क्या हाल है भाई लोगों? उम्मीद है अच्छे नहीं ही होंगे. कोई ट्रेफिक की टी टी में फँसा होगा, कोई फोन के पी पी में, कोई आईफोन की ईएमआई भरने में लगा होगा, तो कोई बाइक में हवा डलवा रहा होगा. कोई बुलट लेकर निकला होगा घर से काला चश्मा लगाकर एकदम चुलबुल पांडे माफिक और हाइवे में आकर उसकी बुलेट खराब हो गयी होगी, और अब सारी बुलेट को घसीटने में पसीने पोंछ रहा होगा, कोई अपनी बीवी से परेशान होगा तो कोई अपने पति से.
कोई अपनी नौकरी से परेशान होगा तो किसी की नौकरी ही नहीं होगी. हाहा, ऐसा है मैं कोई ऐसी बात नहीं बताने वाला जिससे आपकी परेशानियां ख़तम हो जायेंगी. ज्योतिष समझा है क्या आपने? और ज्योतिष ही कौन सा आपकी ज़िन्दगी बदल ही देगा. इसलिए भाई लोगों, घबराने का नहीं, सबका टाइम आता है, आपका भी आएगा.
बहरहाल, जैसे हर कोई अपनी अपनी जिंदगी में कहीं न कहीं परेशान है. हमारा चुन्नी भी कुछ कम परेशान नहीं है. अच्छा खासा एक काम मिलने वाला था, और चुन्नी है कि खुबसूरत जवान औरत को दीदी बोल दिया. अबे दीदी बोल भी दिया तब भी चल जाता. बुढिया कौन बोलता है यार. वो भी ऐसी औरत को जो महीने में हज़ारों रुपया सिर्फ इस बात पर खर्च करती हो कि हमेशा जवान दिखे.
वो कहते हैं न किस्मत खराब हो तो हाथी पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट ले. फिर यहाँ का तो मसला ही उलटा था. कुत्ता था तो सामने लेकिन वो तो बंधा हुआ था. ये जो चुन्नी के सामने पहाड़ जैसी महिला थी, उसका क्या किया जाए.
खैर जो हुआ सो हुआ.
महिला ने चुन्नी से पूछा, अच्छा बताओ नाम क्या है तुम्हारा?
चुन्नी, ने अपना नाम बताया परम प्रतापी. यह सुनते ही महिला हंस पड़ी. परम प्रतापी.....हैं? वाह.... हे परम प्रतापी.... कुत्ते से डर गए ??
चुन्नी महिला के उस ताने से परेशान हो गया. चाहे कितनी गरीबी झेली हो, कितनी ही बुरी स्थिति रही हो, आज तक किसी महिला ने चुन्नी की ऐसी टांग खिंचाई नहीं की थी. दुनिया में आये हो तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा. तो अपने चुन्नी ने जहर पी लिया. अरे, सच्ची का जहर नहीं बाबा. झूट मूट का जहर.
खैर, वो कहते हैं न मुसीबत में गधे को भी बाप बनाना पड़ता है. चुन्नी ने भी महिला की बात पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया.
बोला, मालकिन कुछ काम मिल जाए तो अच्छा होगा.
हाँ हाँ, क्यों नहीं? क्या क्या कर लेता है?
बर्तन मांजना, झाड़ू पोचा, खाना बनाना सब. कर लेता हूँ. बस आप काम पर रख लो. चुन्नी ऐसे बोल रहा था जैसे टीवी शो में आने वाला कोई रियल्टी शो चल रहा है और बैकग्राउंड में एक दुखी वाला म्यूजिक बज रहा है.
खैर. मिस चड्ढा ने उसे 10,000 रूपए काम पर रख लिया. चुन्नी के लिए यह रुपये इतने ज्यादा थे कि जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था.
मिस चड्ढा ने उसे सारा घर, किचन दिखा दिया. सारे काम समझा दिए. ये देखो, किचन है, यहाँ खाना बनाएगा तू, यह फ्रिज है, इसमें सब खाना बनाकर रखना, रोज़ रोज़ नहीं बनता हमारे यहाँ खाना, ये बर्तन धुलने की मशीन है, ये चाय बनाने का पॉट है, ये इलैक्ट्रिक गैस है, इस तरफ देखो, यह कपडे धोने की मशीन है, इसमें कपडा धोना है, हाथ नहीं लगाना कपडे में, सब कपडे बहुत कीमती हैं. और हाँ एक बात और, किसी भी सामान को बिना पूछे नहीं छूना. एक भी सामान टूटा न तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. समझ लेना.
चलो अब जाओ. कल से आ जाना. और तेरे कपड़ों से इतनी बदबू आ रही है. कुछ साफ सुथरा पहन कर आना. और नहाकर आना. अब जाओ.
जाते जाते चुन्नी ने कहा, मालकिन. लेदेके मेरे पास यही एक कपडे हैं, कुछ रुपये मिल जाते तो आज ही दो जोड़ी कपडे खरीद लेता. मिस चड्ढा ने हज़ार रुपये पकड़ा दिए. बोली, लेकर भाग मत जाना.
चुन्नी वहां से निकल लिया. इस थोड़ी देर में क्या क्या नहीं घटा था. चुन्नी का सामना एक ऐसी औरत से पड़ा था जो बूढ़ी होते हुए भी कसूरी बाई से भी ज्यादा सुन्दर थी. एक भयानक कुत्ता से मरते मरते बचना, एक महल जैसा घर देखना, जिसमें सारी सुख सुविधाएं मौजूद हैं. दीवारों पर गरीबों की बेशकीमती तस्वीरें, महंगी महंगी मशीने जो सारा काम खुद ही करती हैं, और जब सारा काम खुद ही करती हैं, तो फिर नौकर की क्या जरुरत.
ऊपर वाले, तेरे खेल निराले, सारा काम जब मशीन करेगी, तो हम क्या मौज उड़ायेंगे. अच्छा है, अपने को क्या? मौज ही उड़ायेंगे.
अब चुन्नी ने एक दूकान से अपने लिए दो जोड़ी कपडे ख़रीदे, एक हवाई चप्पल. कुछ पैसे बचे तो उसमें से भरपेट छोले कुलचे उडाये और शाम होते होते इंद्रपुरी में चला आया.
आज रात जब चुन्नी चटाई पर लेटा तो उसे एक से एक ख़याल आने लगे. वह पूरे महीने का हिसाब लगाने लगा. उसके इस हिसाब लगाने में घर के बाक़ी कीड़े मकौड़े और जीव जंतू भी आ गए. रॉकी कॉकरोच ने पूछा, चुन्नी क्या सोच रहा है?
चुन्नी ने कहा देख रॉकी, अब अपनी लाइफ कैसे सेट होने वाली है. एकदम चकाचक काम मिला है मेरे को. कल से अपनी गाड़ी भी पटरी पर आ जायेगी.
चिंकी चुहिया बोली, ऐसा क्या काम मिल गया गुरु?
चुन्नी ने बताया, मत पूछ चिंकी, बढ़िया कोठी में जाकर आराम करना है और क्या. और धीरे धीरे देखती जा, कैसे मेरी लाइफ एकदम हीरो हीरोइन की तरह ऐशो आराम वाली हो जायेगी.
सेंटी झींगुर जो अभी तक सुरूर सुरूर की आवाज़ निकालने में मस्त था, चुन्नी की बात सुनकर पूछा, और रुपये कितने मिलेंगे?
चुन्नी ने गहरी साँस लेते हुए कहा, पूरे दस हज़ार.
हैं? क्या? सारे कीड़े मकौड़े एकसाथ चौंके. क्या बोला, दस हज़ार.
अबे किस काम के दस हज़ार? आराम करने के? अरे जा न. हवा आने दे. कौन सा माल फूका है बे?
चुन्नी हल्का सा मुस्कराया. हाँ भाई हाँ, अब तो माल ही माल. मालामाल होने के दिन आ गए. चुन्नी ने करवट बदली और एक सांस में बोलने लगा, धीरे धीरे करके रुपये जोडूंगा, फिर कपडे खरीदूंगा, फिर घर खरीदूंगा, फिर बढ़िया सी चमचमाती गाड़ी खरीदूंगा, शादी करूँगा, बैंक बैलेंस, फिर जब खूब पैसे जोड़ लूँगा तो मां और बाबूजी को भी ले आऊंगा. फिर बच्चे होंगे, उनको अच्छे स्कूल में डालूँगा. अरे यार. अपनी तो निकल पड़ी रे...
चुन्नी की ये बातें सुनकर चिंकीचुहिया, सेंटी झींगुर,रॉकी कॉकरोच सब ने रेडियो पर गाना बजा दिया:
साला मैं तो साहब बन गया
अरे, साला मैं तो साहब बन गया, हैं
रे साहब बनके कैसा तन गया
ये बूट मेरा देखो, ये सूट मेरा देखो
जैसे गोरा हो लन्दन का
गाना सुनते सुनते और अपने ख़्वाब देखते देखते चुन्नी को कब नींद आ गयी, उसे भी पता नहीं चला.
सुबह हुई. तो हुई भाई लोगों. आज तो इंद्रपुरी में सुबह वाकई पश्चिम से हुई. ये सफ़ेद शर्ट, ब्लैक पेंट पहने अपने चुन्नी अपनी खोली से बाहर निकले तो इंद्रपुरी के बाकी सब लोग दंग रह गए. कोई अपने चुन्नी उर्फ़ परम प्रतापी को पहचान ही नहीं पा रहा था. झुन्नी काकी, रामकृपा पंडित, लल्लन लाला, खोमचे वाले, कामवाली बाइयां, सबका मुंह खुला का खुला ही रह गया. सब ये सोच रहे थे कि प्रतापी के घर से यह कौन अफसरनुमा आदमी निकल रहा है.
प्रतापी चायवाले के दूकान पर पंहुचा तो चाय वाले ने पूछा, साब, चीनी कैसा लेंगे.
प्रतापी ने कड़क पचास का नोट दिखाते हुए कहा, खाते में जोड़ ले, और चीनी झोंक कर चाय पिला बेलू भाई.
बेलू ने पहचान लिया. अरे प्रतापी. काम मिल गया क्या? तुम तो पहचान में ही नहीं आये.
चुन्नी ने अपने काम के बारे में बता दिया. बोला जल्दी करो, काम का पहला दिन है, लेट होना नहीं मांगता मुझे.
तब तक उधर से रामकृपा पंडित तिलक की कटोरी लेते हुए सामने आ खड़ा हुआ और टीका लगा दिया. बोला, भाई वाह, आज तो साक्षात इंद्र लग रहे हैं हमारे प्रतापी जी.
लल्लन लाला को तो यह बात गले से नीचे ही नहीं उतरी. खैनी ठोंकते हुए बोले, चलो अच्छा है, शहर की नई नई हवा लगने पर कौवा भी अंग्रेजी झाड़ता है. पर कोई बात नहीं. देखो भैया. खूब रुपया पैसा कमाना. लेकिन घमंड न करना.
चुन्नी आज किसी से मुंह नहीं लगना चाहता था. इसलिए चाय पीकर बिना कुछ बोले ही काम पर निकल लिया.
पटरी के कोने में पड़ा हुआ अजगर जिसने परसों ही बकरी को निगला था, अभी भी वहीं ही लेटा हुआ था, उसने चुन्नी के जाते ही पीछे से बोला इसके दाता राम कभी नहीं हो सकते.
चुन्नी जब कोठी पर पहुंचा तो दरवाज़ा बंद था. चुन्नी दरवाज़ा पीटने लगा. दो तीन बार दरवाज़ा पीटने के बाद अन्दर से कुत्ते के गुर्राने की आवाज़ आई. पहले चुन्नी थोडा डरा लेकिन सोचा कुत्ता तो बंधा है, तो दरवाज़े के पास आकर फिर से दरवाज़ा पीटने लगा. दरवाज़ा खुला और सामने उसने कुछ ऐसा देखा कि अम्मा चिल्लाकर पीछे भागा.
अम्मा चुड़ैल चुड़ैल चुड़ैल
भागते भागते सीधे मोची की दूकान पर आकर रुका.
मोची ने पूछा क्या बे, भाग क्यूँ रहा है. चुन्नी ने सांस रोककर कहा कि उस घर में चुड़ैल है. मोची ने पूछा, चुड़ैल है?
चुन्नी बोला, हाँ हाँ. पूरे मुंह पर भस्म लगाये हुए दरवाज़े पर खड़ी थी. एकदम सफेद चोला पहने हुए. मैंने गाँव में सुना है, ऐसी चुड़ैलें जिसको पकड लेती है, उसका बुरा हाल करती हैं. पहले सारा खून चूस लेती हैं, फिर सर के दस टुकड़े कर के पेड़ पर लटका देती हैं.
मोची ये बात सुनकर सदमें में आ गया. उसे समझ नहीं आया कि हुआ क्या? चुन्नी से उसने कहा, चल तो जरा, मैं भी देखूं. ये बुड्ढे बुढिया के घर में सच में कोई चुड़ैल तो नहीं आ गयी.
दोनों दरवाज़े पर आकर खड़े हुए, तो चुन्नी ने कहा मैं दूर ही ठीक हूँ भैया. तुम खटखटाओ.
मोची ने घंटी बजाई. मालकिन. दरवाज़ा खोलिए. मालकिन दरवाज़ा खोलिए. मैं हूँ, मोची. चप्पल लौटाने आया हूँ.
दरवाज़ा खुला तो चुन्नी ने चिल्लाकर कहा, भाग मोची भाग, वरना खून पी जाएगी वो.
सामने मिस चड्ढा, चहरे पर क्रीम लगाये, बालों में स्ट्रेचर लगाये, और सफ़ेद गाउन पहने खड़ी थी.
मोची जो हंसा जो हंसा कि क्या कहने. उधर मिस चड्ढा का गुस्सा तो सातवें आस्मान पर था. ये इडियट प्रतापी, समझता क्या है अपने आप को? और तू मोची के बच्चे, हंसता क्या है? क्या मै चुड़ैल दिखती हूँ? इतनी मुश्किल से मैंने फेसवाश क्रीम लगाया है और ये गंवार मुझे चुड़ैल समझ रहा है.
मोची की हंसी अभी भी जारी रहती है. शटअप यु डैम इडियट...
इसे ले जाओ मेरे यहाँ से, मुझे नहीं कराना इससे काम.
चुन्नी यह सुनकर एकदम हक्क बक्क रह गया. यह क्या कर दिया मैंने. तुरंत जाकर पैरों पर गिर पड़ा. माफ़ी माफ़ी मालकिन. गलती हो गयी. आज के बाद नहीं होगी. काम से मत निकालो. माफ़ कर दो.
चुन्नी की हालत देखकर मोची ने भी उसकी सिफारिश कर दी. माफ़ कर दो मैडम. लड़का गाँव से आया है. अनजाने में हो गया ऐसा. वरना आपकी खूबसूरती से तो मिस बिडला भी चिढती है.
बस यहाँ मोची खेल गया. मिस चड्ढा को मिस बिडला से सुन्दर बताकर उसने मिस चड्ढा का गुस्सा शांत कर दिया.
मिस चड्ढा ने कहा, ठीक है ठीक है. यहाँ ड्रामा मत कर. चल कर काम कर. जबसे आया है, कोई न कोई ड्रामा करता रहता है. दिनभर ड्रामा ही करेगा तो काम कौन करेगा? तेरा बाप?
चुन्नी के झटपट अपने आंसू पोछे, और घर के अंदर जाने लगा. तभी मोची ने आँखों ही आँखों से उसे दस रुपये का इशारा समझा दिया कि बच्चू भूलना नहीं. और चुन्नी इशारा समझकर घर के अंदर चला गया.
तो समझे भाई लोगों? अपने चुन्नी उर्फ़ परम प्रतापी की लाइफ में ऐसी बहुत सी टेंशन हैं, क्या कर सकते हैं. अब और कौन सी
टेंशन आने वाली हैं, वो तो भगवान ही जाने.
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