मेल्विन के मुंबई वाले घर में मी के आने और उसके ऑफिस लौटने के बाद, ज़िंदगी धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी। मी अपनी चोटों से उबर रही थी और धीरे-धीरे अपनी खोई हुई ताक़त और थोड़ी सी मुस्कान वापस पा रही थी। मेल्विन के लिए यह किसी जीत से कम नहीं था। अब जब मी सुरक्षित थी और ठीक होने की राह पर थी, मेल्विन को अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौटने की ज़रूरत थी। वह जानता था कि खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं था, लेकिन कम से कम मी अब सुरक्षित थी और यह उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण था।
एक हफ़्ते बाद, मेल्विन ने अपने ऑफिस में वापसी का फैसला किया। यह एक जानी-मानी पब्लिशिंग कंपनी थी, जो शहर के सबसे प्रतिष्ठित मैगज़ीन हाउसों में से एक थी। सुबह की मुंबई की हलचल भरी सड़कों से गुज़रते हुए, मेल्विन को एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हुई। इतने दिनों बाद वह फिर से अपनी दुनिया में लौट रहा था, एक ऐसी दुनिया जो डिकॉस्टा के काले साये से बहुत दूर थी। जैसे ही उसने ऑफिस का दरवाज़ा खोला, उसके साथी कर्मचारियों ने उसे देखा और खुशी से चिल्ला उठे-
"मेल्विन! तुम वापस आ गए!"
सारा, उसकी सबसे पुरानी सहकर्मी, दौड़कर उसके पास आई और उसे गले लगा लिया। "हम तुम्हें बहुत याद कर रहे थे! सब ठीक है न?"
मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, सारा सब ठीक है। बस एक ज़रूरी काम से बाहर गया था।"
उसने डिकॉस्टा और मी के बारे में कुछ भी बताने से परहेज किया। मेल्विन अपने ड्रॉइंग टेबल की ओर बढ़ा। उसकी मेज पर उसके पुराने स्केच पड़े थे, अधूरे आर्टिकल्स और मैगज़ीन लेआउट्स की फाइलें और उसके पसंदीदा चारकोल पेंसिल का डब्बा। उसने अपनी कुर्सी खींची और बैठ गया। एक पल के लिए उसने अपनी आँखें बंद कीं, अपने आसपास के परिचित माहौल को महसूस किया – कागज़ की महक, कंप्यूटरों की धीमी आवाज़, और सहकर्मियों की बातचीत की हल्की फुसफुसाहट। उसने अपनी सबसे पसंदीदा पेंसिल उठाई और एक नए मैगज़ीन कवर के लिए स्केचिंग शुरू की। उसकी उंगलियाँ कागज़ पर नाचने लगीं, और कुछ ही पलों में, एक खूबसूरत डिज़ाइन आकार लेने लगा। रेखाएँ साफ और सटीक थीं, हर स्ट्रोक में आत्मविश्वास झलक रहा था। यह वो जगह थी जहाँ वह सबसे ज़्यादा सुकून महसूस करता था – अपने विचारों को कागज़ पर उतारते हुए, रचनात्मकता में लीन होकर। जैसे-जैसे उसने स्केच करना जारी रखा, उसके दिमाग से डिकॉस्टा का तनाव और मी की चिंता कुछ देर के लिए दूर हो गई। यहाँ, इस ड्रॉइंग टेबल पर, सब कुछ एकदम सही था। वह अपने काम में पूरी तरह खो गया, दुनिया की सारी परेशानियों को भूलकर अपनी कला में लीन हो गया। उसके सहकर्मी भी उसे काम करते हुए देखकर खुश थे, यह जानते हुए कि मेल्विन अब पूरी तरह से वापस आ गया था, और सब कुछ फिर से पटरी पर आ गया था। सब कुछ परफेक्ट था।
एक शाम, ऑफिस से लौटकर मेल्विन मी की देखभाल करने के बाद, अपने कमरे में आया। उसने अपना फ़ोन उठाया और रेबेका का नंबर डायल किया। इतनी आपाधापी में वह उसे ठीक से समय नहीं दे पाया था, लेकिन अब जब मी थोड़ी ठीक थी, तो वह उससे बात करना चाहता था। दूसरी घंटी पर ही रेबेका ने फ़ोन उठा लिया। "मेल्विन! आख़िरकार!" उसकी आवाज़ में एक राहत और हल्की सी शिकायत दोनों थीं। "मैं तुम्हें कितनी देर से कॉल कर रही थी! सब ठीक है न?"
मेल्विन मुस्कुराया। उसकी आवाज़ सुनकर उसे सुकून मिला। "हाँ, रेबेका, सब ठीक है। बस थोड़ा व्यस्त था लेकिन मुझे माफ़ करना कि मैं तुम्हारा वो स्केच नहीं बना पाया।" उसने मीऔर डिकॉस्टा की घटना के बारे में कुछ भी बताने से परहेज किया। वह नहीं चाहता था कि रेबेका बेवजह परेशान हो। " वैसे तुम कैसी हो?"
"मैं ठीक हूँ, पर तुम्हें लेकर परेशान थी," रेबेका ने कहा। "तुम गायब क्यों थे इतने दिनों से? मुझे लगा।"
उसकी आवाज़ में चिंता थी। "कुछ अर्जेंट काम था,"
मेल्विन ने बात टालते हुए कहा। "एक दोस्त मुश्किल में था, और मुझे उसकी मदद करनी पड़ी।" उसने मी का ज़िक्र तो किया, पर विस्तार से कुछ नहीं बताया।
"लेकिन अब मैं वापस आ गया हूँ, और मैं तुम्हें बहुत याद कर रहा था, रेबेका।"
रेबेका की आवाज़ में गर्माहट लौट आई।
"मैं भी तुम्हें बहुत याद कर रही थी, मेल्विन। तुम्हें पता है, तुम्हारे बिना मुझे अजीब सा लगता है। ऐसा लगता है जैसे कुछ अधूरा है।"
"मुझे भी ऐसा ही महसूस होता है," मेल्विन ने धीरे से कहा। "पता नहीं क्यों, पर इस बार जब मैं तुमसे दूर था, तो मुझे कुछ अजीब सा एहसास हुआ। ज़िंदगी कितनी अनिश्चित है, है ना?"
रेबेका खामोश हो गई, मानो मेल्विन के शब्दों की गहराई को महसूस कर रही हो।
"हाँ, मेल्विन। ज़िंदगी बहुत अनिश्चित है। इसीलिए शायद हमें हर पल को जीना चाहिए।"
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली। यही सही समय था। "रेबेका," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक नई दृढ़ता थी, "मैंने इतने दिनों से दूर रहकर एक बात सोची है। मुझे एहसास हुआ कि मैं तुम्हें और ज़्यादा खोना नहीं चाहता।"
रेबेका के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। "मेल्विन, तुम क्या कह रहे हो?"
"मैं कह रहा हूँ कि... मैं तुमसे प्यार करता हूँ रेबेका," मेल्विन ने कहा, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। "और मैं तुम्हारे साथ अपना बाकी का जीवन बिताना चाहता हूँ। मैं तुम्हारे साथ हर सुबह जागना चाहता हूँ, हर शाम तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ।"
रेबेका की आवाज़ भर्रा गई। "मेल्विन, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ! बहुत ज़्यादा! मैंने तुम्हें बहुत याद किया।" उसकी खुशी फ़ोन पर भी साफ महसूस की जा सकती थी।
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली, और फिर बोला, "तो... क्या हम शादी करेंगे, रेबेका? मैं जानता हूँ कि हम बहुत दिनों से इस बारे में बात कर रहे थे, लेकिन अब मुझे लगता है कि यह सही समय है। मुझे लगता है कि मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकता। मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपने साथ चाहता हूँ।"
रेबेका ने फ़ोन पर ही खुशी से सिसकियाँ लीं। "हाँ, मेल्विन! हाँ, बिल्कुल! मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ!" उसकी आवाज़ में ऐसा उत्साह था जैसे उसने अभी-अभी कोई बड़ी लॉटरी जीती हो। -"मैं बहुत खुश हूँ, मेल्विन! बहुत, बहुत खुश!"
"मैं चाहता हूँ कि यह जल्दी हो," मेल्विन ने कहा। "मुझे लगता है कि हमें अब और इंतज़ार नहीं करना चाहिए।"
रेबेका ने उसकी बात समझी। "तुम इतनी जल्दी क्यों करना चाहते हो?"
मेल्विन ने उसे सीधा जवाब नहीं दिया, पर उसके शब्दों में उस भयानक अनुभव की छाया थी। "पता नहीं, रेबेका। शायद इस सब के बाद, मुझे ज़िंदगी को और ज़्यादा समझने का मौका मिला है। मुझे एहसास हुआ है कि जो हमारे पास है, उसे सँजोना कितना ज़रूरी है।" उसने आगे कहा, "मुझे लगता है कि हम अब और समय बर्बाद नहीं कर सकते। मैं चाहता हूँ कि हम जल्दी से जल्दी एक-दूसरे के हो जाएं।"
रेबेका ने एक पल सोचा, फिर बोली, "तो, क्या हम कोर्ट मैरिज करें? बस हम दोनों और कुछ करीबी लोग? मैं नहीं चाहती कोई तामझाम हो।" मेल्विन की आँखों में चमक आ गई। "हाँ, रेबेका! उस वक़्त भी हम इसी निष्कर्ष पर पहुँचे थे।यह बिल्कुल परफेक्ट होगा! बस हम दोनों, अपनी ज़िंदगी की नई शुरुआत करते हुए। कोई तामझाम नहीं, कोई बड़ी पार्टी नहीं, बस हम और हमारी खुशी।"
उसे पता था कि यह सबसे अच्छा तरीका होगा सब कुछ शांत रखने का, और मीके सुरक्षित भविष्य को भी सुनिश्चित करने का।
"यह सबसे अच्छा विचार है, मेल्विन। मैं बहुत खुश हूँ!" रेबेका की आवाज़ में खुशी साफ झलक रही थी।
दोनों ने आने वाले दिनों में कोर्ट मैरिज की योजना बनाना शुरू कर दिया। यह उनके लिए एक नया अध्याय था, एक ऐसा अध्याय जहाँ वे एक-दूसरे के साथ रहकर खुशियाँ और शांति पा सकते थे। मेल्विन को लगा कि आखिरकार, उसकी ज़िंदगी में सब कुछ सही जगह पर आ गया था। उसे पता था कि आगे चुनौतियाँ हो सकती हैं, लेकिन रेबेका के साथ, वह किसी भी चीज़ का सामना करने के लिए तैयार था। उसकी ज़िंदगी में अब प्यार और स्थिरता थी, जो उसे एक नई ताकत दे रही थी।
यहाँ मेलविन रेबेका से तो मिल चुका था पर वहीं उसे अभी किसी और से भी मिलना बांकी था।
डॉक्टर मिस्टर ओझा।
एक शाम, मेल्विन मिस्टर ओझा के क्लिनिक पहुँचा। मिस्टर ओझा एक अनुभवी मनोवैज्ञानिक थे, जिनकी उम्र मेल्विन से कहीं ज़्यादा थी, लेकिन उनकी दोस्ती में उम्र की कोई दीवार नहीं थी। मिस्टर ओझा को मेल्विन के आने का इल्म था, और जैसे ही मेल्विन ने दरवाज़ा खोला, मिस्टर ओझा ने अपनी कुर्सी से उठकर गर्मजोशी से उसका स्वागत किया।
"अरे मेल्विन! मेरे पुराने दोस्त! तुम आ गए!" मिस्टर ओझा के चेहरे पर एक सच्ची खुशी थी। उन्होंने मेल्विन को गले लगा लिया। "कितने दिनों बाद मिल रहे हैं! मैं तुम्हें बहुत याद कर रहा था।"
मेल्विन ने भी उन्हें उतनी ही गर्मजोशी से गले लगाया। "मैं भी आपको बहुत याद कर रहा था, सर। इस बार थोड़ी देर हो गई।"
मिस्टर ओझा ने मेल्विन को अपनी आरामदायक कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। "बैठो, बैठो। मुझे पता था कि तुम आओगे। तुम्हारे चेहरे पर एक अजीब सी शांति है, पर तुम्हारी आँखों में अभी भी कुछ है, मेल्विन। बताओ, कैसे हो?"
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली। वह जानता था कि मिस्टर ओझा की पैनी नज़र से कुछ भी छुप नहीं सकता। उन्होंने हमेशा मेल्विन के अंदर की हर उथल-पुथल को भाँप लिया था। "ठीक हूँ, सर। बस... कुछ दिन अजीब रहे।"
मिस्टर ओझा मुस्कुराए। "मैं जानता हूँ, बेटा। मैंने तुम्हारे बारे में सुना था, हालांकि ज़्यादा कुछ नहीं। पर मुझे अंदाज़ा था कि तुम किसी मुश्किल में हो। मुझे खुशी है कि तुम अब सुरक्षित हो।"
उन्होंने मेल्विन की आँखों में देखा। "बताओ, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में? क्यों इतने दिनों बाद आना हुआ?"
मेल्विन ने धीरे-धीरे डिकॉस्टा के साथ हुई पूरी घटना, मी को बचाने की मजबूरी, और उस 'कॉम्पिटिशन' वाली कहानी के बारे में बताया। उसने मी के धीरे-धीरे ठीक होने और रेबेका के साथ शादी के फैसले का भी ज़िक्र किया। वह बिना किसी झिझक के सब कुछ बता रहा था, क्योंकि वह जानता था कि मिस्टर ओझा उसे कभी जज नहीं करेंगे।
मिस्टर ओझा ध्यान से सब सुन रहे थे, उनके चेहरे पर गंभीरता थी। जब मेल्विन ने अपनी बात खत्म की, तो मिस्टर ओझा ने कुछ देर तक खामोशी से उसे देखा। "तो, तुम एक गहरे दलदल से निकलकर आए हो, मेल्विन। और तुमने बहुत समझदारी से काम लिया।" उन्होंने थोड़ा रुककर कहा, "तुम्हें लगता है कि तुम मी को 'कॉम्पिटिशन' वाली कहानी बताकर ठीक कर रहे हो, पर क्या तुम खुद को ठीक कर रहे हो, मेल्विन?"
मेल्विन ने अपना सिर झुका लिया। "मुझे नहीं पता, सर। कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं ठीक हूँ, और कभी-कभी लगता है कि सब कुछ फिर से गड़बड़ हो जाएगा।"
मिस्टर ओझा ने मेल्विन के कंधे पर हाथ रखा। "यह सामान्य है, मेल्विन। तुमने एक बहुत ही दर्दनाक अनुभव से गुज़रा है। लेकिन मुझे खुशी है कि तुम इन सब के बावजूद भी अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हो, और रेबेका के साथ एक नई शुरुआत करना चाहते हो। यह बहुत हिम्मत का काम है।"
"मुझे बस समझ नहीं आ रहा सर," मेल्विन ने कहा, "क्या मैं सही कर रहा हूँ? क्या मी कभी इस सब से उबर पाएगी?"
मिस्टर ओझा ने धीरे से सिर हिलाया। "देखो, मेल्विन। मी को उबरने में समय लगेगा, और उसे तुम्हारी मदद की ज़रूरत पड़ेगी। जहाँ तक डिकॉस्टा की बात है, खतरा हमेशा बना रहता है। लेकिन तुम हमेशा डर में नहीं जी सकते। तुम्हें अपनी ज़िंदगी में शांति और खुशी ढूंढनी होगी। और मुझे लगता है कि रेबेका के साथ तुम्हारा रिश्ता तुम्हें वह शांति दे सकता है।"
"तुम्हें बस एक बात याद रखनी होगी मेल्विन," मिस्टर ओझा ने गंभीर होकर कहा, "कि तुमने मी को बचाया है, और यह एक बड़ी बात है। तुम एक अच्छे इंसान हो। और अब तुम्हें अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से जीना है, बिना किसी बोझ के।"
मेल्विन ने मिस्टर ओझा को देखा, और उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई। उसे लगा जैसे उसके दिल पर से एक बड़ा बोझ हट गया हो।
कुछ दिन शांति के रहे, यह शांति जो आने वाले तूफान से पहले की थी।
वहीं एक अनजान जगह पर एक व्यक्ति जो टीवी में न्यूज़ देख रहा था।
"हाल ही में नवजीवन में हुए बच्चों के प्रतियोगिता के परिणाम आ गए हैं। उन प्रितियोगिताओं ने काफी सारे बच्चों ने भाग लिया और लगभग सभी बच्चों ने इनाम जीता लेकिन उनमें जो सबसे ज्यादा सुर्खिया बटोरी, वह थी यह प्यारी बच्ची मी।"
- इतना सुनते ही उसने टीवी बंद कर दिया।
"मी पर नजर रखो।"- उसने कहा।
"जी बॉस।"- दुसरी तरफ से आवाज आई।
आखिर किसकी थी आवाज और वो क्यों ‘मी’ पर नजर रखने को कह रहा था? क्या मेल्विन पर आने वाली थी कोई बडी मुसीबत? क्या होगा मी और मेल्विन की कहानी का, और उसका कइतना असर पड़ेगा रेबेका की ज़िंदगी पर? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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