हस्तकला यानि हाँथ से बनाई गई कोई चीज़ लेकिन इसका किसी जादू से क्या संबंध? अगर लोग समीर की मदद करना चाह रहे हैं, तो वो पूरी तरह खुलकर मदद क्यूँ नहीं कर रहे? इन सब का जवाब है वो साया। जो कभी भी कहीं भी जा सकता है। उस दुकान वाली बूढ़ी महिला जिसके घर समीर अभी रह रहा है उसके साथ क्या हुआ ये बताने के लिए काफी है कि खुल के समीर की मदद करने का अंजाम क्या होता है। समीर ने अपने सवालों की लिस्ट बनाई और एक एक कर के उन्हें सुलझाने में लग गया। बहुत देर तक खोजने पर उसे एक 10 पन्नों की छोटी किताब मिली जिसपे लिखा था हस्तकला विज्ञान। उसमें लिखा था - हस्तकला इस समय की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस कला के माध्यम से किसी भी किताब या लेख में छिपे रहस्य को देखा जा सकता है। समीर ने उसे दोबारा पढ़ने की कोशिश की और दूसरी बार भी उसने यही पाया कि उसमें लिखा है कि किसी भी छिपे रहस्य को देखा जा सकता है। समीर को समझ नहीं आयी बात कि देखा कैसे जा सकता है? किताब में आगे लिखा था कि एक तिलस्मी जल है जिसे सालों से गुलाब के फूल में डुबोकर रखा गया है। उस जल को अपनी आँख की पलकों और हथेलियों पर लगा कर कोई इंसान जैसे ही उस किताब या लेख पर अपनी हथेली रखेगा उसे सबकुछ साफ नजर आ जाएगा। समीर तुरंत भाग कर उस बूढ़ी औरत के घर में जाता है जहां उसे वो जल एक छोटी शीशी मे किसी रक्षा सूत्र से बंधा मिला, जैसे उसे बुरी शक्तियों से बचा कर रखा गया हो। वो क्रिया शुरू करता है। वो उस जल को अपनी पलकों और हथेली पर लगाकर जैसे ही उस डायरी को छूता है तो उसे अजीब सी हैरानी होती है। उसकी आँखों के सामने एक दृश्य आ जाता है जैसे कोई फिल्म चल रही हो।
उस अंग्रेजी परिवार के जाते ही एक जवान व्यक्ति जो उन्हें भेज कर आया कुछ खास लोगों की एक सभा बुला रहा है जहां वो अपनी सोसाइटी के लिए लोग चयनित कर रहा है । कुछ समय के बाद उस व्यक्ति द्वारा चुने गए ये सब लोग काले वस्त्र पहने कोई अनुष्ठान कर रहे हैं। एक पुराना मंदिर सा है जहां किसी भगवान की कोई प्रतिमा नहीं है। एक काले पत्थर पर बैठ वो व्यक्ति कुछ बोल रहा है “मैं करोड़ी लाल अपनी आत्मा को अपने देव के हवाले करता हूं।”
एक एक कर के उसके पीछे बाकी लोग भी अपना अपना नाम लेकर यही बोल रहे हैं।
ये क्रिया कुछ घंटों तक चलती है जिसमें उन्होंने ये प्रण लिया कि वो सब अपनी पहली संतान को उस शक्ति जिसे वो देव बुला रहे हैं उनके हवाले कर देंगे और आने वाली हर पीढ़ी की पहली संतान देव को समर्पित होगी। बदले मे देव उन्हें अमरत्व प्रदान करें। तभी उस जगह एक भूकंप सा आता है और सामने रखी एक किताब से एक काला साया बाहर निकल आता है। उसकी गर्जना इतनी भयंकर थी कि आसपास के पहाड़ हिल से गए।
ये दृश्य इतना भयानक था कि समीर ने झटके से अपना हाथ उस डायरी से हटा कर अपनी आँख खोल ली और जैसे ही समीर ने अपनी आँख खोली उसे सामने दिखा एक धुआं। समीर के रोंगटे खड़े हो गए लेकिन कुछ ही समय में वो धुआं गायब हो गया।
समीर समझ चुका था कि शापित अंग्रेज परिवार का नौकर कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर रवि के दादा करोड़ी लाल थे। समीर के दिमाग में ये सवाल बार बार आ रहा था कि अगर करोड़ी लाल डॉक्टर रवि का दादा था तो फिर वो मर कैसे सकता है वो तो अमर होना चाहिए और अगर वो मर गया तो फिर वो बूढ़ा आदमी कौन है जो उस शापित घर की रखवाली कर रहा है? समीर खुद को रोक नहीं पाया और दरवाजे पर कुंडी लगा चल पड़ा उन दो पहाड़ियों के बीच शापित घर की तरफ। जैसे ही समीर उस बस स्टैंड तक पहुचा उसे पीछे से आवाज़ आयी, “साहब कल भी उसी समय आना आपके समोसे तैयार मिलेंगे।”
समीर समझ गया कि कल डॉक्टर रवि उसे वो मुखौटा और चाबी देंगे जिससे वो तहखाना खुलता है। समीर बस में बैठ कर सोलन का टिकट लेता है और फिर उस पहाड़ी पर उतर जाता है। उन पगडंडियों से नीचे उतर कर उस सूखी नदी मे चलने लगता है। उसे उस बूढ़े आदमी की तलाश है। जैसे ही समीर उस शापित घर के पास पहुंचता है उसे आवाज़ सुनाई देती है, “आ गए? मुखौटा लाए हो?”
समीर- जी नहीं, वो मैं कल ले आऊँगा। इस कहानी को सुलझाने में मैं बहुत उलझ चुका हूं। आपको मेरी मदद करनी होगी। क्या आप करोड़ी लाल को जानते है।
बूढ़ा आदमी बोला, “ उसका नाम मत लो। इस मुसीबत को वही ले कर आया था छैल में।”
समीर - अगर वो अमर थे तो फिर कहाँ चले गए?
बूढ़ा आदमी बोला, “अमरत्व एक छलावा है। जिसने ना जाने कितनों की जान ले ली। करोड़ी मेरा बड़ा भाई था। उसने इस छलावे में आ कर ऐसी भूल कर दी जिसकी भरपाई आज भी उसका परिवार कर रहा है।”
समीर - कैसा छलावा?
बूढ़ा आदमी बोला, “उसे वो लोग देव कहते थे जिससे दानव की भी रूह कांप जाए। उसे हर शुक्रवार एक आत्मा की बलि दी जाती है। जिस बलि से वो इस दुनिया मे रह पाता है। अगर ये सिलसिला किसी भी शुक्रवार को एक बार भी टूटा तो वो कमजोर पड़ने लग जाता है और सबसे पहले वो उसकी आत्मा हरता है जो उसे इस दुनिया में ले कर आया। अमरत्व के वरदान की वजह से ये आत्मा खत्म नहीं होती बल्कि उसकी गुलाम बन जाती है।”
समीर - और उस बच्चे का क्या?
बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, “बच्चे की बलि सबसे खतरनाक मौत है। वो उसे एक बार मे नही मारता बल्कि उसका शरीर वो शिकार के लिए इस्तेमाल करता है। धीरे धीरे कुछ महीनों या सालों में वो शरीर जब बिल्कुल कमजोर पड़ जाएगा तो तब किसी और शरीर की मदद से वो उस बच्चे की आत्मा निकाल कर निगल जाएगा।”
समीर - अगर जिसने उसे बुलाया वो अब इस दुनिया में ना हो और फिर उसे शुक्रवार शिकार करने से रोके तो?
बूढ़ा आदमी बोला, “अगर कोई उसके शिकार के समय से पहले किताब के आसपास पहुंच गया तब वो सबकुछ छोड़ कर उस किताब के पास आ जाएगा पर ऐसा करने में खतरा है।”
समीर - जब तक ये पत्थर मेरे पास है वो मुझे छू नहीं सकता।
बूढ़ा आदमी बोला, “वो मैंने पहले दिन ही तुम्हारे हाथ में देख लिया था। खतरा ये है कि अगर तुमने उसे शिकार से रोका, फिर वो अपने गुलामों को बाहर छोड़ेगा और तुम्हारे लिए खतरा और बढ़ सकता है।”
समीर ने उस बूढ़े आदमी को पूरी बात समझाई और बताया कि अथर्व के पास समय बहुत कम है अगर अथर्व को जिंदा रखना है तो साये की शक्तियां कम करनी ही होंगी और जहां तक समीर के खतरे का सवाल है तो अब वो इसे आखिरी साँस तक खत्म करना चाहेगा। बूढ़ा आदमी समीर को आगाह करता है कि बंद कमरे में भी या खुद से भी कभी ये जिक्र ना करे कि समीर उस बूढ़े आदमी से कभी मिला भी था। समीर समझ गया कि साया छैल के किसी भी कोने में कभी भी कहीं भी हो सकता है वो उसे सुन सकता है पर समीर या कोई और उसे देख भी नहीं पाएगा। बूढ़ा आदमी समीर को वहाँ से जाने को कहता है सूरज ढलने में कुछ मिनट ही बाकी थे। समीर वहाँ से निकलकर वापस उस छोटी बस्ती के बस स्टॉप पर जाता है और बस में बैठ जाता है।
उसको बूढ़े आदमी की एक बात नहीं समझ आयी अगर समीर ने उस साये को शिकार करने से रोका तो साया अपने गुलामों को निकालेगा। क्या यहाँ साये के अलावा भी कुछ है जिससे समीर अभी तक वाकिफ़ नहीं वो ये सोच ही रहा होता है कि कंडक्टर उसे नीचे उतरने को कहता है। समीर छैल के बस स्टैंड पर उतरकर देखता है कि सूरज ढल चुका था, बाजार की सारी दुकाने बंद हो चुकी थीं। समीर धीरे धीरे चौराहे की तरफ बढ़ रहा था और जैसे ही उस बूढ़ी औरत के घर के पास पहुंचा, तो उसके कदम रुक से गए। उस दुकान के ठीक बाहर अथर्व खड़ा था, जिसकी आंखें लाल थी जैसे आग उगलना चाहती हो। उसकी आँख पर वो काले गड्ढे और भी ज़्यादा काले पड़ गए थे। अथर्व के सामने खिड़की पर बैठी एक tourist हाथ में वॉकमैन लिए कान में इयरफोन लगा के गाने सुनने में मसरूफ थी। अथर्व के ठीक पीछे खड़े थे डॉक्टर रवि जो समीर को इशारा करते हैं कि वो बिना रुके वहाँ से चला जाए। तभी अचानक अथर्व की नज़र समीर पर पड़ती है और समीर को देख अथर्व की आंखे और लाल हो जाती है जैसे वो साया समीर को आखिरी चेतावनी दे रहा हो कि समीर उसके रास्ते में ना आए। इससे पहले समीर कुछ कर पाए समीर के ठीक ऊपर जल रही स्ट्रीट लाइट का कांच टूट जाता है जैसे वो कांच भी इस ऊर्जा को सहन ना कर सका। समीर के हाथ की उस उंगली मे जलन होने लगती है जिसमें उसने वो पत्थर की अंगूठी पहनी थी। समीर दौड़ कर उस गली मे घुस जाता है जिधर बूढ़ी औरत घर है, और साये ने एक बार फिर समीर को याद दिला दिया कि वो किससे उलझने की कोशिश कर रहा है।
समीर घर पहुंचकर तैयारी में जुट जाता है। उसे कुछ भी करके इस साये को रोकना है जिसके लिए उसे चाहिए वो नक्शा जो बंद है उन दो पहाड़ियों के बीच बने उस शापित घर मे। उस घर के तहखाने की चाबी है डॉक्टर रवि के पास अगर समीर ने कल नक्शा हासिल भी कर लिया तो भी उसके पास सिर्फ एक दिन है उस किताब के आस-पास पहुंचने के लिए क्योंकि परसों है वो भयानक दिन जिसे शुक्रवार कहते हैं।
ये सब जो सुनने में इतना आसान लग रहा है, उतना ही डरावना है।
क्या समीर सबकुछ समय से पहले खत्म कर पाएगा? और अगर समीर ने साये को शिकार करने से रोक दिया फिर उसका क्या होगा अंजाम?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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