सुमेधा के मुंह से सारी बातें सुनने के बाद बलवंत के दिल में एक बड़ा सा दर्द उठ गया...ऐसा लगा कि कोई उनके दिल को पकड़कर निचोड़ रहा है। उन्‍हें उनके पापों की ऐसी सजा मिलेगी यह तो शायद उन्‍होंने सोचा भी नहीं होगा।

सोलह सालों से वे एक झूठ के साथ जी रहे थे...अपने उस दुश्‍मन की बेटी को अपना नाम देकर जी रहे थे जिसने बलवंत के काले कारनामों को लगभग जान ही लिया था और सबूत जुटाकर पुलिस को देने ही वाला था, बलवंत का कैरियर उस समय परवान चढ़ ही रहा था, वे पार्टी के एक साधारण से कार्यकर्ता ही तो थे, नारे लिखवाना, बैनर पोस्‍टर चिपकवाना, जगह जगह रैलियां करवाना इत्‍यादि में बिजी थे। इसी बीच तो उनकी मुलाकात कुंती से हुई थी, एक सुंदर और सुलझे विचारों वाली लड़की जो पहली ही नजर में बलवंत के दिल को भा गई थी, पर दुर्भाग्‍य की बलवंत की उस समय शादी हो चुकी थी और वे अपनी गभर्वती पत्‍नी को दूसरे शहर में अकेला छोड़कर अपने सीनियर नेता के लिए वोट मांगने के लिए घर-घर हाथ जोड़े घूम रहे थे। 

कुंती का साथ मिला और बलवंत पार्टी के प्रिय मेंबर बनते गए और कुंती उनकी सेक्रेट्री....उनके और कुंती के बीच कभी कुछ भी नहीं छुपा रहा पर उनका रिश्‍ता जिसे बलवंत ने एक गलती का नाम दिया था, एक लड़की के लिए अपने राजनीतिक कैरियर की वे बलि नहीं चढ़ा सकते थे, वह भी एक नाजायज रिश्‍ते के लिए तो बिल्‍कुल भी नहीं, इस समय तक तो वे दो बेटों के बाप बन चुके थे और समाज में उनका एक सम्‍मानजनक ओहदा बन चुका था। अब कुंती से पीछा छुड़ाना उनके लिए मजबूरी हो गया था...उन्‍होंने अपने प्‍यार की दुहाई दी और वादा किया कि उसके पेट मे पल रहे अपने बच्‍चे को अपना नाम, उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा जरूर देंगे।

स्‍वाभिमानी कुंती ने बलवंत से कुछ भी लेने को मना कर दिया, और कसम खाई कि अब वह बलवंत के रास्‍ते में कभी नहीं आएगी। ऐसा कर के कुंती ने एक तरह से बलवंत पर एहसान ही किया था। पर आखिरकार दस साल बाद कुंती और बलंवत की मुलाकात हो ही गई...कुंती के साथ उनकी दस साल की बच्‍ची भी थी, जिसे बलवंत ने अपना समझ लिया। उन्‍हें नहीं पता था कि यह सब एक साजिश के तहत किया गया था, कुंती ने तो बलवंत और अपनी बेटी मीरा को पैदा होते ही अपनी सहेली नीता के हवाले कर दिया था और एक अनाथ बच्‍ची जिसके मां बाप को बलवंत ने मार दिया था, उसे अपने पास रख लिया था। 

अब सबकुछ बलवंत की समझ में आ रहा था कि क्‍यों कुंती ने इतनी आसानी से सुमेधा को उनके पास जाने दिया था, उस समय तो बलवंत इसे अपना पावर समझ रहे थे जिससे डरकर कुंती ने कुछ नहीं कहा था, पुलिस के पास नहीं गई, अपनी बेटी को वापस पाने के लिए कोर्ट कचहरी का चक्‍कर भी नहीं लगाया, पर यह तो कुंती की चालाकी थी…वह उसकी अपनी बेटी को बलवंत की छाया से बचाना चाहती थी, बहुत बुरी तरह से छला था कुंती ने उसे। 

बलवंत, सुमेधा के सामने घुटनों के बल बैठ गए और सुबकते हुए बोले, ‘’मुझे अपनी बेटी से मिलना है कहां है वो?‘’

सुमेधा बोली, ‘’आपकी पहुंच तो बहुत बड़ी-बड़ी जगह है, आप खुद क्‍यों नहीं पता लगा लेते हैं? खैर आपको जो बताना था आपने बता दिया और मुझे जो बताना है वो मैंने बता दिया, मुझे अभी इसी समय आर्यसमाज मंदिर के लिए निकलना है, आपके जैसा ही एक धूर्त नेता है जिसका अपनी पार्टी की एक कार्यकर्ता महिला से सम्‍बंध है, वह गर्भवती है, महिला मोर्चा ने उस नेता को पकड़ लिया है और उस महिला से शादी करवाने के लिए मंदिर ले जा रहे हैं।‘’

बलवंत ने सुमेधा को अविश्‍वसनीय तरीके से देखा। 

सुमेधा आगे बोली, ‘’यह इसलिए किया जा रहा है कि आगे चलकर कोई दूसरी औरत कुंती न बने और किसी कुंती की बेटी अपनी मां के पास न पलकर किसी और के पास पले बढ़े।‘’

‘’मेरी बेटी कहां है? बलवंत लगभग चिड़ते हुए बोले। 

‘आप पता लगा लीजिए मैं चलती हूं।‘’ 

बलवंत बुत होकर सुमेधा को जाते हुए देख रहे थे, कल में और आज में कितना फर्क आ गया था, कल कहां तो सोच रहे थे कि सिम्‍पल तरीके से ही सही मैं अपनी खुद की बेटी को विदा तो करता पर आज पता चल रहा हे कि यह मेरी बेटी ही नहीं है।

बलवंत सोचने लगा अगर रॉकी ही वह राघव है तो राघव की शादी तो अमरीश की बेटी से होने वाली थी...क्‍या नाम था? दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी बलवंत को मीरा का नाम नहीं याद आ सका। अगर सुमेधा सच बोल रही है तो अभी तक अमरीश को मीरा के बारे में पता नहीं चला है कि उसकी अपनी कोइ बेटी है ही नहीं, मेरे जैसा उसके साथ भी विश्‍वासघात हुआ है। मुझे अमरीश से कान्‍टेक्‍ट करना होगा, उसे सबकुछ सच-सच बताना ही होगा। 

इधर मीटिंग खत्‍म होने के बाद अमरीश, नैना को ढूंढने के लिए सबसे पहले उसके घर गया, जहां ताला लगा हुआ था, लता भी नहीं थी...अमरीश लता की आशिकमिजाजी और रंगीन लाइफस्‍टाइल के बारे मे जानता था। नैना ने बताया था कि वह आजकल दिल्‍ली युनिर्वसिटी के किसी प्रोफेसर के साथ प्‍यार के पींगे बढ़ा रही है, खैर मुझे उससे क्‍या.? मुझे तो केवल नैना से मतलब है। 

तभी बलवंत का फोन आया..अमरीश बुरी तरह भन्‍ना उठा...होगा इनका कोई पॉलिटिक्‍स का काम, मीटिंग में तो कुछ बात की नहीं गई अब न जाने क्‍यों फोन मिला रहे हैं?

अमरीश ने फोन काटकर स्‍विच ऑफ कर दिया, कम से कम कुछ समय तक ट्राई करने के बाद वह बलवंत का बच्‍चा अपना काम तो करने लगेगा। 

अमरीश ने बलवंत का काल काट दिया था, बलवंत समझ गया था कि वह नैना को लेकर परेशान है और इस समय तो उसकी धोखेबाज पत्‍नी नीता भी अपने मायके गई है वरना उसी के पास जाकर सबकुछ पता कर लेता।

नहीं मैं ऐसे हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकता, मुझे अमरीश से किसी तरह कान्‍टेक्‍ट करना ही होगा। 

मकरंद की कार तेज स्‍पीड से चीफ के होटल की ओर दौड़ रही थी...उनकी मीटिंग खत्‍म हो चुकी थी और उन्‍हें अपने एक पर्सनल काम के लिए निकलना था, और उसके लिए उनके बचे तीनों बाडीगार्ड की कोई जरूरत नहीं थी। 

चीफ रेडी हो रहा था…दूर खड़ा अभिजीत चीफ को देख रहा था, चीफ अब केवल अभिजीत का नहीं किसी और का भी होने वाला था, चीफ ने अपनी लाइफ में एक लड़की को शामिल कर लिया था। चीफ मीरा से मिलने जा रहा था, अपनी असलियत बताने जा रहा था, उस लड़की को जिसने चीफ को मारने की कसम ली थी। 

प्‍यार में पड़ा हुआ आदमी का दिमाग किस कदर फिर जाता है यह हमारे चीफ से बढ़कर और कोई उदाहरण हो ही नहीं सकता है। मीरा भी प्‍यार करती है, पर आर्यन से। एक कोशिश कर के देखते हैं क्‍या पता चीफ सही रास्‍ते पर आ जाए? चीफ ने अपनी व्‍हाइट शर्ट पर परफ्युम छिड़का और एक काला कोट उठाकर अपने दाहिने कंधे पर डाल लिया। 

‘’चीफ..’’ अभिजीत चीफ के सामने आकर खड़ा हो गया। 

चीफ ने उसे गहरी खामोश और ठंडी नजरों से देखा, एक पल के लिए अभिजीत सहम गया, जी में आया कि वह पीछे हट जाए लेकिन अगर आज नहीं तो कभी नहीं। 

‘’कुछ कहना चाहते हो तो शाम को कहना अभी मेरे पास समय नहीं है।‘’ चीफ ने कठोर शब्‍दों में अभिजीत से कहा।

‘’चीफ एक बार और सोच लीजिए, यह जो आप करने जा रहे हैं, यह कहीं से सही नहीं है, आपका सच जानने के बाद मीरा तो आपको कभी नहीं मिल सकती।‘’

‘’मेरा सच, मीरा मेरा सारा सच जानती है, हां कुछ चीजें नहीं जानती है जो वह आज जान जाएगी जैसे मेरा असली नाम...बस और क्‍या?

‘इससे वह आप से बेइंतहा नफरत करेगी।‘

‘’वह मुझसे प्‍यार भी कहां करती है? तुम जानते हो और मैं भी जानता हूं कि वह आर्यन देशमुख से प्‍यार करती है।‘’

‘’हां तभी तो कह रहा हूं चीफ की ऐसा मत कीजिए, आप अपना प्‍यार खो बैठेंगे, मीरा आपको कभी नहीं अपनाएगी। वह एक ही सूरत में आपकी हो सकती है कि आप जबरदस्‍ती उससे शादी कर ले।‘’

‘’यह तो मुझे करना ही है, इनफैक्‍ट आज ही करना है, मैं अपना सच उसे बताउंगा और वह दिल और दिमाग के सारे कोने से मुझसे नफरत करेगी, मुझे मारने की कोशिश भी करेगी, पर मैं उसे जबरदस्‍ती उठाकर मंडप में ले आउंगा और उससे शादी करूंगा। जाहिर सी बात है शादी के बाद वह मुझसे नफरत भले ही करे पर मेरी जान लेने की कोशिश तो नहीं करेगी, आखिर अपने पति को कौन सी लड़की मारना चाहेगी?‘’

‘आप किस समय में जी रहे हैं चीफ...अब वह समय नहीं रहा कि शादी कर चुकी लड़कियों का पति चाहे जैसा भी हो उसके लिए देवता होगा, मीरा उन लड़कियों में से नहीं है।‘ 

‘’क्‍या फर्क पड़ता है? मैं उससे शादी करने जा रहा हूं।‘’ 

‘’और आर्यन देशमुख का क्‍या? जिससे मीरा प्‍यार करती है।‘’ 

चीफ ने अपनी कलाई पर वाच बांधते हुए कहा, ‘उसे मरना होगा हमेशा-हमेशा के लिए, आज के बाद मीरा किसी आर्यन के बारे में सोचेगी ही नहीं, उसके दिल के हर कोने में केवल चीफ होगा….केवल चीफ।‘

कहकर चीफ होटल के बाहर खड़ी आधी दर्जन राल्‍स रॉयल कारों में से एक में बैठ गया, उसके पीछे सारी कारें चल पड़ी, अभिजीत शायद आखिरी बार अपने बॉस को देख रहा था, चीफ उसका प्‍यार था अब वह उससे छिन गया था। 

चीफ के निकलने के दस मिनट बाद मकरंद की कार ने होटल की गेट से एंट्री ले ली, अभिजीत अभी तक चीफ के रूम के बाहर ही खड़ा था, उसका चेहरा उदास था, आंखो में अथाह दुख भरा था, मकरंद सब समझ गया था कि अभिजीत अपने प्‍यार चीफ को बटते हुए नहीं देख सकता था, क्‍योंकि आज वे मीरा से जबरदस्‍ती शादी करने वाले थे। 

मकरंद ने कहा, ‘अभि...तुम शायद नहीं जानते हो कि हम चारों में से एक गददार है।‘

अभिजीत ने मकरंद को ऐसे देखा जैसे यह कोई मासूली सी बात हो।

‘’हां तो, जाओ उस गददार का पता लगाओ, मेरा मूड खराब है‘’ अभिजीत ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा।

‘’तुम्‍हारा दिमाग खराब हो गया है क्‍या? मैं तुम्‍हें यह बता रहा हूं कि हम चारों में से एक चीफ की जान का दुश्‍मन है, करन तो मर गया है बचे हम तीन, तुम्‍हें युग के बारे में कुछ पता भी है?‘ मकरंद ने अभिजीत का कंधा पकड़कर तेजी से हिलाते हुए कहा।

अभिजीत ने मकरंद का हाथ अपने कंधे से झटके से हटा दिया और अपने रूम की ओर जाने लगा। 

मकरंद हक्‍का बक्‍का सा उसे जाते हुए देख रहा था, क्‍या हो गया है इस आदमी को? इसका एक्‍सप्रेशन देखकर लग रहा है कि इसे चीफ की जान से कोई मतलब ही नहीं, हम चारों मे से यही तो चीफ का करीबी है फिर भी? 

अभिजीत इससे पहले अपने रूम का दरवाजा बंद करता कि मकरंद चीते की फुर्ती से दौड़ते हुए अभिजीत के रूम के सामने आ गया और अभिजीत को लगभग धकेलते हुए उसके कमरे में घुस गया और रूम का डोर बंद कर दिया। 

अभिजीत के कमरे में दो और लोग थे, सामने सोफे पर बैठे इंसान को देखकर मकरंद हक्‍का-बक्‍का रह गया..वह जतिन था यानी दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर यशवर्मन, साथ में युग भी। मकरंद ने अविश्‍वास भरी नजरों से अभिजीत को देखा... ये दोनों तो चीफ के खिलाफ साजिश कर रहे हैं।

अभिजीत ने कंधे उचकाकर कहा, ‘’क्‍या करें यार? चीफ ने तो मुझे ठुकरा दिया तो कहीं और तो दिल लगाना ही पड़ेगा और उसके लिए यह सब करना जरूरी है।'' कहकर अभिजीत युग के गले लग गया, ‘अब से यही मेरा प्‍यार है, अब चीफ को सच में मरना होगा।‘

जतिन के चेहरे पर तिरछी स्‍माइल तैरने लगी थी। 

कमरे के अंदर खड़ी नैना, बाहर बरामदे में चेयर पर बैठे शेखर पर चिल्‍ला उठी...’’मुझे राघव से बात करनी है, अभी इसी समय उसे बुलाइए।

‘’वह चला गया...’’ बरामदे में बैठा शेखर अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, उसने नैना को बिना देखे ही उससे कहा। 

‘’कहां गया? तभी नैना को याद आया आज तो राघव की शादी है, शादी हो गई और वह अपनी बीवी को लेकर चला गया। 

‘’इतनी जल्‍दी शादी कर के, वो अपनी बीवी को लेकर हनीमून के लिए चला भी गया?‘’ नैना खुद से ही बोली, पर यह बात शेखर ने सुन ली और कहा… 

‘’बीवी, कौन सी बीवी? उसने शादी ही नहीं की तो बीवी काहे की?‘’

‘’पर कल तो उसने मुझसे खुद कहा था कि वह शादी कर रहा है…

‘’वह तो एक दिखावा था, मेरे पास तुम्‍हारे लिए कुछ है, तुम्‍हारा मूड बहुत खराब है ना, एक अच्‍छी सी चीज सुनाता हूं, शायद तुम्‍हारा मन बहल जाए।‘’ कहकर शेखर ने चीफ की मीटिंग में हुई सारी बातों की रिकार्डिंग नैना को सुना दी और बलवंत का वीडियो भी दिखा दिया जिसमें वे अपने सारे गुनाह अपनी बेटी के सामने स्‍वीकार कर रहे थे।‘’

सबकुछ देखकर सुनकर नैना के चेहरे का रंग उड़ गया, उसका चेहरा चांद की तरह सफेद पड़ गया, अभी कुछ देर पहले घायल शेरनी की तरह गुर्राती नैना मिमियाती हुई भीगी बिल्‍ली जैसी हो गई थी। 

इन सबसे क्‍या साबित करना चाहते हैं आप? आपको लगता है कि आप चीफ का या बलवंत जी का कुछ बिगाड़ पाएंगे? नेवर कभी नहीं, चीफ को कोई नहीं हरा सकता, वे दुगनी ताकत से ये सारे काम करेंगे।‘’ 

तुम और तुम्‍हारा चीफ, तुम्‍हारे सारे पार्टनर जो कर रहे हैं वह दुनिया के सबसे बड़े क्राइम में से एक है। ये वीडियो रिकार्डिंग तुम लोगों का कुछ नहीं बल्‍कि बहुत कुछ बिगाड़ सकती है, देखना यह टीवी और इंटरनेट पर आते ही क्‍या बवाल मचेगा।‘

नैना सहम उठी...वह भले ही शेखर के सामने बोल्‍ड दिखने और बनने की कोशिश कर रही थी पर अंदर ही अंदर वह बुरी तरह से डरी और घबरा उठी थी। 

 

क्‍या मकरंद, चीफ को अभिजीत जतिन और युग के बिछाए जाल से बचा पाएगा? 

अभिजीत जो चीफ पर जान छिड़कता था अचानक से वह चीफ के खिलाफ कैसे हो गया?

क्‍या अमरीश नैना को ढूंढ पाएगा और क्‍या बलवंत मीरा का आमना सामना हो पाएगा। 

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।

 

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