रितिका और सौरभ की बढ़ती नज़दीकियाँ, दोनों के बीच प्यार का एहसास जगा रही थीं। पहले क्लब, फिर होटल, फिर कैफे और अब आर्ट गैलरी। सौरभ हर मुलाकात में एक नई कहानी बुनता और रितिका उसके झूठ को सच मानकर अपने दिल में उसकी जगह और बढ़ाती जाती।
एक अच्छी शाम सौरभ के साथ बिताने के बाद, जब रितिका घर जाती है, तो उसे एक अलग ही खुशी का एहसास होता है।
वहीं, जैसे ही सौरभ ने रितिका को ड्रॉप किया, उसका मोबाइल बजा। नाम देखकर उसने गुस्से में स्टीयरिंग व्हील पर जोर से हाथ मारा। हमेशा की तरह, इस बार भी सौरभ ने फोन कॉल को अवॉइड कर दिया। रिंगटोन की आवाज़ दबाने के लिए उसने कार में म्यूज़िक का वॉल्यूम बढ़ा दिया।
सौरभ जब भी अकेले ड्राइव करता है, उसके ख्याल उसे बचपन की यादों में ले जाते हैं।
आज की आर्ट गैलरी विजिट ने सौरभ को गर्मियों की छुट्टियों वाले दिन याद दिला दिए। वह अपने छोटे से घर की दीवारों पर पेंटिंग बनाता था।
कभी वह और श्रुति, “ठाकुमाँ" के साथ पूजा की मालाएँ गूंथते, तो कभी अपने दोस्तों के साथ घर के पास वाले बगीचे में खेलते।
लौटते समय, जब भी “ठाकुर्दा" उसे मिलते, वह उनके साथ कचौरी खाने चला जाता।
सौरभ का बचपन बाकी बच्चों की तरह ही साधारण था। परिवार के प्यार-दुलार और पुचकार ने उसे एक बेहतर इंसान बनने की नींव दी थी।
इससे पहले कि वह अपने बचपन की यादों में और खो पाता, मुंबई के ट्रैफिक ने उसका ध्यान तोड़ दिया। सिग्नल पर रुकी गाड़ियों के साथ उसकी गाड़ी भी थम गई।
सौरभ ने सिर्फ लड़कियों के ही सामने नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने अपनी झूठी शोहरत और नकली इमेज का नकाब पहन रखा था। यह नकाब वह कभी नहीं हटाना चाहता था। उसकी सोच साफ़ थी—दुनिया को वही दिखाओ, जो वे देखना चाहते हैं।
पूरे दिन "अच्छे इंसान" होने का ढोंग करने के बाद, सौरभ अपने फ्लैट में लौटा।
घर पहुँचते ही, उसे रितिका का कॉल आया। और फिर, उसे अपने झूठे किरदार में लौटना पड़ा।
RITIKA: "तुम सही से घर पहुँच गए न?"
SAURABH: "हाँ, बस तुम्हें ही कॉल करने वाला था। तुम क्या कर रही हो?"
RITIKA: "आज का दिन इतना अच्छा प्लान करने के लिए थैंक यू। आई लव्ड इट। ऐसा दिन बिताए मुझे बहुत टाइम हो गया था। मैं काम में भूल ही गई थी कि मुझे आर्ट को घंटों घंटों देखना कितना पसंद है।"
SAURABH:"यू डिज़र्व इट! मुझे पता होता कि तुम्हें हिस्ट्री और आर्ट्स इतना पसंद है, तो पहले ही वहाँ ले जाता। नॉव आई नो तो आई विल बी थॉटफुल अबाउट इट।"
RITIKA: "हाँ! हम नेक्स्ट टाइम के लिए कुछ ऐसा प्लान कर सकते हैं। अभी तुम भी रेस्ट करो, मैं भी डिनर करके सोने जा रही हूँ।"
SAURABH: "तुम कुछ भूल रही हो?"
RITIKA: "मैंने अपनी वॉटर बॉटल फिर से कार में छोड़ दी क्या? या कुछ और?"
SAURABH: “नहीं पागली! तुम अपनी फीलिंग्स भूल रही हो। अपने दिल की सुनना शुरू करो, ऋतु।”
सौरभ से अपना पेट नेम सुनते ही, रितिका के दिल में प्यार की दस्तक का एहसास हुआ। होता भी क्यों नहीं, इट्स अ साइकोलॉजिकल ट्रिक - लड़की को पेट नेम दे दो, वो दिन में सपने देखने लग जाएगी। ऐसे कई पेट नेम सौरभ कई लड़कियों को दे चुका था।
रितिका के मन में एक बार आया कि वह सौरभ को बता दे कि वह उसे पसंद करने लगी है, लेकिन फिर कुछ सोचकर, उसने खुद को रोक लिया। इस बार, वह प्यार में धोखा बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
रात को अपने कमरे में बैठकर, रितिका सोशल मीडिया स्क्रॉल कर रही थी, तभी उसे ख्याल आया कि उसे सौरभ का सोशल मीडिया हैंडल तक पता नहीं है।
वह सौरभ को कॉल करना चाहती थी, लेकिन ओवरएक्साइटेड लगने के डर से उसने खुद को रोक लिया।
लड़किया डेट पर जाने से पहले से लेकर डेट से आने के बाद तक की एक एक चीज़ अपनी बेस्ट फ्रेंड को जरूर बताती है, अपनी लाइव लोकैशन डेट पर जाने के पहले व्हाट्स एप करना, लड़के का नंबर शेयर करना ये सब सिस्टर कोड्स है, फिर रितिका इससे पीछे कैसे रहती?
रितिका ने अपने दिल की बात अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानसी को बताने का फैसला किया।
मानसी, उसकी हाई स्कूल की दोस्त थी। वह हर अच्छे-बुरे लम्हों में उसके साथ रही थी।
उसने आधी रात को मानसी को कॉल किया, जो की बेस्ट फ्रेंड्स के बीच आम है। इसके बाद रितिका ने सौरभ की तारीफ़ों के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए, एक “परफेक्ट लड़के” की इमेज बना दी मानसी के सामने उसकी। मानसी को शक हुआ। वह सोचने लगी, "इतना परफेक्ट कोई कैसे हो सकता है?" उसका ये शक जायज़ भी था
क्योंकि प्यार में पड़ी प्रेमी या प्रेमिका आंधी होती है, दुनिया की आँखें सब देख भी रही होती है और समझ भी रही होती है।
रितिका की आवाज़ में खुशी को सुनकर, मानसी ने उसके मन के सवालों को इग्नोर करना ही ठीक समझा।
इन दिनों, सौरभ और रितिका की नज़दीकियाँ बढ़ रही थीं। दोनों अक्सर अपने बिजी शेड्यूल से समय निकालकर मिलते।
जब वक्त नहीं मिलता, तो दोनों लैपटॉप लेकर कैफ़े में बैठते।
रितिका जहाँ अपने लैपटॉप पर फाइनेंस रिपोर्ट्स तैयार कर रही होती, वहीं सौरभ अपने जाल को और कसने की प्लानिंग कर रहा होता।
एक दिन, सौरभ ने रितिका को लंच के लिए लोअर परेल के "प्रथम फूड हॉल" में बुलाया।
अगले दिन, रितिका वहाँ पहुँची। सौरभ पहले से मौजूद था और अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था।
RITIKA: "क्या हुआ? परेशान लग रहे हो। सब ठीक है?"
SAURABH: "हाँ, एक आइडिया है दिमाग में। उसी पर प्रेजेंटेशन बना रहा हूँ।"
RITIKA: "अगर मैं मदद कर सकती हूँ, तो बताओ।"
SAURABH: "हाँ मुझे एक्सपर्ट गाइडन्स तो चाहिए! अब ध्यान से सुनो। पूरी दुनिया में औरतों के मेंटल ट्रॉमा पर बात करना इज़ ईज़ी, लेकिन मर्दों के ट्रॉमा पर न ही कोई बात करता है और न ही उन्हें कभी कोई नहीं समझता हैं।"
इसलिए, मैं मर्दों के लिए एक मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू करना चाहता हूँ। इसमें ट्रॉमा हीलिंग टेक्निक्स और साइकॉलजिस्ट की मदद से उनके लिए एक सपोर्ट सिस्टम बनाया जाएगा, जो 24x7 उनकी हेल्प के लिए रेडी रहेगा।"
RITIKA: "अमैज़िंग आइडिया, पर ये प्रोग्राम तुम कहाँ कंडक्ट करोगे?"
SAURABH: "मुंबई के हर छोटे-बड़े स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, सोसाइटीज़, और हॉस्पिटल्स में। हर पॉसिबल जगह। स्कूल्स में खास तौर से इसलिए कि नरचरिंग एज से ही पता चल जाए की ट्रॉमा या किसी के ईमोशनल ट्रिगर पॉइंट्स क्या हो सकते है? ताकि बच्चे कोई बैगेज लेकर लाइफ में गलत कदम न उठाए।"
RITIKA: "इन्टरिस्टिंग, फिर तुम्हें किसने रोक रखा है?"
SAURABH: "फंड्स ने!"
RITIKA: "कितने फंड्स चाहिए?"
SAURABH: "फर्स्ट फेज़ के लिए 25 लाख।"
RITIKA: "ये तो बहुत ज़्यादा हैं। तुमने इसके लिए किसी गवर्नमेंट एंटिटी से बात की?"
SAURABH: "जानती तो हो, सरकारी काम कछुए की तरह होता है। फाइल धीरे-धीरे सरकती है। फाइल पर वजन भी रखना पड़ता है, नहीं रखो तो पता ही है तुम्हें की क्या होता है।"
RITIKA: "मेरे पास कुछ इन्वेस्टर्स हैं, जो अपनी ब्लैक मनी को वाइट में कन्वर्ट करना चाहते हैं।"
SAURABH: "आइडिया बुरा नहीं है, पर ऐसे लोगों का जब हिसाब होता हैं, तो उसमें मैं भी फंस सकता हूँ। शायद मेरे साथ-साथ तुम भी इसमें फंस जाओ, और मैं ये नहीं चाहता।"
RITIKA: “चिंता मत करो, कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा। अभी कुछ ऑर्डर करें? बहुत भूख लग रही है और मैंने सुन है यहाँ का खाना बहुत यम्मी है।”
इस बातचीत के बाद, रितिका और सौरभ अपनी लंच डेट में व्यस्त हो गए।
जहाँ सौरभ, रितिका को खाना खाता देखकर एक चालाक मुस्कान देता है और अपने मन में कहता है, "फँस गई मछली जाल में।"
हालाँकि, यहाँ एक बात समझ से परे थी—वो रितिका सेन, जो फाइनेंस के हर छोटे-बड़े पहलुओं को समझने में माहिर थी, उसे सौरभ का जाल कैसे नहीं समझ आ रहा था?
सौरभ ने रितिका को अपने प्यार की गहराई से फँसाने और भरोसा दिलाने के लिए उसे जुहू बीच चलने का सजेशन दिया। यह उसकी प्लैनिंग का अगला हिस्सा था।
रितिका भी सौरभ के साथ कुछ वक़्त और बिताना चाहती थी इसलिए, उसने जुहू बीच पर जाने के लिए हाँ कर दी।
प्रथम फ़ूड हॉल में लंच करने के बाद, दोनों जुहू के लिए निकल गए।
वहाँ पहुँचकर, सौरभ ने अपनी अगली चाल चली।
जब रितिका समुद्र की लहरों को देखने में व्यस्त थी, सौरभ रेत पर अपने प्यार का इज़हार लिखने में लग गया।
SAURABH (दूर से चिल्लाते हुए): “रितिका... यहाँ आओ, तुम्हारे लिए कुछ है।”
रितिका, सौरभ की बात सुनकर उसके पास जाती है।
वो कुछ कहने ही वाली होती है कि उसकी नज़र रेत पर पड़ती है, और उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं होता।
सौरभ ने रेत पर एक बड़ा सा दिल बनाकर उसमें रितिका का चेहरा बनाया हुआ था और नीचे लिखा था, "मेरी ऋतु।"
लड़कियों को कोई ताजमहल दे दे, वो कद्र न करें! अगर कोई ऐसी क्यूट हरकत कर दे तो बच्चों के नाम तक सोच लेती है।”
रितिका ने फौरन उस तस्वीर को अपने फोन में कैद कर लिया.. लेकिन, इससे पहले कि वह वीडियो रिकॉर्ड कर पाती, समुद्र की लहरें आकर उस फरेबी दिल को बहाकर ले गईं।
RITIKA: "लहरों ने सब ख़राब कर दिया। कम से कम एक विडिओ ही बना लेने देती, इतनी क्या जल्दी थी?"
SAURABH: "वैसे मेरे प्यार को अपने साथ ले जाकर, लहरों ने यह साबित कर दिया कि मेरा प्यार भी इस समुद्र की तरह गहरा है। आई लव यू, ऋतु।"
RITIKA: "आई लव यू सो मच, श्रवण।"
कितनी मासूम थी रितिका, जो सिर्फ दो महीनों की मुलाकात में ही अपना दिल दे बैठी।
बिना यह जाने कि सौरभ का प्यार सिर्फ एक फरेब था।
इस फरेब में रितिका इतनी अंधी हो चुकी थी कि उसे यह भी समझ नहीं आया कि वह अपनी ज़िंदगी की बागडोर किसके हाथ में दे रही है।
अभी तक रितिका को न उसके घर का पता था, न ही उसके बैकग्राउंड और फैमिली का।
सही कहते है “प्रेम में पड़ी स्त्री, फरेबी में भी देवता देख लेती है। कलर ब्लाइन्ड हो जाती है, रेड को ग्रीन समझने लगती है और सारे टॉक्सिक अवगुण इग्नोर कर देती है।”
क्या रितिका सौरभ के प्रेम जाल से बाहर आ पाएगी? क्या रितिका ही वह लड़की होगी जो सौरभ को गिल्ट महसूस कराएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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