एक ओर राघव का अपने आप को बेगुनाह साबित करके किसी अनजान जगह चले जाना और दूसरी ओर आर्यन जो आज मीरा की जिंदगी को पूरी तरह से बदलने वाला था।
दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है, पर दोनों ही मुझसे बेइंतहा प्यार करते हैं....राघव के दिल में मैं आज भी हूं, मेरे अलावा उसने किसी और के बारे में सोचा भी नहीं...आखिर क्यों नहीं शादी की उसने? कबीर तो उसके साथ होगा ना...हां उसे क्यों छोड़ेगा? सुमेधा की जान खतरे में है, मुझे आर्यन से बात करनी होगी, जब आर्यन यहां आएगा तो मैं उसे सुमेधा के बारे में बताउंगी, आर्यन की जान-पहचान तो बहुत ऊपर तक होगी, बड़े-बड़े पुलिस आफिसर को वो जरूर जानते होंगे, सुमेधा की सुरक्षा के लिए जरूर कुछ ना कुछ तो करेंगे।
राघव को पता था कि मैं यहीं दिल्ली में हूं तो मुझसे मिलने क्यों नहीं आया? उसके पास मेरा फोन नंबर था, फोन कर के मुझसे पूछ तो लेता कि मैं इस समय कहां पर हूं? वह मेरे सामने आकर भी तो वह सच बता सकता था जो मैं पांच साल पहले जानना चाहती थी। कहीं उसे पता तो नहीं चल गया कि मैं भी अपनी जिंदगी की नई शुरूआत करने वाली हूं? शायद वह मुझे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, एक आखिरी बार तो आ जाते तुम राघव।
मीरा कई सारी उलझनों में फंसकर रह गई थी...एक ओर राघव का सच बताकर हमेशा के लिए किसी अज्ञात जगह चले जाना, सुमेधा का खुलासा करना कि वह बलवंत की बेटी नहीं है, बलवंत की जिंदगी के कुछ ही दिन बचे हैं और वहां फार्महाउस के लैब में उसके पापा अमरीश अभी तक पाप का खेल खेल रहे हैं...लानत है ऐसे बाप पर...काश मैं सुमेधा जैसी स्ट्रांग होती और यह कह सकती की आप जैसे बाप को तो सड़-सड़कर मरना चाहिए। उन्हें भी मौत मिलेगी, जैसे ऊपरवाले ने बलवंत सिंह को तिल तिल कर मरने के लिए मजबूर कर दिया है वैसे ही अब मेरे पापा भी एक एक सेकेंड हजारों मौत मरेंगे, मेरे पास उन लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत है।
कहीं यह सबूत उसके फोन से डिलीट न हो जाए इसलिए मीरा ने ये वीडियो अपने तीन चार विश्वसनीय लोगों को भेज दी और यह भी रिक्वेस्ट की कि इसे अभी कहीं न दिखाएं क्योंकि अगर यह इंटरनेट पर डाल दिया जाता तो हास्पिटल इंडस्ट्री, फार्मा इंडस्ट्री और पॉलिटिक्स वर्ल्ड में भयानक खलबली मच जाती। क्योंकि इस मानव शरीर के अंगो की तस्करी के खेल में चीफ, बलवंत, नैना, अमरीश और डाक्टर धीरज और डाक्टर अजीत ही नहीं बल्कि पीछे से और भी जाने माने महारथी थे जो रातों रात अमीर बनने का सपना देख रहे थे।
मीरा ने टाइम देखा, दोपहर होने वाली थी, ‘ओह नो, आर्यन के आने का समय हो गया यह फोन आर्यन के हाथ नहीं लगनी चाहिए, फिर मीरा ने अपने माथे पर हल्की सी चपत मारकर कहा, ‘’उसने तो मेरे फोन को कभी हाथ भी नहीं लगाया है, फिर अब क्यों छुएगा?‘’
मीरा नहाने के लिए वाशरूम में घुस गई। राघव ने वह वीडियो न केवल मीरा बल्कि जतिन को भी भेज दी थी, जतिन ने भी किसी को भेज दी और वह जतिन से मिलने के लिए लालकिले में एक टूरिस्ट बनकर आ रहा था वो भी थोड़ी देर के लिए।
जतिन ने अपना भेष बदल रखा था, चिकने चेहरे पर नकली मोटी दाढ़ी मूंछ लगा रखी थी। आंखो पर काला चश्मा…जतिन के काम करने का तरीका ही एकदम अलग था...लाल किले के अंदर और आस पास घूम रहे देसी और लोकल टूरिस्ट भी यह अंदाजा नहीं लगा सकते थे कि इस किले में दिल्ली का पुलिस कमिश्नर घूम रहा है।
लेकिन युग जतिन को पहचान गया…युग चीफ की लोकेशन जतिन को देने आया था...अब चीफ के खिलाफ जतिन के पास ठोस सबूत थे और चीफ के साथ-साथ उसके काले कारनामों के सारे साथी भी इस समय दिल्ली में थे।
युग जतिन के बगल में खड़े होकर लालकिले की एक दीवार पर लिखी लाइनों को ऐसे देखने लगा मानों वह उसे पढ़ रहा हो लेकिन दरअसल वह जतिन से बात कर रहा था बिना उसे देखे। वे एकदम सावधान रहना चाहते थे, युग चीफ का दुश्मन और पुलिस का एजेंट है यह शक किसी को नहीं होना चाहिए।
जतिन ने भी दीवार पर लिखी लाइन को देखकर पढ़ने का नाटक करते हुए युग से पूछा, ‘’क्या खबर है?‘’
युग ने लाइनों को देखकर जतिन की ओर बिना देखे कहा, ‘’दो सौ ह्युमन बॉडी के पार्ट को दुबई सप्लाई करने की प्लानिंग है।‘’
‘’यह सब कहां से लेकर आएंगे? क्या वे दो सौ लोगों का मर्डर करवाएंगे?‘’ जतिन ने पूछा।
‘’नहीं, कल दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वामी अवधेशानंद का प्रवचन है, चीफ का प्लान है कि किसी तरह वहां भगदड़ मचा दी जाए और कम से कम पचास लोगों के गायब होने की खबर आनी चाहिए, ये पचास लोग चीफ के लैब में लाए जाएंगे‘’ युग ने कहा।
‘’बाकी के डेढ़ सौ लोग कहां से आएंगे?‘’ जतिन ने अगला सवाल किया।
युग ने कहा, ‘’कुछ को गर्वमेंट हास्पिटल में इंजेक्शन देकर मारा जाएगा, कुछ को झोपड़ पट्टी से उठाया जाएगा।‘’
जतिन ने कहा, ‘’एक साथ इतने मर्डर का प्लान है तुम्हारे बास का।‘’
‘’वो मेरा बॉस नहीं है, मेरे परिवार का हत्यारा है, इसका सबूत है तुम्हारे पास।‘
‘’हां, कहकर युग ने एक छोटी सी पेनड्राइव जतिन के पैर के पास गिरा दी, और कहा कि इसमें चीफ और उसके लैब में काम करने वाली सभी इम्पलाईज की बातें रिकार्ड है, यह तुम्हारे बहुत काम आ सकती है, चलता हूं, उम्मीद है तुम मुझे अच्छी खबर सुनाओगे।‘’
युग धीरे से वहां से खिसक गया....जतिन ने अगल बगल देखा और सावधानी पूर्वक अपने पैर के पास गिरे पेन ड्राइव को उठाकर अपने पैंट की पाकेट में डाल लिया।
जतिन सावधान था, युग चालाक था पर इन दोनों से भी ज्यादा शातिर कोई और भी था जो इन दोनों से दस कदम दूर एक खम्भे के पास खड़ा इन दोनों को देख रहा था, वह मकरंद था, चीफ का सबसे खतरनाक बाउंसर।
ओह मेरे दोस्त युग और पुलिस कमिश्नर यशवर्मन...अच्छी जुगलबंदी है, कमिश्नर साहब यह भेष बदलने का खेल तो हम बाउंसर न जाने कितने सालों से कर रहे हैं, आप पूरी दिल्ली को बेवकूफ बना सकते हैं, पर मकरंद को नहीं। युग मेरे दोस्त तुम्हें कितनी भयानक सजा मिलने वाली है शायद तुम अंदाजा भी नहीं लगा सकते, इस दुनिया में धोखे से बड़ा पाप कुछ और नहीं है...’ मकरंद मन ही मन मुस्कुराया और अपने चेहरे का मास्क ठीक किया, आंखो पर काला चश्मा चढ़ाकर वहां से निकल गया।
बलवंत की सच्चाई जानकर सब बड़े ही हैरान थे....खुद बलवंत भी...यह बात तो केवल तीन चार लोगों को पता है, मेरे पीए सुनील, सुमेधा और उस डाक्टर को जो मेरा ट्रीटमेंट कर रहा है, पर चीफ को कैसे पता चल गया?
‘’इतना हैरान होने की जरूरत नहीं है मिस्टर बलवंत जी, मेरे सारे पाटनर्र कब कहां जाते हैं, किससे मिलते हैं इसकी जानकारी मैं रखता हूं, और मुझे आप से पूरी सहानुभूति है और बेहद अफसोस की आगे आने वाले समय में हम अपनी कामयाबी को सेलिब्रेट नहीं कर सकेगें हमें आपकी बहुत याद आएगी, इसलिए मैंने आपकी इच्छा का सम्मान करते हुए यह फैसला लिया है कि आप चाहे तो इस डील से अलग हो सकते हैं।‘’
बलवंत भी यही चाहता था, अब बलवंत की यही ख्वाहिश रह गई थी कि मरने से पहले अपनी असली बेटी को अपने सामने देख ले।
चीफ को एक दूसरी जगह जाना था, ओके तो अब हमारी मुलाकात परसों अशोका होटल में होगी, वहां हम आमने सामने होंगे, और उसी दिन से हम काम शुरू करेंगे।‘’
जतिन इस समय पुलिस हेडक्वाटर के अपने प्राइवेट रूम में बैठा था, उसने चीफ और उसके साथियों की सारी रिकार्डिंग सुन ली थी। रिकार्डिंग सुनने के बाद जतिन ने एक लम्बी सी अंगड़ाई ली और मन ही मन कहा, ‘’ओह तो सारे सड़े हुए अंडे उस दिन अशोका होटल में इकट्ठे होंगे, बहुत सही सबको एक साथ खत्म करने का यह अच्छा समय है, इन्हें अरेस्ट करने का कोई फायदा नहीं है। ये सभी बड़ी मछलियां है, अरेस्ट होने के अगले ही दिन इन सभी की जमानत हो जाएगी, देश के सबसे बड़े वकील हायर करना इनके लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। इन सबको खत्म करना बहुत ही जरूरी है।
बलवंत जल्दी-जल्दी अपने घर पहुंचा....घर पहुंचते ही उसे यह खबर मिली कि सुमेधा रॉकी से शादी नहीं कर रही है, वह सुमेधा से माफी मांगकर कहीं चला गया। बलवंत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था पर वह यह जरूर जानना चाहता था कि रॉकी ने शादी से मना किया या फिर सुमेधा ने।
बलवंत के इस सवाल पर सुमेधा ने कहा, ‘’क्या फर्क पड़ता है पापा?‘’
बलवंत ने कहा, ‘’पापा मत कहो मुझे, ऐसा लग रहा है कि कोई मुझे गाली दे रहा है, मैं चाहकर भी तुम्हारे साथ कुछ नहीं कर सकता हूं, क्योंकि पूरी दुनिया की नजरों में तुम मेरी गोद ली हुई बेटी हो, जी तो चाहता है कि जैसे तुम्हारे मां बाप को गोलियों से भुनवाया वैसे ही तुम्हारे शरीर को भी छलनी कर दूं।
सुमेधा ने बलवंत को उपेक्षा और घृणा भरे स्वर में कहा कि ‘’जाहिर सी बात है, मेरे मन में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है, अफसोस तो इस बात का है कि ऊपर वाले ने आपको कुकर्मो की सजा दे दी है, आप तड़पकर तो मरेंगे पर लम्बे समय के लिए नहीं….काश आप थोड़ा और जीते और मौत की भीख मांगते।‘’
बलवंत ने दांत पीसते हुए कहा, ‘’मैं कितना मजबूर हूं कि इतनी ताकत होते हुए भी तुम्हें मार नहीं सकता हूं, मेरे पास शूटर हैं, सुपारी किलर हैं, पर मेरी मजबूरी तो देखो तुम्हें नहीं मरवा सकता, मैं तुम्हें अपनी जायदाद से बेदखल करता हूं।‘’
सुमेधा ने कहा, ‘’आपकी जायदाद पर वैसे भी मेरा कोई हक ही नहीं है, तो आप बेदखल क्या करेंगे? सुमेधा अपने लिए जायदाद खुद बना सकती है।‘’
‘यह बकवास बंद करो और यह बताओ कि रॉकी ने तुमसे शादी करने से मना क्यों कर दिया.?’’
‘’कल रात को आपने मेरे सामने अपनी एक गलती स्वीकार की थी और मैंने भी एक सच आपको बताया था कि मैं आपकी बेटी नहीं हूं, आपने कहा था कि आज से पांच साल पहले नोएडा के एक फैक्ट्री के सामने जब कुछ नवजात बच्चों को चीफ की दवाइयों का टेस्ट करने के लिए ले जाया जा रहा था, उनमें से कुछ बच्चे तो टेस्टिंग के दौरान ही मर गए थे।‘’
‘’हां कहा था तो, तुम पुलिस को बताओगी, तुम अच्छे से जानती हो कि इस देश का कोर्ट मेरा बाल तक बांका नहीं कर सकता है।‘’
सुमेधा ने व्यंग्यपूर्वक हंसते हुए कहा, ‘’आप तो वैसे ही भगवान को प्यारे हो रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने का तो समय भी नहीं रहा आपके पास।‘’
‘’काम की बात करो‘’ बलवंत सिंह, सुमेधा पर गुर्राया।
सुमेधा ने कहा, ‘’वही तो बता रही हूं, उस फैक्ट्री के अंदर एक लड़के ने नवजात बच्चों को दम तोड़ते देख लिया था।‘’
बलवंत ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा, ‘’हां तो, यह तो मैं भी तुमको बता चुका हूं, वैक्सीन का टेस्ट तो ऐसे ही फुटपाथ पर पैदा हुए इंसान के रूप में उन कीड़े मकोड़ो पर होती है, वे सारे बच्चे रोड के किनारे पैदा हुए भिखारियों के बच्चे थे।‘’
सुमेधा ने कहा, ‘’वे बच्चे थे पापा, इंसान के बच्चे, वे इस दुनिया में ऊपर वाले मालिक की मरजी से आते हैं, आपका कोई हक नहीं था उन्हें खिलने से पहले मसल दिया।‘’
‘उन्हें नरक से भरी जिंदगी से मुक्ति मिल गई, सोचो अगर वे जिंदा रहते तो क्या बनते? भिखारी...लूटेरे..दलाल...वेश्या और भी पता नहीं क्या-क्या?‘’
‘’सड़क पर पैदा होने वाला हर आदमी या औरत केवल यही नहीं बनता है पापा, शायद आपने इस देश की हिस्ट्री ठीक से नहीं पढ़ी है, अगर पढ़ी होती तो पता चलता कि झोपड़ियों में रहने वाले लोगों ने भी सफलता के झंडे गाड़े हैं, राजा महाराजाओं की तरह पूरे देश में राज किया है।‘
‘मुझे यह प्रवचन मत सुनाओ यह बताओ की रॉकी क्यों चला गया?’
‘’वही तो बता रही हूं प्यारे पिताजी, जिस लड़के ने वह वैक्सीन टेस्ट और बच्चों को अपने सामने मरते देखा था वह रॉकी ही था।‘
बलवंत सिंह मानो सन्नाटे में आ गए। झूठ..झूठ बोल रही हो तुम, वह तो कोई राघव नाम का लड़का था, अगले दिन ही उसकी शादी थी, पर वह वहां से एक बच्चा उठाकर बहुत दूर निकल गया था।‘
‘’रॉकी ही राघव है पापा, जो आपके सामने अंडरकवर ऑफिसर बनकर आया था वह कभी दिल्ली का एक सक्सेसफुल बिजनेस मैन रह चुका था।‘’
बलवंत की टांगे कांपने लगी।
एक सच और सुनना चाहेंगे पापा, आप अपनी खुद की बेटी के बारे में जानना चाहते होंगे ना, तो आज से पांच साल पहले जिस लड़की के साथ राघव यानी रॉकी की शादी होने वाली थी, वह आपकी अपनी ही बेटी थी।‘’
झूठ...यह भी झूठ है, वह तो वह तो अमरीश की बेटी थी....उसका नाम उसका नाम...’’ बलवंत हद से ज्यादा बेचैन होकर अपना माथा सहलाने लगे।
क्या होगा जब बलवंत को मीरा का पता चलेगा, कि उसके काम की वजह से मीरा की शादी टूटी?
क्या वो खुद को कभी माफ़ कर पायेगा?
रॉकी यानी राघव कहाँ चला गया?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
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