​​कभी-कभी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन उसका खुद का मन और उसमें पैदा हुआ शक होता है। महाभारत में शक और धोखे ने ही पूरे कुरुक्षेत्र के युद्ध को जन्म दिया था। वैसे ही यहाँ लाइब्रेरी एक मायावी कुरुक्षेत्र बन गई है। शायद आपको अभी न समझ आए, लेकिन लाइब्रेरी को डराने के अलावा और भी चीज़ों में दिलचस्पी है। ये धीरे-धीरे इन लोगों के लिए इस दुनिया में रहना इतना मुश्किल कर रही है कि ये आपस में एक-दूसरे की मदद भी नहीं कर पाएंगे, और करेंगे भी कैसे? जो इनके साथ अब होने वाला है, उसे देखकर शायद एक-दूसरे की मदद कभी नहीं करेंगे।​

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चारों इस वक़्त लाइब्रेरी के अलग-अलग रास्तों पर अपनी 'destiny' को बदलने के तरीके ढूंढ रहे हैं। लाइब्रेरियन का इस वक़्त आस-पास कोई भी नामो-निशान नहीं है, पर ऐसा कैसे हो सकता है कि वो इनको देख ही नहीं रही हो? कहीं न कहीं तो वो छुपी बैठी है, किसी अंधेरे कोने में, ऐसी जगह से जहाँ से आप निकल भी जाएं, तो भी उसका साया आपको महसूस होता रहे और वो साया लगातार आप पर नज़र रखे हुए है।​

​​अनिशा खुद को एक छोटी छत वाले कमरे में पाती है। वो ऊपर की ओर देखती है तो वहां उसे केवल मिट्टी के जाले और मुरझाए हुए पेड़ दिखाई देते हैं। चारों ओर फटी हुई किताबों के ढेर पड़े हैं लेकिन इन किताबों के ढेर में उसे एक हल्की सी चमक दिखाई देती है। धीरे-धीरे वह उस रोशनी के पास जाती है। वह नीचे झुककर ढेर को हटाने की कोशिश करती है। बड़ी मुश्किल से वो फटी हुई किताबें और उनके कवर, जो बुरी तरह से उथल-पुथल हो चुके हैं, साइड करती है और उसे सबसे नीचे एक चमकीली किताब मिलती है।​

​​अनीशा (खुद से): “ये तो वही किताब है, बक्से वाली... हम तो इसे वहीं रखकर आए थे। ये यहां कैसे आई?”​

​​वो ऊपर उठकर चारों ओर देखती है, लेकिन उसे दूर-दूर तक कोई नहीं दिखाई देता। घबराहट में, वह दीवारों की ओर दौड़ते हुए बाहर जाने का रास्ता ढूंढ़ती है, लेकिन उसे यह भी याद नहीं आता कि वह किस तरफ़ से अंदर आई थी। वह हड़बड़ी में इधर-उधर भागते हुए रास्ते की तलाश करती है, तभी उसे अंश की आवाज़ सुनाई देती है।​

​​अंश (विनम्रता से): “तुम यहाँ हो? हम सब तुम्हें हर जगह ढूंढ रहे थे। चलो, मेरे साथ।”​

​​अनीशा उसके पीछे-पीछे चलने लगती है। अंश उसे एक बड़े, घने अंधेरे कमरे में ले जा रहा है। वह चलते-चलते अचानक रुक जाता है। अनीशा उसकी तरफ कन्फ़्यूज़न से देखती है, जैसे उसे समझ न आया हो कि वह अचानक क्यों रुका है।​

​​अनीशा: “चलो, आगे! बाकी दोनों कहाँ हैं?”​

​​अंश मुड़ता है और उसकी तरफ देखता है। अनीशा को अब एक अजीब सी बेचैनी होने लगती है। उसे ऐसा लगने लगता है कि अंश उससे कुछ छिपा रहा है। वह घबराते हुए अंश से पूछती है।​

​​अनिशा: "यह किताब जो हमें बक्से में मिली थी, यह तुम इधर लाए हो न?"​

​​अंश हँसते हुए सिर हिलाता है। अनीशा अब और बेचैन हो जाती है, उसे समझ नहीं आता कि इसमें हंसने वाली बात क्या है? यहाँ जब सब अपने अतीत से लड़ रहे हैं, तो अंश इतना खुश कैसे हो सकता है?​

​​अंश धीरे-धीरे अनीशा के करीब आने की कोशिश करता है, जैसे वह किसी साज़िश का हिस्सा हो और उसे पूरा करने की कोशिश कर रहा हो।​

​​अनीशा (घबराते हुए): "अंश? अंश? क्या हुआ? कुछ बोलोगे? कुछ कहा है किसी ने?"​

​​अंश: "मुझे कहा गया है कि यहां से सिर्फ कोई एक बच के निकल सकता है, तो अगर मैं तुम्हें..."​

​​वहीं, लाइब्रेरी के एक दूसरे कोने में सक्षम हैं। लाइब्रेरी का यह हिस्सा बिल्कुल खाली है, ऐसा खालीपन, जहाँ एक तिनका भी नहीं दिख रहा। आगे जाते हुए उसे एक छोटी सी सुरंग दिखाई देती है। अंधेरे की वजह से उस सुरंग की छत और ज़मीन देख पाना मुश्किल है। उस सुरंग के एक कोने से एक रोशनी सी आती दिखती है। सक्षम उतावला हो जाता है।​

​​सक्षम (खुद से): "यह यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता हो सकता है। शायद मैं यहाँ से बाहर निकल पाऊं।"​

​​वह सुरंग के अंदर घुसता है, और उसका माथा सीधा सुरंग की छत से टकरा जाता है। वह अपने माथे की चोट को मलते हुए आगे बढ़ता है, इस वक़्त उसे न तो किसी चोट से फर्क पड़ रहा है, और न ही अपने अतीत से। वह बस खुद को यहां से बाहर निकालना चाहता है।​

​​जैसे ही वह रौशनी के पास पहुंचता है, उसे महसूस होता है कि यह कोई बाहर निकलने का रास्ता नहीं, बल्कि एक चमकती हुई किताब है।​

​​सक्षम: "यह तो वही किताब है, जो हमने बक्से से निकाली थी, ये यहां इस जगह? जरूर लाइब्रेरियन ने छुपाई होगी। मुझे लगा यह रास्ता है।"​

​​सक्षम इतना हताश हो जाता है कि जैसे उसके पैरों में से जान चली गई हो। वह जहाँ खड़ा था, वहीं थक कर बैठ जाता है।​

​​तभी एक आवाज उसके कानों में पड़ती है, ​​"भागो… राघव तुम्हारा दुश्मन है… सावधान रहो..."​

​​सक्षम (डरते हुए): "यह आवाजें? क्या बोल रही हैं? कौन मेरा दुश्मन है?"​

​​सक्षम अब खड़े होने की कोशिश करता है और वापस जाने लगता है। तभी उसे दरवाजा जोर से बंद होने की आवाज आती है। वह सुरंग से बाहर की तरफ झांकता है तभी उसे अपने पीछे किसी का साया महसूस होता है।​

​​धीरे-धीरे वह पलटता है, उसकी आंखें डर से फटी की फटी रह जाती हैं। उसके सामने राघव खड़ा है, उसकी आँखों में अजीब सा गुस्सा है। राघव की शख्सियत अचानक बदल चुकी लगती है। उसकी नजरें सक्षम पर टिकी हुई हैं, जैसे वह कुछ भयानक करने वाला हो।​

​​सक्षम तुरंत समझ नहीं पाता कि यह क्या हो रहा है। राघव की सांसें तेज़ हो चुकी हैं और उसकी मुट्ठियां कसकर बंद हैं। वह धीरे-धीरे सक्षम की ओर बढ़ने लगता है।​

​​सक्षम को लगने लगता है कि कुछ गलत है।​

​​सक्षम (खुद से): "राघव... यह ये यहाँ? यह मेरी तरफ़ क्यूँ बढ़ रहा है? वह मुझे क्यों मारना चाहता है?"​

​​उसे विश्वास हो जाता है कि राघव ने उसके खिलाफ कोई साजिश रची है। उसकी आँखों के सामने धुंधले दृश्य उभरने लगते हैं, जैसे राघव पहले से ही उसकी पीठ पीछे कुछ प्लान कर रहा था।​

​​राघव: "मुझे लाइब्रेरियन की बात सुननी ही होगी। उसने मुझसे कहा है कि यहां से सिर्फ एक इंसान ही ज़िंदा बचेगा। इसीलिए मैं तुम सबको ख़त्म कर दूंगा।"​

​​राघव और करीब आ रहा है। सक्षम तेज़ी से पीछे हटने की कोशिश करता है, लेकिन उसके कदम भारी हो चुके हैं, जैसे लाइब्रेरी की ज़मीन ने उसे पकड़ लिया हो।​

​​सक्षम की नजरें अब राघव के चेहरे पर टिक गई हैं। वह समझ चुका है कि राघव उसका दुश्मन है और वह उसे ख़त्म कर देगा।​

​​सक्षम (खुद से बुदबुदाते हुए): "यह... यह मुझे मारने वाला है। मुझे बचना होगा!"​

​​वहीं, अंश के आखिरी शब्द सुनकर अनीशा का दिल धड़कने लगता है। अंश का चेहरा अब वैसा नहीं लग रहा जैसा पहले था—उसकी आँखों में अजीब सी चमक है। यह वो अंश नहीं था जिसे अनीशा कुछ देर पहले तक जानती थी, और जिसे करोड़ों लोग भी जानते थे। ये कोई और ही है। ​

​​अंश (धीरे से,): "अगर मैं तुम्हें ख़त्म कर दूं, तो मैं बच सकता हूँ अनीशा।"​

​​अनिशा का शरीर सुन्न पड़ जाता है। उसकी साँसें तेज़ हो जाती हैं। उसकी आँखों में डर और आक्रोश की लहरें उठने लगती हैं। वह कुछ कदम पीछे हटती है, उसकी आँखें अब अंश पर जमी हुई हैं, जैसे कोई अजनबी उसके सामने खड़ा हो।​

​​अनीशा (घबराते हुए): "तुम...तुम ऐसा कैसे कह सकते हो? हम सब एक ही रास्ते पर हैं, एक-दूसरे का साथ देना चाहिए हमें, तभी हम यहाँ से बाहर निकल पाएंगे अंश!"​

​​अंश की मुस्कान और गहरी हो जाती है, जैसे वह अनिशा की घबराहट का मज़ा ले रहा हो।​

​​अंश (धीरे-धीरे, ठंडे स्वर में): "कभी-कभी, हमें खुद को बचाने के लिए दूसरों को कुर्बान करना पड़ता है अनीशा। यही तो लाइब्रेरी हमें सिखा रही है, है ना?"​

​​अनीशा ​​के मन में अब शक और डर पूरी तरह से घर कर चुका है। वह पीछे हटती है, और उसकी नज़र एक पल के लिए उस चमकती किताब पर पड़ती है जिसे उसने फटे पन्नों के बीच देखा था। वह समझ नहीं पा रही है कि यह सब हो क्या रहा है। क्या यह असलियत है, या लाइब्रेरी ने उसके दिमाग से कोई खेल खेला है?​

​​अंश धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ता है, उसका हाथ अपनी जेब की ओर जाता है, जैसे कुछ निकालने की तैयारी कर रहा हो। अनीशा के पैर उसे वहाँ से भागने के लिए कह रहे हैं, लेकिन उसका शरीर जैसे जम सा गया हो। ​

​​अंश के कदम अब अनीशा के और करीब आ चुके हैं। अनीशा अचानक घबराकर पीछे की ओर देखती है, लेकिन उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं देता। वह एक जाल में फंस चुकी है—अंधेरे कमरे में, उसके पीछे कोई रास्ता नहीं, और सामने अंश, जो शायद अब एक हैवान बन चुका है।​

​​दूसरी तरफ़, सक्षम पूरी तरह से डरा हुआ है। उसके सामने खड़ा राघव, जो पहले उसका दोस्त बन चुका था, अब शायद उसकी जान लेने पर उतर आया है।​

​​राघव की आँखों में आग जल रही है, और उसका चेहरा अंधेरे में चमकती एक भयानक छाया जैसा लग रहा है। सक्षम का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा है कि वह अपनी ही धड़कनों को सुन सकता है।​

​​सक्षम घबराकर एक कदम पीछे हटता है, लेकिन उसके पैर लड़खड़ा जाते हैं। वह तेज़ी से भागने की कोशिश करता है, लेकिन सुरंग की संकरी दीवारें उसे रोकने लगती हैं। उसकी सांसें बेकाबू हो चुकी हैं, और हर कदम उसे भारी लगने लगता है।​

​​राघव (तेजी से और गुस्से में): "तुम कहीं नहीं जा सकते, सक्षम! यहां से सिर्फ एक बाहर निकलेगा, और वो मैं हूँ!"​

​​सक्षम घबराकर राघव से दूर भागने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी टांगें कांप रही हैं। अचानक, सक्षम की टक्कर दीवार से हो जाती है, और वह गिर जाता है। उसकी सांसें रुक-रुक कर आ रही हैं, वह चारों ओर देखता है, लेकिन उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं देता।​

​​राघव अब उसके ठीक पीछे खड़ा है। उसकी सांसें सक्षम के कानों में गूंज रही हैं।​

​​सक्षम (गहरे डर में): "नहीं! मैं मरना नहीं चाहता! तुम ऐसा नहीं कर सकते!"​

​​क्या सक्षम और अनीशा खुद को राघव और अंश के इस हैवानियत भरे रूप से बचा पाएंगे? 
या सच में इनका खेल यहीं ख़त्म हो जाएगा? ​

​​आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

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