एसएचओ के इंतज़ार में बैठे रोहन पर मानो एक-एक सेकंड भारी पड़ रहा था। पुलिस स्टेशन में एसएचओ ने रोहन के लिए कैसे सवाल तैयार किए होंगे, वो रोहन को कहां मालूम था? उसे ऐसा लग रहा था मानो वो बिना तयारी के स्कूल का इग्ज़ैम देने जा रहा हो। पुलिस थाने का माहौल किसी को भी परेशान कर सकता है - दौड़ भाग करते हुए कांस्टेबल, इधर उधर पास होती फाइलें, लगातार बजते फ़ोन और चोर-उचक्कों का लॉक-अप में आना-जाना। रोहन तो वहां से भाग जाना चाहता था, पर उसके कदम उसे एसएचओ के ऑफिस की तरफ़ लिए जा रहे थे। उसकी धड़कने तेज़ हो रही थीं और माथे पर पसीना आने लगा… ख़ुद को कंट्रोल करके रोहन धीरे-धीरे एसएचओ के कैबिन की तरफ़ बढने लगा था। उसने फ़टाफ़ट माथे का पसीना पोंछ लिया , ताकि एसएचओ को शक न हो कि वो टेंशन में है। रोहन ने अपने आप को हिम्मत दिलाने की कोशिश की
रोहन : शांत रह रोहन! स्टे कूल..
चंद मिनटों में रोहन एसएचओ के ऑफिस के सामने वो खड़ा था…उसने दरवाज़ा खोलते हुए पुछा…
रोहन - मैं अंदर आ सकता हूँ?
एसएचओ ने रोहन की आवाज़ सुनकर उनसुनी कर दी थी। वो शायद वो किसी फ़ाइल में उलझा हुआ था और ज़ाहिर है,वो कोई इम्पॉर्टन्ट फ़ाइल थी। एसएचओ ने फ़ाइल से नजरें उठा कर रोहन की तरफ़ देखते हुए कहा..
एसएचओ - हाँ बताओ क्या काम है???
रोहन - आपने मिलने के लिए बुलाया था…मेरा नाम रोहन है…
एसएचओ - मैंने बुलाया था? मैं तभी किसी को बुलाता हूँ जब मुझे कोई ग़ैर-क़ानूनी मामला नज़र आता है। हम्म... आओ अंदर।
एसएचओ कर्मवीर का एक स्टाइल तो है जो उसके बात करने के अंदाज़ से समझ में आता है। रोहन ये समझ गया था कि एसएचओ काफ़ी मंझा हुआ खिलाड़ी है। वैसे तो रोहन भी पूरी तैयारी के साथ आया था लेकिन पुलिस स्टेशन का माहौल ही कुछ ऐसा होता है कि सारी की सारी तैयारी धरी की धरी रह जाती है। रोहन को यह समझ में आ रहा था कि शायद यह मुलाक़ात उसके लिए कोई मुसीबत खड़ी ज़रूर कर देगी।
रोहन टेबल के सामने आकर खड़ा हो गया। एसएचओ कर्मवीर अभी भी रोहन की तरफ़ नहीं देख रहा था… उसकी नज़र उस फ़ाइल पर ही टिकी थी।
एसएचओ - हां तो क्या नाम बताया तुमने???
रोहन - रोहन
एसएचओ - रोहन अच्छा नाम है… किसने रखा था यह नाम???
रोहन - मैं समझा नहीं सर…
एसएचओ - अरे भाई तुम तो अभी से घबरा गए… अभी तो मैंने कुछ पूछा भी नहीं…
रोहन - मुझे नहीं पता मेरा नाम किसने रखा..
एसएचओ - घबराओ मत! बस ऐसे ही पूछ रहा हूं… पुलिस वाले की आदत होती है, हर बात जानने की… वैसे ही मुझसे किसी ने पूछा था, कोई अच्छा नाम हो तो बताना…तुम्हारा नाम मुझे अच्छा लगा, इसलिए पूछ लिया…डॉन्ट वरी… एक बात बताओ.. बहार जो गाड़ी खड़ी है वो तुम्हारी है…
रोहन - हां, मेरी कार है.. कोई प्रॉब्लेम?
एसएचओ- नहीं कोई प्रॉब्लेम नहीं है, इतनी महंगी कार है.. तुम्हारे फादर ने दी होगी… भाई आज के इस महंगाई में मैं तो अपने बेटे को बाइक भी खरीदकर नहीं दे सकता… एक तुम्हारे फादर हैं.. इतनी महंगी कार लेके दे दी…. क्या बात है!
इतने सालों के बाद रोहन के सामने उसके पापा का ज़िक्र हुआ और वो भी पुलिस स्टेशन में… इसे किस्मत समझ लीजिए या होनी, जिससे वो सारी ज़िंदगी नफ़रत करता रहा.. उसकी तारीफ़ एक एसएचओ कर रहा था.. वो भी बिना मतलब के… अपने पापा से नफ़रत करने की रोहन के पास कई वजह थी। ख़ैर इस वक्त एसएचओ के सवालों का सामना कर रहा था बेचारा रोहन… ठीक वैसे ही जैसे कभी वो अपने पापा के सवालों का सामना करता… तभी एसएचओ ने कहा…
एसएचओ - हां जी तुम तो खो ही गए…मैं इतनी अच्छी बातें करता हूँ क्या ? तुम्हें तो पुलिस स्टेशन में सब से मिलवाना पड़ेगा… जानते हो क्यूं… सब को लगता है, मैं बहुत खड़ूस हूं… कोई मुझे पसंद नहीं करता…लेकिन तुम्हें मेरी बातें पसंद है, अच्छा ये बताओ तुम्हारे पापा कहां हैं??
इस सवाल के बारे में रोहन सोचकर नहीं आया था… रोहन की ज़िंदगी में उसके पापा एक नाम मात्र थे क्यूंकि उसे अपने पापा का साथ मिला ही कहां था? अपने पापा से दूर रहना उसकी क़िस्मत ने तय किया था और किस्मत के लिए हुए फ़ैसले पर सवाल उठाना कहां आसान होता है।
रोहन - आपने मुझसे यह पूछने के लिए बुलाया है, मेरे पापा कहां हैं…
एसएचओ - नहीं सवाल यह नहीं है… मैं तो बस उस ग्रेट इंसान से मिलना चाहता हूं, जिसका बेटा इतना होनहार है कि लोग उसे तोहफ़े में इतनी महंगी चीज़े देते हैं
रोहन - मैं समझा नहीं, आप क्या पूछना चाहते हैं??
अब एसएचओ ने अपनी फाइल टेबल पर रख दी और चेयर को पिछे करते हुए खड़ा हो गया…
एसएचओ - अब पूछता हूं वो सवाल जिसकी तैयारी तो तुम करके आए होगे… अब ये बताओ तुम जैसे नौजवान से पवन चौहान का वास्ता कैसे पड़ा… मेरा मतलब तुम पवन चौहान को कैसे जानते हो?
रोहन - ठीक से तो याद नहीं, लेकिन किसी पार्टी में उनसे मिला था…
एसएचओ - पार्टी में मिले थे??? किसकी पार्टी??? और वो पार्टी कहां हो रही थी???
रोहन - देखिए सर.. हर रोज़ किसी न किसी पार्टी में जाता हूं… हर एक पार्टी को याद रखना कि किसकी पार्टी थी और किस-किस से मिले, यह मेरे लिए बहुत मुश्किल है…
एसएचओ - चलो तुम्हारे लिए सवाल आसान कर देता हूं… मुझे यह बताओ.. पवन चौहान ने रूपगढ़ की करोड़ों की प्रॉपर्टी तुम्हें गिफ्ट में क्यूं दे दी… इतनी मेहरबानी क्यूं मिस्टर रोहन….
एसएचओ के इस सवाल का जवाब देने के लिए रोहन थोड़ी देर चुप हो गया… उसकी चुप्पी उसे गहरी मुसीबत में फंसा सकती थी… तभी एसएचओ ने उसे फिर आवाज़ दी…
एसएचओ - बड़े अजीब आदमी हो भाई… हर बात पर कहीं खो जाते हो… जब तुम पुलिस स्टेशन आ रहे थे तुम्हें मालूम होना चाहिए, हम पुलिस वाले अपना होमवर्क सही ढंग से करके आते हैं। ख़ैर तुम्हें यह भी याद नहीं, तो कोई आसान सा सवाल पूछूं….
रोहन - ऐसा नहीं है सर.. मैं आपको इस सवाल का जवाब दे सकता हूं, लेकिन पवन सर की दी हुई कसम याद आ गई…
एसएचओ - कौन सी कसम जेंटलमैन …
रोहन - पवन सर इस प्रॉपर्टी को लेकर बहुत परेशान थे… उनके भाइयों की नज़र थी इस प्रॉपर्टी पर… उनका विश्वास मुझपर था… घर में विवाद को ख़त्म करने के लिए, एक दिन वो मेरे पास आए और कहा.. जब तक वो न कहे उनकी प्रॉपर्टी को गिफ्ट समझकर रखूं…जब वक्त आएगा तो मुझसे प्रॉपर्टी वापस ले लेंगे…
एसएचओ - वाह! क्या स्टोरी सुनाई है… अब तो पूरा यक़ीन हो गया, तुम बिल्कुल सच कह रहे हो…
रोहन - इस शहर में सब को पता है रूपगढ़ की प्रॉपर्टी मुझे पवन सर से गिफ्ट में मिली है। उसके कुछ ही दिनों बाद उनके घर में उस ज़मीन को लेकर विवाद ख़त्म हो गया था। हां इतना जरूर है कि उनके भाइयों ने कुछ दिनों तक मुझे तंग किया और धमकी भी देते रहे….
एसएचओ - चलो मान लेते हैं, पवन चौहान ने तुम्हें प्रॉपर्टी गिफ्ट में दे दी… फिर तुमने उसे वापस क्यूं नहीं किया….
रोहन - मैं वापस करना चाहता था… इन फैक्ट कई बार मैंने पवन सर से कहा भी कि वो वापस ले लें अपनी प्रॉपर्टी लेकिन वो नहीं माने… कहा- जब वक्त आएगा तो वापस ले लेंगे…
एसएचओ - कुछ तो बात होगी तुममें, जो पवन चौहान तुम पर इतना महरबान था… क्यूं यही सच है ना…
रोहन - बिल्कुल सर, यही सच है…
एसएचओ - चलो मान लेता हूं जो तुम कह रहे हो वही सच है…. फिर पवन चौहान की मौत के बाद उनकी प्रॉपर्टी उनके घरवालों को वापस क्यूं नहीं की??
रोहन - पवन सर की मौत हो चुकी है, यह मैं नहीं जानता था… इन फैक्ट , आज ही मुझे पता चला वो इस दुनिया में नहीं रहे… मुझे उनकी मौत का बहुत दुःख है लेकिन जो सवाल आप मुझसे पूछ रहे हैं, उसका सच और सीधा जवाब मैं आपको दे चुका हूं…. उनके घरवाले जब भी कहेंगे उनकी प्रॉपर्टी वापस कर दूंगा…
एसएचओ - ठीक है, तुम जा सकते हो अभी लेकिन तुम जानते ही हो, कोई और सवाल सामने आया.. तो वापस पुलिस स्टेशन आना होगा… तुम दुआ करो कि एसएचओ कर्मवीर सिंह से तुम्हारा दुबारा सामना न हो…
रोहन ने एसएचओ को जो भी कुछ बताया, उसमें कितना सच और कितना झूठ था ये सिर्फ़ रोहन को ही मालूम था। पवन चौहान जो अब इस दुनिया में नहीं थे उनकी करोड़ों की प्रॉपर्टी रोहन के नाम थी! ये सवाल रोहन को शक के दायरे में ला रहा था।
आखिर क्या था इस प्रॉपर्टी का राज़ ?
क्यों दी पवन चौहान ने इतनी महंगी प्रॉपर्टी रोहन को ?
क्या पवन चौहान की हत्या में रोहन का हाथ था?
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