बलवंत को पता ही नहीं था कि वह सुमेधा के सामने जो कुछ कन्फेस कर रहा है, उसकी वीडियो बनाई जा रही है…उसी कमरे के टेबल पर रखे प्लास्टिक के एक फ्लावर प्लांट में एक छोटा सा कैमरा जो फिट था।
बलवंत ने बताया कि उसके कारण बहुत से लोगों की जिंदगी बरबाद हुई थी, उनमें से राघव भी एक था। पर बलवंत को राघव के बारे में कुछ नहीं पता था...वह तो केवल इतना जानता था कि आज से पांच साल पहले एक सील की गई फैक्ट्री के बाहर राघव नाम के एक लड़के ने कबीर नाम के एक बच्चे को बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी थी, वह फैक्ट्री बाहर से सील थी…पर अंदर अवैद्ध काम होते रहते थे।
इसके अलावा बलवंत ने और भी बहुत खुलासे किए। पिछले कई सालों में गायब हुए हजारों लोगों के साथ क्या किया गया, यह बलवंत ने सुमेधा को बता दिया।
‘’पर पापा आप मुझे यह सब क्यों बता रहे हैं? आपको मुझ पर इतना विश्वास कैसे है?‘’
‘’क्योंकि तुम मेरी बेटी हो, और मैं अपने सीने में यह बोझ कई सालों से लेकर जी रहा हूं, मुझे आभास हो रहा है कि यह पाप है…बहुत बड़ा पाप।‘
सुमेधा के मुंह से एक फीकी हंसी निकल गई...कमाल है पापा आपको इतने सालों बाद पता चला कि आप पाप कर रहे थे, आप ह्युमन बॉडी के पार्ट फारेन में बेचने का धंधा करते थे, आपने छोटे-छोटे बच्चों तक को नहीं छोड़ा, यहां तक की गर्भ में पलने वाले बच्चों के शरीर का भी सौदा किया। क्या मिला आपको यह सब करके? आपको पता है आपने यह सब करके कितनी मांओ से उनके बच्चे छीने? कितनी औरतों को विधवा किया? कितने बच्चे अनाथ हुए और न जाने कितने परिवार तबाह कर दिए?
बलवंत के चेहरे पर गहरे अफसोस और निराशा के भाव छा गए…''मैं जानता हूं बेटी कि यह सब महापाप है, भूल गया था कि एक दिन सबकुछ छोड़कर चले जाना है, लेकर जाना है तो केवल अपना कर्म और मुझे मेरे कर्मों की सजा ऊपरवाले ने दे दी है। बेटी सुमेधा मुझे ब्लड कैंसर है, मैं लास्ट स्टेज पर हूं, तुम्हारे सामने खड़ा हूं तो केवल दवाइयों के दम पर...आज मेरे सामने केवल मेरे पापों का लेखा जोखा है, बेटा सोचा था तुम्हारी शादी धूमधाम से करूंगा उसके बाद दुनिया घूमूंगा, अपनी जिंदगी खुलकर जियूंगा।‘’
‘’हां उन पैसों से जो आपने बेगुनाह और मासूम लोगों के शरीर के अंग बेचकर बनाए थे आपको ऐसा कहते शर्म आनी चाहिए, इसके बजाय आप यह भी तो कह सकते थे कि मैं मंदिर जाउंगा, मैं मस्जिद जाउंगा, चर्च जाउंगा, गुरूद्वारे जाउंगा, अपने किए गऐ गुनाहों की माफी मांगूगा, जहां-जहां ये सारी चीजें दिखेंगी मैं उस दर पर माथा टेकूंगा, और आप कह रहे हैं की आप दुनिया देखना चाहते हैं।‘’
बलवंत ने रूआंसे स्वर में कहा, ‘’मेरे कहने का मतलब यही था बेटा...मैं अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता हूं, कैसे करूं, ईश्वर ने तो मेरी जिंदगी के दिन भी कम कर दिए।‘
सुमेधा बोली, ‘’वाह पापा, जब तक जिंदगी थी, तो गुनाह पर गुनाह किए...उस समय आपको नहीं पता था कि एक दिन सबकुछ छोड़कर जाना है। उन सभी मासूमों की हाय आपको लगी है और ब्लड कैंसर तो बहुत ही मामूली सी सजा है पापा, आपको तो...खैर मैं क्या बताउं.? शायद आपको पता नहीं है कि मैं कौन हूं? मैं नहीं चाहती कि आप इस दुनिया से जाएं तो एक बहुत बड़ा सच जाने बिना जांए, आपको हक है वह सच जानने का।‘’
''कैसा सच?'' बलवंत ने आंखे सिकोड़कर पूछा।
उसके बाद सुमेधा ने जो कुछ कहा, वह सब सुनकर बलवंत की आंखे फैल गई थी। ऐसा लगा सीने में किसी ने भाला घोंप दिया, ऐसा धोखा बलवंत को कभी नहीं मिला था, ‘’क्या कहा तुम मेरी बेटी नहीं हो?‘’ बलवंत के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ था।
‘’हां, यह एकदम सच है, आप चाहे तो मेरा डीएनए टेस्ट भी करवा सकते हैं, मैं आपकी बेटी नहीं हूं….मैं उसी इंसान की बेटी हूं जिसे आपने दिन दहाड़े बीच बाजार में यह सोचकर मारा था कि आपको कभी मौत आएगी ही नहीं, आपका गुनाह भगवान को कभी दिखेगा ही नहीं।‘’
‘फिर मेरी बेटी कहां है?’ बलवंत लगभग चीख पड़े थे।
यह तो मैं नहीं जानती हूं पर आपकी बेटी की मां को पता है।‘’
‘’कुंती को..? उसने मेरे साथ धोखा किया, छल से किसी और की बेटी मुझे पकड़ा दी‘’ बलवंत गहरे रोष से भर उठे।
सुमेधा ने ताने मारते हुए कहा, ‘’छल से..यह आप कह रहे हैं, जिसकी खुद की रगों में छल कपट..धोखा भरा हुआ है उसके साथ धोखा हो गया है तो आश्चर्य कैसा?‘’
सुमेधा एकदम सच कह रही थी...कपटी के साथ कपट हुआ था।
मीरा ने वह वीडियो बंद कर दिया था, उसे इस बात से मतलब नहीं था कि बलवंत और सुमेधा आपस में बाप बेटी नहीं थे और बलंवत अब इस दुनिया में कुछ ही दिनों का मेहमान था, मीरा को तो इस बात से मतलब था कि राघव कितनी बड़ी मुसीबत में फंसा था।
तो इतने सालों से उसे यही सबूत चाहिए था...जिसके लिए उसने अपना वजूद ही बदल कर रख दिया। तो क्या उस रात राघव ने कुछ ऐसा देख लिया था जिससे कबीर की जान मुसीबत में आ गई थी?
वह चीफ..मेरे पापा...नैना और बलवंत सिंह मिलकर कई सालों से मानव अंगो की तस्करी कर रहे थे...वे लोग कहीं से भी किसी भी इंसान को उठवा लेते थे और उसके शरीर...छी:...इन्हें तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। अच्छा तो इसलिए राघव केवल मुझसे ही नहीं बल्कि अपने परिवार से भी छुपा रहा...पर अभी तो बहुत सी बातें सामने आनी बाकी है...कबीर किसका बेटा है जिसे बचाने के लिए राघव को हम सबसे दूर भागना पड़ा?
अब मीरा का ध्यान सुमेधा पर चला गया....हे भगवान वह कितनी अच्छी लड़की है, उस दिन कितनी खुश होकर अपने लिए लंहगा देख रही थी...पर उसके दिल में बहुत सारा दर्द भरा हुआ था, इतने सालों से वह अपने माता-पिता के कातिल के साथ रह रही थी, कितना भारी होता होगा जब भी वह बलवंत को अपने सामने देखती होगी और उन्हें न चाहते हुए भी पापा कहती होगी। मैं भी तो एक कातिल की बेटी हूं, मेरे पापा के हाथ भी तो न जाने कितने निर्दोष लोगों के खून से सने हैं।‘’
अनजान मीरा को पता ही नहीं था कि बलवंत सिंह ही उसके अपने पापा हैं, और जिस अमरीश को वह कोस रही थी…उनका तो मीरा से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता ही नहीं है।
उधर लैब में....नैना के बिना भी मीटिंग अपने जोरों पर थी, चीफ अभी तक इस बात से अनजान था कि भावनाओं में बहकर बलवंत ने अपने गुनाहों को अपनी उस बेटी के सामने कबूल कर लिया है जो उसकी अपनी है ही नहीं, बलवंत की जिंदगी के कुछ ही दिन बचे थे पर उनके कारण और बाकी की जिंदगियों पर भारी संकट आने वाला था।
बलवंत भारी क्षोभ, घृणा और गुस्से से भरा हुआ था, उसने सुमेधा से सब कुछ कहकर कहीं ना कहीं भयानक भूल कर दी थी, पर अपने अपराध को स्वीकार करने के चक्कर में उसे इस सच का पता चला कि सुमेधा उसकी बेटी है ही नहीं, वह तो उस पत्रकार की बेटी है जिसने बलवंत के कारनामों को उजागर करने के लिए बहुत सारे सबूत जुटा लिए थे।
इतने सालों से वह एक झूठ के साथ रह रहा था...कुंती तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया.? मेरी अपनी बेटी कहां है? क्या उसे मेरे बारें में कुछ पता भी है? कुंती को मैं कहां ढूंढू.?’’
तभी बलवंत के कान में चीफ की गुर्राती हुई आवाज सुनाई दी..कहां खोए हो बलवंत?’’
बलवंत ने जैसे सुना ही नहीं....अमरीश ने उनका हाथ पकड़कर हिलाया। बलवंत जैसे गहरी नींद से जाग उठे...हां हां चीफ आप कुछ कह रहे हैं क्या?‘’
‘’मैं यह कह रहा हूं कि हमें अगले हफ्ते दो सौ से ज्यादा ह्युमन बॉडी पार्ट दुबई भेजने हैं, वहां के एक हॉस्पिटल से मेरी डील हुई है, लास्ट वीक मैं दुबई गया था, करोड़ों में डील हुई है…पर हर बार की तरह इस बार भी हमें बहुत ही एलर्ट रहना होगा। जैसा की हर बार हम करते हैं, बॉडी पार्ट को डीप फ्रिज में डालकर दिल्ली से मुंबई मेरे प्राइवेट जेट से भेजा जाएगा और उसके बाद मुंबई में गेटवे आफ इंडिया के पास मेरी शिप जाएगी।‘’
डाक्टर अजीत और डाक्टर धीरज के माथे पर बल पड़ गए...दो सौ इंसानों के बॉडी पार्ट का इंतजाम एक हफ्ते के अंदर-अंदर कहां से करेंगे.? यहां तो एक आदमी के शरीर की किडनी, लीवर और हार्ट निकालने के लिए कितने ही तिकड़म करने पड़ते हैं।
अमरीश कोई डाक्टर नहीं था...उसका काम केवल इन सब चीजों को गोपनीय तरीके से गाड़ियों मे रखवाना था। अभी तक उसने यह बहुत ही अच्छे तरीके से किया था, नैना का भी भरपूर साथ मिला था, पर नैना कहां गई.? मुझसे बेवफाई क्यों कर रही है?
आज की मीटिंग में सबके चेहरे पर अलग-अलग भाव थे....बलवंत अपने गिनती के बचे हुए दिनों के बारे में सोच रहा था, इसे कैसे जीना है वह यही सोच रहा था अब कुंती के पास जाकर अपनी बेटी के बारे में पता लगाने का समय नहीं रह गया था।
अमरीश को नैना की दगाबाजी से गुस्सा आ रहा था...कहीं मेरी ढलती उम्र के कारण तो नैना मुझे नहीं छोड़ रही है? वह जवान है सुंदर है, क्या पता उसका किसी अपने ही एज के लड़के पर दिल आ गया हो? और उसने उसके साथ घर बसाने के सपने देखने के चक्कर में मुझे और यह काम छोड़ दिया हो, पर क्या चीफ उसे ऐसा करने देंगे? नैना अच्छे से जानती है कि चीफ के चंगुल से केवल मरा हुआ इंसान ही निकल सकता है, जिंदा नहीं..इस मीटिंग के खत्म होते ही चीफ नैना को पाताल लोक से भी खोजकर यहां ले आएंगे, नैना तुम क्यों अपनी जान की दुश्मन बन रही हो? भरी जवानी में दुर्गति वाली मौत को इनविटेशन क्यों दे रही हो?
अमरीश को पता ही नहीं था कि नैना खुद राघव और शेखर की बंधक बनी हुई है, इस समय वह एक अनजान जगह पर थी।
चीफ की आवाज फिर से उस लैब में गूंजी, ‘’क्या बात है? आज की मीटिंग में किसी के चेहरे पर कोई उत्साह नहीं दिख रहा है, तुम लोगों को मेरी दुबई वाली डील समझ में नहीं आ रही है क्या? इस डील से इतने पैसे मिलेंगे कि हमें बहुत लम्बे समय तक यह काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी...खुद मुझे भी बहुत से पैसों की जरूरत है, मेरे कम्पनी के शेयर रेट कम हो रहे हैं, मेरी दो कम्पनियां बंद होने की कगार पर हैं, यह डील होते ही मेरी सॉरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी और तुम लोगों के बैंक एकांउट में इतने पैसे भर जाएंगे कि अगर रोज लाखों रूपएं खर्च करोगे तो भी कई सालों तक नहीं खत्म होंगे।‘’
सबके चेहरे पर वैसी ही खामोशी छाई रही...बलवंत ने तय कर लिया था कि अब वे इस कत्लेआम में नहीं हाथ डालेंगे...चीफ ज्यादा से ज्यादा क्या करेगा? उसे मार ही तो डालेगा ना, वैसे भी अब तो शायद मैं एक महीना भी न जिंदा रहूं….आगे आने वाले दिन मेरे लिए बहुत ही तकलीफ देह होंगे अच्छा ही है कि मैं तड़पकर मरने से एक झटके में ही चीफ की गोली का शिकार हो जाउं।
‘क्या बात है? सबके मुंह पर टेप क्यों लगा है? अब मुझे यह बताओ कि एक हफ्ते के अंदर दो सो ह्यूमन बॉडी का अरेजमेंट तुम लोग कैसे करोगे?‘
डॉक्टर धीरज ने कहा, ‘’चीफ यह तो बहुत ही ज्यादा है, पिछली बार हमे बीस किडनियों का इंतजाम करना था, उसमें हम सभी के पसीने छूट गए थे, इस बार दो सौ किडनी, कैसे होगा और केवल किडनी ही नहीं चीफ आंखे, लीवर...हार्ट भी, यह तो बहुत ही मुश्किल काम है।‘’
चीफ की खौंफनाक हंसी लैब में गूंज उठी...तुम लोगों के लिए यह मुश्किल कहां है? तुम दोनों तो सरकारी हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करते हो..रोज हजारो पेशेंट जानवरों की तरह तुम्हारी क्लीनिक के बाहर खड़े मिलते हैं, उनमें से कितने हैं जिनकी लाइफ हमारे लिए या इस देश समाज के लिए जरूरी है?
पर चीफ हम उन्हें ऐसे मौत तो नहीं दे सकते हैं।
चीफ ने याद दिलाते हुए कहा, ‘’क्यों नहीं दे सकते हो? इसके पहले भी तुम लोगों ने यह सब किया है, अब करने में क्या हर्ज है..? वैसे भी तुम लोग देश पर एक उपकार ही कर रहे हो, कम से कम इसी बहाने इस देश की जनसख्यां तो कुछ कम होगी।‘’
अचानक बलवंत उठा और बोला, ‘’चीफ अब मैं इस काम से रिटायर होना चाहता हूं....मैं अब शांति पूर्वक बची हुई जिंदगी जीना चाहता हूं।‘’
‘’आपकी जिंदगी अब बची कहां है मिस्टर बलवंत जी? मुश्किल से पंद्रह दिन के मेहमान हैं आप, मरने से पहले हम पर तो एहसान करते जाइए।‘’ चीफ ने कहा।
सबकी हैरत भरी निगाहें बलवंत के चेहरे पर टिक गई और बलवंत की टांगे कांपने लगी।
बलवंत क्या मीरा को ढूंढ पायेगा?
मीरा चीफ का सच जान पायेगी?
चीफ की दुबई वाली डील क्या कामयाब होगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
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