​​लगभग एक साल पहले की बात है। रोहन और मीरा के बीच के झगड़े आसमान छू रहे थे। हर दिन झगड़ा। मुद्दा कोई भी हो, ग़म फिर कर बात आ जाती थी रोहन की एक्स नताशा पर। नताशा रोहन की एक्स बॉस थी। मीरा से मुलाकात होने से पहले रोहन किसी और कंपनी में काम करता था। वहाँ नताशा उसकी बॉस और गर्लफ्रेंड भी। कुछ समय तक एक दूसरे को डेट करने के बाद दोनों के बीच किसी वज़ह से ब्रेकअप हो गया और वह दोनों अलग हो गए। उसके बाद सब ठीक ही चल रहा था लेकिन जैसे ही नताशा को पता चला कि रोहन किसी नई लड़की को, यानी मीरा को डेट कर रहा है, वैसे ही, नताशा जान-बूझ कर रोहन की लाइफ में दोबारा एंटर करने की कोशिश करने लगी। ​

 

​​मीरा ने पहले तो कुछ नहीं कहा। लेकिन फिर रोहन की नताशा के साथ बढ़ती दोस्ती देखकर वह परेशान होने लगी। उसने इस बात का कई बार रोहन के सामने ज़िक्र भी किया। लेकिन रोहन ने हमेशा ये कह कर उसकी बात को टाल दिया कि वह और नताशा अब सिर्फ़ दोस्त हैं, उससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं और उसे उनकी दोस्ती को लेकर परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। मीरा ने भी रोहन की बात को मानते हुए नताशा को नजरअंदाज कर दिया। ​

 

​​देखते-देखते रोहन और मीरा के बीच का रिश्ता आगे बढ़ने लगा और दोनों के बीच शादी हो गई लेकिन दूसरी तरफ़ रोहन और नताशा का मिलना-जुलना और ज़्यादा बढ़ गया, जो मीरा को बिलकुल पसंद नहीं था। उसके कई बार रोकने के बाद भी रोहन ने उसकी बातों पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। ​

 

​​झगड़े बढ़ने लगे थे और मीरा का पागलपन भी। वह बहुत इनसिक्योर हो गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर अब रोहन को अपनी एक्स के साथ किसी भी तरह का रिश्ता रखने की क्या ज़रूरत है। एक दिन तो झगड़ा इतना बढ़ गया कि राजन को बीच में आकर सुलह करनी पड़ी थी। ​

 

​​रोहन ​

​​हाथ जोड़ रहा हूँ तुम्हारे सामने मीरा चुप हो जाओ, प्लीज़। नहीं है नताशा और मेरे बीच में वैसा कुछ भी जैसा तुम सोच रही हो। हम बस अच्छे दोस्त हैं। हम एक्सेस होने से पहले भी अच्छे दोस्त थे। ​

 

​​मीरा  ​

​कोई चीज़ मुझे नहीं अच्छी लग रही, किसी चीज़ की वज़ह से मैं अन-सैफ   महसूस कर रही हूँ, तो वही चीज़ तुम आख़िर क्यों कर रहे हो? क्या उसकी और तुम्हारी दोस्ती हमारे रिश्ते से ज़्यादा इम्पॉर्टन्ट  है? तुम्हारी प्राइऑरटी मैं  होनी चाहिए? नताशा तो बिल्कुल नहीं। ​

 

​​रोहन-​

​​थक चुका हूँ मैं हर रोज़ नताशा का नाम सुन कर। मुझसे ज़्यादा तो तुम उसका नाम लेती रहती हो। ऑब्सेस्ड हो चुकी हो तुम उससे और होगी भी क्यों नहीं। नताशा है ही ऐसी कि कोई भी उससे ऑब्सेस्ड हो जाए। ​

 

​​रोहन की ये बात सुनकर मीरा रोने लगी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि गुस्से में ही सही रोहन ने ऐसी बात कैसे बोल दी? ​

 

​​मीरा-​

​​रोहन, मैं तुमसे प्यार करती हूँ। तुम्हारे लिए हूँ मैं यहाँ। शादी की है मैंने तुमसे और तुम ये सब क्या बोल रहे हो?

 

​​रोहन-​

​​शादी क्या तुमने अकेले नहीं की है? मैंने भी तो शादी की है न तुमसे? पर तुम कितनी इज़्ज़त करती हो मेरी या हमारे रिश्ते की? हर वक़्त मुझ पर शक करना, ये प्यार है तुम्हारा? कोई मतलब नहीं है तुम्हारे आई लव यू  का। तुम्हें बस हर वक़्त अटेन्शन  चाहिए होती है। ​

 

​​मीरा-​

​​नहीं रोहन। मैं बस चाहती हूँ तुम नताशा से दूर रहो, उससे कोई रिश्ता न रखो। क्या बाक़ी चीज़ों के लिए टोका है मैंने कभी तुम्हें? हाथ जोड़ रही हूँ तुम्हारे आगे प्लीज़, प्लीज़ मुझे इस तरह से हर्ट मत करो। ​

 

​​रोहन-​

​​नताशा मेरी दोस्त है और मैं उससे दोस्ती नहीं तोड़ूंगा। उसकी एक जगह है मेरी लाइफ में, जो हमेशा रहेगी। ​

 

​​मीरा-​

​​... और मैं कौन हूँ फिर? बोलो रोहन... मैं कौन हूँ तुम्हारे लिए? क्या मैं बस नाम के लिए पत्नी हूँ तुम्हारी? तो शादी क्यों की मुझसे? उसी के साथ रहते, उसी से शादी कर लेते। ​

 

​​रोहन ने कुछ भी नहीं कहा। वह एकदम चुप हो गया। वह गुस्से में था और मीरा के इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था। ​

 

​​मीरा ने मन में कुछ तय किया, अपना पर्स उठाया और वह बाहर जाने लगी। ​

 

​​रोहन-​

​​ शुरू हो गया वापस तुम्हारा? घर से भागना? इस बार मैं तुम्हारे पीछे नहीं आने वाला। ​

 

​​मीरा-​

​​ बेहतर होगा कि तुम मेरे पीछे मत आओ। ​

 

​​इतना कहकर वह ज़ोर से दरवाज़ा बंद कर के घर से बाहर निकल गई और कार लेकर वह सीधे नताशा के घर पहुँच गई। ​

 

​​नताशा के घर पहुँचने के बाद, मीरा ने उसे जमकर सुनाया। ​

​​नताशा, जो अपने आगे किसी को एक शब्द तक नहीं बोलने देती थी, उस दिन मीरा के गुस्से के सामने कुछ नहीं कर पाई। मीरा इतनी गुस्से में थी कि नताशा को उसकी हर एक बात सुननी पड़ी। ​

 

​​मीरा ने नताशा को धमकाया कि वह रोहन से दूर रहे और अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो उससे बुरा कोई नहीं होगा। नताशा को यह सब सुनाने के बाद, मीरा घर जाने के बजाय निकिता के घर चली गई। लेकिन मीरा को अच्छे से पता था कि उसने गुस्से में नताशा को धमका तो दिया, लेकिन उसकी इस हरकत से रोहन बहुत गुस्सा होने वाला था। इसलिए वह शांत होकर उसके कॉल का इंतज़ार करने लगी। ​

 

​​जैसा उसने सोचा था, वैसा ही हुआ। नताशा कुछ कम नहीं थी। उसने मीरा को फ़ोन किया। ​

 

​​नताशा -​

​​ओह मीरा, मीरा! तुम सच में इतनी बेवकूफ हो क्या? तुम्हें पता है ना कि आज जो तुमने मेरे घर आकर तमाशा किया है, उसका मैं अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती हूँ? ​

​​एक सेकंड नहीं लगेगा मुझे तुम्हारी शादी तुड़वाने में। इसलिए मुझसे पंगा लेने से पहले दस बार सोचकर आना चाहिए था। 

 

​​मीरा-​

​​हाँ! टूटने की कगार पर ही है हमारी शादी, उसको तुम और क्या तोड़ोगी? ​

​​मुझे जो सही लगा, वह मैंने किया। तुम्हें जो सही लगता है, वह तुम करो और दोबारा मुझे फ़ोन मत करना, नहीं तो तुम्हारे घर आकर तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी। 

 

 

​​नताशा कुछ कह पाती, इससे पहले ही मीरा ने फ़ोन काट दिया। ​

​​पंद्रह मिनट बाद ही मीरा को रोहन का फ़ोन आया। ​

​​मीरा को अच्छे से पता था कि वह यह कॉल क्यों कर रहा है और किसलिए लड़ रहा है। ​

​​जैसे ही मीरा ने फ़ोन उठाया, रोहन ने उसे डांटना शुरू कर दिया। ​

 

​​रोहन-​

​​"यह क्या कर आई हो तुम? वह तुम पर अब पुलिस केस करना चाहती है, पता है तुम्हें?" ​

 

​​मीरा -​

​​ "पुलिस केस? ऐसा क्या कर दिया मैंने?" ​

 

​​रोहन-​

​​तुमने उसे उसके घर जाकर धमकाया, डराया। वहाँ तक तो सब ठीक था लेकिन तुमने उसे थप्पड़ मारा? ​

​​तुमने उसे परेशान किया? ​

 

​​मीरा-​

​​"क्या? नहीं..." ​

 

​​रोहन-​

​यह ना, ना मुझे तुमसे उम्मीद थी, ना मैं यह बर्दाश्त करूंगा। ​

​​रो रही थी वह फ़ोन पर। उसका गाल लाल हो गया है। मैंने उसे बड़ी मुश्किल से समझा-बुझाकर शांत किया है। ​

​​मैं अभी उसके घर जा रहा हूँ, उससे बात करने। वापस आकर मैं तुमसे बात करूंगा। 

 

​​मीरा-" ​

​​रोहन, मैंने..." ​

 

 

​​रोहन ने मीरा की पूरी बात सुने बिना ही फ़ोन काट दिया। ​

​​नताशा झूठ बोल रही थी। झूठ बोलकर उसने रोहन को भी अपने झांसे में ले लिया था। ​

​​मीरा के गुस्से का इस्तेमाल करके उसने उसे ही फंसा दिया था और मीरा यह भी अच्छी तरह जानती थी कि रोहन उसकी नहीं, बल्कि नताशा की बातों पर भरोसा करेगा। ​

​​फिर भी जो हुआ, उसकी सच्चाई उसे किसी भी तरह रोहन के सामने साबित करनी थी ​​इसलिए वह निकिता के घर से निकलकर तुरंत अपने घर चली आई। ​

 

 

​​घर पर रोहन नहीं था। वह नताशा के घर पर था। ​

​​मीरा के पास उसके इंतज़ार के अलावा अब कोई चारा नहीं था। ​

​​मीरा उसका कई घंटों तक इंतज़ार करती रही। ​

​​जब आधी रात के एक बजने के बाद भी रोहन घर नहीं आया, तो उसने रोहन को फ़ोन किया। ​

​​रोहन ने पहला कॉल नहीं उठाया, लेकिन दूसरा उठा लिया। ​

 

​​आवाज़ से वह नींद में लग रहा था। ​

 

​​मीरा-​

​​"हेलो, रोहन? कहाँ पर हो? घर कब आ रहे हो? बहुत देर हो चुकी है।" ​

 

​​रोहन-​

​​ "तुम घर आ गई?" ​

 

​​मीरा-​

​​"हाँ और शाम से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ। बात करनी है मुझे तुमसे। जहाँ भी हो, जल्दी घर आओ।" ​

 

​​रोहन-​

​​" तुम्हारा दिमाग़ खराब है क्या? सो रहा था मैं। ​

​​कल सुबह आऊंगा। " ​

 

​​मीरा-​

​​"लेकिन तुम हो कहाँ?"

 

​​रोहन-​

​​"मैं, मैं हूँ एक दोस्त के घर पर। अब सो जाओ तुम भी।"

 

​​मीरा-​

​​ "कौन-सा दोस्त? नाम बताओ। राजन? समीर? उपेंद्र? या नताशा?" ​

 

​​रोहन-​

​​"तुम फिर शुरू हो गई? इतना तमाशा करके भी चैन नहीं आया तुम्हें? माफ़ कर दो मुझे और सो जाओ।" ​

 

 

​​मीरा अब बेचैन होने लगी थी। इतनी रात को रोहन, नताशा के घर पर है, इस ख़्याल से वह पागल हो रही थी। ​

 

​​मीरा-​

​​ "नहीं। तुम बताओ मुझे, तुम कहाँ हो? मैं वहाँ आ जाती हूँ, फिर हम बात करके अपना झगड़ा सुलझा लेते हैं, अभी।" ​

 

​​रोहन-​

​​"तुम्हारा सच में दिमाग़ खराब हो चुका है और अब तो मुझे यक़ीन हो गया है कि नताशा तुम्हारे बारे में सब सच बोल रही थी कि तुम पागल हो चुकी हो।" ​

 

 

​​यह कहकर रोहन ने फ़ोन काट दिया। ​

​​मीरा ने फिर से फ़ोन करने की कोशिश की, लेकिन रोहन का फ़ोन बंद आ रहा था। ​

​​मीरा इस बात से और ज़्यादा बेचैन हो गई। ​

​​गुस्से में, घबराहट में वह घर की चीजें तोड़ने लगी, ज़मीन पर पटकने लगी और फिर ज़मीन पर बैठकर वह फूट-फूटकर रोने लगी। ​

 

 

​​अगले दिन, रोहन घर आया तो उसे मीरा कहीं नज़र नहीं आई। ​

​​उसने पूरा घर ढूँढा। ​

​​उसने तुरंत निकिता को फ़ोन किया, लेकिन निकिता ने कहा कि कल शाम के बाद से उसकी मीरा के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है। ​

​​उसने मीरा को कॉल भी किए थे, लेकिन उसने उसका एक भी कॉल नहीं उठाया। ​

​​उसने निकिता से बात होने के बाद तुरंत मीरा की माँ को कॉल किया, तो उनका फ़ोन स्विच ऑफ बता रहा था। ​

​​फिर उसने उसके पापा को कॉल किया, फिर भाई को। ​

​​सभी के फ़ोन स्विच ऑफ थे। ​

 

 

​​आखिर माजरा क्या था? ​

​​सभी के फ़ोन बंद क्यों आ रहे थे और मीरा कहाँ थी? ​

 

 

​​इतने में मीरा की माँ के नंबर से कॉल आने लगा। ​

​​रोहन ने झट से वह कॉल उठाया, तो मीरा की माँ ने रोहन से कह दिया कि मीरा उन्हीं के घर पर है और वापस रोहन उसे कॉल न करे या मिलने की कोशिश भी न करे। ​

 

​​क्या रोहन ऐसे ही मीरा को हाथ से जाने देगा? ​

​​क्या वह उसे मनाने उसके घर जाएगा? ​

​​क्या मीरा अब वापस कभी नहीं आएगी? ​

 

​​जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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