एक साया जो हर शुक्रवार की रात किसी एक tourist की आत्मा हर लेता था। उस खौफ के बिना जीने के लिए शहरवासियों के दिमाग से शुक्रवार की यादें हमेशा के लिए मिटा दी जाती थी। एक दिन एक डिटेक्टिव उस शहर में आया उन गायब हो रहे tourists की तलाश में और इस रहस्य को एक एक कर के सुलझाने लगा।
उसने हर वो काम किया जिससे वो उस साये को रोक पाए और एक दिन उसने उस साये को कमज़ोर कर दिया। उस डिटेक्टिव ने लगातार दो शुक्रवार किसी भी इंसान की मौत नहीं होने दी और उसका साथ देने के लिए 3 लोगों ने अपनी जिंदगी की कुर्बानी दे दी। एक बूढ़ी औरत, एक बूढ़ा आदमी और एक जवान आदमी जिसका चेहरा आधा जला हुआ था। फिर क्या हुआ? फिर उस डिटेक्टिव से अनजाने में हुई एक गलती और उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया। उस साये को कमजोर करने के चक्कर में उस डिटेक्टिव ने एक ऐसी अदृश्य शक्ति को जागृत कर दिया जो किसी को भी कभी भी मार सकती है बिना दिन और रात की परवाह किए। एक दिन उसने उस डिटेक्टिव को भी मार दिया।
समीर सोच रहा था कि लोग उसके मरने के बाद यही कहानी सुनाएंगे उसके बारे में! उसको पता था कि अगर उसने इस अदृश्य शक्ति को नहीं रोका तो उसका भी मर जाना तय है। समीर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब उसे आगे क्या करना है? वो चुपचाप एक कोने में खड़ा उस बस की तरफ देख रहा था। वहाँ लोग आए, उस tourist परिवार को पत्थर से निकाल कर वहाँ से ले गए।
समीर अभी भी वहीं खड़ा था। तभी पीछे से उसके हाथ पर किसी ने छुआ। समीर डर के पीछे मुड़ा और देखा तो वो बौना आदमी था जिसने समीर को बकरी दी थी। समीर इससे पहले कुछ समझे उस बौने आदमी ने समीर से कहा, “घबराना मत। वो ये सब इसलिए कर रहा है क्यूंकि खुद डरा हुआ है।”
समीर - तुम किसकी बात कर रहे हों...?
बौना आदमी बोला, “वो कायर जिसे तुम रखवाला समझते हो।”
समीर - मुझे नहीं पता तुम्हें ये सब कैसे पता पर तुम जो भी हो तुम्हें मेरी मदद करनी होगी।
बौने आदमी ने जवाब दिया, “जिस घर में तुम रहते हो वहां के संग्रहालय में तुम्हें एक सूत का धागा मिलेगा। बस उस धागे से उस घर को बाँध दो और दिव्य रोशनी के अनुष्ठान की तैयारी करो तब तुम्हें वो चाबी मिलेगी। घबराना मत वो घर सबसे सुरक्षित जगह है तुम्हारे लिए।”
समीर - हाँ पर ये है कौन जिसके डर से कोई मुझसे बात नहीं कर रहा? ना मेरी मदद कर रहा है? और मैं कैसे लड़ सकता हूं इस ताकत से?
बौना आदमी बोला, तुम्हें लड़ना उससे नहीं किसी और से है। समय आने पर खुद समझ जाओगे।”
उस बौने आदमियों ने समीर की हथेली पर एक छोटा पीला पत्थर रखा और वहाँ से चला गया। समीर को उम्मीद मिली कि कोई है जो अब भी उसकी मदद करना चाहता है। वो वहाँ से निकलकर सीधे अपने घर की तरफ गया। उस ने घर पहुँचते ही देखा उसके घर को उस सुत से पहले ही किसी ने बांध रखा था। आँगन में जो मेमने के चिथड़े पड़े थे वो भी अब साफ हो चुके थे। यहां तक कि वो लाल घेरा जहां अनुष्ठान किया गया था वो भी साफ कर दिया गया था। समीर फिर उस बिल्ली को ढूँढने लगा। उसे वो कहीं नजर नहीं आई तो वो संग्रहालय की तरफ गया और उसे वो बिल्ली वहीं बैठी मिल गई।
समीर - तुम कौन हो? कहाँ से आयी हो?
वो बिल्ली समीर की गोद से उछल कर नीचे कूद गयी और उस घर के एक कमरे की तरफ जाने लगी जहां समीर पहले कभी नहीं गया था। समीर उस बिल्ली के पीछे पीछे उस कमरे मे जाता है और देखता है कि वो कमरा बिल्कुल खाली था। वहाँ बस एक किताब रखी थी और बैठने के लिए आसान बिछा था। वो बिल्ली उस किताब के इर्द गिर्द घूमने लग जाती है। समीर जब उस किताब के पास जाता है और वहाँ बैठता है तो जो देखता है वो इस दुनिया से बिल्कुल परे था। उस किताब में ज़िक्र था कि उस साये को छलने के लिए एक खास समूह ने काया पलट सिद्धि कर के अपना अपना शरीर त्याग कर किसी और शरीर को धारण कर लिया था जिनमे से एक ये बिल्ली भी है। वो गुप्त समूह जो हमेशा समीर की मदद करता है उसने अपने शरीर बदल लिए हैं।
ये बात अपने आप में समीर को हैरान कर देने वाली थी। उसने देखा कि वो बिल्ली के शरीर में किसकी आत्मा है और वो हैरान रह गया। वो आत्मा कोई और नहीं बल्कि उस घर मे रहने वाली उस बूढ़ी औरत की थी। जब उस औरत ने समीर को वो पत्थर दिया था, उसके ठीक पहले उस ने इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया था। उस औरत की मौत के समय समीर ने जो परछाई देखी थी वो साये की नहीं दरअसल उस औरत की आत्मा थी जो वहाँ से निकल इसी कमरे में बंद एक बिल्ली के शरीर में प्रवेश कर गई थी। समीर को अब समझ आया कि ये बिल्ली इस घर के हर एक रहस्य से वाकिफ़ इसलिए है क्यूँकी ये वहीं बूढ़ी औरत है। उस बूढ़ी औरत ने बिल्ली का शरीर इसीलिए चुना क्यूंकि उसे ये पत्थर समीर लो देकर उसकी जान बचानी थी और खुद के लिए बिल्ली की 9 जिंदगियां ले ली|
समीर आगे बाकियों के बारे में जानना चाह ही रहा था कि बिल्ली ने वो किताब बंद करने दी और उसको एक बार फिर उस कमरे से बाहर ले आयी। बिल्ली समीर को वापस संग्रहालय की तरफ ले आयी जहां उसे छैल पुराण का वो अध्याय पढ़ने का इशारा किया जिसमें विधि लिखी थी उस रोशनी को पाने की जिससे काले मंदिर का तहखाना खुलता है। समीर देखता है की वहाँ जिक्र था एक रक्षक का। एक रक्षक जो उस साये और मंदिर के तहखाने की रखवाली करता है।
आम तौर पर ये रक्षक तहखाने के अंदर ही रहता है पर किसी विशेष परिस्थिति में ये बाहर आ जाता है और इस रक्षक को अगर समय रहते वश मे नही किया गया तो ये वो तहखाना कभी खुलने नहीं देगा। ना ही कभी साये को यहां से जाने देगा। तहखाने को खोलने कि चाबी जिस रोशनी से मिलेंगी उसका पता किसी शापित परिवार के पास है और वो अपनी स्वेच्छा से ही उस तक जाने का पता बता सकते हैं। समीर समझ गया कि हो ना हो ये अदृश्य शक्ति यही रक्षक है जो अब बाहर आ गया है।
वो शापित परिवार डॉक्टर रवि का परिवार है। समीर सोच में पड़ गया कि कैसे डॉक्टर रवि से बात की जाए। कुछ देर बाद, वो बिना डरे निकल जाता है कोटि जंगल की तरफ जहां डॉक्टर रवि का घर है। वो वहाँ पहुंचकर देखता है कि डॉक्टर रवि के हिल हाउस को चारों तरफ से एक काली टहनी ने घेरा हुआ था जैसे उस घर से किसी का बाहर आना या अंदर जाना मना मुमकिन ही नहीं था। समीर हिम्मत कर के और आगे जाता है और कोशिश करता है कि वो डॉक्टर रवी से बात कर सके पर जैसे ही समीर उन टहनियों को छूता है अचानक से उसे कोई शक्ति पीछे की तरफ फेंक देती है।
समीर जमीन पर गिरा उठने की कोशिश करता है तभी उसे ऐसा लगता है कोई अदृश्य शक्ति उसे नीचे की ओर दबा रही हो जैसे वो उसे ऊपर नहीं उठने देना चाहती। समीर बहुत कोशिश करता है पर वो कुछ कर नहीं पता। वो बार बार उठने की कोशिश करता है और बार बार गिर जाता है। समीर समझ जाता है कि इस शक्ति से उसे वो पत्थर भी नहीं बचा सकता जिसकी अंगूठी उसने पहन रखी है। वो पूरी ताकत लगा कर उठता है और फिर बहुत जोर से गिरता है और धीरे धीरे अपने ऊपर एक असहनीय दबाव महसूस करता है जिससे उसकी चीख निकल जाती है। तभी उसको अचानक महसूस होता है कि वो दबाव बंद हो गया। उसकी आंखे बंद थी और उसे पता था कि अब एक झटके मे ये अदृश्य शक्ति उसका शरीर नष्ट कर देगी लेकिन समीर के ऊपर कोई प्रहर नहीं हुआ। वो धीरे धीरे आंखें खोलता है और देखता है सामने वो बौना आदमी खड़ा था। उस बौने आदमी के हाथ मे एक साधारण सा कांच था। समीर उस बौने आदमी को हैरानी भरी निगाह से देखते हुए पूछता है -
समीर - ये क्या है... इसने अभी अभी मेरी...
बौना आदमी बोला, “जान लेने की कोशिश की.. है ना?”
समीर - हाँ पर इसकी शक्ति से मुझे पत्थर भी..
बौना आदमी आगे बोला, “नहीं बचा पाएगा। क्यूंकि ये पत्थर शापित आत्माओं पर काम नहीं करता।”
समीर - शापित आत्मायें?
बौने आदमी ने कहा, “ उस कंकालों से भरे घर को जला कर जिन गुलामों को तुमने मुक्त किया वो सब शापित थे।”
समीर (हैरानी से) - इसलिए वो मेरे इतने पास आ सकते थे। जबकि साया मुझे नहीं छू सकता।
बौना आदमी बोला, “ये काला साया है। इसकी आत्मा शापित भी है और अमर भी। ये तुम्हें छू भी सकता है और चोट भी पहुंचा सकता है। पर मार नहीं सकता।”
समीर - क्यों नहीं मार सकता?
बौना आदमी बोला, “क्यूंकि भविष्यवाणी के हिसाब से तुम्हें सिर्फ वो मार सकता है या जिंदा रख सकता है जिसकी दुनिया मे अभी तुम नहीं गए।”
समीर - कौन सी दुनिया? कौन वो?
बौना आदमी समीर के जवाब को अनसुना कर उसे वो साधारण सा दिखने वाला कांच देता है और कहता है, “ये शीशा काले साये का सबसे बड़ा दुश्मन है। जब भी ये आस-पास होगा काला साया उस जगह से दूर रहेगा। वो अपनी खुद की परछाई से डरता है।”
समीर - क्या उसे कैद कर पाऊंगा मैं?
बौने आदमी ने जवाब दिया, “कैद तो उसने कर लिया है वो भी अपने ही परिवार को। ये इतना कायर है कि अपने परिवार को नजरबंद कर रखा है उसने। एक दिन ये भी कैद होगा और तुम ही करोगे।”
इतना कहकर वो बौना आदमी वहाँ से चला जाता है और समीर समझ जाता है कि ये काला साया कोई और नहीं करोड़ी लाल ही है जिसने अपने ही परिवार यानी कि डॉक्टर रवि और उनके परिवार को नज़रबंद कर रखा है पर समीर के लिए क्या इतना आसान होगा इस केस को सुलझा पाना? क्या समीर रोक पाएगा इस करोड़ी लाल की आत्मा को या फिर ये काला साया करेगा कुछ और?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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