नीना की जमानत पर रिहाई के बाद भी उसकी परेशानियां खत्म नहीं हुई थीं। वेव अभी भी बंद पड़ा था और यूजर्स का भरोसा टूट चुका था। नीना वेव को फिर से खड़ा करना चाहती थी, पर ऐसा करना आसान नहीं था। नीना के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब यूजर्स का भरोसा फिर से जीतना था। और दूसरी ओर श्रेया उस अटैक का बदला लेने की ठान चुकी थी, क्योंकि वो आरव के सिद्धांतों को मानती थी, और नीना के साथ गलत नहीं होने दे सकती थी।

नीना इस संकट से बाहर निकलने की योजना बना रही थी, लेकिन दूसरी ओर क्लार्क को अब मजा आ रहा था, उसने एक और प्लान बनाया। जिसमें उसने एक फेक वीडियो बनायीं, जिसमे नीना की आवाज थी, ठीक उसी तरह जैसे क्लार्क की फेक वीडियो थी.. इसमें नीना बोल रही थी -

नीना - “आरव अब हमारे लिए सिरदर्द बन चुका है। उसे रास्ते से हटाना होगा, वर्ना वो डाटा लीक की खबर सभी को दे देगा। वो समझ ही नहीं रहा है, लोगों के डाटा को बेचने के करोड़ों रूपये मिलते हैं, उसे पैसों से मतलब ही नहीं है, ऐसा करो वो कुछ बोले उससे पहले ही उसे मार दो।”

इस वीडियो में नीना का चेहरा नहीं दिख रहा था, पर आवाज से साफ - साफ पता चल रहा था कि ये नीना ही है। मीडिया में अचानक यह अफवाहें फैलने लगीं कि आरव पर हुए हमले में नीना का हाथ था। हर समाचार चैनल इस खबर को दिखा रहा था, और सोशल मीडिया पर #NinaIsTheCulprit ट्रेंड करने लगा। लोग सोशल मीडिया पर नीना को फाँसी देने की मांग करने लगे। जब नीना ने ये सब देखा -

नीना : "यह क्या हो रहा है? ये सब झूठ है! मैं आरव को नुकसान क्यों पहुंचाना चाहूंगी?"

लोग इस अफवाह को सच मानने लगे थे। उन्हें विश्वास हो गया था कि नीना ने आरव को रास्ते से हटाने की कोशिश की थी ताकि वेव और उसकी कंपनी बच सके। नीना का नाम अब हर जगह बदनाम हो चुका था। जगह-जगह उसके पोस्टर जलाए जा रहे थे, और लोग उसके खिलाफ प्रदर्शन करने लगे थे। नीना के खिलाफ गिरफ्तारी की मांग उठने लगी थी। लोग सरकार पर दबाव डाल रहे थे कि नीना को फिर से गिरफ्तार किया जाए और उस पर आरव पर हुए हमले का मुकदमा चलाया जाए।

इसी बीच, नीना को धमकी भरे फोन और मैसेज आने लगे थे। लोग उसे जान से मारने की धमकी देने लगे थे। किसी ने उसके घर के बाहर "नीना खूनी है" लिख दिया था। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि उस के ऑफिस और घर पर पथराव होने लगा। लोगों का गुस्सा अब काबू से बाहर हो गया था।

नीना : "ये सब क्यों हो रहा है? मैंने कुछ नहीं किया! आरव मेरा दुश्मन नहीं था!"

नीना की स्थिति दिन-ब-दिन और खराब होती जा रही थी। उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस को तैनात किया गया था, लेकिन लोग अब उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। हर जगह यही चर्चा थी कि नीना ने ही आरव पर हमला करवाया। कुछ दिनों पहले जिस नीना के साथ सब खड़े थे वो जनता की नजरों में सबसे बड़ी क्रिमिनल बन चुकी थी।

सरकार अब जनता के दबाव में आ चुकी थी। हर ओर नीना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे। सोशल मीडिया पर #NinaIsTheCulprit ट्रेंड कर रहा था, और लोग लगातार उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। सरकार को कोई और रास्ता नज़र नहीं आया और नीना को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इस बार मामला गंभीर था। अदालत में उस पर केस चला, जिसमें उसे आरव की हत्या और वेव से जुड़े बड़े घोटाले के आरोपों में फंसाया गया। जनता और मीडिया ने पहले ही उसे दोषी ठहरा दिया था।

अदालत ने सबूतों के आधार पर उसे जेल भेजने का फैसला सुना दिया। नीना को अब एक ऐसी सच्चाई का सामना करना पड़ रहा था, जिसे उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उसे अपने पूरे जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा था। वेव, जिसे उसने अपने सपनों और मेहनत से खड़ा किया था, अब उसके हाथों से फिसल चुका था। उसकी साख, उसका नाम और सम्मान—सब कुछ बर्बाद हो चुका था। अब उसे हर ओर से यही सुनने को मिल रहा था कि वह एक क्रिमिनल है।

जिस जेल में उसे भेजा जा रहा था, उस जगह भी एक अजीब ही हलचल थी, उस जेल में सविता नाम की एक नोटोरीअस कैदी थी। सभी कैदी उसे डरते थे और उसका सम्मान भी करते थे। उसका पास्ट वाइलेन्ट था, लेकिन उसके पास एक ईमानदारी भी थी— वो जो बात एक बार कह देती थी, उससे कभी पीछे नहीं हटती थी। उसे जेल की "डॉन" कहा जाता था, क्योंकि उसने एक बार जेलर को 5 दिन तक अपनी ही जेल में बंदी बना कर रखा था, वो पांच दिन तक उसे टॉर्चर करती रही, क्योंकि जेलर ने एक प्रेग्नेंट कैदी को लात मार दी थी। जब उसने सुना कि नीना, जिस पर आरव की हत्या का आरोप था, उसी जेल में लाई जा रही है, तो उसके अंदर पुरानी यादें उमड़ आईं। वह आरव को अपने जीवन का एक इम्पोर्टेन्ट हिस्सा मानती थी, क्योंकि उसकी मदद से ही बेटा पढ़ पाया था। वह आरव के एहसान को कभी नहीं भूली थी, और अब नीना का आना उसकी सहनशीलता की परीक्षा लेने वाला था।

जब सविता को यह खबर मिली कि आरव की हमलावर आज ही जेल आएगी वो तभी से बिना कुछ खाए पिए दरवाजे पर बैठ गयी। पूरे जेल में उस दिन पूरी तरह ख़ामोशी थी, क्योंकि उस दिन सविता का गुस्सा उसके चेहरे पर झलक रहा था, उसकी आँखे पूरी तरह लाल थी। उसके हाथ बंद मुट्ठियों में बदल गए। बाकि कैदियों ने उसे पहले कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था। फिर सविता ने एक पल के लिए आँख बंद की और आरव की यादें उसके जहन में घूम गयी।

सविता को याद आया कि उसके बेटे को किसी भी स्कूल ने दाखिला नहीं दिया था। स्कूल वाले उसके बेटे को सिर्फ इसलिए पढ़ने नहीं देना चाहते थे क्योंकि उसकी माँ पर हत्या का आरोप था। वह एक अपराधी की संतान था, और समाज ने उसे पहले ही सजा दे दी थी। लेकिन तभी आरव उसकी जिंदगी में आया था। उसने न केवल उसे सुना, बल्कि उसके बेटे के भविष्य के लिए खड़ा भी हुआ।

स्कूल का प्रिंसिपल अपने ऑफिस में बैठा था, और आरव उसके सामने खड़ा था। सविता दरवाजे के पास खड़ी थी, अपने बेटे का हाथ पकड़े हुए। वह आरव से उम्मीद लगाए खड़ी थी, क्योंकि उसने कभी किसी को उसके लिए इतनी मेहनत करते हुए नहीं देखा था।

आरव - आपने इस बच्चे का एडमिशन क्यों नहीं किया?

प्रिंसिपल ने जवाब दिया - "देखिए, आरव। हम इस स्कूल की प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगा सकते। एक अपराधी के बेटे को यहां दाखिला देना हमारे लिए मुश्किल था। हमारी साख का सवाल था।"

आरव - "आपकी प्रतिष्ठा तभी दांव पर लगती है जब आप एक मासूम बच्चे को उसके माता-पिता की गलतियों की सजा देते हैं। उस बच्चे का क्या दोष है, सर? क्या सिर्फ इसलिए कि उसकी माँ पर अपराध का आरोप है, उसे शिक्षा से वंचित कर दिया जाए?"

प्रिंसिपल ने थोड़ा झिझकते हुए कहा - "लेकिन... समाज इस बात को कैसे देखेगा? क्या यह स्कूल एक अपराधी के बच्चे को पढ़ाने का जोखिम ले सकता है?"

आरव - "समाज को यह दिखाना हमारा कर्तव्य है कि हम हर बच्चे को उसके अधिकार देने का कर्तव्य निभाएं, न कि उसके पारिवारिक इतिहास के आधार पर उससे भेदभाव करें। अगर हम एक मासूम के भविष्य को सिर्फ इस आधार पर छीन लें कि उसकी माँ अपराधी है, तो हम उसे भी उसी रास्ते पर धकेल रहे हैं। क्या यही है हमारे समाज का न्याय?"

आरव की बात सुनकर प्रिंसिपल ने धीरे से कहा - "लेकिन... इस स्कूल की प्रतिष्ठा भी हमारी जिम्मेदारी है। अगर हमने यह फैसला लिया, तो लोग हम पर उंगलियां उठाएंगे।"

आरव - "प्रश्न उंगलियों का नहीं, सर, प्रश्न उस बच्चे के भविष्य का है। आज उसे शिक्षा से वंचित करके आप उसे अपराध के रास्ते पर ही धकेल रहे हैं। शिक्षा एक हथियार है, सर, और अगर यह हथियार उसके हाथ में नहीं होगा, तो समाज की वही उंगलियां कल उसकी असफलता पर भी उठेंगी। हम उसे एक मौका दे रहे हैं, उसकी जिंदगी संवारने का। क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं कि हम उसे वह मौका दें?"

आरव की बातों को सुनकर प्रिंसिपल भी परेशान होने लगा था, उसने अपनी आवाज ऊँची करके कहा - "तुम्हारी बातें सही हो सकती हैं, लेकिन यह बड़ा कदम है।"

आरव - "बड़ा कदम? बड़ा कदम वो होता है, जब हम किसी मासूम की जिंदगी में बदलाव लाने का साहस दिखाते हैं। इस बच्चे को मौका देना एक बड़ा कदम नहीं है, यह हमारा फर्ज है। अगर इस बच्चे को पढ़ाई से दूर किया गया, तो आप ही बता दीजिए, यह समाज उसे क्या देगा? माँ की गलती के लिए यह बच्चा कब तक सजा भुगतेगा? अगर आज आप इस बच्चे का भविष्य बचाते हैं, तो समाज आपके फैसले को सलाम करेगा। अगर नहीं, तो यही समाज इसे अपराधी बनाने के लिए दोषी होगा। और साथ ही आप भी उतने ही दोषी होंगे।"

प्रिंसिपल असमंजस में पड़ गया था। आरव की बातें इतनी गहरी थीं कि वह किसी तर्क का सहारा नहीं ले पा रहा था। वह समझ चुका था कि आरव जो कह रहा है, वह सही था। सविता, जो चुपचाप खड़ी थी, उसकी आंखों में आंसू आ गए थे। फिर प्रिंसिपल बोला - "ठीक है, आरव। हम उसे दाखिला देंगे। लेकिन यह सिर्फ तुम्हारी सिफारिश पर हो रहा है।"

आरव - "यह बच्चा आपको कभी निराश नहीं करेगा, सर। उसे मौका दीजिए, और आप देखेंगे कि वह इस स्कूल की प्रतिष्ठा को और ऊंचा उठाएगा। वो बच्चा सिर्फ आपकी उम्मीदों पर नहीं, अपनी खुद की उम्मीदों पर भी खरा उतरेगा। आप आज उसकी जिंदगी में जो बदलाव ला रहे हैं, वो कल दुनिया को दिखाएगा कि शिक्षा किसी भी इंसान को उसकी परिस्थिति से ऊपर उठा सकती है। आपका यह फैसला न सिर्फ उसकी, बल्कि समाज की भी सोच बदलेगा।"

सविता ने देखा था कि कैसे आरव ने उसके बेटे के लिए एक नया रास्ता बनाया था। उस दिन उसके दिल में आरव के लिए एक नया ही सम्मान पैदा हो गया था। वह उसे हमेशा मसीहा मानती आई थी, जिसने न सिर्फ उसके बेटे को शिक्षा दिलाई, बल्कि उसके खुद के जीवन में भी एक नई उम्मीद जगाई थी। वो उसके लिए जान दे भी सकती थी और किसी की भी जान ले भी सकती थी। उसकी आँखों में बीते पल याद करके आंसू आ गए थे। उसने वो आंसू पूछे और फिर मुट्ठी बांधकर खड़ी हो गयी।

जेलर जानती थी कि नीना के लिए आज की रात आखरी है, पर वो नहीं चाहती थी कि नीना को अगले 6 दिनों के भीतर कुछ हो। क्योंकि जेलर का रिटायरमेंट नजदीक था, और वह अपने आखिरी दिनों में किसी भी तरह की परेशानी नहीं चाहती थी। इसलिए वो डरते - डरते सविता के पास गयी। और पास में जा कर खड़ी हो गयी, सविता उसे ठंडी निगाहों से देख रही थी, उसकी चुप्पी में भी गुस्सा साफ़ - साफ़ दिखयी दे रहा था।

जेलर ने सविता को देखकर धीरे से कहा - "सविता, तुम जानती हो कि मेरा रिटायरमेंट बस 6 दिन बाद है। मैंने इस जेल में अपने पूरे करियर को बखूबी निभाया है और आखिरी वक्त में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं चाहती। मैं तुमसे विनती करती हूँ, सिर्फ 6 दिन। 6 दिन नीना को छोड़ दो। इसके बाद मैं यहां नहीं रहूंगी और तुम्हें जो करना हो, तुम कर सकती हो। ये मेरी आखिरी विनती है, सविता। मुझ पर एक एहसान कर दो।"

सविता ने जेलर की बातों को सुना, पर उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वह शांत खड़ी रही, लेकिन उसकी आंखों में गुस्से की लपटें जल रही थीं। जब जेलर ने बार - बार एक ही बात कही तो वो चिल्ला कर बोली - "छह दिन? सिर्फ छह दिन? मैं उसे 6 सेकंड भी नहीं छोडूंगी।”

दूसरी ओर आरव की हालत और भी अधिक नाजुक होती जा रही थी, उसकी हालत के लिए डॉक्टर ने एक बयान जारी किया, “कुछ समय तक आरव की हालत स्थिर बनी हुई थी, पर अचानक से उसके वाइटल्स डाउन होने शुरू हो गए हैं। इस समय बहुत मुश्किल स्थिति बनी हुई है। हम समय - समय पर आपको इस बारे में बताते रहेंगें।” ये बयान सोशल मीडिया पर गया, लेकिन क्लार्क ने इसे वायरल नहीं होने दिया।

क्या सविता मान जाएगी? या ये नीना की आखरी रात होगी? क्या आरव इस मुश्किल स्थिति से निकल पाएगा? 

Continue to next

No reviews available for this chapter.