पहले तो जेलर के कहते ही सविता ने गुस्से में मना कर दिया था लेकिन आखिर वो मान गयी.. दिखने में जितनी कठोर, अंदर से उतनी ही कोमल दिल की थी वो खतरनाक मुजरिम.. लेकिन सविता ने केवल 6 दिन का ही टाइम दिया था। इस बारे में नीना को कुछ भी पता नहीं था। वो कोर्ट से जेल आते समय वैन में अपने ही ख्यालों में खोयी हुई थी।
नीना - मैंने हमेशा सुना था कि यहाँ नए कैदियों के साथ क्या होता है। हर जगह डर और हिंसा का माहौल होता है। लोग नए कैदियों को टॉर्चर की कोशिश करते हैं, उन्हें डराते हैं, तंग करते हैं। कौन जानता है, किस वक्त क्या हो जाए? हर दिन एक नई सजा की तरह होता है। मैंने कितनी कहानियाँ सुनी हैं कि कैसे लोगों को यहाँ अंदर आकर अपने आप को बचाने के लिए लड़ना पड़ता है। क्या मेरे साथ भी ऐसा होगा?"
डर से नीना के माथे पर पसीना आने लगा। उसने एक गहरी साँस ली और अपने आप से बोलने लगी।
नीना - "मैं यहाँ कैसे सर्वाइव करूंगी? हर कोई यहाँ पहले से ही एक-दूसरे से भरा हुआ, गुस्सा और नफरत लिए रहता है। और मैं? मुझ पर तो आरव की हत्या का आरोप है... शायद यही वजह है कि वे लोग मुझे और भी ज्यादा निशाना बनाएंगे। इस जेल में आते ही सबसे पहले लोग यही करते हैं—किसी को नीचा दिखाना, उसके खिलाफ गैंग बनाना। क्या यही मेरा भी अंजाम होगा?"
नीना ख्यालों में सोच - सोच कर डरे जा रही थी। पर जेल में नीना का पहला दिन उसके लिए एक नया एक्सपीरियंस लेकर आया। उसके मन में एक डर और बेचैनी थी, जो हर नए कैदी के साथ होती है, खासकर तब, जब वह किसी गंभीर अपराध का आरोपी हो। जेल की कठोर दीवारों के भीतर कदम रखते ही नीना को यह अहसास हुआ कि अब उसकी जिंदगी कभी पहले जैसी नहीं रहेगी। लेकिन जैसा उसने सोचा था, वैसा कुछ भी नहीं हुआ।
नीना जेल के कैंटीन में जाने के लिए कतार में खड़ी हुई तो उसे डर था कि कोई उसे धक्का दे देगा या उसे पीछे कर देगा, लेकिन जैसे ही वह कतार में आयी, सभी कैदी धीरे-धीरे रास्ता देने लगे। हर कोई एक अजीब सी चुप्पी में उसे देखता, लेकिन कोई भी उससे कुछ कहने की हिम्मत नहीं करता।
नीना : "यह क्या हो रहा है? ये लोग मुझसे दूर क्यों हो रहे हैं? मैंने सुना था कि नए कैदियों के साथ कैदी बदतमीजी करते हैं, लेकिन यहाँ तो उल्टा हो रहा है। हर कोई मुझसे डरता हुआ क्यों लग रहा है? क्या सच में लोग मुझसे डरते हैं?"
नीना को समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा था। उसने जेल की कहानियों में सुना था कि नए कैदियों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था, लेकिन यहां तो हालात बिल्कुल अलग थे। उसके आने पर बाकी कैदी चुपचाप हट जाते थे। कोई उससे बात नहीं कर रहा था, और कोई भी उसे परेशान नहीं कर रहा था। ऐसे ही जब नीना खाने के लिए ट्रे लेकर बैठी, तो उसने देखा कि उसके चारों ओर कोई भी बैठने की हिम्मत नहीं कर रहा था। सभी उससे दूरी बनाए हुए थे, जैसे वह कोई अजनबी या खतरे की चीज हो।
नीना : "शायद ये लोग समझ गए हैं कि मैं उनसे कमजोर नहीं हूँ। मैं यहाँ कमजोर पड़ने नहीं आई हूँ। हो सकता है, उन्हें मुझ पर लगे आरोपों का डर हो। आखिर, उन सबने मेरी वीडियो देखी होगी, जिसमें मुझे आरव की हत्या का आरोपी बताया गया है। शायद वे मानते हैं कि मैं किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती हूँ।"
नीना ने यह सोचना शुरू कर दिया कि शायद उसकी इमेज ने ही लोगों को उससे दूर रहने पर मजबूर किया था। उसके मन में अब यह धारणा बैठने लगी कि लोग उससे डरते थे। उसे लगने लगा कि शायद बाकी कैदी उसे खतरनाक मानते थे, इसलिए कोई भी उससे टकराने की हिम्मत नहीं कर रहा है। वह जब कैंटीन से बाहर निकली, तो रास्ते में कुछ कैदी खड़े थे। नीना ने देखा कि जैसे ही वह उनके पास पहुंची, वे चुपचाप उसे रास्ता देने लगे। यह उसके लिए और भी ज्यादा हैरान करने वाला था।
नीना : "ये लोग मुझसे क्यों डर रहे हैं? शायद उन्हें लगता है कि मैं कोई बड़ी अपराधी हूँ। वे शायद इसीलिए मुझसे दूर रह रहे हैं। लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। कम से कम मुझे कोई परेशान तो नहीं कर रहा।"
नीना अब जहां भी जाती, लोग उसे देखते, लेकिन उससे दूर रहते। उसने देखा कि खाने की लाइन में उसे बिना कहे ही पहले आने दिया जा रहा था। कोई भी उसे टोकने या रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था, और जितनी देर वो चाहती, उसे उतनी देर खाने की आजादी थी। जब वह खाने के बाद अपनी ट्रे रखकर उठी, तो उसने देखा कि कुछ कैदी उसे दूर से घूर रहे थे, लेकिन कोई भी उसकी ओर आने की हिम्मत नहीं कर रहा था।
नीना : "शायद यह अच्छा ही है कि लोग मुझसे डरते हैं। इस तरह कम से कम मुझे यहां कोई परेशानी नहीं होगी। मैं इस जेल में अकेली हूँ, लेकिन इस अकेलेपन में भी मुझे एक ताकत महसूस हो रही है। यहां के लोग मुझे यूं ही छोड़ देंगे, मुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है।"
नीना की गलतफहमी अब धीरे-धीरे उसके मन में जमने लगी थी। उसे लगने लगा था कि उसकी छवि ने जेल में उसे एक मजबूत और खतरनाक व्यक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है। लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं था कि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग थी। दरअसल, बाकी कैदी उससे इसलिए दूर रह रहे थे क्योंकि सविता ने पहले ही धमकी दे दी थी कि नीना को छूने की हिम्मत किसी ने की तो वह किसी को नहीं छोड़ेगी। पर नीना को यह बात पता नहीं थी। उसे लगा कि उसकी खतरनाक इमेज ने ही उसे जेल में सुरक्षित रखा है।
नीना: "जेल में सब कहते थे कि नए कैदियों को टॉर्चर किया जाता है, लेकिन यहाँ तो सब मुझसे डर रहे हैं। शायद यह मेरी ताकत है। अब मुझे इस जेल में जीने का तरीका समझ आ गया है।"
आरव के सपोर्टर आरव की हालत के बारे में जानना चाहते थे, वो हॉस्पिटल पहुँच रहे थे। डॉक्टरों पर भी दबाव था, कि उन्हें आरव की कंडीशन को बेहतर करना है, इसलिए उन्होंने उसे ब्लड चढाने का प्लान बनाया, और ये प्लान सक्सेसफुल भी रहा। आरव के वाइटल्स वापिस से स्टेबल होने लगे थे। जिससे आरव के सपोर्टरों ने राहत की साँस ली, पर वे सभी अब आरव को सही देखना चाहते थे।
इधर जेल में चार दिन बीत चुके थे, और नीना अब तक यह मान चुकी थी कि लोग उससे डरते हैं। जेल के भीतर सबकी हरकतें उसे यही यकीन दिला रही थीं। वह जहां भी जाती, लोग उससे बचकर रहते थे। उसको कभी कोई काम नहीं दिया गया, और उसे अब तक यही लगता रहा कि उसकी खतरनाक छवि ने जेल में उसकी एक अलग पहचान बना दी है। दिन के चौथे पहर में, नीना कैंटीन की ओर जा रही थी। जैसे ही वह एक कोने में मुड़ी, अचानक वह एक कैदी से टकरा गई। वह एक छोटी कद की औरत थी, जिसने सिर झुकाकर तुरंत माफी मांगनी शुरू कर दी।
नीना ने हैरानी से उस औरत को देखा। उसका सिर नीचा था, और उसकी आवाज में डर वो महसूस कर सकती थी। यह देखकर नीना को अजीब लगा। नीना ने उस कैदी को रोका और उससे सवाल करने का फैसला किया।
नीना : "तुम मुझसे क्यों डर रही हो? मैंने तुम्हें कुछ नहीं किया, फिर भी तुम मुझसे माफी क्यों मांग रही हो?"
वो कैदी एक पल के लिए चुप रही, मानो उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे। उसने अपने आप को थोड़ी देर तक संभाला और फिर नीना की ओर देखते हुए बात करनी शुरू की - "डरने का कारण तुम नहीं हो... असल में सविता है।"
नीना : "सविता? मतलब क्या? तुम मुझसे सविता की वजह से डर रही हो?"
नीना को यह सुनकर गहरा झटका लगा। वह अब तक यह सोच रही थी कि लोग उससे डरते हैं, लेकिन सविता का नाम सुनकर उसके मन में शक थोड़ा बढ़ गया। फिर वो कैदी बोली - "सविता ने हमें चेतावनी दी थी। उसने कहा है कि अगर किसी ने भी छह दिनों में तुम्हें छूने की कोशिश की, तो वह हमारे पूरे वंश को मिटा देगी। वह बहुत खतरनाक है।"
नीना के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसकी आंखें छोटी हो गईं और चेहरे पर सफेदी छा गई। अब तक वह जो कुछ भी सोच रही थी, सब गलत साबित हो रहा था। उसे लगा था कि लोग उससे डरते हैं, लेकिन असल में सविता का खौफ उन पर हावी था।
नीना : "तो... तुम सब मुझसे इसलिए डर रहे हो, क्योंकि सविता ने धमकी दी है? ये सब सविता की वजह से हो रहा है?"
कैदी बोली - "हाँ। हम सब सविता से डरते हैं। उसने कहा है कि इन छह दिनों में अगर किसी ने भी तुम्हें छुआ, तो वह हमारे पूरे वंश को खत्म कर देगी। हम जानते हैं कि सविता जो कहती है, वो करती भी है।"
नीना का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। चार दिन बीत चुके थे, इसका मतलब था कि सिर्फ दो दिन और बचे थे।
नीना : "लेकिन... यह कैसे हो सकता है? यहाँ जेलर है, यहाँ एक सिस्टम है... कोई मुझे मारने की कैसे सोच सकता है? यहाँ ऐसा कुछ कैसे हो सकता है?"
वो कैदी बोली - "यहाँ सिस्टम? तुम किस दुनिया में हो? यहाँ का असली सिस्टम सविता है। जेलर हो या कोई और, सविता के सामने किसी की नहीं चलती। उसने कहा है कि छठे दिन तुम्हें मार देगी, और हम सब जानते हैं कि वह जो कहती है, उसे पूरा करती है। तुम समझ नहीं रही हो... यहाँ नियम सिर्फ वही हैं, जो सविता बनाती है। और तुमने आरव को मारा है, वो उसे अपना भगवान मानती है।"
यह सुनकर नीना का चेहरा पीला पड़ गया। उसकी सांसें तेज हो गईं और दिल की धड़कनें इतनी तेज थीं कि वह उन्हें अपने कानों में सुन सकती थी। उसे अब अहसास हो रहा था कि चार दिन तक उसने जिस सुरक्षा का आनंद लिया था, वह सविता के खौफ की वजह से था। कैदी ने नीना की ओर एक आखिरी नजर डाली और फिर हंसते हुए चली गई। उसकी हंसी नीना के दिल में और भी डर भर गई थी। नीना ने उसे जाते हुए देखा और उसकी बातें उसके दिमाग में गूंजने लगीं। वो जाते-जाते बोली - "छठे दिन का इंतजार करो... उसके बाद तुम यहां नहीं रहोगी। सविता तुम्हें मार डालेगी, और कोई कुछ नहीं कर सकेगा।"
नीना : "मैंने आरव को नुकसान पहुंचाने की कभी सोची भी नहीं थी। मैं उसके खिलाफ कैसे हो सकती हूँ? ये लोग क्यों समझ नहीं रहे कि मैं भी इस साजिश का शिकार हूँ? मैं सीधे सविता से ही बात कर लेती हूँ, उसे समझाती हूँ कि मैं भी इन सभी में फँसायी गयी हूँ। मुझे आज उससे बात करनी ही होगी।"
नीना सविता के पास पहुँच जाती है, वो उससे बात करने की कोशिश करती है।
नीना : "सविता, मुझे तुमसे एक बार बात करनी है। मैंने आरव को नहीं मारा, मैं भी इस साजिश में फंसाई गई हूँ। तुमसे सिर्फ एक बार बात करने का मौका चाहती हूँ।"
सविता बोली - "बात करने का वक्त खत्म हो चुका है, नीना। मुझे तुम्हारी बातें सुनने का कोई शौक नहीं है।"
इसके बाद सविता वहां से उठकर चली गयी, उसने बात करने से साफ इनकार कर दिया। नीना को समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। उसके पास सविता से बात करने का यह आखिरी मौका भी खत्म हो चुका था। वह घबराई हुई जेलर के पास गई, शायद वहां से कुछ मदद मिल सके।
नीना : "जेलर, सविता ने मुझे धमकी दी है। वो मुझे मारने वाली है। कृपया आप कुछ कीजिए।"
नीना की बात सुनकर जेलर मुस्कुराई और बोली - "नीना, ये सब तुम्हारे दिमाग की उपज है। यहां कुछ भी नहीं होने वाला। तुम बस बेवजह घबरा रही हो। कोई तुम्हे जेल में नहीं मारने वाला।"
जेलर ने नीना की बातों को पूरी तरह से नकार दिया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। नीना के दिल में डर और गहरा हो गया। छठे दिन जेलर अपने रिटायरमेंट के बाद चली गई। रात का समय था, जेल में सन्नाटा पसरा हुआ था। रात के गहरे अंधेरे में, नीना अपने सेल में सोने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसका मन बेचैन था। अचानक, कुछ कैदी उसकी सेल में घुस आए और उसे खींचकर बाहर ले गए। नीना चीखना चाह रही थी, लेकिन लोगों ने उसकी आवाज़ को दबा दिया। वे उसे घसीटते हुए सविता के पास ले गए। सविता पहले से तैयार खड़ी थी, उसके हाथ में एक चमचमाता हुआ चाकू था। नीना ये देखकर बहुत डर गयी।
सविता ने चाकू को उठाया और बोली - "तुमने आरव को मारा, जिसने मेरे बेटे को उसका हक़ दिलाया।”
सविता ने ये कहकर नीना पर चाकू से वार किया। नीना की चीखें हवा में गूंज गईं। उसकी सांसें थमने लगीं, और वह धीरे-धीरे बेहोश हो गई। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा, और उसकी सांसें रुकने सी लगीं। सविता उसे छोड़कर वहां से चली गयी। थोड़ी देर बाद नीना को हॉस्पिटल ले जाया गया।
क्या नीना जिन्दा बच पायेगी? या आज की रात उसकी जिंदगी की आखिरी रात होगी?
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