नैरेटर - सविता के नीना पर चाकू से वार करते ही उसकी चीखें हवा में गूंज गईं। उसकी सांसें थमने लगीं, और वह बेहोश हो गई। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और उसे थोड़ी देर बाद हॉस्पिटल ले जाया गया।
नैरेटर: तुरंत सभी से पूछताछ शुरू की गयी। जेल में अधिकारी आये। मामले की गंभीरता को समझते हुए पूरे जेल में पूछताछ करने लगे। हर किसी से पूछा जा रहा था कि नीना पर हमला किसने किया, लेकिन कोई भी इसके बारे में कुछ नहीं कह रहा था। अधिकारी ने सख्त लहजे में एक-एक कैदी से सवाल किया, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया।
नैरेटर: सविता उस लाइन में शांत खड़ी थी, उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति था। उसकी आंखों में एक ठंडक थी, और उसे इस बात का पूरा यकीन था कि कोई भी उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा। उसका डर इतना गहरा था कि हर कैदी की जुबान बंद थी। पूछताछ के दौरान कोई भी खुलकर सामने नहीं आया। सभी जानते थे कि सविता ने नीना पर हमला किया था, लेकिन किसी ने इसका जिक्र नहीं किया। बिना गवाह या सबूत के अधिकारी भी कुछ नहीं कर सकता था। सबको यह अच्छी तरह पता था कि सविता के खिलाफ बोलना मौत को न्योता देने जैसा था।
इसी दौरान, एक महिला कैदी, जो सविता के पास खड़ी थी, ने धीरे से उससे कहा, "रूपा ने तुम्हें नीना पर हमला करते देखा था। हो सकता है, वो तुम्हारे खिलाफ गवाही दे दे।"
ये सुनकर भी सविता बिलकुल नहीं डरी। उसने सोचा जो होगा देखा जायेगा। दरअसल रूपा, हमेशा से सविता के खिलाफ खड़ी रहती थी। रूपा जेल की एकमात्र ऐसी कैदी थी जिसने कभी सविता के सामने झुकने से इनकार किया था। अगर रूपा ने गवाही दी, तो सविता के लिए हालात खराब हो सकते थे। लेकिन जब सभी से पूछताछ की जा रही थी, रूपा एक कोने में चुपचाप खड़ी रही। उसने कुछ भी नहीं कहा। उसकी इस चुप्पी ने सविता को और भी अधिक असमंजस में डाल दिया।
नैरेटर: रूपा की चुप्पी ने जेल के अंदर एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर दी थी। बाकी कैदी, जो अब तक सविता के खौफ से दबे हुए थे, रूपा की ओर देख रहे थे। हर कोई उम्मीद कर रहा था कि रूपा कुछ कहेगी, लेकिन उसने कोई बयान नहीं दिया। अधिकारी ने रूपा से भी वही सवाल किया, जो उसने बाकी कैदियों से किया था—"तुमने क्या देखा?"—लेकिन रूपा ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बस सिर झुका लिया और चुपचाप खड़ी रही।
अधिकारी ने कुछ देर और इंतजार किया, फिर कोई गवाह न मिलने पर सभी कैदियों को वापस उनकी बैरकों में भेज दिया। जांच अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुई थी, लेकिन बिना सबूत और गवाह के, सविता पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया जा सकता था।
नैरेटर: सविता के चेहरे पर अब पहले जैसी शांति नहीं थी। उसे अब रूपा की चुप्पी खटक रही थी। वह पूरी रात इस बारे में सोचती रही। रात के अंधेरे में, सविता बेचैनी से अपने बैरक में बैठी थी। उसे लग रहा था कि कुछ गलत है। वह जानती थी कि रूपा ने उसे नीना पर हमला करते हुए देखा था, लेकिन उसने अधिकारी के सामने कुछ क्यों नहीं कहा? यह सवाल उसे अंदर से परेशान कर रहा था।
अगले दिन, सविता ने तय किया कि वह खुद जाकर रूपा से इस बारे में बात करेगी। उसने मौका पाकर रूपा को अकेले में बुलाया। रूपा एक कोने में बैठी थी, और सविता ने सीधा सवाल किया, "तूने देखा था, न? तूने देखा कि मैंने नीना को मारा। फिर तूने कुछ कहा क्यों नहीं?"
नैरेटर - रूपा ने सविता की बात सुनकर, एक पल के लिए आँखें बंद की और उसी पल 3 साल पहले की घटना उसके आँखों के सामने घूम गयी।
नैरेटर: रूपा एक गरीब परिवार से थी, उसकी जिंदगी हमेशा संघर्षों से भरी रही थी। वो और उसकी बेटी, दोनों ही अलग-अलग घरों में काम करती थीं ताकि दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके। रूपा की बेटी, सुषमा, दिनभर एक बड़े से घर में झाड़ू-पोछा और बर्तन मांजने का काम करती थी। दोनों मां-बेटी की दुनिया सीमित थी, लेकिन वे अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपने जीवन को किसी तरह चलाने की कोशिश कर रही थीं।
रूपा के लिए यह संघर्ष हमेशा से था, लेकिन उसकी बेटी की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। एक दिन, जब सुषमा अपने काम पर गई, उस घर के मालिक ने उसका रेप कर दिया। सुषमा बुरी तरह से टूट चुकी थी। वो डर के मारे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, और जब वो अपने घर वापस लौटी, उसकी आंखों में वो दर्द था, जिसे कोई भी मां सहन नहीं कर सकती।
नैरेटर: जब रूपा को इस घटना का पता चला, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह रोती-चिल्लाती रही, लेकिन उसकी बेटी को कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। आखिरकार, रूपा ने ठान लिया कि वह उस आदमी के खिलाफ आवाज उठाएगी। वह सुषमा को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंची, लेकिन वहां उसकी एक नहीं सुनी गई। पुलिस वालों ने उसे नजरअंदाज किया, और उसे धक्के मारकर थाने से बाहर कर दिया गया।
रूपा ने दिन-रात हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन हर जगह उसे सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। अमीर लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे थे, और किसी को भी एक गरीब महिला और उसकी बेटी की मदद करने में दिलचस्पी नहीं थी। पुलिस भी उन अमीरों के दबाव में काम कर रही थी, जिन्होंने सुषमा के साथ ये कांड किया था।
नैरेटर: कई दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। रूपा निराश हो चुकी थी, उसे लगने लगा कि शायद उसकी बेटी को कभी न्याय नहीं मिलेगा। उसे यह भी डर सता रहा था कि कहीं वह और उसकी बेटी इस अन्याय को सहते हुए पूरी जिंदगी बिता न दें। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और एक दिन एक पुलिस अफसर ने FIR दर्ज कर ही ली।
केस चला और उन लोगो ने सुषमा को बदनाम करना शुरू कर दिया। आरोपी के वकीलों ने यह साबित करने की कोशिश की कि सुषमा बदचलन है, और यह सब उसके और उसके परिवार के ही कारण हुआ था। रूपा और सुषमा कोर्ट के अंदर हर सुनवाई के दौरान ये अत्याचार सहन करती रही।
नैरेटर: एक दिन रूपा, अपनी बेटी के साथ आत्महत्या करने जा रही थी, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया, वो आरव था। आरव ने दिन रात एक करके उस आदमी के खिलाफ सबूत इकट्ठे किये और उसे जेल पहुँचाया। उस आदमी को जेल पहुँचाने में आरव को करीब 10 महीने का समय लगा। वो 10 महीने में पहली बार रूपा ने अपनी बेटी को हँसते देखा था।
नैरेटर - पर तीन दिन बाद, वह आदमी जेल से बाहर आ गया। और उसी दिन मर गया। उसी आदमी के मर्डर के आरोप में रूपा आज जेल में बंद थी। वैसे उस आदमी को रूपा ने ही मारा था और मारने के बाद खुद ही ने पुलिस स्टेशन पर आकर कबूल भी कर लिया।
नैरेटर - क्या हुआ किस सोच में पड़ गयी - सविता ने रूपा से कहा। सविता की बात सुनकर रूपा ने अपनी आँखें खोली। और कहा - तेरे से ऐसी उम्मीद नहीं थी, तूने उसे दर्द नहीं दिया, अगर तू उसे छोड़ भी देती तो मैं उसे जिन्दा जला देती, और वो उस दर्द को सहती जो आरव अस्पताल में सह रहा है।
नैरेटर - तू आरव को कैसे जानती है - सविता ने पूछा। पर रूपा ने इस बात का कोई जवाव नहीं दिया, वो बस वहां से उठी और चली गयी।
नैरेटर - जेल में नीना पर हुए हमले की खबर जंगल की आग की तरह बाहर फैल चुकी थी। मीडिया ने इस खबर को तेजी से उठा लिया था, और हर चैनल पर बस इसी की चर्चा हो रही थी। नीना, जो पहले से ही आरव की हत्या के आरोप में सुर्खियों में थी, अब एक बार फिर से खबरों में आ गई थी, लेकिन इस बार वह खुद एक हमले का शिकार थी।
हर चैनल पर नीना की हालत और उस पर हुए हमले की अटकलें लगाई जा रही थीं। अगले दिन के अखबारों में बड़ी-बड़ी सुर्खियों में लिखा जा रहा था, "आरव की हत्या की आरोपी नीना पर जेल में हमला, हालत गंभीर!" लेकिन सच्चाई किसी को भी मालूम नहीं थी।
नैरेटर: किसी को यह नहीं पता था कि नीना पर किसने हमला किया। जेल प्रशासन भी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए था, और मीडिया को कोई ठोस जानकारी नहीं दी जा रही थी। यह हमला कैसे हुआ, क्यों हुआ, और किसने किया—ये सवाल सबके मन में थे, लेकिन इनका जवाब किसी के पास नहीं था।
जेल से कोई भी अधिकारिक बयान नहीं आया था, जिससे अफवाहों का बाजार और भी गरमा गया था। मीडिया ने अपनी ओर से खबरों में तरह-तरह की कहानियां जोड़नी शुरू कर दीं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि नीना ने जेल में किसी से दुश्मनी मोल ली थी, जबकि कुछ रिपोर्ट्स यह दावा कर रही थीं कि नीना को किसी बाहरी व्यक्ति ने साजिश के तहत मरवाने की कोशिश की थी।
नैरेटर: सोशल मीडिया पर #JusticeForNina ट्रेंड करने लगा था। पर ज्यादा समय तक ट्रेंड नहीं कर पाया। कुछ लोग नीना के खिलाफ थे, जो मानते थे कि आरव की हत्या का बदला अब उसे मिल रहा है, जबकि कुछ लोग उसे निर्दोष मानते थे और उसकी जान बचाने की मांग कर रहे थे। नीना की हालत को लेकर कई तरह की खबरें आ रही थीं, लेकिन सच्चाई किसी को भी पता नहीं थी।
नैरेटर - नीना की हालत बहुत ख़राब थी, उसे किसी भी पल कुछ भी हो सकता था। खून अधिक बहने की वजह से कोई भी डॉक्टर कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं था। ऐसे में डॉक्टर ने नीना के घाव को सिल दिया और लगातार उसे खून की बोतल चढ़ाने लगे। नीना की स्थिति में सुधार हुआ और वो होश में आ गयी।
नैरेटर - ये बात जब श्रेया को पता चली तो वो नीना से मिलने के लिए गयी। दोनों के बीच कुछ पलों की खामोशी थी। नीना ने श्रेया की ओर देखा, उसकी आंखों में दर्द और निराशा थी। श्रेया ने नीना को देखा और उसे यह समझ नहीं आया कि इतनी बड़ी बिज़नेस वुमन आज इतनी शांत कैसे है?
नीना : "श्रेया, मुझे पता है कि तुम मुझ पर शक कर रही हो। आरव तुम्हारे बहुत करीब था, और मैं समझ सकती हूँ कि तुम क्या महसूस कर रही हो। लेकिन मैं तुम्हें सच बताना चाहती हूँ—मैंने उस को नहीं मारा। मैं कभी ऐसा कुछ नहीं कर सकती।"
श्रेया : "नीना, हर कोई तुम्हारे खिलाफ है। तुम्हारी वीडियो वायरल हो चुकी है। तुम उस वीडियो में साफ़-साफ़ कह रही हो कि आरव अब तुम्हारे लिए सिरदर्द बन चुका है और उसे रास्ते से हटाना होगा। तुम कैसे कह सकती हो कि तुम निर्दोष हो? आखिर तुम पर कोई कैसे भरोसा कर सकता है?"
नैरेटर: नीना ने गहरी सांस ली। वह जानती थी कि श्रेया का विश्वास जीतना आसान नहीं होगा।
नीना : "श्रेया, मैं समझ सकती हूँ कि तुम्हें मुझ पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है। लेकिन वह वीडियो फेक है। यह सब क्लार्क का किया हुआ है। उसने ही मुझे इस साजिश में फंसाया है। आरव कभी मेरा दुश्मन नहीं था। वह तो क्लार्क के रास्ते में आ रहा था, और इसी वजह से क्लार्क ने उसे हटाने का फैसला किया।"
श्रेया : "क्लार्क? लेकिन क्लार्क की भी आरव से कोई दुश्मनी नहीं थी। "
नीना : "यही तो बात है, श्रेया। क्लार्क हमेशा से केवल फायदे की सोचता है, वो अपने कॉम्पिटिशन को रास्ते से हटाने के लिए कुछ भी कर सकता है। उसने मेरी जो फेक वीडियो बनायीं है, वो इतनी असली लगती है कि ऐसे काम के लिए क्लार्क को इनाम मिलना चाहिए।
नैरेटर: श्रेया नीना की बात ध्यान से सुन रही थी। वह अब उलझन में थी। अगर नीना सच कह रही थी, तो यह सारा मामला बहुत बड़ा था। क्लार्क, क्या वह सच में इस साजिश का मास्टरमाइंड हो सकता था? श्रेया के मन में बहुत से सवाल चल रहे थे। वो हॉस्पिटल से सीधे आरव को देखने गयी। वहां उसे आरव की मम्मी मिली, जिनकी हालत रो - रो कर बहुत बुरी हो चुकी थी।
श्रेया - आंटी जी, आप इस तरह से क्यों रो रहे हैं? जब आरव उठेगा और वो आपको इस कंडीशन में देखेगा वो भी रो पड़ेगा, आप इस बात को समझते क्यों नहीं? आपको आरव की कसम आप अब बिलकुल नहीं रोओगी।
नैरेटर - श्रेया ने उनको कसम देकर, उनके आंसू तो रोक दिए थे, पर आरव को अभी भी उस हालत में देखकर, उसकी आँखें भर आयी। उसके होश में आने का कोई भी रास्ता उसे नहीं दिख रहा था। फिर श्रेया हॉस्पिटल से वापिस आ गयी। पर उसके दिमाग में अब नीना की बात घूम रही थी।
नैरेटर - क्या श्रेया सच्चाई का पता लगा पायेगी? या नीना फिर से जेल जाएगी? जानने के लिए सुनते रहिये #इंक़लाब
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