादा समझदार”।

 

उसकी बातों से साफ़ ज़ाहिर हो गया था कि अगर दोनों मटरू की बातों में आकर इस घर में रहेंगे तो आगे चल कर उन्हें धोखा ही मिलने वाला है। बबलू की बातों को सुनकर दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और आँखों ही आँखों में फैसला ले लिया। फिर भी रोहन ने कहा, ‘’लेकिन उन्होंने पैसे कम लेने की बात क्यों कही, यह बात मैं समझ नहीं पाया।''

प्रिया : (रोहन की बात में अपनी बात मिलाते हुए) वह  हमें सच सच भी तो बता सकते थे।

बबलू के पास दोनों के सवालों का जवाब था। उसने पहले रोहन की बात का जवाब देते हुए कहा, “कम पैसों के लालच में तुम लोग यहां रुक जाओगे और रही बात भाभी के सवाल की, अगर वह तुम्हें सच्चाई बता देता तो तुम पहली फुर्सत में नया घर ढूंढ़ना शुरू कर देते”। दोनों को अपने अपने सवाल का जवाब मिल गया था।

दोनों को बबलू की बातों में सच्चाई नज़र आ रही थी। बबलू ने अपनी आखिरी बात को रखते हुए कहा कि “रोहन, तू मेरा दोस्त है, दोस्त होने के नाते तुझे समझाना मेरा फ़र्ज़ है, पर फैसला लेना आप दोनों का ही काम है। अब अगर तुम यहां रुकते हो तो ज़्यादा से ज़्यादा अपर्णा आंटी के सामने मेरी बात खराब हो जाएगी, बस और कुछ नहीं”।

एक तरफ़ बबलू दोनों के फैसले का इंतज़ार कर रहा था तो वहीं दूसरी तरफ़ सुषमा और हरि ने कमरे को चका- चक चमका कर साफ कर दिया था। कमरा देखने में ऐसा लग रहा था जैसे अभी अभी नया बनवाया हो। भले ही दोनों बुरी तरह थक गए थे मगर अपनी मेहनत से आए हुए परिणाम को देखकर उनके चेहरे पर ख़ुशी भी थी। उन्होंने खुश होते हुए कहा, ‘’कमरे को देख कर दीदी खुश हो जाएगी, बिल्कुल नया कमरा लग रहा है, नया।''

सुषमा : (खुश होते हुए) वैसे इस कमरे में दीदी नहीं बल्कि नए किरायेदार रहने वाले है, सफाई को देख कर वह खुश होने चाहिए।

कमरा तो साफ हो गया था मगर हरि  और सुषमा के सारे कपड़े धूल और मिट्टी से गंदे हो गए थे। कपड़ों के साथ साथ दोनों के चेहरे और बालों पर भी अच्छी खासी धूल जमा हो गई थी। ऐसा नहीं था कि चुटकी बजाते ही कमरे की सारी सफाई हो गई थी। दोनों को कमरा साफ़ करने में अच्छा खासा समय लगा था। प्रिया ने हरि  की तरफ़ देखा और हंसने लगी। उसने हंसते हुए कहा, ‘’आपने अपना चेहरा देखा है, बिल्कुल भूत लग रहे हो।''

हरि  : (खुश होते हुए) वैसे तुम भी किसी भूतनी से कम नहीं लग रही हो। अब अगर मैं भूत, तो मेरी पत्नी होने के नाते तुम भूतनी ही हुई ना!

सुषमा की नज़र खुद के ऊपर अभी तक नहीं गई थी। हरि  के कहने पर जब उसने अपने आपको शीशे में देखा तो हंसने लगी। दोनों अपने आपको शीशे में देखते और फिर एक दूसरे को देख कर हंसने लगे। तभी सुषमा ने हंसते हुए अपनी बात को कहा, ‘’अब हमें जल्दी से नहा धो कर कपड़े बदल लेने चाहिए। अभी तो मुझे खाना भी बनाना है।''

हरि  : (जवाब देते हुए) मुझे नहीं लगता तुम्हें खाना बनाने की ज़रूरत पड़ेगी। वह हमारे लिए पहले से ही तैयार होगा।

कमरे की सफाई करने में सुषमा इतनी व्यस्त हो गई थी कि उसे यह भी याद नहीं रहा कि थोड़ी देर पहले जो उसने खाने की खुशबू सूंघी थी वह अपर्णा दीदी के हाथों से बनी दाल मखनी की खुशबू थी। जैसे ही दोनों इस हालत में नीचे आए तो अपर्णा उन्हें देखकर चौंक गई। चौंकने के साथ साथ अपर्णा के चेहरे पर तुरंत हंसी भी आ गई। उसने हंसते हुए कहा, ‘’तुम दोनों ने अपना यह क्या हाल बना लिया?''

उनकी यह हालत कमरे की सफाई करने में हुई थी। जब से अपर्णा का बेटा राहुल अमेरिका गया था तब से ही कमरा बंद था, जिसके कारण कमरे में धूल का जमना लाज़मी थी। जिस तरह मेहनत से दोनों ने कमरे की सफाई की थी, उन्हें बहुत ज़ोर की भूख भी लग रही थी। वैसे इतनी देर में अपर्णा ने दाल मखनी बनाने के साथ साथ चावल भी बना लिए थे। तभी अपर्णा ने कहा, ‘’तुम लोग जल्दी से नहा धो कर आ जाओ, फिर साथ में बैठकर खाना खाएंगे।''

दोनों ने अपर्णा की बात सुनी और वहां से चले गए। अपर्णा ने उन दोनों को ममता भरी नज़रों से जाते हुए देखा। उन दोनों के जाने के बाद अपर्णा किचन में वापस आई और गैस पर रखी दाल मखनी के कुकर को खोल कर देखा तो चौंक गई।

 

आखिर अपर्णा दाल मखनी को देख कर चौंक क्यों गई थी?

उधर जिस तरह बबलू ने रोहन और प्रिया के मकान मालिक मटरू की बातों का बखान किया था, उसे सुन कर दोनों क्या फैसला लेंगे?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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