एक बात बताऊं, अगर इंसान को पता चल जाए कि उसकी एक्सपायरी डेट कब की है तो उसके पास दो ही options बचते हैं, एक तो वो तब तक टेंशन फ्री होकर जी ले, या दूसरा वो इसी टेंशन में रहे कि उसकी एक्सपायरी डेट आ चुकी है। मैंने पहला option  चुना। मीटिंग के बाद के दो दिन इस ऑफिस में अभी तक के सबसे अच्छे दिन साबित हुए। मैं नाचता नाचता आता, आकर अच्छे से अच्छा खाना एन्जॉय करता, इधर उधर मस्ती करता, और गाते गाते ऑफिस से निकल जाता

संजय को लगता था कि मैं शॉक लगने से पागल हो गया हूँ। इसलिए उसके अंदर की सिम्पैथी मेरे लिए जाग रही थी।

संजय: रवि सर, आप चिंता मत करिए। मैं कुछ अच्छे डॉक्टर्स को जानता हूँ, आप चाहो तो मैं उनसे बात कर लूंगा आपके लिए। और अगर आपको कभी किसी हेल्प की ज़रूरत हो तो मुझे सीधा कॉन्टैक्ट करना, मैं पक्का आपकी हेल्प करूंगा।

आज? आज क्या है? आज इस ऑफिस में मेरा आखिरी दिन है, ये न्यूज़ अभी संजय, शालिनी मैडम और अय्यर सर को ही पता है। पर अनीता मैडम के आते ही ये खबर जंगल में लगी आग की तरह सारे ऑफिस में फैल जाएगी। लेकिन समझ में ये नहीं आया कि ये संजय मुझे सिम्पैथी देकर गया है या फिर से उंगली कर रहा है। जो भी हो आखिरी दिन में इसके मुह लगकर क्यों अपना मूड खराब करना। मैं बस शांति से अनीता मैडम का वेट करने लगा। इतने में शालिनी मैडम मेरे केबिन में आयीं।

शालिनी: रवि, तुमसे कुछ बात करनी थी।

रवि: जी मैडम बोलिए।

शालिनी: अकेले में कुछ बात करनी है।

वाचक: मेरे जाने की बात सोचकर मुझसे ज्यादा परेशान तो शालिनी मैडम हो रही थीं। उनकी आवाज में इतनी सीरियसनेस जैसे अरिजीत सिंह कोई ब्रेकअप सॉन्ग गा रहा हो। मैंने तुरंत संजय को ऑफिस से बाहर जाने को बोला। मुझे देखकर हैरानी हुई कि संजय बिना कुछ बोले मेरे केबिन से बाहर चला गया

ओह्ह मतलब सच में सिम्पैथी ही दिखा रहा था ये इंसान। जो भी हो, उसके जाते ही शालिनी मैडम फिर बोलीं।

शालिनी: तुम इस कंपनी के सीईओ हो, तुम्हें किसी स्टुपिड डील की वजह से ये पोजीशन छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। अनीता से बोल देना कि वो डील बस एक मजाक था और कुछ नहीं।

रवि: नहीं मैडम, जो डील हो चुकी है उसको पूरा तो करना ही पड़ेगा। कम से कम एक डील तो मैं भी सीईओ रहते रहते पूरी कर ही दूं।

शालिनी: तुम समझ नहीं रहे हो, तुम्हारी कंपनी को छोड़ते ही यहाँ वर्ल्ड वॉर छिड़ जाएगी इस पोजीशन के लिए। कितनी प्रॉब्लम होगी उससे कोई आइडिया भी है तुम्हें। और इतने कम समय में सीईओ बार बार बदलने का मतलब है कंपनी के नाम को भी डेंजर में डालना।

एक मिनट, एक मिनट, वही रुकिए ज़रा। क्या बोला आपने? वर्ल्ड वॉर? हर ब्रांच के सारे एम्प्लॉयी मिलाकर 1000 लोगों से कम पॉपुलेशन है कंपनी की। इतने लोगों में वर्ल्ड वॉर होगी? पेपर से मिसाइल बनाकर एक दूसरे पर फेंकेंगे क्या? और गोली की जगह डिस्प्रिन की गोली मारोगे सब? कुछ भी बोल रही हैं शालिनी मैडम। मुझसे ज्यादा तगड़ा शॉक तो इन्हें लगा है मेरे आखिरी दिन का। मन में आया इन्हें बता दूं कि संजय सर कुछ अच्छे डॉक्टर्स को जानते हैं, आप चाहो तो मैं उनसे बात कर लूंगा आपके लिए। लेकिन अब मैं सबके फट्टे में तांग अड़ाना छोड़ चुका हूँ। इसलिए मैंने मैडम से बोला।

रवि: मैडम मैं समझ सकता हूँ, लेकिन जो भी इस कंपनी का सीईओ बनेगा वो मुझे अच्छी तरह से कंपनी चलाएगा। और वैसे भी ये डिसीजन अब मेरा नहीं बस अनीता मैडम का है।

शालिनी मैडम समझ चुकी थीं, मुझसे यह बात करना अब भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है। इसलिए वह मुझे गुड लक बोलकर चली गईं, मैं दुबारा अपनी कुर्सी पर बैठकर आराम करने लगा, और अनीता मैडम का इंतजार करने लगा। तभी अय्यर सर केबिन में बहुत उदास तरीके से आए। उन्हें देखकर लगा जैसे मैं कंपनी छोड़कर नहीं बल्कि दुनिया छोड़कर जा रहा हूं। अय्यर सर मेरे सामने खड़े होकर बोले।

अय्यर: मुझे माफ कर दीजिए सर। अगर प्रोग्राम सही होता तो शायद आज आपके लिए इतनी समस्याएं नहीं होतीं।

रवि: इसमें आपकी क्या गलती है सर, यह तो मेरे जैसे अनपढ़ भी जानता है कि किसी भी नई चीज को बनाने में गलतियां होती ही हैं।

अय्यर: लेकिन इस गलती की टाइमिंग कुछ ज्यादा ही गलत है।

रवि: कोई बात नहीं सर, आज नहीं तो कल मुझे ये कंपनी छोड़नी ही पड़ती क्योंकि मैं यहाँ हंसों के बीच में बगुला जैसा ही तो हूँ।

अय्यर सर से कुछ देर बात करने के बाद मुझे मैं बड़ा गंदा इंसान लगा। सब मेरे जाने की वजह से दुखी हो रहे हैं बस मेरे अलावा। क्या करूँ? अगर अब कोई आएगा तो आँखों में उंगली घुसाकर आंसू निकाल लूंगा। कम से कम इस सिचुएशन में तो इन जैसा लग ही जाऊं। तभी मुझे मेरे केबिन के ग्लास से अनीता मैडम आते हुए दिखीं। मैंने अपना सारा सामान पहले ही पैक करके रख लिया था। मैं अपनी जगह छोड़कर उस सामान को उठाने के लिए बढ़ा। तभी ही अनीता मैडम को सनी ने कुछ बोला और उनके कदमों की दिशा कुछ ऐसे चेंज हुई जैसे लंगूर हवा में ही अपनी दिशा बदल देता है। अनीता मैडम सीधे शालिनी मैडम के केबिन में चली गईं। अब मैं वहाँ था तो नहीं इसलिए मुझे नहीं मालूम कि उनके बीच में क्या बात हुई। पर मेरे ख्याल से वहाँ कुछ ऐसा हुआ होगा।

शालिनी मैडम ने अनीता मैडम से बोला होगा।

शालिनी: ये तुम क्या करने जा रही हो अनीता? अनीता: मैम मैं बस हमारी शर्त का याद दिलाने जा रही थी। शालिनी: तुम बहुत बड़ी गलती कर रही हो। तुम उस मीटिंग में होती तो देखती रवि का चार्म, उसका कॉन्फिडेंस, उसका स्टाइल। वह एक हीरो है। वह एक सेवियर है। मैं तो कहती हूँ वह खुद भगवान का अवतार है।

अनीता: हाँ मैम, आप सही हैं। न जाने क्यों मैं अभी तक यह बात समझ नहीं पाई। थैंक यू मैम थैंक यू, आपने मेरी आँखें खोल दीं। वरना मैं बहुत बड़ा पाप कर बैठती रवि जी का अपमान करके।

कुछ कुछ ऐसी ही बात हुई होगी, क्योंकि उसके बाद जो हुआ वह उतना ही इम्पॉसिबल था जितना हिटलर को गांधीगिरी सिखाना। अनीता मैडम को ऑफिस में देखकर संजय एक केक पर मेरा नाम लिखकर ले आया। और ऑफिस के सब लोगों को इकट्ठा कर लिया। मैं बाहर निकलकर भीड़ के बीच में गया और चाकू उठाकर केक काटने ही वाला था कि पीछे से एकता कपूर के टीवी सीरियल की तरह अनीता मैडम की आवाज आई।

अनीता: रुक जाओ (ड्रामेटिक इको, फुटस्टेप्स साउंड)। रवि सर आपका बर्थडे था तो पहले बताना चाहिए था कम से कम हम लोग गिफ्ट तो ले आते।

शालिनी मैडम के साथ आते हुए अनीता मैडम ने जब ये बोला तो मुझे लगा कि कहीं वैकेशन्स के दौरान इनके सिर में चोट तो नहीं लग गई। कहीं सारी याददाश्त ही गायब हो गई हो। और मुझसे ज्यादा शॉक तो संजय को हुआ। उसे देखकर लग रहा था कि अब उसके पहचान के डॉक्टर के पास हम दोनों ही साथ जा सकते हैं।

इतने में मेरा हाथ पकड़कर शालिनी मैडम जल्दी से केक काटने लगीं। और मेरे कुछ बोलने से पहले ही अय्यर सर ने हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाना शुरू कर दिया

मैं और संजय आज पहली बार सेम पेज पर थे। हम दोनों ने पहली बार आँखों ही आँखों में एक दूसरे से बात करके सिचुएशन जाननी चाही, लेकिन हम दोनों ही अभी कुछ समझने की स्थिति में नहीं थे।

मुझे ये सोचकर हंसी आने लगी थी कि बर्थडे मेरा मनाया जा रहा है और बर्थडे बम संजय को मिल गया (रवि की हंसी)। केक काटने के बाद मैं, संजय सर, अनीता मैडम, शालिनी मैडम और अय्यर सर एक रूम में सब समझने के लिए जाने लगे। रूम में जाते ही संजय सर बोले।

संजय: ये क्या था अनीता, मुझे लगा था तुम मेरी तरफ हो।

अनीता: मैं कंपनी की तरफ हूँ संजय सर। जिसमें मुझे कंपनी का फायदा लगेगा मैं वही काम करूंगी।

संजय: लेकिन तुम्हारी शर्त के मुताबिक… अनीता: रवि सर ये शर्त जीत चुके हैं।

ये सुनकर मुझे सच में बहुत शॉक लगा। मैंने धीरे से संजय के कान में बोला।

रवि: वो डॉक्टर का नंबर अभी भी मिल सकता है। अब मुझे लगता है मुझे ज़रूरत है।

मेरी बात को इस कॉन्वर्सेशन में सबने वैसे ही इग्नोर कर दिया जैसे पिज़्ज़ा को देखकर लोग अपनी हेल्थ को इग्नोर कर देते हैं। अनीता मैडम ने अपनी बात कंटिन्यू रखी।

अनीता: जब गलती हमारे प्रोग्राम में ही थी, तो डील फेल होने वज़ह रवि सर कैसे हो सकते हैं? इसलिए टेक्निकली वो शर्त जीत चुके हैं। इसलिए उन्हें ये ऑफिस छोड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है।

मैंने शालिनी मैडम से पूछने की बहुत कोशिश की कि उन्होंने ऐसी क्या बात की अनीता मैडम से, जो उनकी ज़बान तड़के की तरह तीखी होने की जगह माता शबरी की तरह मीठी हो गई। पर शालिनी मैडम ने मुझे कुछ नहीं बताया 15 मिनट तक उनके पीछे पीछे एक छोटे बच्चे की तरह घूमने के बाद इस बार मुझे ये समझ आ गया था, अब मैं भैंस के आगे बीन बजा रहा हूँ। इनशॉर्ट, इस ऑफिस में शायद मेरे दिन और एक दोस्त और बढ़ गया था। अब बाकी था तो ये मालूम करना कि ये दिन और दोस्त कैसे निकलेंगे?

 

(To be continued…)

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