कोटी जंगल जहां कोहरे और बादलों ने मिल कर एक चादर सी बनाई थी जिससे पूरा शहर ढक गया था। उस धुंध ने अपने अंदर छुपा रखे थे ऐसे रहस्य जो परत दर परत और उलझते जा रहे थे। समीर को बौने आदमी ने एक पीला पत्थर और एक साधारण सा काँच दिया पर समीर का मकसद सिर्फ उन मुसीबतों से लड़ना नहीं बल्कि उन्हें हमेशा के लिए यहां से खत्म कर देना है। जिसके लिए उसको चाहिए वो रोशनी की चाबी और उसे पाने के लिए समीर को करना होगा  एक और अनुष्ठान। जिस अनुष्ठान के लिए चाहिए शापित परिवार का रक्त लेकिन वो परिवार नज़रबंद है अपने ही घर में जिसकी पहरेदारी कर रहा है काला साया।

डॉक्टर रवि, उनकी पत्नी अंजलि अब अपने ही पूर्वजों द्वारा अपने ही घर में कैद हैं। इसका मतलब ये नहीं कि अथर्व ठीक है। वो साया जो इतने दिनों से बिना शिकार के घूम रहा है, वो अब उनके घर में है। हर दिन साया कमजोर हो रहा है और उसके साथ साथ अथर्व की हालत भी खराब होती जा रही है क्यूंकि अथर्व के शरीर से ही साये को बची कुची ऊर्जा मिल रही है अगर साया इस हफ्ते भी शिकार नहीं कर पाया या उसे बलि नहीं दी गई तो अथर्व की मौत निश्चित है। 

काला साया जो कि कोई और नहीं बल्कि करोड़ी लाल की रूह है जिसने बलि देने में असफल होने पर अपने ही परिवार को नजरबंद कर दिया वो छैल की उस बड़ी पनौती को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। बादल भी गरज रहे थे मानों उन्हें भी आभास हो गया कि अब कुछ बहुत बुरा होने वाला है। समीर वापस घर के लिए निकल गया। वो जैसे ही चौक तक पहुंचता है तो देखता है कि लोग उसको घूर रहे थे। समीर जैसे ही उस बूढ़ी औरत के घर की तरफ मुड़ता है तो घर के बाहर लगे कांच में देखकर हैरान रह जाता है। उसे दिखती है इन्सान जैसी दिखने वाली एक परछाई जो उसके कंधे पर बैठी थी। जैसे ही समीर उस कांच के सामने रुकता है वो परछाई तेज आवाज़ के साथ वहाँ से गायब हो जाती है! वो समझ जाता है कि काला उसे कभी भी कहीं भी मिल सकता है। 


घर के अंदर जाते ही उसे हर जगह आईने नज़र आते हैं। बिल्ली ने साये से बचने के लिए पूरे घर को शीश महल सा बना दिया था। समीर संग्रहालय में जा कर अनुष्ठान की विधि को समझने के लिए वो किताब खोल कर पढ़ने लग जाता है। उसको किताब में उस रोशनी को पाने की विधि दिखती है जिसमें सबसे पहला चरण था एक विशेष पीले रंग का पत्थर। 

जो मूल रूप से शालिग्राम का पत्थर है पर किसी विशिष्ट रसायन में 5 साल तक डुबा कर रखने पर उसका रंग पीला हो जाता है। उस पीले पत्थर को अनुष्ठान की जगह रख उसके आसपास एक गोल घेरा बना देना है। उस इंसान के अलावा जिसने इस पत्थर को रख वो घेरा बना बनाया है उस गोले के अंदर और कोई प्रवेश नहीं कर सकता।  ना इन्सान और ना ही कोई और शक्ति।  पाँच दिन का ये अनुष्ठान, एक बार प्रारंभ कर दिया तो फिर रोका नहीं जा सकता। 

समीर को ये अनुष्ठान अगले शुक्रवार तक खत्म करना है जिसका मतलब ये हुआ कि उसको इस अनुष्ठान को अभी इसी समय शुरू करना होगा। समीर ने उस किताब में देखा हर रोज ये विधि सूर्यास्त के समय लगभग 2 घंटे तक करनी है और हर रोज किताब के अनुसार अलग अलग नियम का पालन करना है। उस ने देखा आज के अनुष्ठान के लिए जो सामग्री चाहिए, उसमे वो पीला पत्थर, जो समीर को उस बौने आदमी ने पहले ही दे दिया है और दूसरी सामग्री है उस काले मंदिर की मिट्टी जिसे लेने के लिए समीर को उस सुरंग तक जाना होगा। तीसरी सामग्री है एक छोटी कलम जैसे आकार की छड़ी। 

वो छड़ी जिसमें पांच दिन तक वो रोशनी इकट्ठा होती रहेगी और आख़िरी दिन वो छड़ी जादुई  छड़ी बन जाए जिससे निकलती रोशनी उस तहखाने का दरवाजा खोल देगी। समीर को सूरज ढलने से पहले उस काले मंदिर की मिट्टी और वो छड़ी ले कर आना है पर उस के लिए इस समय घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। वो सुरंग में जा कर नक्शे से मंदिर तक पहुँच मिट्टी कैसे ला पाएगा?


समीर ने बिल्ली की तरफ देखा और बिल्ली उसको एक दूसरे कमरे में ले गई जहां एक डायरी थी। समीर ने वो डायरी उठा के पढ़ी और देखा उस डायरी में उस बूढ़ी औरत की दुकान पर रखे समान की लिस्ट थी। समीर ने गौर से देखा तो पता चला कि काले मंदिर की मिट्टी और वो छड़ी दोनों ही उस दुकान में ही मिल जाएगी। अब सवाल ये है कि क्या समीर का उस घर से बाहर निकलना सुरक्षित है?

अगर नहीं तो फिर समीर दुकान तक जाएगा कैसे? और अगर वो बाहर नहीं गया तो फिर वो आज अनुष्ठान शुरू कैसे कर पाएगा? समीर ने दो आईने अपने शरीर के आगे और पीछे रस्सी से बांधे, और हिम्मत जुटा कर निकल पड़ा दुकान की ओर। वो दुकान में  पहुंचा और उसने एक कांच के डब्बे में काले मंदिर की मिट्टी रखी देखी और खुश हो गया। उसने वो डब्बा उठा कर टेबल पर रखा और छड़ी की तलाश करने लगा। समीर वो छड़ी ढूँढता रहा पर वो उसे कहीं ना मिली। 

बहुत कोशिशों के बाद भी जब उसको वो छड़ी नहीं दिखी तब वो उस मिट्टी के डब्बे जो उठाए बाहर निकलने लगा क्यूंकि वो जल्द से जल्द घर जाना चाहता था। खतरा सर पे था और समय भी कम था। इस छड़ी का कोई ना कोई दूसरा उपाय जरूर होगा। समीर इस सोच मे वहाँ से निकल ही रहा था कि अचानक उसकी नजर दुकान के दरवाज़े पर पढ़ी। उस दुकान के दरवाजे के बीच में एक लकड़ी का कलम जैसे दिखने वाला कुछ हिस्सा था जिसपे एक अलग निशान बनाकर हुआ था। समीर तुरंत उस कलम को निकालता हैं और जैसे ही वो कलम निकालता है उस दुकान में एक अलग सी ऊर्जा का प्रवाह होता है जैसे कुछ पल के लिए वहाँ बिजली आ कर चली गई हो। समीर समझ गया कि ये ही वो तिलस्मी छड़ी है जो अपने अंदर समाहित करेगी उस ऊर्जा को जिससे खुलेगा काले मंदिर का तहखाना।

समीर उस दुकान को बंद कर जल्दी से घर की तरफ जाता है और जैसे ही समीर अपने घर के दरवाज़े तक पहुंचता है उसे महसूस होती है कदमों की आहट।

वो जैसे ही पलट कर देखता है एकदम हैरान रह जाता है। डॉक्टर रवि और उनकी पत्नी अंजलि समीर की तरफ भागे चले आ रहे थे।  समीर को लगता है कि डॉक्टर रवि किसी परेशानी में थे और उसे उनकी मदद करनी चाहिए। वो जैसे ही उनकी तरफ़ बढ़ता है तो डॉक्टर रवि और अंजली दोनों अचानक से रुक जाते हैं।

समीर को कुछ समझ नहीं आता कि अचानक से क्या हुआ? उसी वक़्त डॉक्टर रवि सड़क से एक पत्थर उठाकर समीर की तरफ फेंकते हैं  जो सीधा उसकी छाती पर आ कर लगता है। उस  पत्थर का असर इतना था कि समीर के सामने लगा आईना कई टुकड़ों में टूट कर बिखर जाता है। समीर समझ जाता है कि ये डॉक्टर रवि नहीं बल्कि उनके पीछे काला है जो उसे रोकना चाहता है। वो तुरंत घर में घुस कर दरवाजा बंद कर देता है। उसके दरवाज़े के बाहर से डॉक्टर रवि चिल्ला कर बोलते हैं -

रवि - समीर दरवाज़ा खोलकर बाहर आओ मुझे तुमसे बात करनी है।

अंजलि - समीर तुम्हें किसी भी कीमत पर ये सब रोकना होगा वरना इसका अंजाम बहुत खतरनाक होगा।

समीर उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए अंदर आते ही अनुष्ठान के लिए आँगन मे सबकुछ जमा करने लग जाता है। वो उस आँगन में एक जगह काले मंदिर की मिट्टी छिड़क कर उसपर वो पीला पत्थर रखता है और तुरंत बची हुई मिट्टी का गोल घेरा बना लेता है जिसे उसके अलावा कोई और नहीं लांघ सकता। वो बाहर निकल उस छड़ी को उठा कर अंदर जाने ही वाला होता है कि उसके दरवाजे पर जोर जोर से किसी के पीटने की आवाज सुनाई देती है।

रवि - समीर मैं तुम्हें आखिरी चेतावनी दे रहा हूं दरवाजा खोलो।

समीर समझ जाता है कि हो ना हो ये डॉक्टर रवि और उनकी पत्नी अंजलि काले के अधीन हो चुके हैं। वो उन्हें फिर से नजरअंदाज कर दोबारा उस घेरे में प्रवेश करने की कोशिश करता है लेकिन उसे महसूस होता है कि कोई उस घर के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है। समीर को आज इस अनुष्ठान से रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जाना था। जैसे ही वो उस घेरे के अंदर जाता है अचानक से उस छत से दो लोग आँगन में कूद पड़ते हैं।

समीर ने अनुष्ठान का सारा सामान अपनी जगह पर रख दिया था और उसे अब बस उस घेरे के अंदर रहना था सूरज ढलने तक पर उसने देखा डॉक्टर रवि और उनको पत्नी अंजलि उस आँगन मे रखे एक एक आईने को तोड़ रहे थे लेकिन वो बिल्ली उन दोनों को रोकने की कोशिश कर रही थी। डॉक्टर रवि को समझ आ जाता है कि इस समय समीर को कोई नहीं रोक सकता तभी वो देखते हैं अंजलि ने उस बिल्ली को पकड़ लिया। वो उसे रवि के पास ले जाती है। समीर को पता था कि अगर वो इस घेरे से निकला तो ये लोग इस अनुष्ठान को पूरा नहीं होने देंगे। उसको सूर्यास्त तक उस घेरे में ही रहना है और उस छड़ी पर आज की रोशनी का केंद्रित होना भी अनिवार्य है। क्या समीर बिल्ली को बचाने के लिए अपना अनुष्ठान रोकेगा? क्या डॉक्टर रवि और उनका परिवार सच में समीर के अनुष्ठान को रोकना चाहते हैं? अगर समीर का अनुष्ठान भंग हुआ तो साये को रोक पाना कभी मुमकिन हो पाएगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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