मैं हूँ चक्रधर। जल्लाद चक्रधर।

दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा...जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा।

अंताक्षरी नहीं खेल रहा आपके साथ। यह तो बस ऐसे ही याद आ गया। इंसान बड़े से बड़ा धोखा सह सकता है, लेकिन यार और प्यार...अगर इनमें से कोई धोखा दे-दे तो बड़े-बड़ों का ज़िन्दगी पर से भरोसा उठ जाता है। अब सोचिए, किसी को ये दोनों धोखे मिल जाएं...वो बेचारा तो ज़िंदा लाश के जैसा हो गया ना।

बहुत रोता था वह जब आया था जेल में। डर की वज़ह से नहीं रोता था। धोखे की वज़ह से रोता था। कई क़ैदियों ने उससे बात करनी चाही, दोस्ती का हाथ बढ़ाया पर उसके लिए तो दोस्ती जैसे एक गाली था...अब मैंने सोचा यार दोस्ती तो नहीं करेगा ये और बिना दोस्ती किए बात नहीं करेगा...फिर क्या किया जाए। तो मैंने एक दिन सोचा कि इसके हाथ में वह रखता हूँ जो शायद किसी ने नहीं रखा होगा। रुमाल। एक रुमाल। हंस रहे हो सुनकर कि रुमाल भी भला कोई रखने की चीज है किसी के हाथ में। बिलकुल है। रुमाल सिर्फ़ कपड़ा नहीं होता, वह दोस्ती का हाथ होता है।वो हाथ जो असली हाथ से कहीं ज़्यादा बढ़कर होता है।

और एक दिन रोते हुए सुनील के हाथ में मैंने रुमाल पकड़ दिया। उसने कुछ देर रुमाल को देखा, फिर मुझे देखा और फिर अपने आंसू पोछ लिए और बैठ गया मेरे पास अपनी ज़िन्दगी के पन्ने खोलने-

विक्की और सुनील बचपन के दोस्त थे। गाँव से शहर आने के बाद उन्होंने एक साथ बिज़नेस शुरू किया और कड़ी मेहनत के बाद उनकी कंपनी सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँच गई। दोनों अपनी-अपनी पत्नियों के साथ एक ही बिल्डिंग में रहते थे, जिससे उनके बीच का जुड़ाव...

और भी मज़बूत हो गया था। यह ऐसा जीवन था जिसमें सब कुछ सही चल रहा था—एक अच्छा बिज़नेस, सुखी परिवार और दोस्तों के साथ एक खुशहाल जिंदगी।

लेकिन यह सब ज़्यादा दिन तक ऐसा नहीं रहने वाला था। रिश्तों की इस सुलझी हुई तस्वीर में एक तूफान आने वाला था।

विक्की की पत्नी राधा एक घरेलू लड़की थी, जो अपने परिवार और घर की देखभाल में लगी रहती थी। वहीं, सुनील की पत्नी नीतू थोड़ी ज़िंदादिल और बिंदास थी। वह पार्टियों में, क्लबों में जाने की शौकीन थी।

कभी-कभार सुनील और विक्की के परिवार साथ मिलकर डिनर करते थे, छुट्टियों पर जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे नीतू और विक्की के बीच एक फीलिंग-सी पैदा होने लगी। यह पहले पहल छोटी-छोटी बातों से शुरू हुआ—कभी नजरें मिलना, कभी एक-दूसरे की तारीफ करना। नीतू को विक्की का शांत और सुलझा हुआ स्वभाव अच्छा लगता था और विक्की को नीतू की बेबाकी भाने लगी थी।

धीरे-धीरे यह फीलिंग एक ऐसे रिश्ते में बदलने लगी, जिसे न तो विक्की और न ही नीतू समझ पा रहे थे। शुरुआत में यह बस एक टाइमपास था, दोनों को लगता था कि समय के साथ ख़त्म हो जाएगा। लेकिन वक़्त ने कुछ और ही तय कर रखा था।

विक्की और नीतू के बीच का यह रिश्ता अब गहरे में उतर चुका था। वे छिप-छिप कर मिलने लगे, बातें करने लगे और अपने इस खतरनाक खेल में खोने लगे। दोनों जानते थे कि वे ग़लत कर रहे हैं, लेकिन इस रिश्ते में जो रोमांच था, उसने उन्हें बाँध लिया था।

सुनील को भी धीरे-धीरे शक होने लगा कि कुछ तो ग़लत हो रहा है। विक्की का व्यवहार बदल रहा था—वह अब पहले जैसा नहीं था। वहीं, राधा भी नीतू की बढ़ती नजदीकियों महसूस कर रही थी। लेकिन दोनों को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि उनके जीवनसाथी इस क़दर एक-दूसरे की ओर खिंचे चले जा रहे हैं।

सुनील ने इस बारे में जब विक्की से बात करने की कोशिश की, तो विक्की उसी पर गुस्सा हो गया और बोला, "अरे यार, नीतू मेरी भाभी है...कैसी बातें कर रहा है तू?"

विक्की और नीतू का अफ़ेयर अब इस हद तक पहुँच चुका था कि उनका छुपना मुश्किल हो गया था। सुनील ने जब विक्की की पत्नी राधा को यह बात बताई, तो सुनते ही राधा की आँखों में आंसू भर आए। राधा ने कांपती हुई आवाज़ में कहा, "मुझे तो यह बात कब से पता है, सुनील। मैं जानती हूँ कि विक्की और नीतू के बीच कुछ चल रहा है।"

यह सुनकर सुनील गुस्से में बोला, "अगर तुम्हें पता था, तो तुमने अब तक कुछ कहा क्यों नहीं?"

राधा ने आँसू पोंछते हुए कहा, "क्योंकि मैं चाहती थी कि मेरा घर बर्बाद न हो। मुझे अपने रिश्ते की परवाह है, सुनील। मैं अपनी शादी के लिए चुप रही।"

सुनील यह सुनकर हैरान हो गया। उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि राधा इतनी तकलीफ़ सह रही थी और फिर भी चुप थी। राधा की हालत देख सुनील का गुस्सा थोड़ी देर के लिए ठंडा हो गया।

सुनील ने राधा को कहा, "अब और चुप रहना सही नहीं है। हमें कुछ करना होगा, वरना ये रिश्ता और भी बर्बाद हो जाएगा। हमें विक्की और नीतू का सामना करना पड़ेगा।"

राधा ने सुनील की बात सुनी, लेकिन वह अब भी बहुत डर और चिंता में थी। वह जानती थी कि अगर यह राज खुला, तो उसके घर की नींव हिल जाएगी।

राधा ने काफ़ी सोच-विचार के बाद यह फ़ैसला कर लिया कि अब उसे इस दुख और छलावे का सामना करना ही पड़ेगा। उसने महसूस किया कि चुप रहने से उसके जीवन में कुछ भी सही नहीं होने वाला। आख़िर कब तक वह अपने मन में दर्द लिए जीती रहेगी?

राधा और सुनील ने तय किया कि वे एक साथ विक्की और नीतू का सामना करेंगे और इस झूठ को बेनकाब करेंगे।

एक दिन राधा ने सुनील और नीतू को डिनर पर बुलाया। डिनर के लिए माहौल बहुत सामान्य-सा रखा गया, ताकि विक्की और नीतू को कोई शक न हो।

जैसे ही डिनर ख़त्म हुआ और चारों लोग आपस में बातचीत कर रहे थे, तभी राधा ने धीरे-धीरे बात शुरू की। उसने कहा, "मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बातें करनी हैं और यह बातें हमारी जिंदगियों को बदल सकती हैं।"

सुनील ने राधा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हम दोनों को तुम्हारे बीच चल रहे अफेयर के बारे में सब कुछ पता चल गया है।" यह सुनते ही विक्की और नीतू के चेहरों का रंग उड़ गया। उनकी आंखों में साफ़-साफ़ डर और हैरानी दिखाई देने लगी।

विक्की ने घबराते हुए कहा, "तुम किस बारे में बात कर रहे हो?" नीतू भी चुप थी, जैसे उसकी ज़ुबान ने उसका साथ छोड़ दिया हो।

राधा ने कहा, "विक्की, मुझे तुम्हारे और नीतू के अफेयर के बारे में पहले से ही पता था, लेकिन मैं चुप रही, क्योंकि मैंने सोचा था कि शायद तुम ख़ुद ही इस रिश्ते से बाहर आ जाओगे। पर अब यह सब बर्दाश्त से बाहर हो गया है।"

नीतू ने सुनील की ओर देखा, उसकी आंखों में शर्मिंदगी और डर था। सुनील ने गुस्से से उसकी ओर देखा और कहा, "नीतू, मैं जानता था कि कुछ ग़लत हो रहा है, लेकिन मैंने तुम्हें मौका दिया था कि तुम ख़ुद इस बारे में मुझसे बात करो। अब हमें कोई सफ़ाई नहीं चाहिए, हमें सिर्फ़ सच चाहिए।"

विक्की और नीतू दोनों चुप थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कैसे निपटा जाए। विक्की ने राधा की ओर देखा और बोला, "मुझे माफ़ कर दो, राधा। मैं जानता हूँ कि मैंने गलती की है, लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ। ये सब बस एक भटकाव था।"

नीतू भी सुनील से माफ़ी मांगने लगी, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये सब इतना बिगड़ जाएगा। मुझे नहीं पता था कि यह इस तरह खुल जाएगा।"

राधा और सुनील दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा, दोनों के चेहरों पर वही दर्द और ठहराव था। राधा ने गहरी सांस ली और कहा, "हमारी ज़िन्दगी अब इस मोड़ पर आ चुकी है कि यहाँ से पीछे जाना संभव नहीं है।"

विक्की और नीतू उस रात बेहद रोए। उन्होंने अपने किए पर गहरा पछतावा किया और अपने-अपने जीवनसाथियों से बार-बार माफ़ी मांगी। उनकी आंखों में शर्मिंदगी और डर साफ़ नज़र आ रहा था।

विक्की ने राधा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "मैं जानता हूँ कि मैंने बहुत बड़ी गलती की है और इस गलती के लिए मुझे ख़ुद पर शर्म आ रही है। अगर तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी, तो मैं इसे पूरी ज़िन्दगी नहीं भूल पाऊंगा। मैं तुमसे सच्चे दिल से माफ़ी मांगता हूँ।"

नीतू भी सुनील से माफ़ी मांगते हुए फूट-फूटकर रोने लगी। उसने कहा, "मैंने तुम्हारे भरोसे के साथ जो किया, उसके लिए मैं ख़ुद को कभी माफ़ नहीं कर सकती। मैं सच में तुम्हें और हमारे परिवार को टूटते हुए नहीं देख सकती। मुझे एक और मौका दो, सुनील।"

राधा और सुनील, दोनों ही गहरी तकलीफ में थे। उन्होंने अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी और समाज में अपनी इज़्ज़त को दांव पर लगे हुए देखा।

राधा ने विक्की से कहा, "मैंने तुम्हें माफ़ किया, लेकिन यह माफ़ी आसान नहीं है। मैं यह सब सिर्फ़ हमारे परिवार के लिए कर रही हूँ। अगर फिर कभी ऐसा हुआ, तो मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी।"

सुनील ने भी नीतू की ओर देखा और कहा, "मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया, नीतू, लेकिन यह हमारी आखिरी उम्मीद है। हमें अपने रिश्ते को दोबारा से बनाना होगा और अगर फिर कभी ऐसा कुछ हुआ, तो हम दोनों के बीच कुछ भी नहीं बचेगा।"

उस रात दोनों जोड़े एक नए सफ़र की शुरुआत करने को तैयार थे, लेकिन अब उनके रिश्तों की नींव पहले जैसी मज़बूत नहीं रही क्योंकि एक बार टूटा हुआ भरोसा फिर से बनाना आसान नहीं होता।

लेकिन इस माफ़ी और वादों के बावजूद, उनके दिलों में कहीं न कहीं एक कड़वाहट और शक की हल्की परछाई हमेशा बनी रही। समाज में इज़्ज़त बनी रहे, परिवार ना टूटे, इसके लिए राधा और सुनील ने अपने जीवनसाथियों को माफ़ कर दिया, लेकिन वह ज़ख़्म जो उनके दिलों पर लगा था, शायद कभी पूरी तरह से भर नहीं पाएगा।

कुछ दिन बाद, सुनील और नीतू ने अपने रिश्ते को फिर से पहले जैसा बनाने की कोशिश में विक्की और राधा को अपने घर डिनर पर बुलाया। यह डिनर दोनों परिवारों के बीच तनाव कम करने और रिश्तों में आई दरार को भरने के मकसद से रखा गया था। सबकुछ सामान्य करने की कोशिश की जा रही थी।

डिनर के बाद सुनील और विक्की बालकनी में बैठकर शराब पीने लगे। दोनों ने ख़ूब बातें कीं—बिज़नेस की, परिवार की और पुरानी यादों की। जैसे-जैसे शराब का असर बढ़ता गया, बातें गंभीर होती चली गईं। दोनों ने ठीक-ठाक पी ली थी और नशे में धुत होकर कभी हंस रहे थे, तो कभी पुरानी बातों को याद कर चुप हो जा रहे थे।

अचानक नशे की हालत में विक्की के मुंह से फिर से नीतू का नाम निकल गया। अगर सिर्फ़ नाम निकला होता तो फिर भी ठीक था, लेकिन नशे में विक्की ने कुछ ऐसा बोल दिया नीतू के बारे में जो सिर्फ़ पति-पत्नी के बीच ही हो सकता था। विक्की ने अपनी ज़ुबान पर काबू नहीं रखा। वह यह समझने की हालत में नहीं था कि उसके कहे शब्द सुनील के दिल पर क्या असर कर रहे थे।

सुनील का गुस्सा एकदम भड़क गया। वह अब तक रिश्ते को संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन विक्की की इस बात ने उसकी सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। नशे में धुत सुनील ने बिना कुछ सोचे-समझे गुस्से में शराब की बोतल उठाई और सीधा विक्की के सिर पर दे मारी।

विक्की के सिर पर बोतल लगते ही खून बहने लगा और वह फ़र्श पर गिर पड़ा। राधा और नीतू दौड़कर वहाँ पहुँचीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विक्की की सांसें थम चुकी थीं।

सुनील को जैसे ही अहसास हुआ कि उसने क्या कर दिया है, वह वहीं हैरान होकर खड़ा रह गया। नशे में की गई एक गलती ने उसकी पूरी ज़िंदगी बदल दी थी। नीतू और राधा रोने लगीं, लेकिन विक्की अब इस दुनिया में नहीं था।

पुलिस को इस हादसे की जानकारी मिलते ही वे तुरंत सुनील के घर पहुँच गईं। वहाँ का दृश्य बहुत ही खतरनाक था—विक्की खून से लथपथ फ़र्श पर पड़ा था और राधा और नीतू रोते-बिलखते हुए उसके पास बैठी थीं। वहीं, सुनील एक कोने में हक्का-बक्का खड़ा था, जैसे उसे अभी भी यक़ीन नहीं हो रहा था कि उसने क्या कर दिया है।

पुलिस ने मौके पर पहुँचकर सबूतों को इकट्ठा किया और सुनील को गिरफ्तार कर लिया।


राधा और नीतू को पुलिस ने शांत करने की कोशिश की, लेकिन उनके लिए यह संभालना बेहद मुश्किल था। विक्की की मौत ने दोनों महिलाओं की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया था। राधा के सामने उसका पति बेमौत मारा गया, और नीतू को अब खुद को इस दोष से कभी भी मुक्त नहीं कर पाना था कि उसकी वजह से सुनील ने ऐसा कदम उठाया।  


पुलिस ने सुनील को थाने ले जाकर हिरासत में रखा, और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। कुछ ही दिनों बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया। इस केस ने काफी चर्चा बटोरी, क्योंकि यह केवल एक मर्डर का मामला नहीं था, बल्कि इसमें धोखे, रिश्तों की टूटन, और इंसानी गुस्से की कहानियां जुड़ी थीं।


कोर्ट में सुनील ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि वह नशे की हालत में था और गुस्से में आकर उसने विक्की के सिर पर बोतल मार दी थी, लेकिन उसकी मंशा विक्की को मारने की नहीं थी। यह बात सुनने के बावजूद कोर्ट ने सुनील की गलती को अनदेखा नहीं किया।  


सुनवाई के बाद जज ने सुनील को दोषी ठहराते हुए कहा, "आपकी एक गलती ने एक मासूम की जान ले ली है, और इसके लिए आपको सज़ा मिलनी ही चाहिए। भले ही यह नशे और गुस्से का नतीजा था। कानून में इसके लिए कोई माफी नहीं हो सकती।"  


आखिरकार, कोर्ट ने सुनील को मौत की सज़ा सुनाई। यह फैसला सुनकर सुनील की आंखों में आंसू आ गए। वह अब भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि उसकी एक गलती ने उसकी और दूसरों की जिंदगियां हमेशा के लिए बर्बाद कर दी थीं।  


और ऐसे सुनील मेरी जेल में पहुँच गया। मैं आराम से बैठकर अब तक उसकी बातें सुन रहा था। मेरा दिया रुमाल पूरी तरह गीला हो चुका था। सफेद रुमाल बहुत जल्दी सफेद कपड़ा बनने वाला था। सुनील की आखिरी इच्छा पूरी हुई। गाँव से उसके माँ-बाप मिलने आए। माँ तो बस मरते-मरते बची थी ग़म के मारे। उसने रोते हुए राधा और नीतू से माफी मांगी। वह तो दोनों का गुनहगार था।  


आखिरकार वो सुबह आ ही गई। वो सुबह जो मेरे लिए आती रहती है, लेकिन किसी के लिए वो बस आखिरी होती है। सुनील को नहलाया गया, तख्ते तक ले जाया गया, सफेद कपड़ा पहनाया गया, जेलर साहब ने घड़ी देखकर इशारा किया और खींच दिया लीवर।  


मरने वाले का नाम - सुनील  
उम्र - 35 साल  
मरने का समय - सुबह 5 बजकर 22 मिनट  


सुनील की सज़ा के साथ ही यह कहानी दर्द और पछतावे के काले अध्याय में बदल गई, जहां हर कोई अपनी ही गलतियों और उनके नतीजों का सामना कर रहा था। नीतू, जिसने सुनील की इस हरकत का कारण खुद को माना, पूरी तरह टूट चुकी थी। राधा ने भी अपना जीवनसाथी खो दिया था, और अब उसे एक नई जिंदगी की शुरुआत करनी थी।  
पता नहीं क्यों हमें चूल मचती है अच्छा खासा शादीशुदा जीवन होते हुए, बाहर मुँह मारने की।  
असल में आप सभी ने जिंदगी को एक करोड़ जीतने वाला गेम समझ रखा है। आपको विकल्प चाहिए। फिर आपको जो सही लगेगा, आप चुनेंगे वो विकल्प। यह टीवी नहीं है भाई, जिंदगी है। यहाँ एक करोड़ नहीं मिलेगा, जिंदगी ही ज़ीरो बन जाएगी।  


अभी आज्ञा दीजिए। मिलूँगा फिर एक और अपराधी की कहानी के साथ अगले एपिसोड में.
 

Continue to next

No reviews available for this chapter.